प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना का विस्तार
प्रिलिम्स के लिये:प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013, अंत्योदय अन्न योजना, लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली, ई-रुपी। मेन्स के लिये:सरकारी नीतियों के डिज़ाइन और कार्यान्वयन से उत्पन्न मुद्दे, NFSA के तहत लाभार्थी। |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारतीय प्रधानमंत्री ने अतिरिक्त पाँच वर्षों के लिये प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) के विस्तार की घोषणा की है।
PMGKAY क्या है?
- PMGKAY को सर्वप्रथम वर्ष 2020 में कोविड-19 महामारी के दौरान पेश किया गया था और इसे राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 (NFSA) के तहत पात्र राशन कार्ड धारकों को प्रति व्यक्ति प्रति माह 5 किलोग्राम मुफ्त खाद्यान्न प्रदान करने के लिये डिज़ाइन किया गया था।
- प्रारंभ में यह योजना दिसंबर 2022 में समाप्त होने वाली थी, फिर इसे दिसंबर 2023 तक बढ़ा दिया गया था और अब इसे अतिरिक्त पाँच वर्षों के लिये आगे बढ़ा दिया गया है।
- इस योजना के आरंभ होने के बाद से सरकार ने 3.9 लाख करोड़ रुपए की लागत से अपने केंद्रीय खरीद पूल से 1,118 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न आवंटित किया है।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013:
- परिचय:
- राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, (NFSA) 2013 खाद्य सुरक्षा की पहुँच के लिये कल्याण से अधिकार आधारित दृष्टिकोण में एक आदर्श बदलाव का प्रतीक है।
- लाभार्थी:
- यह अधिनियम कानूनी तौर पर ग्रामीण आबादी के 75% और शहरी आबादी के 50% को लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत सब्सिडी वाले खाद्यान्न प्राप्त करने का अधिकार देता है।
- इस प्रकार इस अधिनियम के अंतर्गत अत्यधिक सब्सिडी/सहायिकी वाले खाद्यान्न के आबंटन के लिये लगभग दो तिहाई आबादी को कवर किया जायेगा।
- इसमें राशन कार्ड धारकों की दो श्रेणियाँ शामिल हैं: अंत्योदय अन्न योजना (AAY) एवं प्राथमिकता वाले परिवार (PHH)।
- महिला सशक्तीकरण की दिशा में एक कदम के रूप में, इस अधिनियम के तहत राशन कार्ड जारी करने के उद्देश्य से घर की 18 वर्ष अथवा उससे अधिक उम्र की महिला को परिवार का मुखिया होना अनिवार्य है।
- यह अधिनियम कानूनी तौर पर ग्रामीण आबादी के 75% और शहरी आबादी के 50% को लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत सब्सिडी वाले खाद्यान्न प्राप्त करने का अधिकार देता है।
- प्रावधान:
- इस कार्यक्रम के तहत AAY के लाभार्थी परिवारों को प्रत्येक माह 35 किलोग्राम खाद्यान्न दिये जाने का प्रावधान है, चाहे परिवार के सदस्यों की संख्या कुछ भी हो।
- प्राथमिकता वाले परिवारों को परिवार के सदस्यों की संख्या के आधार पर खाद्यान्न मिलता है, जिसमें प्रत्येक सदस्य को प्रति माह 5 किलोग्राम खाद्यान्न मिलता है।
- PMGKAY एवं NFSA का एकीकरण:
- जनवरी 2023 में PMGKAY को NFSA के साथ एकीकृत किया गया, जिसके परिणामस्वरूप AAY एवं PHH परिवारों के लिये सभी राशन निशुल्क उपलब्ध कराए गए।
- इस एकीकरण ने PMGKAY के निशुल्क राशन कारक को NFSA में शामिल कर कोविड-19 महामारी के दौरान पेश किये गए अतिरिक्त प्रावधानों को समाप्त कर दिया।
PMGKAY के विस्तार के क्या प्रभाव होंगे?
- सकारात्मक प्रभाव:
- तत्काल खाद्य सुरक्षा आवश्यकताओं का समाधान करना: यह विस्तार निम्न-आय वाले परिवारों को राहत प्रदान करता है, आवश्यक खाद्य आपूर्ति तक निरंतर पहुँच सुनिश्चित करता है, और तत्काल खाद्य सुरक्षा चिंताओं का समाधान करता है।
- यह विस्तार आर्थिक संकट अथवा प्राकृतिक आपदाओं के दौरान सुरक्षा जाल के रूप में कार्य करता है, अप्रत्याशित कठिनाइयों का सामना करने वाले व्यक्तियों को त्वरित सहायता प्रदान करता है एवं आपात स्थिति के दौरान बुनियादी जीविका की गारंटी देता है।
- ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना: योजना के लिये खाद्यान्न की खरीद स्थानीय किसानों व कृषि समुदायों को सहायता प्रदान करती है, जिससे ग्रामीण आर्थिक विकास और स्थिरता में योगदान मिलता है।
- सामाजिक सामंजस्य: यह कार्यक्रम सामुदायिक कल्याण की भावना को बढ़ावा देता है, जहाँ सरकार की पहल यह सुनिश्चित करती है कि कोई भी भूखा न रहे, यह विस्तार सामाजिक एकजुटता एवं ज़रूरतमंद लोगों के प्रति सामूहिक ज़िम्मेदारी की भावना को बढ़ावा देता है।
- तत्काल खाद्य सुरक्षा आवश्यकताओं का समाधान करना: यह विस्तार निम्न-आय वाले परिवारों को राहत प्रदान करता है, आवश्यक खाद्य आपूर्ति तक निरंतर पहुँच सुनिश्चित करता है, और तत्काल खाद्य सुरक्षा चिंताओं का समाधान करता है।
- नकारात्मक प्रभाव:
- दीर्घकालिक राजकोषीय एवं आर्थिक चिंताएँ कार्यक्रम के विस्तार के साथ अत्यधिक वित्तीय व्यय का कारण हो सकती हैं।
- समय के साथ खरीद व्यय बढ़ने से लागत में वृद्धि हो सकती है, जिससे सरकार के बजट पर बोझ पड़ सकता है।
- यदि योजना के विस्तार के साथ-साथ राजस्व वृद्धि में भी कमी हो रही है तो इससे राजकोषीय घाटा बढ़ सकता है।
- बाज़ार की गतिशीलता में विकृति: निशुल्क मिलने वाले अथवा अत्यधिक छूट प्राप्त करने वाले खाद्यान्न वितरण से विस्तारित कार्यक्रम बाज़ार की गतिशीलता को परिवर्तित कर सकता है, साथ ही यह कृषि उद्योग को भी प्रभावित कर सकता है तथा मूल्य विकृतियों का कारण भी बन सकता है।
- निर्भरता तथा स्थिरता के मुद्दे: मुफ्त खाद्यान्न वितरण जारी रखने से लाभार्थियों में इस खाद्यान्न पर निर्भरता में वृद्धि हो सकती है, जिससे आत्मनिर्भरता अथवा वैकल्पिक आजीविका प्रयासों की इच्छा कम हो सकती है।
- गरीबी एवं भुखमरी को दूर करने के लिये सरकारी सहायता पर निर्भर रहना कोई स्थायी, दीर्घकालिक समाधान नहीं हो सकता है।
- प्रतिस्पर्धी लोकलुभावनवाद तथा नीतिगत स्थिरता: इस विस्तार से राजनीतिक दलों के मध्य प्रतिस्पर्धी लोकलुभावन उपाय हो सकते हैं, जो अस्थिर नीतियों को लागू कर सकते हैं और साथ ही सार्वजनिक वित्त पर भी दबाव डाल सकते हैं।
- दीर्घकालिक राजकोषीय एवं आर्थिक चिंताएँ कार्यक्रम के विस्तार के साथ अत्यधिक वित्तीय व्यय का कारण हो सकती हैं।
आगे की राह:
- अल्पावधि के उपाय:
- खाद्यान पहुँच के लिये डिजिटल वाउचर का उपयोग: ई-रुपी का उपयोग विशेष रूप से आवश्यक खाद्य पदार्थों की खरीद के लिये डिजिटल वाउचर के रूप में किया जाता है।
- सरकार लक्षित लाभार्थियों को ई-रुपी वाउचर आवंटित कर सकती है, यह सुनिश्चित करते हुए कि धन का उपयोग केवल पौष्टिक खाद्यान खरीदने के लिये किया जाएगा।
- क्राउडसोर्स्ड डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क: प्रौद्योगिकी प्लेटफॉर्म या ऐसे ऐप विकसित करना जो घरों, रेस्तरां तथा सुपरमार्केट से ज़रूरतमंद लोगों तक अतिरिक्त या बर्बाद होने वाले भोजन के वितरण की सुविधा प्रदान कर सकें।
- इसमें अतिरिक्त भोजन की पहचान करने तथा इसे ज़रूरतमंद लोगों तक कुशलतापूर्वक वितरित करने में सामुदायिक भागीदारी शामिल होगी।
- खाद्यान पहुँच के लिये डिजिटल वाउचर का उपयोग: ई-रुपी का उपयोग विशेष रूप से आवश्यक खाद्य पदार्थों की खरीद के लिये डिजिटल वाउचर के रूप में किया जाता है।
- दीर्घकालिक उपाय:
- आर्थिक सशक्तीकरण कार्यक्रम: पर्पेचुअल हैंडआउट्स के बजाय उन कार्यक्रमों में निवेश करने की आवश्यकता है जो व्यक्तियों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाते हैं।
- इसमें लोगों को आत्मनिर्भर बनने में मदद करने के लिये कौशल विकास, नौकरी प्रशिक्षण एवं उद्यमशीलता के अवसर शामिल हो सकते हैं।
- सब्सिडी में धीरे-धीरे कमी: निशुल्क राशन कार्यक्रम को अचानक बंद करने के बजाय, धीरे-धीरे सब्सिडी में कमी करके इसे समाप्त करें तथा साथ ही अन्य सहायता प्रणालियों को लागू करें। इससे अभावग्रस्त जनसंख्या और अर्थव्यवस्था को अचानक लगने वाले झटके से बचने में मदद मिल सकती है।
- निशुल्क राशन कार्यक्रम को अन्य सहायता प्रणालियों के कार्यान्वयन के साथ धीरे-धीरे बंद किया जाना चाहिये, न कि अचानक रोक देना चाहिये। इससे सुभेद्य आबादी एवं अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है।
- आर्थिक सशक्तीकरण कार्यक्रम: पर्पेचुअल हैंडआउट्स के बजाय उन कार्यक्रमों में निवेश करने की आवश्यकता है जो व्यक्तियों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाते हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के अधीन बनाए गए उपबंधों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:
उपर्युत्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) 1 और 2 उत्तर: (b) मेन्सप्रश्न.1 प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डी.बी.टी.) के द्वारा कीमत सहायिकी का प्रतिस्थापन भारत में सहायिकियों के परिदृश्य का किस प्रकार परिवर्तन कर सकता है? चर्चा कीजिये। (2015) प्रश्न.2 राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं? खाद्य सुरक्षा विधेयक ने भारत में भूख और कुपोषण को दूर करने में किस प्रकार सहायता की है? (2021) |
वैश्विक एकता के लिये भारत-चीन साझेदारी
प्रिलिम्स के लिये:अ ग्लोबल कम्युनिटी ऑफ शेयर्ड फ्यूचर: चाइनाज़ प्रपोज़ल्स एंड एक्शन्स, संरक्षणवाद, G20 शिखर सम्मेलन, BRICS, एशियाई अवसंरचना निवेश बैंक, न्यू डेवलपमेंट बैंक, निरस्त्रीकरण पर सम्मेलन, सतत् विकास लक्ष्य, वास्तविक नियंत्रण रेखा, चीन की ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’। मेन्स के लिये:साझा भविष्य के वैश्विक समुदाय के निर्माण में भारत तथा चीन की भूमिका, भारत-चीन सहयोग में चुनौतियाँ और बाधाएँ। |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
हाल ही में चीन ने 21वीं सदी में मानवता के सामने आने वाली आम चुनौतियों एवं अवसरों को संबोधित करने के लिये एक व्हाइट पेपर/श्वेत पत्र "अ ग्लोबल कम्युनिटी ऑफ शेयर्ड फ्यूचर: चाइनाज़ प्रपोज़ल्स एंड एक्शन्स" जारी किया।
- रूस-यूक्रेन संकट तथा पश्चिम एशिया के मुद्दों सहित वैश्विक समस्याओं के बीच विश्व का ध्यान चीन व भारत की ऐतिहासिक रूप से जुड़ी सभ्यताओं पर केंद्रित हो गया है। भविष्य के लिये उनके साझा दृष्टिकोण वैश्विक एकता की आशा प्रदान कर सकते हैं।
साझा भविष्य के वैश्विक समुदाय हेतु मुख्य दृष्टिकोण बिंदु क्या हैं?
- आर्थिक वैश्वीकरण और समावेशिता: आर्थिक वैश्वीकरण का सही मार्ग निर्धारित करने तथा संयुक्त रूप से एक खुली विश्व अर्थव्यवस्था का निर्माण करने की आवश्यकता है जो एकपक्षीयता, संरक्षणवाद और ज़ीरो-सम गेम्स(जिसमें एक व्यक्ति का लाभ दूसरे के नुकसान के बराबर होता है, इसलिये धन या लाभ में शुद्ध परिवर्तन शून्य होता है) के आयोजन को खारिज़ करते हुए विकासशील देशों के हितों का प्रतिनिधित्व करती है।
- शांति, सहयोग एवं विकास: शांति, विकास, सहयोग तथा विन-विन रिज़ल्ट्स को अपनाएँ, उपनिवेशवाद एवं आधिपत्य से दूर रहें, वैश्विक शांति और योगदान के लिये संयुक्त प्रयासों को बढ़ावा दें।
- साझा नियति का वैश्विक समुदाय: उभरती एवं स्थापित शक्तियों के बीच संघर्ष से बचने के लिये साझा नियति के एक वैश्विक समुदाय का निर्माण करें, जिसमें गहन वैश्विक साझेदारी के लिये आपसी सम्मान, समानता और लाभकारी सहयोग पर ज़ोर दिया जाए।
- वास्तविक बहुपक्षवाद और निष्पक्ष अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली: गुट की राजनीति तथा एकपक्षीय सोच को खारिज़ करते हुए, एक निष्पक्ष, संयुक्त राष्ट्र-केंद्रित अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली का समर्थन करें। वैश्विक मानदंडों एवं व्यवस्था के आधार के रूप में अंतर्राष्ट्रीय कानून को कायम रखें और सच्चे बहुपक्षवाद को बढ़ावा दें।
- सामान्य मानवीय मूल्यों को बढ़ावा देना: लोकतंत्र का एकल मॉडल लागू किये बिना समानता, न्याय, लोकतंत्र एवं स्वतंत्रता को बढ़ावा दें।
- विविधता के बीच एकता को अपनाएँ, प्रत्येक राष्ट्र द्वारा उसकी सामाजिक प्रणालियों और विकास के पथों को चुनने के अधिकार का सम्मान करें।
भारत और चीन साझा भविष्य के वैश्विक समुदाय के निर्माण में किस प्रकार सहयोग कर सकते हैं?
- परिचय:
- चीन और भारत दो प्राचीन एशियाई सभ्यताएँ जो हज़ारों वर्षों से एक साथ रह रही हैं, मानव जाति के भविष्य तथा नियति पर समान विचार साझा करती हैं।
- उनके पास अपने प्राचीन ज्ञान और सभ्यतागत विरासत के साथ शेष विश्व के लिये एक उदाहरण स्थापित करने का उत्तरदायित्व, क्षमता एवं अवसर मौजूद है।
- चीनी लोगों द्वारा प्राचीन काल से ही "सार्वजनिक कल्याण के लिये निष्पक्षता एवं न्याय की दुनिया" के दृष्टिकोण को संजोया गया है।
- प्राचीन भारतीय संस्कृत साहित्य में "वसुधैव कुटुंबकम" का आदर्श वाक्य निहित है, जिसका हिंदी में अर्थ है "दुनिया एक परिवार है"।
- इसे सितंबर 2023 में नई दिल्ली में आयोजित G20 शिखर सम्मेलन की थीम के रूप में भी प्रयोग किया गया था।
- प्राचीन भारतीय संस्कृत साहित्य में "वसुधैव कुटुंबकम" का आदर्श वाक्य निहित है, जिसका हिंदी में अर्थ है "दुनिया एक परिवार है"।
- इसके अतिरिक्त 1950 के दशक में भारत एवं चीन द्वारा संयुक्त रूप से शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व हेतु पाँच सिद्धांत स्थापित किये गये:
- एक दूसरे की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता के लिये पारस्परिक सम्मान
- परस्पर अनाक्रामकता
- पारस्परिक अहस्तक्षेप
- समानता और पारस्परिक लाभ
- शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व
- भारत तथा चीन के मध्य सहयोग के क्षेत्र एवं मंच:
- आर्थिक सहयोग: भारत तथा चीन दोनों BRICS, SCO, एशियन इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक (AIIB), न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB) के सदस्य हैं।
- वे इन तंत्रों के माध्यम से अपने आर्थिक सहयोग में वृद्धि कर सकते हैं और साथ ही एक खुली, समावेशी एवं संतुलित वैश्विक अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दे सकते हैं जो विकासशील देशों की मांगों तथा हितों को भी प्रतिबिंबित करती है।
- दोनों देश अपने द्वि-पक्षीय व्यापार एवं निवेश का विस्तार भी कर सकते हैं तथा डिजिटल अर्थव्यवस्था, हरित अर्थव्यवस्था एवं नवाचार के सहयोग के नए क्षेत्रों का पता लगा सकते हैं।
- सुरक्षा सहयोग: भारत एवं चीन दोनों निरस्त्रीकरण पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (CD) के सदस्य हैं।
- वे आतंकवाद, उग्रवाद तथा अलगाववाद से निपटने क्षेत्रीय शांति और स्थिरता बनाए रखने में सहयोग कर सकते हैं।
- सांस्कृतिक सहयोग: भारत तथा चीन दोनों समृद्ध एवं विविध संस्कृतियों वाली प्राचीन सभ्यताएँ हैं।
- दोनों देश नागरिकों के बीच संपर्क बढ़ाकर अपने सांस्कृतिक सहयोग एवं आपसी सीख में वृद्धि कर सकते हैं।
- वे शिक्षा, पर्यटन, खेल, युवा मामलों के साथ मीडिया के क्षेत्रों में भी अपने आदान-प्रदान एवं वार्ता में भी वृद्धि कर सकते हैं साथ ही दोनों के मध्य आपसी समझ और मित्रता को बढ़ावा दे सकते हैं।
- पर्यावरण सहयोग: भारत तथा चीन दोनों जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते एवं जैविक विविधता पर कन्वेंशन के पक्षकार हैं।
- वे उत्सर्जन कटौती, नवीकरणीय ऊर्जा, जैव-विविधता संरक्षण एवं आपदा प्रबंधन जैसे मुद्दों पर अपने पर्यावरणीय सहयोग के साथ समन्वय को भी बढ़ा सकते हैं।
- वे सतत् विकास लक्ष्यों (SDGs) को लागू करने में एक दूसरे को समर्थन भी प्रदान कर सकते हैं।
- आर्थिक सहयोग: भारत तथा चीन दोनों BRICS, SCO, एशियन इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक (AIIB), न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB) के सदस्य हैं।
- भारत और चीन सहयोग के लाभ:
- आर्थिक विकास व व्यापार के अवसर:
- बाज़ार विस्तार: भारत तथा चीन दोनों देशों में विशाल उपभोक्ता बाज़ार मौजूद हैं। दोनों के बीच सहयोग से व्यापार के अधिक अवसर सृजित हो सकते हैं तथा वस्तुओं व सेवाओं के लिये बाज़ारों का विस्तार हो सकता है।
- पूरक अर्थव्यवस्थाएँ: चीन की विनिर्माण शक्ति तथा आधारभूत अवसंरचना, भारत के सेवा क्षेत्र व कुशल कार्यबल के साथ एकीकृत होकर एक सहजीवी आर्थिक संबंध बना सकती है।
- इस सहयोग से दोनों देशों के मौजूदा अंतराल को कम किया जा सकता है तथा इनके परस्पर आर्थिक गतिविधियों से लाभान्वित होने की अपेक्षा है।
- तकनीकी प्रगति और नवाचार: प्रौद्योगिकी, अनुसंधान तथा नवाचार में सहयोगात्मक प्रयासों से नवीकरणीय ऊर्जा, स्वास्थ्य सेवा व कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसे विभिन्न क्षेत्रों में सफलता मिल सकती है।
- संसाधनों तथा संबद्ध विशेषज्ञता को एकत्रित करने से अंतरिक्ष अन्वेषण, साइबर सुरक्षा एवं जलवायु परिवर्तन शमन जैसे क्षेत्रों की प्रगति में तेज़ी आ सकती है।
- वैश्विक शासन एवं कूटनीति: वैश्विक मुद्दों पर एकजुट होकर दोनों देश अन्य वैश्विक शक्तियों की एकपक्षी कार्रवाइयों के प्रति संतुलन बनाने में कार्य कर सकते हैं तथा अधिक बहुध्रुवीय अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था को बढ़ावा दे सकते हैं।
- भारत एवं चीन मिलकर व्यापार, सुरक्षा व जलवायु परिवर्तन जैसे वैश्विक मुद्दों पर एकजुट होकर अंतर्राष्ट्रीय मंचों को प्रभावित कर सकते हैं।
- एकजुट होकर कार्य करने से उनकी कूटनीतिक पहुँच बढ़ सकती है, जिससे संभावित रूप से अधिक प्रभावी समाधान निकल सकते हैं।
- आर्थिक विकास व व्यापार के अवसर:
भारत-चीन सहयोग में चुनौतियाँ एवं बाधाएँ क्या हैं?
- सीमा विवाद: लंबे समय से चले आ रहे सीमा विवादों, विशेषकर वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर, के परिणामस्वरूप दोनों देशों के मध्य कभी-कभी सैन्य गतिरोध उत्पन्न होता है, जिससे अविश्वास की स्थिति उत्पन्न होती है एवं सीमा क्षेत्रों में तनाव बढ़ने की संभावना प्रबल हो जाती हैं।
- इसके अतिरिक्त भारत अरुणाचल प्रदेश को लेकर चीन के हालिया दावे का भी विरोध करता है।
- संघर्षों का इतिहास तथा संदेहपूर्ण परिस्थितियाँ: दीर्घकालिक संघर्ष एवं वर्ष 1962 के भारत-चीन युद्ध के कारण दोनों देशों में अविश्वास बढ़ गया है। दोनों देश एक-दूसरे के इरादों को संदेह की दृष्टि से देखते हैं, जिससे सहयोग के प्रयासों में बाधा आती है।
- UNSC में भारत के खिलाफ चीन द्वारा अपनी वीटो शक्ति के इस्तेमाल तथा पाकिस्तान के साथ उसके घनिष्ठ संबंधों का होना तथा भारत द्वारा चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) का समर्थन न करना दोनों देशों के संबंधों को और जटिल बनाता है, जिससे भू-राजनीतिक तनाव तथा आपसी संदेह बढ़ जाता है।
- सामरिक प्रतिस्पर्धा तथा बाहरी दबाव: चीन तथा भारत के बीच रणनीतिक प्रतिस्पर्धा एक वास्तविकता है जिसे नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता है, क्योंकि दोनों देशों के राष्ट्रीय हित एवं आकांक्षाएँ एकसमान नहीं हैं।
- रणनीतिक प्रतिस्पर्धा बाह्य दबाव से भी प्रभावित होती है, विशेषकर संयुक्त राज्य अमेरिका एवं उसके सहयोगियों द्वारा, जो चीन के उदय को रोकना चाहते हैं।
- विभिन्न रणनीतिक हित: उनके रणनीतिक हित कभी-कभी टकराते हैं, विशेषकर दक्षिण एशिया जैसे क्षेत्रों में जहाँ दोनों देश अपना प्रभुत्त्व चाहते हैं।
- भारत के पडोसी देशों में चीन के निवेश को भारत के प्रभाव क्षेत्र में अतिक्रमण के रूप में देखा जा सकता है।
आगे की राह:
- संघर्ष समाधान तंत्र: विशेष रूप से सीमा विवादों और अन्य विवादास्पद मुद्दों को संबोधित करने के लिये मज़बूत संघर्ष समाधान तंत्र स्थापित करना चाहिये, बातचीत एवं आपसी समझौते के माध्यम से शांतिपूर्ण समाधान को बढ़ावा देना चाहिये।
- अविश्वास को कम करने तथा सैन्य गतिविधियों एवं इरादों में पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिये विश्वास-निर्माण उपायों को लागू करना।
- आर्थिक सहयोग: उन क्षेत्रों की पहचान करके द्विपक्षीय आर्थिक संबंधों और सहयोग को प्रोत्साहित करना जहाँ दोनों देश पारस्परिक रूप से लाभान्वित हो सकते हैं। साझा समृद्धि को बढ़ावा देने वाले व्यापार, निवेश और संयुक्त उद्यमों पर ध्यान केंद्रित करना।
- संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के लिये सम्मान: एक-दूसरे की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के लिये पारस्परिक सम्मान की पुष्टि करना, जिससे क्षेत्र में स्थिरता एवं सुरक्षा बनी रहे।
- कूटनीतिक विवेक और संवेदनशीलता: मौजूदा तनावों को बढ़ाए बिना ऐतिहासिक एवं भू-राजनीतिक जटिलताओं को स्वीकार करते हुए विवेक और संवेदनशीलता की भावना के साथ कूटनीति का संचालन करना।
- दीर्घकालिक दृष्टिकोण: एक दीर्घकालिक दृष्टिकोण स्थापित करने के लिये प्रयास करना जो दोनों देशों और क्षेत्र की व्यापक भलाई के लिये अल्पकालिक मतभेदों को दूर करके शांति, स्थिरता एवं पारस्परिक समृद्धि को प्राथमिकता देता है।
- विश्वास स्थापित करना, आपसी समझ को बेहतर करना और मतभेदों पर आम हितों को बढ़ावा देना, भारत तथा चीन दोनों के लिये सकारात्मक राह तैयार करने की कुंजी है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नमेन्स:प्रश्न. "चीन अपने आर्थिक संबंधों एवं सकारात्मक व्यापार अधिशेष को, एशिया में संभाव्य सैन्य शक्ति हैसियत को विकसित करने के लिये, उपकरणों के रूप में इस्तेमाल कर रहा है"। इस कथन के प्रकाश में, उसके पड़ोसी के रूप में भारत पर इसके प्रभाव पर चर्चा कीजिये। (2017) |
भारत-भूटान संबंध
प्रिलिम्स के लिये:भारत-भूटान संबंध, 13वीं पंचवर्षीय योजना, G20 शिखर सम्मेलन, ग्लोबल साउथ, नवीकरणीय ऊर्जा, 2017 में डोकलाम गतिरोध, व्यापार घाटा। मेन्स के लिये:भारत-भूटान संबंध, भारत एवं उसके पड़ोसी-संबंध, द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक समूह तथा भारत से संबंधित समझौते और/या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले समझौते। |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत और भूटान ने भूटान के राजा की भारत यात्रा के दौरान व्यापार एवं साझेदारी बढ़ाने के लिये क्षेत्रीय कनेक्टिविटी के नए मार्गों पर चर्चा करने तथा सीमा व इमिग्रेशन पोस्ट को आधुनिक बनाने पर सहमति व्यक्त की।
चर्चा के प्रमुख बिंदु क्या हैं?
- क्षेत्रीय कनेक्टिविटी:
- भारत और भूटान क्षेत्रीय कनेक्टिविटी के नए मार्गों पर चर्चा करने पर सहमत हुए हैं, जिसमें भूटान में गेलेफू तथा असम में कोकराझार के बीच 58 कि.मी. तक सीमा पार रेल लिंक का विकास शामिल है।
- इसके अतिरिक्त भूटान के समत्से और पश्चिम बंगाल के चाय बागानों के क्षेत्र में बनारहाट (Banarhat) के बीच लगभग 18 कि.मी. लंबे दूसरे रेल लिंक की खोज करने की योजना है।
- दोनों पक्षों ने इस परियोजना का समर्थन करने के लिये सीमा और इमिग्रेशन पोस्ट को आधुनिक बनाने पर चर्चा की, यह सीमा क्षेत्र के लिये एक महत्त्वपूर्ण विकास हो सकता है।
- व्यापार और कनेक्टिविटी:
- दोनों देश व्यापार के बाद वस्तुओं को पश्चिम बंगाल के हल्दीबाड़ी से बांग्लादेश के चिल्हाटी तक ले जाने की अनुमति देकर व्यापार को सुविधाजनक बनाने पर सहमत हुए, जिसका उद्देश्य व्यापार के अवसरों को बढ़ाना तथा भारतीय क्षेत्र के माध्यम से भूटान एवं बांग्लादेश के बीच माल की आवाजाही को आसान बनाना है।
- इमिग्रेशन चेक पोस्ट:
- असम और भूटान के दक्षिणपूर्वी ज़िले के बीच दरंगा-समद्रुप जोंगखार सीमा को एक इमिग्रेशन चेक पोस्ट के रूप में नामित किया जाएगा।
- इससे न केवल भारतीय और भूटानी नागरिकों को बल्कि तीसरे देश के नागरिकों को भी इस क्षेत्र में प्रवेश करने तथा बाहर जाने की अनुमति मिलेगी, पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा तथा कनेक्टिविटी बेहतर हो सकेगी।
- भूटानी SEZ परियोजना के लिये समर्थन:
- दोनों पक्ष दादगिरी (असम) में मौजूदा भूमि सीमा शुल्क स्टेशन को आधुनिक "एकीकृत चेक पोस्ट" (ICP) में अपग्रेड करने के साथ-साथ "गेलेफू में भूटानी पक्ष पर सुविधाओं के विकास" के साथ व्यापार बुनियादी ढाँचे को मज़बूत करने पर सहमत हुए, जो भारत के भूटानी विशेष आर्थिक क्षेत्रों (Special Economic Zones- SEZ) परियोजना के लिये समर्थन को दर्शाता है।
- विकासीय सहायता:
- भारत ने 13वीं पंचवर्षीय योजना पर विशेष ध्यान देने के साथ भूटान के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिये अपना समर्थन जारी रखने की प्रतिबद्धता जताई है। यह उनके मज़बूत द्विपक्षीय संबंधों के प्रति स्थायी प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।
- 12वीं पंचवर्षीय योजना के लिये भारत का 4,500 करोड़ रुपए का योगदान भूटान के कुल बाह्य अनुदान घटक का 73% था।
- भारत ने 13वीं पंचवर्षीय योजना पर विशेष ध्यान देने के साथ भूटान के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिये अपना समर्थन जारी रखने की प्रतिबद्धता जताई है। यह उनके मज़बूत द्विपक्षीय संबंधों के प्रति स्थायी प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।
- ग्लोबल साउथ के लिये भारत के समर्थन की सराहना:
- भूटान ने हाल के G20 शिखर सम्मेलन के सफल आयोजन करने तथा दिल्ली घोषणा में उल्लिखित आम सहमति और रचनात्मक निर्णयों को बढ़ावा देने के लिये भारत की प्रशंसा की।
- भूटान ने G20 विचार-विमर्श में ग्लोबल साउथ देशों के हितों और प्राथमिकताओं को एकीकृत करने के लिये भारत के समर्पण की सराहना की।
- भारत-भूटान ऊर्जा साझेदारी:
- 1020 मेगावाट पुनात्सांगछू-II जलविद्युत परियोजना (Punatsangchhu-II hydropower project) के निर्माण की प्रगति पर संतोष व्यक्त किया गया, इसके वर्ष 2024 में शीघ्र प्रारंभ होने की उम्मीद है।
- मौजूदा भारत-भूटान ऊर्जा साझेदारी को हाइड्रो से गैर-हाइड्रो नवीकरणीय ऊर्जा तक विस्तारित करने के लिये एक समझौता हुआ, जिसमें सौर ऊर्जा तथा हाइड्रोजन और ई-मोबिलिटी से संबंधित हरित पहल भी शामिल है।
- भारत ने इन क्षेत्रों में परियोजनाओं के लिये आवश्यक तकनीकी और वित्तीय सहायता का आश्वासन दिया।
- ऑपरेशन ऑल क्लियर को याद करना:
- भूटान के राजा ने ऑपरेशन ऑल क्लियर को याद किया जो वर्ष 2003 में भूटान के दक्षिणी क्षेत्रों में असम अलगाववादी विद्रोही समूहों के खिलाफ रॉयल भूटान सेना द्वारा चलाया गया एक सैन्य अभियान था।
भारत के लिये भूटान का क्या महत्त्व है?
- रणनीतिक महत्त्व:
- भूटान की सीमाएँ भारत तथा चीन के साथ लगती हैं और इसकी रणनीतिक स्थिति इसे भारत के सुरक्षा हितों के लिये एक महत्त्वपूर्ण बफर राज्य (वह सार्वभौमिक, भौगोलिक इकाई जो सामान्यतः दो बड़े और शक्तिशाली राज्यों के बीच अवस्थित होती है) बनाती है।
- भारत ने भूटान को रक्षा, बुनियादी ढाँचे और संचार जैसे क्षेत्रों में सहायता प्रदान की है, जिससे भूटान की संप्रभुता तथा क्षेत्रीय अखंडता को बनाए रखने में सहायता मिली है।
- भारत ने भूटान को उसकी रक्षा क्षमताओं को मज़बूत करने तथा क्षेत्रीय अखंडता सुनिश्चित करने के लिये सड़क और पुल जैसे सीमावर्ती बुनियादी ढाँचे के निर्माण एवं रखरखाव में सहायता की है।
- वर्ष 2017 में भारत और चीन के बीच डोकलाम गतिरोध के दौरान भूटान ने चीनी घुसपैठ का विरोध करने के लिये भारतीय सैनिकों को अपने क्षेत्र में प्रवेश करने की अनुमति देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- आर्थिक महत्त्व:
- भारत भूटान का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार एवं प्रमुख निर्यात गंतव्य है।
- भूटान की जलविद्युत क्षमता देश के लिये राजस्व का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत है तथा भारत, भूटान की जलविद्युत परियोजनाओं को विकसित करने में सहायक रहा है।
- भारत, भूटान को उसकी विकास परियोजनाओं के लिये वित्तीय सहायता भी प्रदान करता है।
- सांस्कृतिक महत्त्व:
- भूटान एवं भारत के बीच सांस्कृतिक संबंध मज़बूत हैं क्योंकि दोनों देश मुख्य रूप से बौद्ध धर्म के अनुयायी हैं।
- भारत ने भूटान को उसकी सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने में सहायता प्रदान की है तथा कई भूटानी छात्र उच्च शिक्षा के लिये भारत आते हैं।
- पर्यावरणीय महत्त्व:
- भूटान विश्व के उन देशों में से एक है जिन्होनें कार्बन-तटस्थ रहने का संकल्प लिया है और भारत भूटान को इस लक्ष्य को हासिल करने में मदद करने वाला एक प्रमुख भागीदार देश है।
- भारत ने भूटान को नवीकरणीय ऊर्जा, वन संरक्षण एवं सतत् पर्यटन जैसे क्षेत्रों में भी सहायता प्रदान की है।
भारत-भूटान संबंधों में चुनौतियाँ क्या हैं?
- चीन का बढ़ता प्रभाव:
- भूटान में, विशेषकर भूटान व चीन के बीच विवादित सीमा पर चीन की बढ़ती उपस्थिति ने भारत की चिंताएँ बढ़ा दी हैं। भारत भूटान का सर्वाधिक निकट सहयोगी रहा है तथा इसने भूटान की संप्रभुता एवं सुरक्षा को बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
- हालाँकि संबद्ध क्षेत्र में चीन का बढ़ता आर्थिक एवं सैन्य प्रभाव भूटान में भारत के रणनीतिक हितों के लिये चुनौती उत्पन्न करता है।
- सीमा विवाद:
- भारत तथा भूटान 699 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करते हैं, जहाँ पर माहौल काफी हद तक शांतिपूर्ण रहा है।
- हालाँकि हाल के वर्षों में चीनी सेना द्वारा सीमा पर घुसपैठ की कुछ घटनाएँ हुई हैं।
- वर्ष 2017 में डोकलाम गतिरोध भारत-चीन-भूटान ट्राइ-जंक्शन में टकराव का एक प्रमुख कारण था। ऐसे किसी भी विवाद के बढ़ने से भारत-भूटान संबंधों में तनाव आ सकता है।
- जलविद्युत परियोजनाएँ:
- भूटान का जलविद्युत क्षेत्र इसकी अर्थव्यवस्था का एक प्रमुख स्तंभ है तथा भारत इसके विकास में एक प्रमुख भागीदार रहा है।
- हालाँकि भूटान में कुछ जलविद्युत परियोजनाओं की शर्तों को लेकर चिंताएँ व्याप्त हैं, जिन्हें भारत के लिये बहुत अनुकूल माना जाता है।
- इसके कारण भूटान में इस क्षेत्र में भारतीय भागीदारी का कुछ लोगों ने विरोध किया है।
- भूटान का जलविद्युत क्षेत्र इसकी अर्थव्यवस्था का एक प्रमुख स्तंभ है तथा भारत इसके विकास में एक प्रमुख भागीदार रहा है।
- व्यापार संबंधी मुद्दे:
- भारत, भूटान का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है, जिसका भूटान के कुल आयात एवं निर्यात में 80% से अधिक का योगदान है। हालाँकि व्यापारिक असंतुलन को लेकर कुछ चिंताएँ हैं, भूटान निर्यात की तुलना में भारत से अधिक आयात करता है।
- भूटान अपने उत्पादों के लिये भारतीय बाज़ार तक अधिक पहुँच की मांग कर रहा है, जिससे व्यापार घाटे को कम करने में सहायता प्राप्त हो सकती है।
- भारत, भूटान का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है, जिसका भूटान के कुल आयात एवं निर्यात में 80% से अधिक का योगदान है। हालाँकि व्यापारिक असंतुलन को लेकर कुछ चिंताएँ हैं, भूटान निर्यात की तुलना में भारत से अधिक आयात करता है।
भूटान से संबंधित मुख्य तथ्य क्या हैं?
- परिचय:
- भूटान, भारत एवं चीन के मध्य स्थित है तथा चारों ओर पहाड़ और घाटियाँ एवं भूमि से घिरा हुआ देश है।
- थिम्पू, भूटान की राजधानी है।
- देश में पहले लोकतांत्रिक चुनाव होने के बाद वर्ष 2008 में भूटान एक लोकतंत्र बन गया। भूटान के राजा राज्य के प्रमुख हैं।
- इसे 'किंगडम ऑफ भूटान' नाम दिया गया है। भूटानी भाषा में इसका पारंपरिक नाम ड्रुक ग्याल खाप है, जिसका अर्थ 'थंडर ड्रैगन की भूमि' है।
- नदी:
- भूटान की सबसे लंबी नदी मानस नदी है जिसकी लंबाई 376 किमी से अधिक है।
- मानस नदी, दक्षिणी भूटान तथा भारत के मध्य हिमालय की तलहटी में स्थित एक सीमा पार नदी है।
- भूटान की सबसे लंबी नदी मानस नदी है जिसकी लंबाई 376 किमी से अधिक है।
- सरकार:
- भूटान में संसदीय राजतंत्र मौजूद है।
- सीमा:
- भूटान की सीमाएँ केवल दो देशों से मिलती हैं: भारत और तिब्बत, जो चीन का एक स्वायत्त क्षेत्र है।
- थिम्पू देश के पूर्वी भाग में स्थित है।
आगे की राह:
- भारत बुनियादी ढाँचे के विकास, पर्यटन एवं अन्य क्षेत्रों में निवेश करके भूटान को उसकी अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में सहायता प्रदान कर सकता है। इससे न केवल भूटान को आत्मनिर्भर बनने में सहायता मिलेगी बल्कि यहाँ के लोगों के लिये रोज़गार के अवसर भी सृजित होंगे।
- भारत तथा भूटान एक-दूसरे की संस्कृति, कला, संगीत एवं साहित्य की अधिक समझ और सराहना को बढ़ावा देने के लिये सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रमों को बढ़ावा दे सकते हैं।
- दोनों देशों के लोगों की वीज़ा-मुक्त आवाजाही उप-क्षेत्रीय सहयोग को मज़बूत कर सकती है।
- भारत तथा भूटान साझा सुरक्षा चिंताओं को दूर करने के लिये अपने रणनीतिक सहयोग को मज़बूत कर सकते हैं। वे आतंकवाद, मादक पदार्थों की तस्करी के साथ अन्य अंतर्राष्ट्रीय अपराधों से निपटने के लिये मिलकर कार्य कर सकते हैं।
इंडो-पैसिफिक मैरीटाइम डोमेन अवेयरनेस
प्रिलिम्स के लिये:इंडो-पैसिफिक मैरीटाइम डोमेन अवेयरनेस (IPMDA), हिंद महासागर क्षेत्र (IOR), गोवा समुद्री सम्मलेन (GMC), क्वाड समूह, हिंद महासागर क्षेत्र के लिये भारतीय नौसेना का सूचना संलयन केंद्र (IFC-IOR) मेन्स के लिये:नियम-आधारित विश्व व्यवस्था को बढ़ावा देने और मज़बूत करने में QUAD जैसी संस्थाओं का महत्त्व। |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
हाल ही मे नौसेना प्रमुख एडमिरल ने गोवा समुद्री सम्मलेन (GMC) के चौथे संस्करण को संबोधित किया, जहाँ उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि इंडो-पैसिफिक मैरीटाइम डोमेन अवेयरनेस (IPMDA) जैसे नेटवर्क और साझेदारी का निर्माण हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) की सुरक्षा एवं स्थिरता सुनिश्चित करने में सहायक होगा।
IPMDA क्या है?
- परिचय:
- यह हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में प्रशांत द्वीप, दक्षिण-पूर्व एशिया और हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) को एकीकृत करने पर केंद्रित है।
- टोक्यो शिखर सम्मेलन, 2022 में क्वाड समूह (भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका से मिलकर बना) द्वारा पेश किये गए IPMDA का उद्देश्य "डार्क शिपिंग" की निगरानी करना तथा साझेदार देशों के जल का अधिक व्यापक एवं सटीक वास्तविक समय समुद्री अवलोकन तैयार करना है।
डार्क शिपिंग:
- डार्क शिपिंग एक शब्द है जिसका उपयोग स्वचालित पहचान प्रणाली (AIS) के बंद होने पर परिचालन करने वाले जहाज़ का वर्णन करने के लिये किया जाता है।
- AIS ट्रांसपोंडर सिस्टम पहचान डेटा और अन्य उपयोगी जानकारी के साथ समुद्र में जहाज़ की स्थिति को प्रसारित करते हैं, जिसे जहाज़ तथा समुद्री अधिकारी संदर्भित कर सकते हैं।
- उद्देश्य:
- यह पहल एक महत्त्वपूर्ण प्रयास है जिसका उद्देश्य हिंद-प्रशांत क्षेत्र की सुरक्षा और स्थिरता को बढ़ाना है, जो वैश्विक भू-राजनीति में एक केंद्रीय स्थान रखता है।
- इसका उद्देश्य हिंद-प्रशांत क्षेत्र में समुद्री गतिविधियों की निगरानी और सुरक्षा के लिये एक व्यापक प्रणाली स्थापित करना, संचार के महत्त्वपूर्ण समुद्री गलियारों की सुरक्षा सुनिश्चित करना तथा संबद्ध क्षेत्र में समान विचारधारा वाले देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना है।
- यह पहल एक महत्त्वपूर्ण प्रयास है जिसका उद्देश्य हिंद-प्रशांत क्षेत्र की सुरक्षा और स्थिरता को बढ़ाना है, जो वैश्विक भू-राजनीति में एक केंद्रीय स्थान रखता है।
- नौसेना का महत्त्व:
- हिंद-प्रशांत क्षेत्र तथा IOR को सुरक्षित करने में नौसेना के महत्त्व को कम करके नहीं आंका जा सकता, क्योंकि सेना का आधुनिकीकरण अत्यंत आवश्यक है।
- भारतीय नौसेना में वर्तमान में 140 से अधिक जहाज़ एवं पनडुब्बियाँ शामिल हैं जिनकी संख्या को वर्ष 2028 तक बढाकर 170 से 180 तक पहुँचाना है तथा वर्ष 2047 तक नौसेना को पूरी तरह से आत्मनिर्भर बनाना है।
- हिंद-प्रशांत क्षेत्र तथा IOR को सुरक्षित करने में नौसेना के महत्त्व को कम करके नहीं आंका जा सकता, क्योंकि सेना का आधुनिकीकरण अत्यंत आवश्यक है।
GMC की प्रगति एवं उपलब्धियाँ क्या रही हैं?
- नौसेनाओं के बीच सहयोग:
- सम्मलेन ने मूल समुद्री चुनौतियों से निपटने में सहयोग करने के लिये हिंद महासागर क्षेत्र की नौसेनाओं को सफलतापूर्वक एकजुट किया है। इस सहयोग से प्राकृतिक आपदाओं से निपटने, संयुक्त अभ्यास आयोजित करने एवं महत्त्वपूर्ण समुद्री जानकारी साझा करने में समन्वित प्रयासों को बढ़ावा मिला है।
- पायरेसी पर प्रभावी प्रतिक्रिया:
- सूचना साझा करने के लिये मज़बूत तंत्र की स्थापना, जैसे कि गुरुग्राम में हिंद महासागर क्षेत्र के लिये सूचना संलयन केंद्र (IFC-IOR), के माध्यम से इस क्षेत्र में स्थितिजन्य जागरूकता में काफी सुधार हुआ है। समुद्री खतरों, समुद्री डकैती तथा अन्य सुरक्षा मुद्दों का समाधान करने में नौसेनाएँ अधिक कुशल हो गई हैं।
- MDA में सुधार:
- खुफिया जानकारी और सूचनाओं को साझा करने से भी MDA को बढ़ाने में मदद मिली है। इससे न केवल समुद्री सुरक्षा में सुधार हुआ है अपितु समुद्री संसाधनों एवं पर्यावरण संरक्षण के बेहतर प्रबंधन में भी सहायता मिली है।
- सामान्य समुद्री प्राथमिकताओं को अपनाना:
- GMC के पिछले संस्करण में सभी सदस्यों ने सर्वसम्मति से 'सामान्य समुद्री प्राथमिकताओं (CMP)' को अपनाया, जिसने क्षेत्रीय समस्याओं के समाधान खोजने के लिये सभी सदस्यों की सहायता की।
हिंद महासागर क्षेत्र से संबंधित प्रमुख चुनौतियाँ क्या हैं?
- भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा: हिंद महासागर क्षेत्र विश्व प्रमुख शक्तियों एवं क्षेत्रीय अभिकर्ताओं के बीच भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा का केंद्र है। इसका स्थान क्षेत्रीय मामलों पर शक्ति प्रक्षेपण और प्रभाव की अनुमति देता है। क्षेत्रीय मामलों पर शक्ति एवं प्रभाव प्रदर्शन के लिये यह अवस्थिति काफी उपयुक्त है।
- होर्मुज़ जलडमरूमध्य, बाब अल-मंडेब जलडमरूमध्य तथा मलक्का जलडमरूमध्य जैसे प्रमुख चोक पोइंटों की उपस्थिति इसके रणनीतिक महत्त्व को और अधिक बढ़ा देती है।
- चीन का सैन्य कदम: चीन हिंद महासागर में भारत के हितों एवं स्थिरता के लिये एक चुनौती रहा है। भारत के पड़ोसियों को चीन से सैन्य तथा ढाँचागत सहायता प्राप्त हो रही है, जिसमें म्याँमार के लिये पनडुब्बियों के साथ जिबूती (हॉर्न ऑफ अफ्रीका) में उसका विदेशी सैन्य अड्डा शामिल है।
- समुद्री सुरक्षा खतरे: IOR, समुद्री डकैती, तस्करी, अवैध मछली पकड़ने एवं आतंकवाद सहित विभिन्न समुद्री सुरक्षा खतरों के प्रति संवेदनशील है। साथ ही यह हिंद महासागर की विशालता के कारण इसके समुद्री क्षेत्र की प्रभावी ढंग से निगरानी तथा सुरक्षित रखने को और भी चुनौतीपूर्ण बनाता है।
- पर्यावरणीय चुनौतियाँ: जलवायु परिवर्तन, समुद्र का बढ़ता स्तर, प्रवाल भित्तियों का क्षरण एवं समुद्री प्रदूषण, IOR के लिये महत्त्वपूर्ण पर्यावरणीय चुनौतियाँ रही हैं। ये मुद्दे तटीय समुदायों, समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र के साथ-साथ लाखों लोगों की आजीविका को भी प्रभावित करते हैं।
आगे की राह:
- नीली अर्थव्यवस्था पहल को बढ़ावा देना: IOR, समुद्री संसाधनों से समृद्ध है, इसके साथ ही नीली अर्थव्यवस्था का लाभ उठाकर स्थायी आर्थिक विकास को बढ़ावा दिया जा सकता है। इसमें समुद्री संसाधनों से नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा देना, टिकाऊ मत्स्य पालन का समर्थन करना, समुद्री जैव-प्रौद्योगिकी विकसित करना एवं पर्यावरण-पर्यटन को बढ़ावा देना आदि को शामिल करने की आवश्यकता है।
- समुद्री सुरक्षा सहयोग: IOR के रणनीतिक महत्त्व को देखते हुए समुद्री सुरक्षा को बढ़ाना महत्त्वपूर्ण है।
- सूचना-साझाकरण तंत्र को मज़बूत करने, समुद्री क्षेत्र जागरूकता के लिये प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने, संयुक्त नौसैनिक अभ्यास के साथ-साथ निगरानी में वृद्धि करने, समुद्री डकैती, अवैध रूप से मछली पकड़ने एवं तस्करी जैसे समुद्री खतरों का मुकाबला करने में सहयोग को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।
- जलवायु परिवर्तन अनुकूलन: IOR जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के प्रति अत्यधिक संवेदनशील है, जिसमें समुद्र के बढ़ते स्तर, चरम मौसमीय घटनाएँ और समुद्र का अम्लीकरण शामिल है।
- नवीन रणनीतियाँ जलवायु-अनुकूल अवसंरचना को कार्यान्वयित करने, अर्ली वॉर्निंग सिस्टम विकसित करने, स्थायी तटीय प्रबंधन प्रथाओं को बढ़ावा देने तथा जलवायु परिवर्तन अनुकूलन और शमन के लिये क्षेत्रीय सहयोग को सुविधाजनक बनाने पर ध्यान केंद्रित कर सकती हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:Q1. 'क्षेत्रीय सहयोग के लिये हिन्द महासागर रिम संघ [इंडियन ओशन रिम एसोसिएशन फॉर रीज़नल कोऑपरेशन (IOR-ARC])' के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2015)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (d) मेन्स:Q. दक्षिण चीन सागर के मामले में समुद्री भूभागीय विवाद और बढ़ता हुआ तनाव समस्त क्षेत्र में नौपरिवहन की और ऊपरी उड़ान की स्वतंत्रता को सुनिश्चित करने के लिये समुद्री सुरक्षा की आवश्यकता की अभिपुष्टि करते हैं। इस संदर्भ में भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा कीजिये। (2014) |
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सुरक्षा शिखर सम्मेलन, 2023
प्रिलिम्स के लिये:कृत्रिम बुद्धिमत्ता, फ्रंटियर AI, एथिकल AI, बैलेचली पार्क, बैलेचली पार्क डिक्लेरेशन मेन्स के लिये:विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विकास और उनके अनुप्रयोग तथा दैनिक जीवन में इनके प्रभाव, आईटी के क्षेत्र में जागरूकता, AI के नुकसान, AI के अनुप्रयोग |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
इंग्लैंड के बैलेचले पार्क में आयोजित आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) सुरक्षा शिखर सम्मेलन, 2023, फ्रंटियर AI प्रौद्योगिकियों द्वारा उत्पन्न चुनौतियों से निपटने हेतु वैश्विक दृष्टिकोण में एक प्रमुख परिवर्तन को चिह्नित करता है।
- इन चुनौतियों से निपटान हेतु संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन, भारत तथा यूरोपीय संघ सहित 28 प्रमुख देशों ने इस पहले AI सुरक्षा शिखर सम्मेलन में बैलेचले पार्क घोषणा (Bletchley Park Declaration) पर हस्ताक्षर किये।
- यह ऐतिहासिक घोषणा उन्नत AI सिस्टम, जिसे फ्रंटियर AI के रूप में जाना जाता है, के संभावित जोखिमों एवं लाभों को संबोधित करने के लिये एक सामूहिक समझ और समन्वित दृष्टिकोण बनाने का प्रयास करती है।
नोट:
- फ्रंटियर AI को अत्यधिक सक्षम फाउंडेशन जेनरेटर AI मॉडल के रूप में परिभाषित किया गया है जो मांग के आधार पर टेक्स्ट, इमेज, ऑडियो या वीडियो जैसे यथार्थवादी एवं विश्वसनीय आउटपुट उत्पन्न करने में सक्षम है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सुरक्षा शिखर सम्मेलन 2023 की मुख्य विशेषताएँ:
- बैलेचली पार्क डिक्लेरेशन:
- बैलेचली पार्क डिक्लेरेशन फ्रंटियर AI जोखिमों से निपटने हेतु पहला वैश्विक समझौता है और यह विश्व के प्रमुख AI खिलाड़ियों के बीच उच्च स्तरीय राजनीतिक सहमति तथा प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
- यह मानव कल्याण को बढ़ावा देने के लिये AI की क्षमता को स्वीकार करता है, लेकिन AI, विशेष रूप से फ्रंटियर AI द्वारा उत्पन्न जोखिमों की भी पहचान करता है, जो विशेष रूप से साइबर सुरक्षा, जैव प्रौद्योगिकी और दुष्प्रचार जैसे डोमेन में जान-बूझकर या अनजाने में गंभीर नुकसान पहुँचा सकता है।
- यह AI से संबंधित जोखिमों को संबोधित करने के लिये अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता पर ज़ोर देता है, क्योंकि वे अंतर्निहित रूप से वैश्विक हैं और कंपनियों, नागरिक समाज तथा शिक्षाविदों सहित सभी अभिनेताओं के बीच सहयोग का आह्वान करता है।
- इस घोषणापत्र में एक नियमित AI सुरक्षा शिखर सम्मेलन की स्थापना की भी घोषणा की गई है, जो फ्रंटियर AI सुरक्षा पर बातचीत और सहयोग के लिये एक मंच प्रदान करेगा।
- अगले शिखर सम्मेलन की मेज़बानी एक वर्ष के भीतर फ्राँस द्वारा की जाएगी और दक्षिण कोरिया अगले छह महीनों में एक मिनी वर्चुअल AI शिखर सम्मेलन की सह-मेज़बानी करेगा।
- सम्मेलन में भारत का रुख:
- भारत AI विनियमन पर विचार न करने के रुख से हटकर जोखिम-आधारित, उपयोगकर्ता-नुकसान दृष्टिकोण के आधार पर सक्रिय रूप से नियम बना रहा है।
- भारत ने ज़िम्मेदार AI उपयोग के प्रति प्रतिबद्धता का संकेत देते हुए "नैतिक" AI उपकरणों के विस्तार के लिये एक वैश्विक ढाँचे का आह्वान किया।
- भारत ने AI के ज़िम्मेदारीपूर्ण उपयोग को सुनिश्चित करने के लिये घरेलू तथा अंतर्राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर नियामक निकाय स्थापित करने में रुचि दिखाई है।
- डिजिटल इंडिया अधिनियम, 2023 जो अभी तक लागू नहीं हुआ है, में AI-आधारित प्लेटफाॅर्मों सहित ऑनलाइन मध्यस्थों के लिये समस्या-विशिष्ट नियम प्रस्तुत किये जाने की उम्मीद है।
- भारत AI विनियमन पर विचार न करने के रुख से हटकर जोखिम-आधारित, उपयोगकर्ता-नुकसान दृष्टिकोण के आधार पर सक्रिय रूप से नियम बना रहा है।
बैलेचली पार्क के बारे में मुख्य तथ्य:
- बैलेचली पार्क इंग्लैंड के बकिंघमशायर में लंदन से लगभग 80 किमी. उत्तर में स्थित है।
- द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान इसने ब्रिटिश गवर्नमेंट कोड एवं साइफर स्कूल (GC एवं CS) के लिये मुख्य स्थल के रूप में कार्य किया।
- युद्ध के दौरान बैलेचली पार्क में दुश्मन के संदेशों को समझने पर कार्य किया गया था।
- बैलेचली पार्क में विकसित ट्यूरिंग बॉम्बे कथित रूप से अटूट जर्मन एनिग्मा कोड को तोड़ने में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका के लिये प्रसिद्ध है।
- बैलेचली पार्क ने कोलोसस मशीन भी विकसित की, जिसे प्राय: विश्व का पहला प्रोग्राम योग्य इलेक्ट्रॉनिक डिजिटल कंप्यूटर माना जाता है।
- बैलेचली पार्क में विकसित सिद्धांत एवं नवाचार आधुनिक कंप्यूटिंग तथा कृत्रिम बुद्धिमत्ता को प्रभावित करते रहे हैं।
- बैलेचली पार्क, अब एक संग्रहालय के साथ एक ऐतिहासिक स्थल मात्र है, जो इसके युद्धकालीन इतिहास एवं योगदान में रुचि रखने वाले आगंतुकों को आकर्षित करता है।
- द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान इसने ब्रिटिश गवर्नमेंट कोड एवं साइफर स्कूल (GC एवं CS) के लिये मुख्य स्थल के रूप में कार्य किया।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. विकास की वर्तमान स्थिति में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence), निम्नलिखित में से किस कार्य को प्रभावी रूप से कर सकती है? (2020)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1, 2, 3 और 5 उत्तर: (b) प्रश्न. निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिये: (वर्ष 2018)
उपर्युक्त युग्मों में से कौन-सा/से सही सुमेलित है/हैं? (a) केवल 1 और 3 उत्तर: (b) मेन्स:प्रश्न. भारत के प्रमुख शहरों में आई.टी उद्योगों के विकास से उत्पन्न होने वाले मुख्य सामाजिक-आर्थिक प्रभाव क्या हैं? (2021) |
ऑनलाइन गेमिंग पर नैतिक परिप्रेक्ष्य
प्रिलिम्स के लिये:मेन्स के लिये:भारत में ऑनलाइन गेमिंग मार्केट, ऑनलाइन गेमिंग से संबंधित मुद्दे। |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
महाराष्ट्र के पुणे में एक पुलिस उप-निरीक्षक (Police Sub-Inspector- PSI) के निलंबन का हालिया मामला सामने आया है जो ऑनलाइन गेमिंग तथा एक कानून प्रवर्तन अधिकारी के उत्तरदायित्वों से संबंधित जटिल नैतिक चिंताओं को उजागर करता है।
ऑनलाइन गेमिंग में अधिकारी की भागीदारी से संबंधित नैतिक निहितार्थ क्या हैं?
- ऑनलाइन गेमिंग में अधिकारी की भागीदारी के पक्ष में तर्क:
- व्यक्तिगत स्वतंत्रता और व्यक्तिगत अधिकार: अधिकारी को किसी भी अन्य नागरिक की तरह मिलने वाले व्यक्तिगत समय के दौरान कानूनी मनोरंजक गतिविधियों में शामिल होने का अधिकार है।
- ऑनलाइन गेमिंग सहित कानूनी मनोरंजक गतिविधियों के लिये अधिकारी द्वारा व्यक्तिगत निधि का उपयोग उनके विवेकाधीन व्यय एवं वित्तीय स्वायत्तता के अंतर्गत आता है।
- कानूनी मानदंडों का पालन: यदि ऑनलाइन गेमिंग गतिविधि कानूनी रूप से स्वीकार्य है तथा वह अधिकारी कानून का अनुपालन करता है, तो उनकी भागीदारी कानूनी मानदंडों के ढाँचे के भीतर है और व्यक्तिगत स्वायत्तता के भाग के रूप में इसका सम्मान किया जाना चाहिये।
- तनाव का शमन: ऑनलाइन गेमिंग किसी भी अवकाश गतिविधि की तरह तनाव से राहत देने वाले उपकरण के रूप में कार्य कर सकती है, जो नौकरी के दबाव से उत्पन्न मानसिक तनाव से मुक्ति प्रदान करता है।
- व्यक्तिगत स्वतंत्रता और व्यक्तिगत अधिकार: अधिकारी को किसी भी अन्य नागरिक की तरह मिलने वाले व्यक्तिगत समय के दौरान कानूनी मनोरंजक गतिविधियों में शामिल होने का अधिकार है।
- शामिल नैतिक मुद्दे:
- संगठनात्मक मानकों का उल्लंघन:
- आचार संहिता का उल्लंघन: यूनिट कमांडर की अनुमति के बिना ऑनलाइन गेमिंग में संलग्न होना महाराष्ट्र राज्य पुलिस के भीतर स्थापित आचार संहिता का उल्लंघन है, जो संस्थागत नियमों की उपेक्षा का संकेत देता है।
- व्यावसायिक मानदंडों के साथ संघर्ष: नैतिक रूप से ड्यूटी के दौरान ऑनलाइन गेमिंग में अधिकारी की भागीदारी कानून प्रवर्तन के लिये आवश्यक अपेक्षित व्यावसायिकता और नैतिक मानकों के साथ संघर्ष करती है।
- नकारात्मक लोक छवि और विश्वास के निहितार्थ:
- लोक धारणा और विश्वास का क्षरण: वर्दी में व्यक्तिगत जीत पर चर्चा वाला मीडिया साक्षात्कार अधिकारी की पेशेवर ईमानदारी और कानून प्रवर्तन की व्यापक छवि में जनता के विश्वास को कमज़ोर कर सकता है, जिससे जनता का पुलिस बल में विश्वास कम हो जाता है।
- संगठनात्मक विश्वसनीयता पर प्रभाव: नैतिक रूप से ऐसे आचरण से पूरे पुलिस बल की विश्वसनीयता और प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचता है, क्योंकि अधिकारी के कार्य संस्था को प्रतिबिंबित करते हैं, जिससे इसकी समग्र छवि और सार्वजनिक विश्वास पर प्रभाव पड़ता है।
- रोल मॉडल अपेक्षाएँ और नैतिक ज़िम्मेदारियाँ:
- एक सार्वजनिक व्यक्ति के रूप में भूमिका: नैतिक रूप से एक कानून प्रवर्तन अधिकारी के रूप में अधिकारी एक सार्वजनिक व्यक्ति होता है और उससे नैतिक व्यवहार तथा ज़िम्मेदार आचरण का उदाहरण स्थापित करते हुए एक रोल मॉडल के रूप में कार्य करने की उम्मीद की जाती है।
- संगठनात्मक मानकों का उल्लंघन:
ऑनलाइन गेमिंग से जुड़े व्यापक नैतिक मुद्दे क्या हैं?
- लत और मानसिक स्वास्थ्य: कुछ ऑनलाइन गेमिंग गतिविधियों की लत लगने की प्रकृति से चिंताएँ उत्पन्न होती हैं, जो संभावित रूप से बाध्यकारी व्यवहार, ज़िम्मेदारियों की उपेक्षा और मानसिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं।
- वित्तीय जोखिम और भेद्यता: व्यक्तियों, विशेष रूप से कमज़ोर जनसांख्यिकी, को वित्तीय जोखिमों का सामना करना पड़ सकता है, जिससे गेमिंग पर अत्यधिक खर्च के कारण कर्ज़ या आर्थिक कठिनाई जैसी समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं तथा ज़िम्मेदार उपभोक्ता जुड़ाव और देखभाल के कॉर्पोरेट कर्त्तव्य के बारे में नैतिक सवाल उठ सकते हैं।
- कमज़ोर उपयोगकर्त्ताओं का शोषण: संवेदनशील उपयोगकर्त्ताओं के संभावित शोषण के बारे में नैतिक चिंताएँ सामने आती हैं, जिन्हें सुरक्षात्मक उपायों एवं कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए, उनके संसाधनों से अधिक व्यय करने का लालच दिया जा सकता है।
- नियामक अस्पष्टता एवं कानूनी परिभाषाएँ: कौशल-आधारित गेमिंग तथा जुए के बीच अंतर में स्पष्ट परिभाषाओं का अभाव है, जिससे इन गेमिंग गतिविधियों की प्रकृति के बारे में नियामक अस्पष्टता, नैतिक बहस के साथ-साथ इसकी विभिन्न व्याख्याएँ की जाती हैं।
- कॉर्पोरेट उत्तरदायित्व एवं उपयोगकर्त्ता कल्याण: गेमिंग कंपनियों की नैतिक ज़िम्मेदारी यह सुनिश्चित करना है कि उनके प्लेटफॉर्म उपयोगकर्त्ताओं का शोषण न करें तथा नशे अथवा लत वाले व्यवहार को बढ़ावा न दें और लाभ के उद्देश्यों से अधिक उपयोगकर्त्ता के कल्याण को प्राथमिकता दें।
- नैतिक विचार ज़िम्मेदार गेमिंग प्रथाओं को बढ़ावा देने, उपयोगकर्त्ताओं को सुरक्षित रखने एवं इसकी लत की रोकथाम तथा समर्थन के लिये संसाधनों के प्रस्तुतिकरण से आपस में संबद्द हैं।
- सामाजिक मानदंडों पर प्रभाव: जब अत्यधिक गेमिंग व्यवहार समाज में आम हो जाता है, तब नैतिक उलझनें उत्पन्न होती हैं जो सामाजिक मानदंडों के साथ ही व्यवहारों को भी परिवर्तित कर सकती हैं, विशेषरूप से युवा जनसंख्या में।
नोट: हाल ही में भारत के वित्त मंत्रालय द्वारा ऑनलाइन मनी गेमिंग, कैसीनो और घुड़दौड़ पर 28% वस्तु एवं सेवा कर (GST) की घोषणा की गई।
आगे की राह:
- पेशेवरों के आचरण के संबंध में:
- स्पष्ट संगठनात्मक नीतियाँ: ऑफ-ड्यूटी आचरण के संबंध में कानून प्रवर्तन एजेंसियों के अंर्तगत स्पष्ट दिशानिर्देश स्थापित करना, विशेष रूप से ऑनलाइन गेमिंग से संबंधित अनुमेय एवं गैर-अनुमेय गतिविधियों आदि को निर्दिष्ट करना।
- नैतिक प्रशिक्षण एवं शिक्षा: कानून प्रवर्तन कर्मियों को नैतिक शिक्षा एवं प्रशिक्षण प्रदान करके आश्वस्त करना कि जनता उन्हें उनके कार्यों के लिये उत्तरदायी मानती है जो ऑन-ड्यूटी तथा ऑफ-ड्यूटी दोनों जगह नैतिक व्यवहार बनाए रखने के मूल्य पर ज़ोर देती है।
- मज़बूत आचार संहिता: आधुनिक समय की चुनौतियों से निपटने के लिये मौजूदा आचार संहिता की समीक्षा कर उसे अधिक मज़बूत किया जाना चाहिये, जिसमें मनोरंजक गतिविधियों में शामिल होने, पेशेवर छवि बनाए रखने एवं वर्दी में सोशल मीडिया के उपयोग के लिये दिशानिर्देश शामिल हैं।
- सहायता और परामर्श सेवाएँ: अधिकारियों के लिये सहायता सेवाएँ एवं परामर्श प्रदान करना, उनके तनाव को दूर करना तथा उनके पेशे की चुनौतीपूर्ण प्रकृति को ध्यान में रखते हुए तनाव को कम करने के लिये सकारात्मक प्रतिरोधी तंत्र को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।
- ऑनलाइन गेमिंग के संबंध में:
- स्पष्ट कानूनी परिभाषाएँ: कौशल-आधारित गेमिंग तथा द्यूत (Gambling) के बीच का अंतर स्पष्ट करना, राज्यों में समान रूप से नियामक उपायों का मार्गदर्शन करने के लिये सटीक कानूनी परिभाषाएँ सुनिश्चित करना।
- सहयोगात्मक शासन और निरीक्षण: उत्तरदायी गेमिंग प्रथाओं को बढ़ावा देने, उपयोगकर्ता सुरक्षा, गेमिंग आसक्ति की रोकथाम एवं उपयोगकर्ताओं के बीच वित्तीय जोखिमों को कम करने के उपायों पर ज़ोर देने के लिये गेमिंग कंपनियों के साथ सहयोग करने की आवश्यकता है।
- व्यापक अनुसंधान और विश्लेषण: ऑनलाइन गेमिंग के मनोवैज्ञानिक तथा सामाजिक-आर्थिक प्रभावों के लिये व्यापक स्तर पर शोध में निवेश करने तथा साक्ष्य-आधारित नीति निर्धारण व प्रभावी नियामक उपायों के विकास की सुविधा प्रदान करने की आवश्यकता है।