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भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच आमना-सामना

  • 11 May 2020
  • 6 min read

प्रीलिम्स के लिये:

भारत-चीन सीमा विवाद, सीमाओं की उत्पत्ति  

मेन्स के लिये:

भारत-चीन सीमा विवाद 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में उत्तर सिक्किम के नाकु ला (Naku La) सेक्टर तथा लद्दाख सेक्टर में भारत-चीन सीमा पर दोनों देशों के सैनिकों के बीच आमना-सामना (Face off) देखने को मिला।

प्रमुख बिंदु:

  • नाकु ला उत्तरी सिक्किम में 5,000 मीटर से अधिक की ऊँचाई पर स्थित एक दर्रा है।
  • यह आमना-सामना (फेस-ऑफ) अस्थायी तथा लघु अवधि के लिये था, जिसे 'स्टैंड-ऑफ' नहीं माना जा सकता है।
  • दोनों देशों की सेनाओं के बीच आक्रामक प्रदर्शन देखने को मिला जिसमें दोनों तरफ सैनिकों को शारीरिक चोटें आई है। हालाँकि बाद में बातचीत से मामले को सुलझा लिया गया।

फेस-ऑफ और स्टैंड-ऑफ:

  • यहाँ ध्यान देने योग्य तथ्य यह है कि जब दो देशों के मध्य सीमा विवाद अनसुलझे होते हैं तो वहाँ ‘फेस-ऑफ’ की घटनाएँ प्राय: देखने को मिलती हैं। जिन्हे दोनों देशों की सेनाओं द्वारा स्थापित प्रोटोकॉल के अनुसार, हल कर लिया जाता है। परंतु स्टैंड-ऑफ को ‘सामान्य स्थापित प्रोटोकॉलों’ के माध्यम से हल करना मुश्किल होता है। 
  • भारत और चीन के मध्य यह फेस-ऑफ ‘डोकलाम स्टैंड-ऑफ’ के तीन वर्ष बाद देखने को मिला है।

भारत-चीन सीमा विवाद का कारण:

  • वर्ष 1962 तक हिमालय को आक्रमणकारियों के खिलाफ एक 'प्राकृतिक बाधा' माना जाता था। लेकिन वर्ष 1962 के चीनी आक्रमण ने इस अवधारणा को समाप्त कर दिया।
  • दो देशों के मध्य सीमा का निर्धारण सामान्यत: निम्नलिखित 3 चरणों में किया जाता है:

1. आवंटन (Allocation): 

  • किसी प्राकृतिक (पर्वत, नदी आदि) या कृत्रिम आधार (यथा देशान्तर) के आधार पर सीमा निर्धारण करना;

2. परिसीमन (Delimitation):

  • परिसीमन का अर्थ है दो देशों के मध्य संपर्क क्षेत्रों को अलग करने वाले बिंदुओं तथा रेखाओं का निर्धारण करना;

3. सीमांकन (Demarcation): 

  • सीमांकन सीमा को चिह्नित करने की वैध प्रक्रिया है। सीमांकन में दोनों पक्षों द्वारा स्वीकृत सीमा की जमीन पर विस्तृत अवस्थिति का निर्धारण किया जाता है। 

हिमालय जलविभाजक को भारत और चीन के बीच प्राकृतिक सीमा के आधार के रूप में माना जा सकता है। परंतु भारत-चीन सीमा निर्धारण में उपर्युक्त 3 चरणों में से द्वितीय तथा तृतीय चरण को पूरा नहीं किया गया है। अत: यह स्थिति दोनों देशों के मध्य विवाद को जन्म देती है। 

भारत-चीन सीमा विवाद:

  • चीन-भारत सीमा विवाद 3,488 किलोमीटर लंबी ‘वास्तविक नियंत्रण रेखा’ (Line of Actual Control- LAC) को लेकर है। चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा होने का दावा करता है, जबकि भारत इसका विरोध करता है। 
  • दोनों पक्षों के बीच विवाद समाधान के लिये कई दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन अभी तक कोई नतीजा नहीं निकला है। भारत-चीन के मध्य प्रमुख विवादित क्षेत्र निम्नलिखित है:

पश्चिमी क्षेत्र:

  • लद्दाख:
    • जम्मू-कश्मीर (संयुक्त राज्य) के लद्दाख क्षेत्र के उत्तर तथा पूर्व की भारत-चीन सीमा को लेकर विवाद है।
  • अक्साई-चिन:
    • यह क्षेत्र श्योक नदी के पूर्व तथा कश्मीर के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में स्थित है। 

मध्य क्षेत्र:

  • यह सीमा तिब्बत के साथ-साथ लगती है, इसमें अनेक लघु क्षेत्रों को लेकर विवाद है।

पूर्वी क्षेत्र: 

  • सिक्किम:
    • सिक्किम में भारत-चीन सीमा की लंबाई 225 किमी. की सीमा है, तथा इस क्षेत्र में अनेक महत्त्वपूर्ण दर्रे अवस्थित है। 
  • भूटान सीमा:
    • भूटान की तिब्बत के साथ सीमा पूरी तरह से स्थापित तथा ऐतिहासिक रूप से मान्यता प्राप्त है।
  • अरुणाचल प्रदेश (NEFA):
    • इस क्षेत्र में भारत-चीन सीमा; पूर्वी भूटान से भारत, चीन और म्यांमार के त्रिकोणीय जंक्शन पर तालु दर्रे तक है, 1140 किमी. की है। अरुणाचल प्रदेश और तिब्बत के बीच की रेखा को मैकमोहन रेखा कहा जाता है। 

sticking-points

आगे की राह:

  • चीन, भारतीय सीमा के उल्लंघन के कदम, एशिया में भारत की बढ़ती प्रभावी स्थिति को चुनौती देने के लिये उठाता है। बदली हुई परिस्थितियों में भारत के लिये यह ज़रूरी हो गया है कि वह अन्य एशियाई देशों के साथ कूटनीतिक और सामरिक सहयोग बढ़ाकर चीन की चुनौतियों का मुकाबला करे। 

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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