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डेली न्यूज़


अंतर्राष्ट्रीय संबंध

भारत की समुद्री भूमिका में बाधाएँ

  • 31 May 2022
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

क्वाड, समुद्री कार्यक्षेत्र जागरूकता पहल (MDA), हिंद-प्रशांत क्षेत्र, आईएफ-आईओआर। 

मेन्स के लिये:

क्वाड ग्रुप, हिंद -प्रशांत क्षेत्र पहल, मुद्दे और चुनौतियाँ। 

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका से मिलकर बने क्वाड समूह ने सूचना साझा करने तथा समुद्री निगरानी के लिये एक हिंद-प्रशांत समुद्री कार्यक्षेत्र जागरूकता (IPMDA) पहल शुरू की है। 

  • बुनियादी ढाँचे की कमी और भारत में संपर्क अधिकारियों की नियुक्ति में निरंतर देरी ने भारत की भूमिका को  सीमित कर दिया है। 

हिंद-प्रशांत समुद्री कार्यक्षेत्र जागरूकता (IPMDA) पहल: 

  • टोक्यो में वर्ष 2022 में आयोजित क्वाड नेताओं के सम्मलेन में IPMDA पहल की घोषणा की गई थी ताकि हिंद-प्रशांत, प्रशांत द्वीप समूह, दक्षिण-पूर्व एशिया और हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में "डार्क शिपिंग" की निगरानी की जा सके और तीन महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों को एकीकृत करते हुए "साझेदारों द्वारा समुद्र में निकट-वास्तविक समय की गतिविधियों की तेज़, व्यापक और अधिक सटीक समुद्री तकनीक " का निर्माण किया जा सके।  
    • डार्क शिप वे जहाज़ होते हैं जिनकी स्वचालित पहचान प्रणाली (ASI) के ट्रांसपोंडर को बंद कर दिया जाता है ताकि उनका पता न चल सके। 
  • यह अन्य सामरिक-स्तरीय गतिविधियों पर नज़र रखने की भी अनुमति देगा, जैसे कि समुद्र में संकेत-स्थान, जलवायु और मानवीय घटनाओं पर प्रतिक्रिया प्रदान करने के लिये भागीदारों की क्षमता में सुधार करेगा, साथ ही उनकी मत्स्य पालन गतिविधियों की रक्षा करेगा, जो कि इंडो-पैसिफिक अर्थव्यवस्थाओं के लिये महत्त्वपूर्ण हैं। 
  • IPMDA पूरे क्षेत्र में चीनी नौसैनिक उपस्थिति के विस्तार की पृष्ठभूमि में क्वाड देशों के साथ-साथ तटवर्ती राज्यों की मदद करेगा। 
  • इससे देश में विभिन्न एजेंसियों के साथ संबंध स्थापित करने में भारतीय संपर्क अधिकारियों की मौज़ूदा भूमिका में और वृद्धि होगी। 

वे दो मुद्दे जो भारत की भूमिका को सीमित करते हैं: 

  • बुनियादी ढांँचे की कमी: इसमें न केवल जहाज़ निर्माण और जहाज़ की मरम्मत शामिल है, बल्कि भारत के तटीय एवं आंतरिक क्षेत्रों के एकीकृत विकास के लिये रेल और सड़क नेटवर्क के माध्यम से आधुनिकीकरण एवं आंतरिक संपर्क भी शामिल है। 
    • इसमें तटीय नौवहन भी शामिल है। बुनियादी ढांँचे की कमी के कारण भारत भारतीय नौसेना के सूचना संलयन केंद्र-हिंद महासागर क्षेत्र (IFC-IOR) में अंतर्राष्ट्रीय संपर्क अधिकारी (ILO) की पोस्टिंग स्वीकार करने में असमर्थ है। 
      • भारत ने 22 देशों और एक बहुराष्ट्रीय समूह के साथ व्हाइट शिपिंग एक्सचेंज समझौतों पर हस्ताक्षर किये हैं। 
      • व्हाइट शिपिंग जानकारी वाणिज्यिक गैर-सैन्य व्यापारी जहाज़ोंं की पहचान और आवाजाही पर प्रासंगिक अग्रिम सूचनाओं के आदान-प्रदान को संदर्भित करती है। 
      • जहाज़ो को सफेद (वाणिज्यिक जहाज़ोंं), ग्रे (सैन्य जहाज़ों), और काले (अवैध जहाज़ोंं) में वर्गीकृत किया जाता है। 
      • न केवल भारत में ILO का होना महत्त्वपूर्ण है, बल्कि अन्य देशों में समान केंद्रों पर भारतीय नौसेना के अधिकारियों को तैनात करना भी आवश्यक है। 
  • क्षेत्र में अन्य सुविधाओं और केंद्रों पर भारतीय संपर्क अधिकारियों की तैनाती में लगातार देरी: 
    • क्षेत्रीय समुद्री सूचना संलयन केंद्र (RMIFC), मेडागास्कर और क्षेत्रीय समन्वय संचालन केंद्र, सेशेल्स में भारतीय नौसेना संपर्क अधिकारियों (LO) को तैनात करने का प्रस्ताव दो वर्ष से अधिक समय से लंबित है। 
    • अबू धाबी में स्ट्रेट ऑफ होर्मुज (EMASOH) में यूरोपीय नेतृत्व वाले मिशन में संपर्क अधिकारी को तैनात करने के एक अन्य प्रस्ताव को भी अब तक मंज़ूूरी नहीं मिली है। 
    • एलओ की तैनाती में भी देरी हो रही है। उदाहरण के लिये, भारत का सिंगापुर में भारतीय LOकी नियुक्ति   2009 में की गई थी।  

सूचना संलयन केंद्र - हिंद महासागर क्षेत्र (IFC-IOR): 

  • भारतीय नौसेना ने दिसंबर 2018 में गुरुग्राम में सामुद्रिक नौवहन की निगरानी के लिये 'सूचना प्रबंधन और विश्लेषण केंद्र' (Information Management and Analysis Centre- IMAC) के रूप में ‘हिंद महासागर क्षेत्र के लिये सूचना संलयन केंद्र’ की स्थापना की है। 
  • IFC-IOR की परिकल्पना विश्व व्यापार और सुरक्षा के संबंध में क्षेत्र के महत्त्व को देखते हुए समुद्री सुरक्षा  के लिये सहयोग को बढ़ावा देने हेतु की गई थी। 
  • अपनी स्थापना के बाद से केंद्र ने 50 से अधिक देशों और बहुराष्ट्रीय/समुद्री सुरक्षा केंद्रों के साथ कार्य स्तर के संबंध स्थापित किये हैं। 

आगे की राह 

  • IPMDA को प्रोत्साहन प्रदान कर अन्य IFC के साथ संबंधों में सुधार लाने और लंबित प्रस्तावों को शीघ्रता से संबोधित करने की आवश्यकता है अन्यथा भारत इस अवसर को खो देगा। 
  • यदि तुरंत कार्रवाई नहीं की गई तो यह पहल उत्साह खो देगी क्योंकि देशों की दिलचस्पी खत्म हो जाएगी। 
  • देश के आर्थिक विकास और वृद्धि के लिये भारतीय बुनियादी ढाँचे का विकास आवश्यक है। जैसा कि भारत ने विकास आधारित आर्थिक नीति को अपनाया है, भारत को समुद्री बुनियादी ढाँचे को विकसित करने की ज़रूरत है, जैसे- बंदरगाहों का विकास, कनेक्टिविटी, रसद आदि। 

विगत वर्षों के प्रश्न: 

प्रश्न. समाचारों में देखे जाने वाले शब्द 'डिजिटल सिंगल मार्केट स्ट्रैटेजी' पद किसे निर्दिष्ट करता है? (2017) 

(a) आसियान  
(b) ब्रिक्स'  
(c) यूरोपियन यूनियन  
(d) जी-20 

उत्तर: (c)  

व्याख्या: 

  • यूरोपीय संघ द्वारा 6 मई, 2015 को 'डिजिटल सिंगल मार्केट स्ट्रैटेजी' को अपनाया गया था। इसमें 16 विशिष्ट पहल शामिल हैं जिनका उद्देश्य लोगों और व्यापार के लिये डिजिटल अवसरों को खोलना तथा डिजिटल अर्थव्यवस्था में विश्व नेता के रूप में यूरोप की स्थिति को बढ़ाना है।  
  • यह रणनीति तीन नीतिगत स्तंभों पर आधारित है:  
  • पहुँच: उपभोक्ताओं और व्यवसायों के लिये पूरे यूरोप में डिजिटल वस्तुओं एवं सेवाओं तक बेहतर पहुँच। 
  • पर्यावरण: डिजिटल नेटवर्क और नवोन्मेषी सेवाओं के फलने-फूलने के लिये सही परिस्थितियों व समान अवसर प्रदान करना 
  • अर्थव्यवस्था और समाज: डिजिटल अर्थव्यवस्था की विकास क्षमता को अधिकतम करना। अतः विकल्प (c) सही है। 

स्रोत: द हिंदू 

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