प्रारंभिक परीक्षा
कार्बन कैप्चर और स्टोरेज
- 07 Aug 2023
- 12 min read
प्रिलिम्स के लिये:वैश्विक ऊर्जा और कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन, कार्बन भंडारण, ग्लोबल वार्मिंग, जलवायु परिवर्तन, राष्ट्रीय कार्बन कैप्चर और उपयोग उत्कृष्टता केंद्र मुंबई, वनीकरण, पेरिस समझौता। मेन्स के लिये:कार्बन कैप्चर और भंडारण के दृष्टिकोण एवं संबंधित चुनौतियाँ। |
चर्चा में क्यों?
यू.के.सरकार ने शुद्ध-शून्य उत्सर्जन प्राप्त करने की अपनी रणनीति के एक महत्वपूर्ण घटक के रूप में कार्बन डाइ-ऑक्साइड (CO2) उत्सर्जन को कैप्चर और स्टोरेज करने के उद्देश्य से परियोजनाओं को आगे बढ़ाने के लिये अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है।
कार्बन कैप्चर और स्टोरेज (CCS):
- परिचय:
- यह एक प्रक्रिया है जिसे औद्योगिक प्रक्रियाओं और विशेष रूप से विद्युत् संयंत्रों में जीवाश्म ईंधन के जलने से उत्पन्न कार्बन डाइ-ऑक्साइड ( CO2) के उत्सर्जन को कम करने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
- CCS का लक्ष्य CO2 की एक महत्त्वपूर्ण मात्रा को वायुमंडल में प्रवेश करने के साथ ग्लोबल वार्मिंग,एवं जलवायु परिवर्तन, में योगदान करने से रोकना है।
- दृष्टिकोण: कार्बन कैप्चर और स्टोरेज (CCS) में दो प्राथमिक दृष्टिकोण शामिल हैं:
- पहली विधि को पॉइंट-सोर्स CCS के रूप में जाना जाता है, जिसमें औद्योगिक स्मोकस्टैक्स जैसे;इसके उत्पादन स्थल पर सीधे CO2 को कैप्चर करना शामिल है।
- दूसरी विधि, डायरेक्ट एयर कैप्चर (DAC), वायुमंडल में पहले से ही उत्सर्जित CO2 को हटाने पर केंद्रित है।
- ब्रिटेन की हालिया पहल विशेष रूप से पॉइंट-सोर्स CCS को लक्षित करती है।
- प्वाइंट सोर्स के तंत्र- CCS: कार्बन कैप्चर और भंडारण की प्रक्रिया में कई अलग-अलग चरण शामिल हैं, जिनमें से प्रत्येक CO2 उत्सर्जन के प्रभावी रोकथाम में योगदान देता है।
- कैप्चर: औद्योगिक प्रक्रियाओं अथवा विद्युत् उत्पादन के दौरान उत्पन्न होने वाली अन्य गैसों से CO2 को अलग किया जाता है।
- संपीड़न एवं परिवहन: एक बार कैप्चर होने के बाद CO2 को संपीड़ित किया जाता है और प्राय: पाइपलाइनों के माध्यम से निर्दिष्ट भंडारण स्थलों तक पहुँचाया जाता है।
- इंजेक्शन: CO2 को फिर भूमिगत चट्टान संरचनाओं में इंजेक्ट किया जाता है, जो प्राय: एक किलोमीटर या उससे अधिक की गहराई पर स्थित होती हैं, जहाँ यह विस्तारित अवधि तक, कभी-कभी दशकों तक संग्रहीत रहती है।
- अनुप्रयोग:
- खनिजीकरण: स्थिर कार्बोनेट बनाने के लिये कैप्चर किये गए कार्बन की कुछ खनिजों के साथ प्रतिक्रिया करायी जा सकती है, जिसे भूमिगत रूप से सुरक्षित रूप से संग्रहीत किया जा सकता है अथवा निर्माण सामग्री में उपयोग किया जा सकता है।
- यह प्रक्रिया, जिसे खनिज कार्बोनेटीकरण के रूप में जाना जाता है, कार्बन भंडारण की एक दीर्घकालिक और सुरक्षित विधि प्रदान करती है।
- सिंथेटिक ईंधन: संगृहीत किये गए CO2 को सिंथेटिक प्राकृतिक गैस, सिंथेटिक डीजल, सिंथेटिक जेट ईंधन के उत्पादन करने के लिये हाइड्रोजन (अक्सर नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग करके इलेक्ट्रोलिसिस के माध्यम से उत्पादित) के साथ संयोजित किया जा सकता है।
- ग्रीनहाउस और इनडोर कृषि: पौधों की वृद्धि को बढ़ाने के लिये संगृहीत कार्बन डाइ-ऑक्साइड ग्रीनहाउस और इनडोर कृषि स्थलों में उपयोग की जा सकती है।
- शुष्क बर्फ (Dry ice) का उत्पादन: संगृहीत की गई कार्बन डाइ-ऑक्साइड का उपयोग शुष्क बर्फ (बेहद कम तापमान पर ठोस कार्बन डाइ-ऑक्साइड) के उत्पादन के लिये किया जा सकता है।
- शुष्क बर्फ के विभिन्न अनुप्रयोग हैं, इसका उपयोग जल्द खराब होने वाले सामानों की शिपिंग और परिवहन, चिकित्सा और वैज्ञानिक उद्देश्य व मनोरंजन उद्योग में विशेष रूप से किया जाता है।
- खनिजीकरण: स्थिर कार्बोनेट बनाने के लिये कैप्चर किये गए कार्बन की कुछ खनिजों के साथ प्रतिक्रिया करायी जा सकती है, जिसे भूमिगत रूप से सुरक्षित रूप से संग्रहीत किया जा सकता है अथवा निर्माण सामग्री में उपयोग किया जा सकता है।
नोट:
- भारत में, कार्बन संग्रहण और उपयोग में उत्कृष्टता के दो राष्ट्रीय केंद्रों की स्थापना का कार्य जारी है।
- भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) बॉम्बे, मुंबई में कार्बन संग्रहण और उपयोग में राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र (NCoE-CCU)
- जवाहरलाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस्ड साइंटिफिक रिसर्च (JNCASR), बेंगलुरु में नेशनल सेंटर इन कार्बन कैप्चर एंड यूटिलाइजेशन (NCCCU)।
- चुनौतियाँ:
- लागत और अर्थशास्त्र: कार्बन कैप्चर, परिवहन और भंडारण के लिये बुनियादी ढाँचे के निर्माण हेतु उच्च प्रारंभिक पूंजी लागत की आवश्यकता होती है।
- फ्लू गैसों या औद्योगिक प्रक्रियाओं से CO2 कैप्चर करने की लागत अधिक हो सकती है, जो CCS परियोजनाओं की समग्र व्यवहार्यता को प्रभावित कर सकती है।
- भू-वैज्ञानिक भंडारण उपयुक्तता: CO2 के दीर्घकालिक भंडारण के लिये उपयुक्त भू-वैज्ञानिक संरचनाओं की पहचान करना और उन्हें सुरक्षित करना एक बड़ी चुनौती है।
- रिसाव अथवा भूकंपीय गतिविधि के संभावित जोखिमों के कारण सभी भू-वैज्ञानिक संरचनाएँ CO2 भंडारण के लिये उपयुक्त नहीं हैं।
- जीवाश्म ईंधन कंपनियों की अवधि का विस्तार: कुछ पर्यावरणीय संगठन CCS की प्रभावशीलता को लेकर चिंतित हैं, उनका सुझाव है कि इसके कार्यान्वयन से जीवाश्म ईंधन कंपनियों की परिचालन लाभप्रदता में वृद्धि हो सकती है।
- यह परिणाम संभावित तौर पर अधिक धारणीय और स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों की ओर संक्रमण की गति में बाधा उत्पन्न कर सकता है।
आगे की राह
- प्राकृतिक जलवायु समाधान एकीकरण: CCS को प्राकृतिक जलवायु समाधानों के साथ एकीकृत करने से इसकी प्रभावशीलता में वृद्धि होने की संभावना है।
- पुनर्वनीकरण, वृक्षारोपण और सतत् भूमि प्रबंधन कार्यक्रम स्वाभाविक रूप से कार्बन को अलग करके, जैव विविधता को बढ़ावा देकर और पारिस्थितिकी तंत्र के लचीलेपन में सुधार करके CCS में सहायता कर सकते हैं।
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और ज्ञान की साझेदारी: वैश्विक जलवायु चुनौतियों का समाधान करने के लिये देशों को CCS में सहयोग करने के साथ ही ज्ञान एवं विशेषज्ञता साझा करनी चाहिये।
- अंतर्राष्ट्रीय मंचों, अनुसंधान साझेदारियों और प्रौद्योगिकी-साझाकरण पहलों की स्थापना से नवीन कार्बन कैप्चर समाधानों के विकास और अभिग्रहण में तेजी आ सकती है।
- CCS का संतुलन और जलवायु कार्रवाई के लिये उत्सर्जन में कमी: संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट, कार्बन क्रेडिट के माध्यम से कार्बन ट्रेडिंग जैसे पेरिस समझौते के बाज़ार-आधारित तंत्र के साथ जुड़ने की CCS की क्षमता को रेखांकित करती है।
- हालाँकि, यह इस बात पर बल देता है कि कार्बन उत्सर्जन की रोकथाम सर्वोपरि है। एक समावेशी जलवायु रणनीति, जलवायु परिवर्तन को प्रभावी ढंग से संबोधित करने के लिये कार्बन कैप्चर प्रौद्योगिकी अपनाने और सक्रिय उत्सर्जन में कमी दोनों को अनिवार्य करती है।
- राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान के संदर्भ में भारत अब वर्ष 2030 तक अपने सकल घरेलू उत्पाद की उत्सर्जन तीव्रता को 45% तक कम करने के लिये प्रतिबद्ध है।
- हालाँकि, यह इस बात पर बल देता है कि कार्बन उत्सर्जन की रोकथाम सर्वोपरि है। एक समावेशी जलवायु रणनीति, जलवायु परिवर्तन को प्रभावी ढंग से संबोधित करने के लिये कार्बन कैप्चर प्रौद्योगिकी अपनाने और सक्रिय उत्सर्जन में कमी दोनों को अनिवार्य करती है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रारंभिकप्रश्न 1. निम्नलिखित कृषि पद्धतियों पर विचार कीजिये: (2012)
वैश्विक जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में उपर्युक्त में से कौन मिट्टी में कार्बन को अलग करने/भंडारण में मदद करता है? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (b) प्रश्न 2. कार्बन डाइ-ऑक्साइड के मानवजनित उत्सर्जन के कारण होने वाले ग्लोबल वार्मिंग को कम करने के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन कार्बन पृथक्करण के लिये संभावित स्थल हो सकता है? (2017)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (d) प्रश्न 3. कृषि में शून्य जुताई के क्या-क्या लाभ हैं? (2020)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (d) |