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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

AI व्यवधान संबंधी चुनौतियाँ

  • 23 Aug 2023
  • 24 min read

यह एडिटोरियल 21/08/2023 को ‘इंडियन एक्सप्रेस’ में प्रकाशित ‘‘PREPARING FOR a DISRUPTION’’  लेख पर आधारित है। इसमें कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence- AI) द्वारा उत्पन्न संभावित चुनौतियों और भारत द्वारा उनसे निपट सकने के उपायों के बारे में चर्चा की गई है।

प्रिलिम्स के लिये:

जेनरेटिव AI, लार्ज लैंग्वेज मॉडल (LLMs), भारत का राष्ट्रीय AI पोर्टल, फ्यूचर स्किल्स प्राइम कार्यक्रम, कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर वैश्विक भागीदारी (GPAI), भारत का राष्ट्रीय AI पोर्टल, AI फॉर ऑल,

मेन्स के लिये:

जेनरेटिव AI : इसके अनुप्रयोग, चुनौतियाँ और इन चुनौतियों का समाधान करने के लिये नीतिगत उपाय।

वैश्विक जेनरेटिव AI (Generative AI) बाज़ार में आने वाले वर्षों में व्यापक वृद्धि का अनुमान है, जहाँ वर्ष 2021 से 2028 तक 45% चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) दर्ज की जा सकती है। चूँकि AI सेवाओं का पण्यीकरण (commoditization) अधिक व्यापक होता जा रहा है, उद्योगों के बिजनेस मॉडल (सॉफ्टवेयर विकास से लेकर मनोरंजन तक) में भारी बदलाव आएगा। LLMs (Large Language Models) और जेनरेटिव AI ऐसे विभिन्न कार्यों को स्वचालित करने के लिये तैयार हैं जिनके लिये प्राकृतिक भाषा समझ की आवश्यकता होती है, जैसे संक्षेपण, अनुवाद, सवालों के जवाब देना, कोडिंग और यहाँ तक कि संवाद। 

जेनरेटिव AI और LLMs:

  • जेनरेटिव AI: जेनेरेटिव AI कृत्रिम बुद्धिमत्ता के ऐसे सबसेट को संदर्भित करता है जो ऐसे कंटेंट के सृजन में सक्षम प्रणालियों (systems) के निर्माण पर ध्यान केंद्रित करता है जो मानव द्वारा उत्पादित किये जा सकने वाले कंटेंट के समान हो। 
    • ये प्रणालियाँ पहले से मौजूद डेटा के पैटर्न से सीखती हैं और फिर उस ज्ञान का उपयोग नए, मूल कंटेंट के सृजन के लिये करती हैं। 
    • ये कंटेंट विभिन्न रूप ग्रहण कर सकते हैं, जैसे टेक्स्ट, इमेज, म्यूजिक और अन्य। 
  • लार्ज लैंग्वेज मॉडल (LLMs): LLMs जेनरेटिव AI मॉडल का एक विशिष्ट वर्ग हैं जिन्हें मानव की तरह टेक्स्ट की समझ और उसके सृजन के लिये प्रशिक्षित किया जाता है। 
    • ये मॉडल गहन शिक्षण तकनीकों, विशेष रूप से न्यूरल नेटवर्क का उपयोग कर बनाये गए हैं। 
    • वे प्रांप्ट या इनपुट प्रदान किये जाने पर सुसंगत और सांदर्भिक रूप से प्रासंगिक टेक्स्ट उत्पन्न कर सकते हैं। 
    • LLMs के सबसे प्रसिद्ध उदाहरणों में से एक OpenAI का GPT (Generative Pre-trained Transformer) है। 

जेनरेटिव AI के अनुप्रयोग:

  • स्वास्थ्य देखभाल: 
    • लक्षण आकलन और रोग का पता लगाना: ‘Ada’ जैसे AI-संचालित ऐप लक्षणों का आरंभिक आकलन प्रदान कर सकते हैं और उपयोगकर्ताओं को उचित चिकित्सा कार्रवाइयों के लिये मार्गदर्शन प्रदान कर सकते हैं। 
    • अभिगम्यता और रोगी समर्थन: ‘Be My Eyes’ जैसे ऐप और ‘Hyro’ जैसे कंवर्सेशनल AI (Conversational AI) समाधान दृष्टिबाधित व्यक्तियों के लिये अभिगम्यता में सुधार कर रहे हैं तथा स्वास्थ्य प्रणालियों के साथ रोगी अंतःक्रिया को सुव्यवस्थित कर रहे हैं। 
    • रोग का पता लगाना: इससे रोग का शीघ्र पता लगाने में मदद मिल सकती है। ‘SkinVision’ दर्शाता है कि जेनेरेटिव AI त्वचा कैंसर का शीघ्र पता लगाने और निदान की गति एवं परिशुद्धता बढ़ाने में किस प्रकार सहायता कर सकता है। 
  • शिक्षा: 
    • कंटेंट सृजन और वैयक्तिकरण: जेनरेटिव AI शैक्षिक कंटेंट के सृजन, इसे विभिन्न शैलियों, दायरे या भाषाओं में अनुकूलित करने और इसे किसी छात्र की व्यक्तिगत आवश्यकताओं के अनुरूप बनाने में शिक्षकों की सहायता कर सकता है। 
    • मूल्यांकन और प्रतिक्रिया: AI-सृजित कंटेंट रचनात्मक मूल्यांकन में सहायता कर सकते हैं, जिससे छात्रों को उनके कार्य पर तुरंत प्रतिक्रिया/फीडबैक प्राप्त हो सकती है। इससे लर्निंग की प्रक्रिया अधिक गतिशील हो जाएगी। 
  • मनोरंजन: 
    • कला और डिज़ाइन: जेनरेटिव AI का उपयोग बेहतरीन ग्राफिक्स, डिज़ाइन एवं आर्टवर्क का सृजन करने और वीडियो गेम, फैशन एवं अन्य रचनात्मक उद्योगों के दृश्य पहलुओं के संवर्द्धन के लिये किया जा सकता है। 
      • उदाहरण के लिये, DALL·E 2 ऐसा जेनरेटिव AI मॉडल है जो टेक्स्ट विवरण से छवियों का निर्माण कर सकता है। 
    • संगीत रचना: AI-सृजित संगीत विभिन्न मूड, जोनरा और शैलियों के लिये संगीत रचनाओं की एक अंतहीन धारा प्रदान कर सकता है। 
      • उदाहरण के लिये, AI की मदद से हमारे बीच अब नहीं रहे किसी भी गायक की आवाज़ में कोई भी गाना तैयार किया जा सकता है। 
    • फैशन: फैशन उद्योग नए कपड़ों के डिज़ाइन तैयार करने में जेनेरेटिव AI का लाभ उठा सकता है, जहाँ डिज़ाइनरों को नवीन अवधारणाओं का पता लगाने में मदद मिलेगी। 
  • कंटेंट डिज़ाइन और कोडिंग: 
    • उत्पाद विकास और नवाचार: प्राकृतिक भाषा इनपुट के आधार पर डिज़ाइन, कोड और स्कीमैटिक्स (schematics) सृजित करने की जेनरेटिव AI की क्षमता उत्पाद विकास चक्र को तीव्र कर सकती है तथा नवाचार को बढ़ावा दे सकती है। 
      • GitHub की एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका में अधिकांश डेवलपर्स ने AI कोडिंग टूल को अपना लिया है और उन्हें पेशेवर एवं व्यक्तिगत, दोनों रूपों में अपने कार्यों में एकीकृत किया है। 
        • अमेरिका में कार्यरत 92% प्रोग्रामर्स अब अपनी कोडिंग क्षमताओं की पूरकता के लिये AI का लाभ उठा रहे हैं। 
    • कंटेंट समराइज़ेशन (Content Summarization): जेनरेटिव AI लंबे लेखों, ईमेल और रिपोर्टों का तुरंत ही सारांश तैयार कर सकते हैं, जिससे सूचना उपभोग अधिक कुशल हो जाता है। 
    • विजुअल कंटेंट को बढ़ाना: जेनरेटिव AI एनिमेशन, वॉइस-ओवर और अन्य घटकों का संयोग कर प्रदर्श एवं वर्णनकारी वीडियो की गुणवत्ता एवं प्रभावशीलता में सुधार कर सकता है। 

भारत के समक्ष जेनरेटिव AI से संबंधित चुनौतियाँ:

  • मीडिया तकनीकी व्यवधानों के बीच आर्थिक चुनौतियाँ: चूँकि ये प्रौद्योगिकियाँ मीडिया उत्पादों एवं सूचनाओं के उत्पादन एवं उपभोग के तरीके को विघटित कर देती हैं, इसलिये बाज़ारों के व्यवधान (disruption), असमानताओं के निर्माण, मानव रचनात्मकता एवं नवाचार के लिये प्रेरणा की कमी और श्रमिकों के विस्थापन जैसी महत्त्वपूर्ण आर्थिक चुनौतियाँ उत्पन्न होंगी। 
  • रोज़गार हानि: उपभोक्ता सेवा, अनुसंधान, ब्लू-कॉलर जॉब और विधिक सेवा जैसे विभिन्न क्षेत्रों में (जहाँ नियमित सूचना प्रसंस्करण, डेटा एंट्री, फॉर्म फिल-अप जैसे कार्य किये जाते हैं) रोज़गार हानि की स्थिति बन सकती है। आंशिक स्वचालन के साथ भी, इन क्षेत्रों में लगभग 5-10% कार्य-भूमिकाएँ निकट भविष्य में समाप्त हो सकती हैं। इससे करोड़ों कुशल और अर्द्ध-कुशल कामगार बेरोज़गारी के शिकार होंगे। 
    • इसके अलावा, इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि जेनरेटिव AI और संबंधित प्रौद्योगिकियाँ इन रोज़गार अवसरों की हानि की भरपाई के लिये नए रोज़गार अवसर सृजित करेंगी। 
  • पर्याप्त तैयारी का अभाव: भारत जेनेरेटिव AI और संबंधित प्रौद्योगिकियों के इस हमले का सामना करने के लिये चीन और अमेरिका की तरह पर्याप्त रूप से तैयार नहीं है। देश में AI चिप हार्डवेयर डिज़ाइन में कोई बड़ा निवेश नहीं किया गया है। मॉडल्स की ट्रेनिंग और फाइन-ट्यूनिंग के लिये ऑडिटेड डेटा सेट का अभाव एक बड़ी कमी है। 
    • भारत के पास ‘GPT’ या ‘Wu Dao’ जैसा अपना कोई मूलभूत या जेनरेटिव मॉडल भी नहीं है। 
    • चीन और अमेरिका की तुलना में, भारत में AI से संबंधित क्षेत्रों में पीएचडी स्तर के विशेषज्ञ संख्या में पर्याप्त कम हैं। 
  • LLMs के प्रशिक्षण की सीमितताएँ: भारत में LLMs के प्रशिक्षण के लिये ‘क्लाउड कंप्यूटिंग’ तक पहुँच की सीमाएँ हैं और यह महंगा भी है। भारत में ऐसे बड़े निगम नहीं हैं जो इन-हाउस AI अनुसंधान में भारी निवेश करते हों। 
  • ‘ब्रेन ड्रेन’: अमेरिका और चीन में AI पॉलिसी थिंक टैंक और अनुसंधान संस्थानों की संख्या भी बहुत अधिक है। भारत में इन क्षेत्रों की गुणवत्तापूर्ण प्रतिभा जल्द ही इन गंतव्यों की ओर पलायन कर जाएगी। 
  • व्यापक और समग्र AI रणनीति का अभाव: भारत में सरकार, उद्योग, शिक्षा जगत और समाज को संयुक्त करने वाली व्यापक एवं समग्र AI रणनीति का गंभीर अभाव है। LLMs की दौड़ तेज़ होने के साथ भारत में डेटा सुरक्षा और गोपनीयता संबंधी चिंताएँ ऐसे मूल्यवान डेटा प्राप्त करने की हमारी संभावनाओं को कम कर देंगी जो सुदृढ़ मॉडलों को प्रशिक्षित कर करती हैं। 

नीतिगत उपाय: 

  • एक व्यापक राष्ट्रीय AI रणनीति विकसित करना: एक सुपरिभाषित राष्ट्रीय AI रणनीति का विकास करना अत्यंत आवश्यक है। इसमें सरकारी एजेंसियों, उद्योग प्रतिनिधियों, शोधकर्ताओं और नैतिकतावादियों सहित विभिन्न हितधारकों को एक साथ लाना शामिल है। 
    • इस रणनीति में AI विकास, नैतिक दिशानिर्देशों, नियामक ढाँचे और उत्तरदायित्वपूर्ण तैनाती के लिये देश के लक्ष्य सुस्पष्ट किये जाएँ। इसे संभावित जोखिमों (जैसे पूर्वाग्रह एवं गोपनीयता संबंधी चिंताओं) और उन्हें संबोधित करने के तरीके पर भी विचार करना होगा। 
  • AI पॉलिसी थिंक टैंक और अनुसंधान संस्थान स्थापित करना: थिंक टैंक और अनुसंधान संस्थान नवाचार को बढ़ावा देने तथा AI प्रतिभा का पोषण करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। ये संस्थान AI रुझानों, नैतिकता और नीतिगत निहितार्थों पर गहन शोध कर सकते हैं। वे नीति निर्माताओं और उद्योग जगत के नेताओं को मार्गदर्शन भी प्रदान कर सकते हैं, जिससे उन्हें सूचना-संपन्न निर्णय लेने में मदद मिल सकती है। इन संस्थाओं और विश्वविद्यालयों के बीच सहयोग AI अनुसंधान एवं विकास पारितंत्र को उन्नत बना सकता है। 
  • सहयोग और उत्तरदायित्वपूर्ण AI अनुप्रयोग को बढ़ावा देना: ज्ञान, विशेषज्ञता एवं सर्वोत्तम अभ्यासों की साझेदारी के लिये शिक्षा जगत, उद्योग और अंतर्राष्ट्रीय भागीदारों के बीच सहयोग आवश्यक है। विश्व के देश इन सहयोगों को बढ़ावा देकर उत्तरदायित्वपूर्ण AI अनुप्रयोगों को विकसित कर सकते हैं, जो नैतिक मानकों, गोपनीयता नियमों एवं सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन करेंगे। 
  • कामगार संक्रमण के लिये नीतिगत और विधिक उपाय: कामगारों के लिये एक सुचारु संक्रमण सुनिश्चित करने हेतु उनके अधिकारों एवं आजीविका की रक्षा करने वाले नीतिगत एवं विधिक उपायों को लागू करना आवश्यक है। इन उपायों में सेवेरेंस पेमेंट, स्वचालन की अग्रिम सूचना देना और कार्यस्थल में भेदभावपूर्ण AI प्रणाली को प्रतिबंधित करने वाले विनियमन शामिल हो सकते हैं। ऐसे वातावरण के निर्माण से, जहाँ कामगारों को आसन्न परिवर्तनों के बारे में सूचित किया जाए और उन्हें समर्थन दिया जाए, रोज़गार विस्थापन से जुड़ी चिंताओं को कम किया जा सकता है। 
  • व्यवसाय पुनर्प्रशिक्षण के लिये ‘टैक्स ब्रेक’ और ‘इंसेंटिव’ प्रदान करना: व्यवसायों को अपने कामगारों को पुनर्प्रशिक्षित करने हेतु प्रेरित करने के लिये टैक्स ब्रेक, अनुदान या इंसेंटिव जैसे लाभ दिए जा सकते हैं। यह कंपनियों को अपने कार्यबल के कौशल विकास में निवेश हेतु प्रोत्साहित करेगा, जहाँ यह सुनिश्चित होगा कि उनके कामगार उभरते रोज़गार परिदृश्य के अनुरूप पूर्ण कौशल से तैयार हैं। ऐसे कार्यक्रम उन कंपनियों को कर लाभ प्रदान कर सकते हैं जो व्यापक प्रशिक्षण और पुनःकौशल के अवसर प्रदान करते हैं। 
  • सामाजिक सुरक्षा जाल को बढ़ाना: रोज़गार विस्थापन का सामना करने वाले कामगारों हेतु सुरक्षा जाल प्रदान करने के लिये सामाजिक सुरक्षा जाल (Social Safety Nets) को बढ़ाना महत्त्वपूर्ण है। इसमें कार्य की बदलती प्रकृति को समायोजित करने के लिये पेंशन, बीमा और नियोजन नियमों में सुधार करना शामिल हो सकता है। 
    • बेरोज़गारी लाभों को पुनः निर्धारित करने, बेरोज़गारी बीमा योजनाओं पर विचार करने और अस्थायी आय पूरकों का सृजन करने से प्रभावित कामगारों को संक्रमण के दौरान अपनी वित्तीय स्थितियों का प्रबंधन करने में मदद मिल सकती है। 
  • जॉब प्लेसमेंट सेवाएँ और सहायता: रणनीति के एक अंग के रूप में जॉब प्लेसमेंट सेवाओं के सृजन से विस्थापित कामगारों को उनके कौशल एवं आकांक्षाओं के अनुरूप नई भूमिकाओं की तलाश में सहायता मिल सकती है। इन सेवाओं में करियर परामर्श, जॉब मैचिंग और उभरते उद्योगों में नियोक्ताओं के साथ संपर्क प्रदान करने की सुविधा शामिल हो सकती है। रोज़गार बाज़ार में अनुकूल कार्यों की तलाश में सहायता प्रदान करने से कामगारों को अधिक प्रभावी ढंग से संक्रमण कर सकने में मदद मिल सकती है। 

AI क्षेत्र में सरकार द्वारा उठाए गए कदम: 

  • वर्ष 2020 में लॉन्च किया गया भारतीय राष्ट्रीय AI पोर्टल (National AI Portal of India) देश में कृत्रिम बुद्धिमत्ता से संबंधित विकास के लिये वन-स्टॉप डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म है। यह शिक्षा जगत, उद्योग और सरकार से संबद्ध विभिन्न हितधारकों के AI पहलों, संसाधनों, घटनाओं, अनुसंधान एवं नवाचार को प्रदर्शित करता है। 
  • पोर्टल के साथ लॉन्च किये गए ‘रिस्पॉन्सिबल AI फॉर यूथ’ (Responsible AI for Youth) कार्यक्रम का उद्देश्य AI का उपयोग कर सार्थक सामाजिक प्रभाव समाधान का सृजन करने के लिये युवा छात्रों को कौशल एवं ज्ञान के साथ सशक्त करना है। 
    • इसमें ऑनलाइन प्रशिक्षण मॉड्यूल, परियोजना-आधारित शिक्षा, मेंटॉरशिप और राष्ट्रीय स्तर की परियोजना प्रतियोगिता शामिल हैं। 
  • कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर वैश्विक साझेदारी (Global Partnership on Artificial Intelligence- GPAI)—जिसका भारत एक संस्थापक सदस्य है, AI के उत्तरदायी  विकास एवं उपयोग (जो मानवाधिकार, समावेशन, विविधता, नवाचार एवं आर्थिक विकास पर आधारित हो) का मार्गदर्शन करने के लिये एक अंतर्राष्ट्रीय एवं बहु-हितधारक पहल है।  
  • भारत की AI रणनीति ‘AI for All’ के रूप में जानी जाती है, जो समावेशी विकास के लिये AI का लाभ उठाने पर केंद्रित है और जो देश के ‘सामाजिक भलाई के लिये AI’ (AI for Social Good) के दृष्टिकोण का प्रतिनिधित्व करती है। 
    • इसे नीति आयोग (NITI Aayog) द्वारा वर्ष 2018 में तैयार किया गया था और यह AI के अनुप्रयोग के लिये पाँच मुख्य क्षेत्रों दायरे में लेती है: कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य, स्मार्ट सीटीज़/अवसंरचना और परिवहन। 
  • NASSCOM के साथ साझेदारी में इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) द्वारा लॉन्च किया गया ‘FutureSkills PRIME’ कार्यक्रम AI सहित अन्य उभरती प्रौद्योगिकियों में IT पेशेवरों को रि-स्किल/अप-स्किल प्रदान करने के लिये एक बिजनेस-टू-कंज्यूमर (B2C) ढाँचा है। 
    • यह शिक्षार्थियों को ऑनलाइन पाठ्यक्रम, मूल्यांकन, प्रमाणन और मान्यता बैज प्रदान करता है। 

अभ्यास प्रश्न: जेनरेटिव AI के अनुप्रयोगों को रेखांकित करते हुए भारतीय अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभाव की चर्चा कीजिये। इस संदर्भ में नकारात्मक परिणामों को संबोधित करते हुए अधिकतम लाभ उठा सकने के लिये नीतिगत दृष्टिकोणों के सुझाव दीजिये। 

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न   

प्रिलिम्स

प्रश्न. विकास की वर्तमान स्थिति में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) निम्नलिखित में से किस कार्य को प्रभावी रूप से कर सकती है? (2020) 

  1. औद्योगिक इकाइयों में विद्युत की खपत कम करना  
  2. सार्थक लघु कहानियों और गीतों की रचना   
  3. रोगों का निदान  
  4. टेक्स्ट से स्पीच (Text-to-Speech) में परिवर्तन 
  5. विद्युत ऊर्जा का बेतार संचरण  

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: 

(a) केवल 1, 2, 3 और 5
(b) केवल 1, 3 और 4 
(c) केवल 2, 4 और 5 
(d) 1, 2, 3, 4 और 5 

उत्तर: (b) 


प्रश्न. निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिये: (2018)

 कभी-कभी खबरों में रहे शब्द                 संदर्भ/विषय

  1. बेल II प्रयोग              -                    कृत्रिम  बुद्धिमत्ता
  2. ब्लॉकचेन                  -                    डिजिटल/क्रिप्टोकरेंसी                    
  3. CRISPR - Cas9     -                     कण भौतिकी

उपर्युक्त युग्मों में से कौन-सा/से सही सुमेलित है/हैं?

(a) केवल 1 और 3
(b) केवल 2
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: B 


मेन्स:

प्र. भारत के प्रमुख शहरों में आईटी उद्योगों के विकास से उत्पन्न होने वाले मुख्य सामाजिक-आर्थिक निहितार्थ क्या हैं? (2021)

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