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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    भारत-आसियान संबंध उत्तर-पूर्व के विकास में किस प्रकार सार्थक सिद्ध हो सकते हैं? विश्लेषण कीजिये।

    13 Jun, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 2 अंतर्राष्ट्रीय संबंध

    उत्तर :

    प्रश्न-विच्छेद

    • भारत-आसियान संबंधों का उत्तर-पूर्व के विकास में योगदान का विश्लेषण करना है।

    हल करने का दृष्टिकोण

    • प्रभावी भूमिका लिखते हुए भारत-आसियान संबंधों को बताएँ, साथ ही आसियान के विषय में चर्चा करें।
    • तार्किक तथा संतुलित विषय-वस्तु में उत्तर-पूर्व के विकास में आसियान के योगदान को बताएँ।
    • प्रश्नानुसार संक्षिप्त तथा सारगर्भित निष्कर्ष लिखें।

    जब से भारत ने अपनी ‘लुक ईस्ट’ नीति को ‘एक्ट ईस्ट’ में बदला है तब से भारत-आसियान संबंधों को परिणामोन्मुख और व्यावहारिक बनाने के लिये निरंतर प्रयास किये गए हैं। देश का उत्तर-पूर्वी क्षेत्र सुरक्षा की दृष्टि से संवेदनशील होने के साथ ही अल्प विकास का भी शिकार रहा है और इस दृष्टि से भारत-आसियान संबंधों में प्रगति उत्तर-पूर्व भारत के विकास के लिये किये जा रहे  प्रयासों हेतु पूरक सिद्ध हो सकती है। आसियान की स्थापना 8 अगस्त, 1967 को थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में की गई। वर्तमान में ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्याँमार, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम इसके दस सदस्य देश हैं।

    भारत का उत्तर-पूर्वी क्षेत्र देश की कुल आबादी का 3-8 प्रतिशत और कुल भौगोलिक क्षेत्र के लगभग 8 प्रतिशत भाग का निर्माण करता है। इसके अलावा 5,300 किमी- से अधिक अंतर्राष्ट्रीय सीमा के साथ यह क्षेत्र रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण है। भूमि की एक संकीर्ण पट्टी जिसे ‘चिकेन नेक गलियारा’ के नाम से भी जाना जाता है, इस क्षेत्र को भारत के बाकी हिस्सों से जोड़ती है। इस कारण भारत सामरिक दबाव की स्थिति में रहता है। इसके समाधान हेतु भारत की मुख्य भूमि के साथ अवसंरचनात्मक कनेक्टिविटी और सीमावर्ती देशों के साथ कनेक्टिविटी के अपग्रेडेशन की आवश्यकता है। जिसके लिये बड़ी मात्रा में निवेश आवश्यक है। उत्तर-पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्रालय की चीन, भूटान, बांग्लादेश और म्याँमार के सीमावर्ती क्षेत्रें के विकास के लिये 45,000 करोड़ रुपए खर्च करने की योजना है।

    म्याँमार के माध्यम से भारत को थाईलैंड से जोड़ने वाला चार लेन का त्रिपक्षीय राजमार्ग एक प्रमुख कनेक्टिविटी परियोजना है जिसे लाओस, कंबोडिया और वियतनाम तक विस्तारित किया जाएगा। इस राजमार्ग के माध्यम से माल और आर्थिक गतिविधियों की दीर्घकालिक स्थिरता के लिये भारत का उत्तर-पूर्व के विकास और कनेक्टिविटी पर ध्यान देना जरूरी हैं। भारत-आसियान के बीच समुद्री संपर्क स्थापित करने में कलादान मल्टी मॉडल पारगमन परिवहन परियोजना एक क्रांतिकारी कदम है। यह परियोजना कोलकाता को म्याँमार के सित्तवे बंदरगाह से लिंक करने के साथ ही मिजोरम को भी नदी और स्थल मार्ग से जोड़ेगी।

    उत्तर-पूर्व की कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिये सरकार द्वारा कुछ निर्णय लिये गए हैं जिसमें म्याँमार सीमा पर अंतिम छोर तक रेल संपर्क सुनिश्चित करना, बांग्लादेश के साथ रेल संपर्क बहाल करना, अंतःक्षेत्रीय संपर्क को बढ़ावा देने के लिये ब्रह्मपुत्र और बराक नदी प्रणालियों के पास 20 बंदरगाह आवासीय परियोजनाओं का विकास और साथ ही आसियान के साथ व्यावसायिक संबंधों में सहयोग के लिये इस क्षेत्र में हवाई संपर्क बढ़ाना आदि मुख्य हैं। आसियान देशों द्वारा इस क्षेत्र के विकास के कई अन्य प्रयास भी किये जा रहे हैं। इसका उदाहरण सिंगापुर द्वारा असम में खोले गए कौशल विकास केंद्रों के रूप में देखा जा सकता है।

    अतः भारत को उत्तर-पूर्व क्षेत्र के विकास और आसियान के साथ संबंधों के संदर्भ में एकीकृत दृष्टिकोण अपनाना चाहिये।

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