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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

भारत की ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’

  • 19 Mar 2021
  • 8 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास राज्य मंत्री (DoNER) ने कहा कि कनेक्टिविटी, ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ का एक महत्त्वपूर्ण घटक है।

प्रमुख बिंदु:

  • नवंबर 2014 में घोषित ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’,  ‘लुक ईस्ट पॉलिसी’  का ही उन्नत रूप है।
  • यह विभिन्न स्तरों पर विशाल एशिया-प्रशांत क्षेत्र के साथ आर्थिक, रणनीतिक और सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ावा देने हेतु एक राजनयिक पहल है।
  • इस पॉलिसी के तहत द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और बहुपक्षीय स्तरों पर कनेक्टिविटी, व्यापार, संस्कृति, रक्षा और लोगों-से-लोगों के बीच संपर्क बढ़ाने में दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के साथ गहन और निरंतर संपर्क को बढ़ावा दिया जाता है।

लक्ष्य:

  • आर्थिक सहयोग, सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ावा देना तथा एक सक्रिय व व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाकर भारत-प्रशांत क्षेत्र में स्थित देशों के साथ रणनीतिक संबंध विकसित कर उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के आर्थिक विकास में सुधार करना जो कि दक्षिण-पूर्व एशिया का प्रवेश द्वार है।

लुक ईस्ट पॉलिसी:

  • रणनीतिक साझेदार सोवियत संघ के विघटन (शीत युद्ध, 1991 के अंत में ) के प्रभाव से उबरने के लिये भारत ने संयुक्त राज्य अमेरिका और दक्षिण-पूर्व एशिया में अमेरिका के सहयोगी देशों के साथ संबंधों को मज़बूत करने का प्रयास किया।
  • इन प्रयासों में वर्ष 1992 में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव ने लुक ईस्ट पॉलिसी की शुरुआत की ताकि दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र के साथ भारत के संबंधों को रणनीतिक रूप दिया जा सके और एक क्षेत्रीय शक्ति के रूप में ‘पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना’ के रणनीतिक प्रभाव को प्रतिसंतुलित किया जा सके।

India-Acts-East

लुक ईस्ट पॉलिसी एवं एक्ट ईस्ट पॉलिसी में अंतर:

  • लुक ईस्ट पॉलिसी:
    • लुक ईस्ट पॉलिसी में ‘दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के संघ’ (आसियान) तथा उनके आर्थिक एकीकरण पर ध्यान केंद्रित किया गया।
      • भारत वर्ष 1996 में आसियान का एक संवाद भागीदार और वर्ष 2002 में शिखर स्तरीय वार्ताओं का भागीदार बना।
      • वर्ष 2012 में यह संबंध रणनीतिक साझेदारी में बदल गया।
      • वर्ष 1992 में जब भारत ने लुक ईस्ट पॉलिसी शुरू की, उस समय आसियान के साथ भारत का व्यापार 2 बिलियन अमेरिकी डॉलर था। वर्ष 2010 में आसियान के साथ मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद व्यापार बढ़कर 72 बिलियन अमेरिकी डॉलर (2017-18) हो गया है।
      • भारत ‘पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन’ (EAS), ‘आसियान क्षेत्रीय मंच’ (ARF) आदि जैसे कई क्षेत्रीय मंचों में भी सक्रिय भागीदार है।
  • एक्ट ईस्ट पॉलिसी:
    • ‘एक्ट ईस्ट’ पॉलिसी आसियान देशों के आर्थिक एकीकरण तथा पूर्वी एशियाई देशों के साथ सुरक्षा सहयोग पर केंद्रित है।
      • भारत के प्रधानमंत्री ने ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’  के तहत 4C पर प्रकाश डाला है।
        • संस्कृति (Culture)
        • वाणिज्य (Commerce)
        • कनेक्टिविटी (Connectivity)
        • क्षमता निर्माण (Capacity Building)
    • सुरक्षा भारत की ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ का एक महत्त्वपूर्ण आयाम है।
      • दक्षिण चीन सागर और हिंद महासागर में बढ़ते चीनी हस्तक्षेप के संदर्भ में भारत द्वारा नौपरिवहन की स्वतंत्रता हासिल करना और हिंद महासागर में अपनी भूमिका स्पष्ट करना ‘एक्ट ईस्ट’ पॉलिसी की एक प्रमुख विशेषता है।
      • भारत ‘क्वाड’ नामक भारत-प्रशांत क्षेत्र आधारित अनौपचारिक समूह के माध्यम से भी ऐसे प्रयास कर रहा है।

कनेक्टिविटी बढ़ाने की पहल:

  • भारत और बांग्लादेश के बीच अगरतला-अखौरा रेल लिंक
  • इंटर-मॉडल परिवहन संपर्क और बांग्लादेश के माध्यम से अंतर्देशीय जलमार्ग।
  • कलादान मल्टीमॉडल ट्रांज़िट ट्रांसपोर्ट परियोजना एवं म्याँमार और थाईलैंड के साथ नॉर्थ ईस्ट को जोड़ने वाली त्रिपक्षीय राजमार्ग परियोजना।
  • ‘भारत-जापान एक्ट ईस्ट फोरम’ के तहत विभिन्न सड़क एवं पुल परियोजनाओं तथा हाइड्रो-इलेक्ट्रिक पावर प्रोजेक्ट के आधुनिकीकरण का काम किया गया है।
    • ‘भारत-जापान एक्ट ईस्ट फोरम’ वर्ष 2017 में स्थापित किया गया था जिसका उद्देश्य भारत की "एक्ट ईस्ट पॉलिसी" और जापान की "फ्री एंड ओपन इंडो-पैसिफिक रणनीति" के तहत भारत-जापान सहयोग हेतु एक मंच प्रदान करना है।
    • यह फोरम भारत के उत्तर-पूर्व क्षेत्र के आर्थिक आधुनिकीकरण के लिये विशिष्ट परियोजनाओं की पहचान करेगा, जिनमें कनेक्टिविटी, विकास संबंधी बुनियादी ढाँचे, औद्योगिक संपर्क और पर्यटन, संस्कृति एवं खेल संबंधी गतिविधियों के माध्यम से लोगों के बीच संपर्क जैसे कारक शामिल हैं।

अन्य पहलें:

  • महामारी के दौरान आसियान देशों को दवा/चिकित्सा आपूर्ति के रूप में विस्तारित सहायता।
  • आसियान देशों के प्रतिभागियों के लिये IIT में 1000 पीएचडी फेलोशिप की पेशकश के साथ छात्रवृत्ति प्रदान की गई है।  
  • भारत शिक्षा, जल संसाधन, स्वास्थ्य आदि क्षेत्रों में ज़मीनी स्तर के समुदायों के  विकास में सहायता प्रदान करने के लिये कंबोडिया, लाओस, म्याँमार और वियतनाम में त्वरित प्रभाव परियोजनाओं को लागू कर रहा है।
    • ‘क्विक इम्पैक्ट प्रोजेक्ट्स' (QIPs) कम लागत वाली छोटे पैमाने की परियोजनाएँ हैं, जिन्हें कम समय-सीमा के भीतर योजनाबद्ध और कार्यान्वित किया जाता है।

स्रोत-पीआईबी

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