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डेली न्यूज़

  • 05 Jun, 2024
  • 54 min read
इन्फोग्राफिक्स

महासागरों की उष्णता

Ocean Warming

और पढ़ें: हिंद महासागर के तापमान में वृद्धिसमुद्री हीटवेव और उसके प्रभाव


भूगोल

टोंगा ज्वालामुखी का मौसम पर प्रभाव

प्रिलिम्स के लिये:

हुंगा टोंगा-हुंगा हापाई, पिनातुबो, क्राकाटोआ, तंबोरा, समालास, ग्रीनहाउस गैसें, अल-नीनो, पेरिस समझौता, IPCC, कूलिंग क्रेडिट, सन डिमिंग।

मेन्स के लिये:

ग्लोबल वार्मिंग पर ज्वालामुखी का प्रभाव, ज्वालामुखी के प्रकार

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों?

जर्नल ऑफ क्लाइमेट में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन से पता चला है कि जनवरी 2022 में हुंगा टोंगा-हुंगा हापाई ज्वालामुखी के विस्फोट का वैश्विक मौसम के पैटर्न पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है।

हुंगा टोंगा-हुंगा हापाई ज्वालामुखी: 

  • यह एक अंतर-समुद्री ज्वालामुखीय विस्फोट है जिसमें दो छोटे निर्जन द्वीप, हुंगा-हापाई और हुंगा-टोंगा शामिल हैं।
    • पिछले कुछ दशकों से इस ज्वालामुखी में नियमित रूप से विस्फोट रहा है।
  • यह ज्वालामुखी द्वारा प्रति हज़ार वर्ष में किये जाने वाले सबसे बड़े विस्फोटों में से एक है।
  • इसके अत्यधिक विस्फोटक होने का एक कारण ईंधन-शीतलक परस्पर क्रिया (Fuel-Coolant interaction) है।
  • हुंगा टोंगा विस्फोट की अनूठी विशेषता यह है कि इससे समताप मण्डल में बड़े पैमाने पर जलवाष्प का उत्सर्जन होता है।
    • आमतौर पर ज्वालामुखीय धुआँ, जिसमें अधिकांशतः सल्फर डाइऑक्साइड होता है, पृथ्वी की सतह को अस्थायी रूप से शीतल कर देता है।
      • जब सल्फर डाइऑक्साइड को सल्फेट एरोसोल में परिवर्तित किया जाता है, तो सूर्य का प्रकाश अंतरिक्ष में परावर्तित होती है, जिससे सतह का तापमान कम हो जाता है, जब तक कि सल्फेट या तो सतह पर वापस नहीं आ जाता या वर्षा द्वारा विस्थापित नहीं कर दिया जाता।

हुंगा टोंगा ज्वालामुखी का जलवायु पर क्या प्रभाव पड़ेगा?

  • वर्ष 2023 में असाधारण ओज़ोन छिद्र:
    • चूँकि, हुंगा टोंगा एक अंतर समुद्री ज्वालामुखी है, इसलिये इसके विस्फोट के दौरान 100-150 मिलियन टन जलवाष्प उत्पन्न हुई, जिससे समताप मंडल में जल की मात्रा लगभग 5% बढ़ गई।
      • समताप मंडल में यह जलवाष्प ओज़ोन परत के विनाश में योगदान देती है तथा एक शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैस के रूप में कार्य करती है।
    • अध्ययन में पाया गया कि अगस्त से दिसंबर 2023 तक देखे गए वृहद ओज़ोन छिद्र का मुख्य कारण आंशिक रूप से हुआ टोंगा विस्फोट था।
    • यह ओज़ोन छिद्र लगभग दो वर्ष पहले ही बन गया था, क्योंकि विस्फोट से उत्पन्न जलवाष्प को अंटार्कटिका के ऊपर ध्रुवीय समतापमण्डल तक पहुँचने के लिये पर्याप्त समय मिल गया था।
  • ऑस्ट्रेलिया में ग्रीष्मकालीन आर्द्रता में वृद्धि:
    • उपर्युक्त अध्ययन के अनुसार, यदि दक्षिणी वलयाकार मोड (Southern Annular Mode) गर्मियों के दौरान सकारात्मक चरण में प्रवेश करता है, तो ऑस्ट्रेलिया में वर्ष 2024 में आर्द्रता युक्त गर्मी का अनुभव होने की अधिक संभावना होगी।
    • यह अपेक्षित अल-नीनो स्थितियों के विपरीत था और मॉडल दो वर्ष पूर्व ही इसका पूर्वानुमान लगाने में सक्षम था।
  • क्षेत्रीय मौसम व्यवधान:
    • अध्ययन में अनुमान लगाया गया है कि वर्ष 2029 तक ऑस्ट्रेलिया के उत्तरी भाग में सामान्य से अधिक ठंड और वर्षा होगी।
    • उत्तरी अमेरिका में सर्दियाँ सामान्य से अधिक गर्म हो सकती हैं, जबकि स्कैंडिनेविया में सर्दियाँ सामान्य से अधिक ठंडी हो सकती हैं।
    • इन क्षेत्रीय मौसम पैटर्नों का कारण, टोंगा विस्फोट के परिणामस्वरूप वायुमंडलीय तरंगों के प्रवाह पर पड़ने वाला प्रभाव है, जो स्थानीय मौसम की स्थिति को प्रत्यक्षतः प्रभावित करता है।
      • यह क्षेत्र-विशिष्ट जलवायु पूर्वानुमान और अनुकूलन रणनीतियों की आवश्यकता पर बल देता है।
  • वैश्विक तापमान पर न्यूनतम प्रभाव:
    • वैश्विक औसत तापमान पर विस्फोट का प्रभाव बहुत कम, लगभग 0.015°C था।
    • लगभग एक वर्ष तक देखे गए अविश्वसनीय रूप से उच्च तापमान को टोंगा विस्फोट के उद्भव का कारण नहीं माना जा सकता।

अंतर-समुद्री ज्वालामुखी :

  • अंतर-समुद्री ज्वालामुखी (Undersea Volcano) विस्फोट एक ऐसे ज्वालामुखी में होता है जो समुद्र की सतह के नीचे स्थित होता है। समुद्र के भीतर अनुमानित एक मिलियन ज्वालामुखी हैं और उनमें से अधिकांश टेक्टोनिक प्लेटों के निकट स्थित हैं।
  • इन छिद्रों से लावा के अतिरिक्त राख भी निकलती है। ये समुद्र के तल पर जमा हो जाते हैं और समुद्री टीले (जल के नीचे स्थित पर्वत जो समुद्र के तल पर निर्मित होते हैं लेकिन जल की सतह तक नहीं पहुंँचते हैं) का निर्माण करते हैं।

ईंधन-शीतलक इंटरैक्शन:

  • यदि मैग्मा समुद्र के जल में धीरे-धीरे ऊपर उठता है, तो लगभग 1200 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर भी मैग्मा तथा जल के बीच भाप की एक पतली परत निर्मित होती है। यह मैग्मा की बाह्य सतह को शीतल करने के लिये इंसुलेशन परत के रूप में कार्य करती है। लेकिन यह प्रक्रिया तब प्रभावी नहीं होती जब तक कि ज्वालामुखी गैस से भरी मैग्मा का विस्फोट न हो।
  • जब मैग्मा तेज़ी से जल में प्रवेश करता है तो भाप की परत जल्द ही बाधित हो जाती है, जिससे गर्म मैग्मा शीतल जल के साथ सीधे संपर्क में आ जाता है। यह हथियार-स्तर के रासायनिक विस्फोटों के समान है।
    • अत्यंत हिंसक विस्फोटों से मैग्मा अलग-अलग हो जाता है।
  • एक शृंखला प्रतिक्रिया तब शुरू होती है, जब नए मैग्मा के टुकड़े जल के लिये गर्म आंतरिक सतहों (Hot Interior Surfaces) को उजागर करते हैं और विस्फोट अंततः ज्वालामुखी कणों को बाहर निकालते हैं तथा सुपरसोनिक गति के साथ विस्फोट करते हैं।

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टोंगा:

  • टोंगा ओशिनिया के भाग पोलिनेशिया में एक द्वीप देश है, इसमें 171 द्वीप हैं, जिनमें से केवल 45 पर लोग रहते हैं।
  • यह देश उत्तर-दक्षिण में लगभग 800 किमी. तक फैला है तथा फिजी, वालिस व फ्यूचूना, समोआ, न्यू कैलेडोनिया, वानुअतु, नियू और केरमाडेक से घिरा हुआ है।
  • टोंगा की जलवायु उष्णकटिबंधीय वर्षावन जैसी है। इसकी अर्थव्यवस्था विदेशों में रहने वाले टोंगावासियों, विशेष रूप से ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड और संयुक्त राज्य अमेरिका से आने वाले धन पर बहुत अधिक निर्भर करती है।
  • इसकी अर्थव्यवस्था हस्तशिल्प और कृषि जैसे लघु उद्योगों पर केंद्रित है तथा पर्यटन एवं संचार जैसे क्षेत्रों को बढ़ाने के प्रयास भी किये जा रहे हैं।
  • टोंगा में सबसे बड़ा जातीय समूह टोंगन है, जिसके बाद टोंगन, चीनी, फिजी, यूरोपीय और अन्य प्रशांत द्वीप वासी आते हैं।

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दृष्टि मेन्स प्रश्न: 

ज्वालामुखी विस्फोट के लिये ज़िम्मेदार कारकों पर चर्चा कीजिये। साथ ही भारत में ज्वालामुखीय खतरों के प्रबंधन के लिये शमन रणनीतियों का सुझाव दीजिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित पर विचार कीजिये: (2013)

  1. विद्युत चुंबकीय विकिरण
  2. भूतापीय ऊर्जा
  3. गुरुत्वीय बल
  4. प्लेट संचलन
  5. पृथ्वी का घूर्णन
  6. पृथ्वी की परिक्रमण

उपर्युक्त में से कौन-से पृथ्वी के पृष्ठ पर गतिक परिवर्तन लाने के लिये ज़िम्मेदार हैं?

(a) केवल 1, 2, 3 और 4
(b) केवल 1, 3, 5 और 6
(c) केवल 2, 4, 5 और 6
(d) 1, 2, 3, 4, 5 और 6

उत्तर: (d)


मेन्स:

प्रश्न. भूकंप संबंधित संकटों  के लिये भारत की भेद्यता की विवेचना कीजिये। पिछले तीन दशकों में, भारत के विभिन्न भागों में भूकंप द्वारा उत्पन्न बड़ी आपदाओं के उदाहरण प्रमुख विशेषताओं के साथ दीजिये। (2021)

प्रश्न. क्या कारण है कि संसार का वलित पर्वत (फोल्डेड माउंटेन) तंत्र महाद्वीपों के सीमांतों के साथ-साथ अवस्थित हैं? वलित पर्वतों के वैश्विक वितरण और भूकंपों एवं ज्वालामुखियों के बीच साहचर्य को उजागर कीजिये। (2014)

प्रश्न. वर्ष 2021 में घटित ज्वालामुखी विस्फोटों की वैश्विक घटनाओं का उल्लेख करते हुए क्षेत्रीय पर्यावरण पर उनके द्वारा पड़े प्रभाव को बताइये। (2021)


भारतीय राजनीति

व्यक्तित्त्व अधिकार

प्रिलिम्स के लिये:

पर्सनैलिटी राइट्स, निजता का अधिकार, अनुच्छेद 21, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI)। 

मेन्स के लिये:

सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-प्रौद्योगिकी, जैव-प्रौद्योगिकी और बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित मुद्दों के क्षेत्र में जागरूकता।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों?

हॉलीवुड एक्ट्रेस और OpenAI के बीच हालिया विवाद आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) मॉडल के संदर्भ में पर्सनैलिटी राइट्स के महत्त्व को उजागर करता है।

  • अभिनेत्री ने ChatGPT की कृत्रिम बुद्धिमत्ता कंपनी OpenAI पर उसकी आवाज़ का उपयोग करने का आरोप लगाया, जबकि उन्होंने पहले कंपनी के CEO के लाइसेंस अनुरोध को अस्वीकार कर दिया था।
  • इससे पहले, न्यूयॉर्क टाइम्स (NYT) ने OpenAI और माइक्रोसॉफ्ट के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की थी, जिसमें ChatGPT सहित AI मॉडल को प्रशिक्षित करने के लिये इसकी कॉपीराइट सामग्री के अनधिकृत उपयोग का आरोप लगाया गया था।

पर्सनैलिटी राइट्स (व्यक्तित्त्व अधिकार) क्या हैं?

  • परिचय: 
    • पर्सनैलिटी राइट्स से तात्पर्य किसी व्यक्ति के अपने व्यक्तित्व की रक्षा करने के अधिकार से है, जो निजता या संपत्ति के व्यापक अधिकार का एक हिस्सा है।
    • ये अधिकार किसी सेलिब्रिटी के सार्वजनिक व्यक्तित्व के विभिन्न पहलुओं को शामिल करते हैं, जिसमें उसका नाम, आवाज़, हस्ताक्षर, छवि, विशिष्ट विशेषताएँ, तौर-तरीके, मुद्राएँ आदि शामिल होते हैं।
  • प्रकार:
    • निजता का अधिकार: 
      • यह किसी व्यक्ति के व्यक्तिगत जानकारी और मामलों पर नियंत्रण की रक्षा करता है। 
      • यह व्यक्तिगत विवरणों के अनधिकृत प्रकटीकरण या किसी के निजी जीवन में हस्तक्षेप को रोकता है। 
      • पुट्टस्वामी बनाम भारत संघ, 2017 मामले में सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय में इसकी पुष्टि की गई है।
    • प्रचार का अधिकार: 
      • इससे व्यक्तियों को अपने नाम, छवि, समानता या अन्य पहचान योग्य विशेषताओं के व्यावसायिक उपयोग पर नियंत्रण मिलता है। 
      • वे चुन सकते हैं कि उनकी पहचान के इन पहलुओं का उपयोग उत्पाद समर्थन या विज्ञापन के लिये कैसे किया जाए अथवा नहीं किया जाए।
  • महत्त्व: 
    • ये अधिकार मशहूर हस्तियों के लिये महत्त्वपूर्ण होते हैं, क्योंकि विभिन्न कंपनियाँ अपनी बिक्री बढ़ाने के लिये विभिन्न विज्ञापनों में उनके नाम, फोटो या यहाँ तक ​​कि आवाज़ का सरलता से दुरुपयोग कर सकती हैं।

भारत में व्यक्तित्त्व अधिकारों की क्या स्थिति है? 

  • यद्यपि भारतीय कानूनों में व्यक्तित्त्व अधिकारों का स्पष्ट रूप से उल्लेख नहीं किया गया है, फिर भी उन्हें निजता और संपत्ति अधिकार से संबंधित सिद्धांतों के माध्यम से संरक्षित किया गया है।
  • प्रमुख कानूनी प्रावधान:
    • भारतीय संविधान का अनुच्छेद 21: 
      • यद्यपि व्यक्तित्त्व अधिकारों के लिये कोई विशिष्ट कानून नहीं है, फिर भी संविधान के अनुच्छेद 21 में निहित निजता का अधिकार भारत में निकटतम कानूनी सुरक्षा प्रदान करता है।
    • कॉपीराइट अधिनियम, 1957: 
      • कॉपीराइट अधिनियम 1957, हालाँकि प्रत्यक्ष रूप से व्यक्तित्त्व अधिकारों को संबोधित नहीं करता है, लेकिन बौद्धिक संपदा अधिकार (Intellectual Property Rights- IPR) मामलों में "पासिंग ऑफ (Passing off)" और "धोखा" जैसी अवधारणाओं के माध्यम से अप्रत्यक्ष सुरक्षा प्रदान करता है।
      • "पासिंग ऑफ" तब होता है जब कोई व्यक्ति अपने सामान या सेवाओं को किसी और का बताकर मिथ्यापूर्ण तरीके से प्रस्तुत करता है। 
      • यह व्यक्तित्व अधिकारों के लिये प्रासंगिक हो सकता है, यदि:
        • कोई व्यक्ति किसी सेलिब्रिटी के नाम या छवि का उपयोग किसी उत्पाद के प्रचार के लिये उनकी अनुमति के बिना करता है, जिससे आम जनता में यह धारणा बनती है कि सेलिब्रिटी उस उत्पाद से जुड़ा हुआ है।
        • कोई व्यक्ति किसी प्रसिद्ध व्यक्तित्व से इतना मिलता-जुलता चरित्र या छवि निर्मित कर देता है कि जनता को यह भ्रम हो जाता है कि यह वास्तविक व्यक्ति है।
      • धोखा तब होता है जब कोई, किसी व्यक्ति के नाम या छवि का उपयोग धोखाधड़ी या किसी को गुमराह करने के उद्देश्य से करता है, कॉपीराइट उल्लंघन का तर्क देना संभव हो सकता है, विशेषकर यदि उपयोग व्यक्ति की प्रतिष्ठा को हानि पहुँचाता है।
    • भारतीय ट्रेडमार्क अधिनियम, 1999: 
      • धारा 14 व्यक्तिगत नाम और प्रतिनिधित्व के उपयोग को प्रतिबंधित करती है।
    • न्यायालय के निर्णय: 
      • न्यायालय ने इस बात पर ज़ोर दिया कि सार्वजनिक हस्तियों को भी प्रचार का समान अधिकार है। न्यायालय ने इस बात पुष्टि की कि प्रचार के अधिकार विरासत में मिलते हैं और उन्हें विभाजित किया जा सकता है।
      • कृष्ण किशोर सिंह बनाम सरला ए. सरावगी केस, 2021 में, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने माना कि प्रचार का अधिकार निजता के अधिकार से अलग है।
        • न्यायालय ने यह भी कहा कि नाम, व्यक्तिगत पहचानकर्त्ता होने के अलावा, अपना विशिष्ट महत्त्व भी प्राप्त कर सकता है।
      • अरुण जेटली बनाम नेटवर्क सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड, 2011 मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा था कि किसी व्यक्ति की लोकप्रियता या प्रसिद्धि इंटरनेट पर भी उतनी ही महत्त्वपूर्ण है जितनी वास्तविक जीवन में।
        • न्यायालयों ने प्रचार के अधिकार को मान्यता दी है, जिससे मशहूर हस्तियों को अपने नाम, छवि और व्यक्तित्त्व को अनधिकृत उपयोग से बचाने की अनुमति मिलती है।
    • उदाहरण:
      • मई 2024 में दिल्ली उच्च न्यायालय ने जैकी श्रॉफ के व्यक्तित्व और प्रचार अधिकारों को बरकरार रखा तथा विभिन्न ई-कॉमर्स स्टोर, AI चैटबॉट्स (AI Chatbots) व अन्य को अभिनेता की सहमति के बिना उनके नाम, छवि, आवाज़ एवं समानता का उपयोग करने से रोक दिया।
      • इसी तरह, सितंबर 2023 में अभिनेता अनिल कपूर को भी उनके चित्राधिकार या छवि अधिकार हेतु  कानूनी संरक्षण प्राप्त हुआ।
        • दिल्ली उच्च न्यायालय ने 16 संस्थाओं पर प्रतिबंध लगाते हुए उन्हें वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिये उनके नाम, छवि या प्रतिरूपी का उपयोग करने से रोक दिया।
      • वर्ष 2010 में डी.एम. एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड बनाम बेबी गिफ्ट हाउस के मामले में, दलेर मेहंदी की कंपनी दिल्ली उच्च न्यायालय में विजयी हुई। यह मामला दलेर  मेहंदी की शक्ल की नकल करके उनके गाने गाने वाली गुड़िया बेचने वाली दुकानों से जुड़ा था।
        • न्यायालय ने मेहंदी के अपनी सार्वजनिक छवि को व्यावसायिक रूप से नियंत्रित करने के अधिकार को बरकरार रखा।

भारत में AI विनियमन की स्थिति क्या है?

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दृष्टि मेन्स प्रश्न: 

प्रश्न. भारत में व्यक्तित्त्व अधिकारों के लिये कानूनी ढाँचे पर चर्चा कीजिये। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार के साथ उन्हें सामंजस्य स्थापित करने में आने वाली चुनौतियों का विश्लेषण कीजिये। 

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न   

प्रिलिम्स: 

प्रश्न 1. भारत के संविधान के किस अनुच्छेद के अंतर्गत 'निजता का अधिकार' संरक्षित है? (2021)

(a) अनुच्छेद 15
(b) अनुच्छेद 19
(c) अनुच्छेद 21
(d) अनुच्छेद 29

उत्तर: (c)


प्रश्न 2. निजता के अधिकार को जीवन एवं व्यक्तिगत स्वतन्त्रता के अधिकार के अंतर्भूत भाग के रूप में संरक्षित किया जाता है। भारत के संविधान में निम्नलिखित में से किससे उपर्युक्त कथन सही एवं समुचित ढंग से अर्थित होता है? (2018)

(a) अनुच्छेद 14 एवं संविधान के 42वें संशोधन के अधीन उपबंध
(b) अनुच्छेद 17 एवं भाग IV में दिये राज्य की नीति के निदेशक तत्त्व
(c) अनुच्छेद 21 एवं भाग III में गारंटी की गई स्वतंत्रताएँ
(d) अनुच्छेद 24 एवं संविधान के 44वें संशोधन के अधीन उपबंध

उत्तर: (c)


प्रश्न 3. विकास की वर्तमान स्थिति में, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence) निम्नलिखित में से किस

  1. कार्य को प्रभावी रूप से कर सकती है? (2020)
  2. औद्योगिक इकाइयों में विद्युत् की खपत कम करना 
  3. सार्थक लघु कहानियों और गीतों की रचना 
  4. रोगों का निदान
  5. टेक्स्ट से स्पीच (Text-to-Speech) में परिवर्तन
  6. विद्युत् ऊर्जा का बेतार संचरण

नीचे दिये गए कूट का उपयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1,2,3 और 5
(b) केवल 1,3 और 4
(c) केवल 2,4 और 5
(d) 1,2,3,4 और 5

उत्तर: (b)


मेन्स:

प्रश्न. वैश्वीकृत संसार में, बौद्धिक संपदा अधिकारों का महत्त्व हो जाता है और वे मुकद्दमेबाज़ी का एक स्रोत हो जाते हैं। कॉपीराइट, पेटेंट और व्यापार गुप्तियों के बीच मोटे तौर पर विभेदन कीजिये। (2014)


नीतिशास्त्र

सत्य के अनेक पहलू

प्रिलिम्स के लिये:

महात्मा गांधी, अहिंसा, सत्याग्रह 

मेन्स के लिये:

सत्य की दुविधाएँ और जटिलता, ऐतिहासिक आख्यानों में नैतिक दुविधाएँ, नैतिक आचरण और लोकतांत्रिक लोकाचार, महात्मा गांधी की शिक्षाओं की प्रासंगिकता और महत्त्व

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों?

सहस्राब्दियों से दार्शनिक सत्य की प्रकृति, जानने की योग्यता तथा क्या वह सार्वभौमिक है या व्यक्तिपरक है, जैसे प्रश्नों से जूझते रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप इस अवधारणा पर विभिन्न दृष्टिकोण सामने आए हैं।

सत्य के संबंध में विभिन्न विचारकों के दृष्टिकोण क्या हैं?

  • पत्राचार सिद्धांत:
    • अरस्तू और बर्ट्रेंड रसेल जैसे विचारकों का मानना ​​है कि सत्य का निर्धारण हमारे कथनों या विचारों तथा बाह्य विश्व के मध्य स्थापित सामंजस्य से होता है अर्थात् एक कथन सत्य है यदि वह वास्तविकता को सटीक रूप से प्रतिबिंबित करता है।
    • उदाहरण के लिये "घास हरी है" सत्य है क्योंकि वास्तविक संसार में घास में हरेपन का गुण होता है।
    • यह सिद्धांत उन अमूर्त सत्यों (जैसे, गणितीय प्रमेय) पर विचार नहीं करता जो प्रत्यक्ष रूप से भौतिक वास्तविकता से समानता नहीं रखते हैं।
  • सुसंगति सिद्धांत:
    • इमैनुअल कांट और फ्रेडरिक हेगेल जैसे विचारकों का मानना ​​है कि सत्य का निर्धारण विचारों की आंतरिक संगति से होता है, जहाँ एक कथन तभी सत्य होता है जब वह ज्ञान के स्थापित ढाँचे के साथ सुसंगत हो।
    • उदाहरण के लिये वैज्ञानिक सिद्धांतों को सत्य माना जाता है, यदि वे आंतरिक रूप से सुसंगत हों और व्यापक प्रकार की घटनाओं की व्याख्या करते हों।
    • यह सिद्धांत संकीर्ण विचार प्रणालियों (Closed Belief Systems) को जन्म दे सकता है जो मौजूदा ढाँचे के विपरीत नए साक्ष्य का विरोध करते हैं।
  • व्यावहारिक सिद्धांत:
    • विलियम जेम्स और जॉन डेवी जैसे विचारकों का तर्क है कि किसी कथन की सत्यता उसकी व्यावहारिक उपयोगिता एवं सफल परिणाम देने की उसकी क्षमता द्वारा निर्धारित होती है।
    • उदाहरण: गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत सत्य माना जाता है क्योंकि यह हमें वस्तुओं की गति का पूर्वानुमान लगाने और स्थिर संरचनाएँ बनाने की अनुमति देता है।
    • यह सिद्धांत सत्य को संदर्भ के सापेक्ष बनाता है तथा मानवीय उपयोगिता से स्वतंत्र वस्तुनिष्ठ तथ्यों को ध्यान में नहीं रखता।
  • महात्मा गांधी की सत्य की खोज:
    • ईश्वरीय सत्य और अहिंसा:
      • गांधीजी का सत्य केवल तथ्यात्मक सटीकता नहीं था। उन्होंने इसे परम सत्य, ईश्वर के बराबर बताया।
      • सत्य स्वाभाविक रूप से स्पष्ट है, लेकिन यह तभी स्पष्ट होता है जब इसके आस-पास का अज्ञान दूर हो जाता है। इस परम सत्य को अहिंसा के माध्यम से समझा जा सकता है।
      • उनका सत्य केवल एक अवधारणा नहीं है, बल्कि ईश्वर के समतुल्य एक शाश्वत सिद्धांत है, जो सत्य की खोज और अहिंसा के अभ्यास को अविभाज्य बनाता है।
      • सत्य की अंतहीन खोज में आत्मनिरीक्षण, निरंतर प्रश्न पूछना और गलतियों को स्वीकार करने की तत्परता शामिल थी, जिसमें सत्य को एक निर्धारित समापन बिंदु के बजाय आत्म-खोज की एक सतत् यात्रा के रूप में देखना आवश्यक है।
    • सत्य का क्रियान्वयन:
      • सत्य के प्रति गांधी की प्रतिबद्धता उनके विरोध के तरीकों तक फैली हुई थी। उन्होंने सत्याग्रह की रचना की, जिसका अर्थ है "सत्य बल।"
      • सत्याग्रहियों अर्थात् गांधीजी के अनुयायियों का उद्देश्य सविनय अवज्ञा और अटल सत्यनिष्ठा के माध्यम से उत्पीड़कों की अंतरात्मा को जागृत करना था।

सत्य की दुविधाएँ और जटिलताएँ क्या हैं?

  • सत्य की जटिलता:
    • भारत के राष्ट्रीय प्रतीक चिह्न, अशोक स्तंभ पर स्थित तीन सिंह, सत्य के तीन दृष्टिकोणों के प्रतीक हैं: मेरा सत्य, आपका सत्य, और एक पर्यवेक्षक का सत्य।
    • सत्य का चौथा, अपरिमेय आयाम अक्सर इस कहावत की ओर ले जाता है, "केवल ईश्वर ही सत्य जानता है।"
    • उदाहरण के लिये, चुनाव के दौरान भारत निर्वाचन आयोग का कार्य चुनौतीपूर्ण हो जाता है।
      • चुनौती यह है कि राजनीतिक दल अक्सर चालाकी से जातिगत या सांप्रदायिक भाषा का प्रयोग करते हैं, जिससे निर्वाचन आयोग के लिये कार्रवाई करना कठिन हो जाता है।
      • आदर्श आचार संहिता (Model Code of Conduct- MCC), हालाँकि इन आधारों पर स्पष्ट अपील पर प्रतिबंध लगाती है, लेकिन इसमें मौजूद दोषों के कारण राजनीतिक दल अप्रत्यक्ष रूप से विभाजनकारी बयानबाज़ी कर सकते हैं।
  • सत्य और असत्य की दुविधा:
    • महाभारत में युधिष्ठिर के अर्धसत्य जैसे ऐतिहासिक और पौराणिक आख्यान, सत्य के साथ छेड़छाड़ किये जाने पर सामने आने वाली नैतिक दुविधाओं को दर्शाते हैं।
    • युधिष्ठिर द्वारा अश्वत्थामा की मृत्यु की घोषणा के कारण गलत व्याख्या हुई, जिसके कारण द्रोणाचार्य की मृत्यु हो गई।
    • यह कहानी उन नैतिक जटिलताओं को रेखांकित करती है जो तब उत्पन्न होती हैं जब रणनीतिक उद्देश्यों के लिये सत्य के साथ छेड़छाड़ की जाती है तथा नैतिक उच्चता के संभावित नुकसान को उजागर करती है।

निष्कर्ष:

  • "सत्यमेव जयते" का सिद्धांत भारत के लोकतांत्रिक लोकाचार के लिये एक मार्गदर्शक बना हुआ है। 
  • हालाँकि, हमारे दैनिक जीवन में इस सिद्धांत के व्यावहारिक अनुप्रयोग के लिये सभी हितधारकों द्वारा नैतिक आचरण के प्रति दृढ़ प्रतिबद्धता की आवश्यकता है।
  • इसे राजनीतिक नेतृत्वकर्त्ताओं और नागरिकों के मध्य सामूहिक नैतिक जागृति द्वारा समर्थित किया जाना आवश्यक है।
  • यह सुनिश्चित करने के लिये कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया में सत्य की जीत हो, निरंतर सतर्कता, आत्मनिरीक्षण तथा विधि के शासन और नैतिक मूल्यों के प्रति अटूट प्रतिबद्धता की आवश्यकता होती है।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न: प्रभावी शासन और नीति निर्माण के संदर्भ में, समकालीन घटनाओं के उदाहरणों के साथ, सामाजिक वास्तविकताओं को समझने में सत्य के विविध आयामों को पहचानने के महत्त्व पर विवेचना कीजिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

मेन्स:

प्रश्न. "भ्रष्टाचार सरकारी राजकोष का दुरुपयोग, प्रशासनिक अदक्षता एवं राष्ट्रीय विकास के मार्ग में बाधा उत्पन्न करता है।" कौटिल्य के विचारों की विवेचना कीजिये। (2016)

प्रश्न. निम्नलिखित में से प्रत्येक उद्धरण का आपके विचार से क्या अभिप्राय है? (2021)

(a): "प्रत्येक कार्य की सफलता से पहले उसे सैकड़ों कठिनाइयों से गुज़रना पड़ता है। जो दृढ़निश्चयी हैं वे ही देर-सबेर प्रकाश को देख पाएंगे।" -स्वामी विवेकानंद
(b): "हम बाहरी दुनिया में तब तक शांति प्राप्त नहीं कर सकते जब तक कि हम अपने भीतर शांति प्राप्त नहीं कर लेते।" - दलाई लामा
(c): "परस्पर निर्भरता के बिना जीवन का कोई अर्थ नहीं है। हमें एक-दूसरे की ज़रूरत है और जितनी हम जल्दी इसे सीख लें यह हम सबके लिये उतना ही अच्छा है।" - एरिक एरिक्सन


जैव विविधता और पर्यावरण

विश्व पर्यावरण दिवस 2024

प्रिलिम्स के लिये:

विश्व पर्यावरण दिवस, संयुक्त राष्ट्र सभा, स्टॉकहोम कन्वेंशन, COP, NAP, लाइफ आंदोलन

मेन्स के लिये:

विश्व पर्यावरण दिवस, पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकता और संबंधित पहल

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों?

पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिये प्रतिवर्ष 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है।

  • वनों की कटाई को नियंत्रित करने और जैवविविधता को बहाल करने की एक उल्लेखनीय पहल में, दो पर्यावरणविदों ने बाघ अभयारण्यों के भीतर भारत के पहले बायोस्फीयर के निर्माण का नेतृत्व किया है।

टाइगर रिज़र्व में भारत का पहला बायोस्फीयर:

  • हाल ही में दो पर्यावरणविदों, जय धर गुप्ता और विजय धस्माना ने उत्तराखंड के राजाजी राष्ट्रीय उद्यान के भीतर एक टाइगर रिज़र्व में भारत का पहला बायोस्फीयर बनाया, जिसे राजाजी राघाटी बायोस्फीयर (RRB) कहा जाता है।
  • बायोस्फीयर एक 35 एकड़ की निजी वन पहल है जिसका उद्देश्य क्षेत्र को शिकारियों और खनन से बचाते हुए देशी वृक्षों की दुर्लभ और लुप्तप्राय प्रजातियों की पहचान करना और उन्हें पुनर्जीवित करना है।
  • RRB के लिये निर्धारित भूमि पहले बंजर और क्षरित अवस्था में थी।
  • वे पश्चिमी घाट के साथ महाराष्ट्र के पुणे के पास सह्याद्री टाइगर रिज़र्व के बफर जोन में कोयना नदी के ऊपर एक दूसरा बायोस्फीयर भी विकसित कर रहे हैं।

‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान’ 

  • इसकी शुरुआत भारत के कार्यवाहक प्रधानमंत्री ने 5 जून 2024 को विश्व पर्यावरण दिवस पर दिल्ली के बुद्ध जयंती पार्क में पीपल का पेड़ लगाकर की थी।
  • उन्होंने देश वाशियों से आग्रह किया कि वे संधारणीय जीवनशैली अपनाकर प्रकृति की रक्षा करें और अपने ग्रह को बेहतर बनाने में योगदान दें।

विश्व पर्यावरण दिवस के बारे में मुख्य तथ्य क्या हैं?

  • परिचय:
    • संयुक्त राष्ट्र सभा ने वर्ष 1972 में विश्व पर्यावरण दिवस की स्थापना की, जो मानव पर्यावरण पर स्टॉकहोम कन्वेंशन का प्रथम दिन था।
    • विश्व पर्यावरण दिवस (WED) प्रतिवर्ष एक विशिष्ट थीम और नारे के साथ मनाया जाता है जो उस समय के प्रमुख पर्यावरणीय मुद्दों पर केंद्रित होता है।
      • वर्ष 2024 में WED की मेज़बानी सऊदी अरब करेगा।
      • भारत ने वर्ष 2018 में ‘प्लास्टिक प्रदूषण को हराएँ’ थीम के अंतर्गत विश्व पर्यावरण दिवस के 45वें समारोह की मेज़बानी की।
    • वर्ष 2021 में WED समारोह ने पारिस्थितिकी तंत्र बहाली पर संयुक्त राष्ट्र दशक (2021-2030) की शुरुआत की, जो वनों से लेकर खेतों तक, पर्वतों की चोटियों से लेकर सागर की गहराई तक अरबों हेक्टेयर भूमि को पुनर्जीवित करने का एक वैश्विक मिशन है।
  • वर्ष 2024 की थीम:
    • भूमि पुनर्स्थापन, मरुस्थलीकरण और सूखे से निपटने की क्षमता।
    • वर्ष 2024 मरुस्थलीकरण रोकथाम हेतु संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन (UN Convention to Combat Desertification- UNCCD) की 30वीं वर्षगाँठ भी होगी।
    • भूमि पुनरुद्धार का महत्त्व:
      • पर्यावरणीय क्षति को उलटना: भूमि क्षरण, सूखा और मरुस्थलीकरण का मुकाबला करना।
      • निवेश पर उच्च प्रतिफल: निवेश किये गए प्रत्येक डॉलर से स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र से 30 अमेरिकी डॉलर तक का लाभ प्राप्त हो सकता है।
      • समुदायों को बढ़ावा देना: रोज़गार सृजन करता है, निर्धनता को कम करता है और आजीविका में सुधार करता है।
      • लचीलापन को मज़बूत करना: समुदायों को चरम मौसम की घटनाओं का बेहतर ढंग से सामना करने में सहायता करता है। 
      • जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करता है: मिट्टी में कार्बन भंडारण क्षमता में वृद्धि करता है और तापमान वृद्धि की गति को धीमा करता है।
      • जैवविविधता की रक्षा: केवल 15% क्षरित भूमि को बहाल करने से अपेक्षित प्रजातियों के विलुप्त होने के महत्त्वपूर्ण हिस्से को रोका जा सकता है।

पर्यावरणीय स्थिरता में भारत का योगदान क्या है?

  • मिशन LiFE
  • राष्ट्रीय हरित भारत मिशन (GIM): इसका उद्देश्य 5 मिलियन हेक्टेयर भूमि पर वन/वृक्ष आवरण को बढ़ाना तथा अन्य 5 मिलियन हेक्टेयर भूमि पर वन/वृक्ष आवरण की गुणवत्ता में सुधार करना है।
  • राष्ट्रीय वनरोपण कार्यक्रम (NAP): इसके अंतर्गत वर्ष 2020 तक 21.47 मिलियन हेक्टेयर भूमि पर वनरोपण किया गया है।
  • राष्ट्रीय जैवविविधता कार्य योजना
  • नगर वन योजना (शहरी वन योजना): यह शहरों और कस्बों के भीतर छोटे शहरी वन या "नगर वन" विकसित करने पर केंद्रित है।
  • स्कूल नर्सरी योजना: यह स्कूलों को अपनी नर्सरी विकसित करने के लिये प्रोत्साहित करती है।
  • CAMPA कोष: वनरोपण और पुनर्जनन गतिविधियों आदि को बढ़ावा देने के लिये प्रतिपूरक वनीकरण कोष प्रबंधन और योजना प्राधिकरण (Compensatory Afforestation Fund Management and Planning Authority- CAMPA) की स्थापना की गई है।
    • ये कार्यक्रम अनुपयोगी, खाली और बंजर भूमि पर वृक्षारोपण को बढ़ावा देते हैं।
  • आर्द्रभूमि संरक्षण:
    • भारत ने कर्नाटक और तमिलनाडु में नए स्थलों को नामित करके जनवरी 2024 तक अपने रामसर स्थलों की संख्या को 80 तक बढ़ा दिया।
      • भारत की 75वीं स्वतंत्रता वर्षगाँठ के उपलक्ष्य में अगस्त 2022 में 11 आर्द्रभूमियाँ शामिल की गई।
    • वेटलैंड्स ऑफ इंडिया पोर्टल वेटलैंड्स प्रबंधकों और हितधारकों के लिये ज्ञान केंद्र के रूप में कार्य करता है तथा बहुमूल्य जानकारी एवं संसाधन प्रदान करता है।
  • वन एवं वन्यजीव संरक्षण:
    • पिछले 15 वर्षों में शुद्ध वन क्षेत्र वृद्धि में भारत में तीसरे स्थान पर है।
    • भारत वन स्थिति रिपोर्ट (India State of Forest Report- ISFR) 2021 के अनुसार, भारत का वन क्षेत्र 7,13,789 वर्ग किलोमीटर है, जो देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 21.71% है।
    • भारत ने प्रोजेक्ट टाइगर के 50 वर्ष और प्रोजेक्ट एलीफेंट के 30 वर्ष पूरे होने का उत्सव मनाया, जिससे प्रजातियों के संरक्षण के प्रति उसकी प्रतिबद्धता प्रदर्शित हुई।
    • 'ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम' की शुरुआत वृक्षारोपण को प्रोत्साहित करने तथा बंजर वन भूमि के पुनरुद्धार के लिये की गई है, जिससे जलवायु कार्रवाई पहल में योगदान मिलेगा।
  • मैंग्रोव पुनरुद्धार:
    • भारत सरकार ने तटीय राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में मैंग्रोव वनों के संरक्षण एवं संवर्द्धन के लिये संवर्द्धनात्मक एवं विनियामक उपाय लागू किये हैं।
    • राष्ट्रीय तटीय मिशन कार्यक्रम के अंतर्गत ‘मैंग्रोव और प्रवाल भित्तियों का संरक्षण एवं प्रबंधन’ नामक एक केंद्रीय क्षेत्र योजना कार्यान्वित की जा रही है।
    • मैंग्रोव को बढ़ावा देने और संरक्षित करने के लिये केंद्रीय बजट 2023-24 में तटीय पर्यावास एवं ठोस आमदनी हेतु मैंग्रोव पहल (Mangrove Initiative for Shoreline Habitats and Tangible Incomes - MISHTI) की घोषणा की गई थी।
  • एकल-उपयोग प्लास्टिक पर प्रतिबंध:
    • सरकार ने प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन (संशोधन) नियम, 2024 के माध्यम से प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 में संशोधन किया गया हैं।
    • नियम चिह्नित एकल-उपयोग प्लास्टिक (Single-Use Plastic- SUP) के निर्माण, आयात, भंडारण, वितरण, बिक्री और उपयोग पर प्रतिबंध लगाते हैं।
  • नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा:
    • जनवरी 2023 में 19,744 करोड़ रुपए के निवेश के साथ शुरू किया गया राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन भारत के स्वच्छ ऊर्जा भविष्य के लिये एक बड़ा परिवर्तनकारी कदम होगा।
    • इस मिशन का उद्देश्य भारत को हरित हाइड्रोजन उत्पादन और प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भर बनाना है।
    • यह प्रयास जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता को महत्त्वपूर्ण रूप से कम करेगा, अर्थव्यवस्था को कार्बन-मुक्त करेगा तथा वैश्विक स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन को प्रेरित करेगा।
  • भारत की वैश्विक पहलें:
    • भारत सर्कुलर इकोनॉमी और संसाधन दक्षता के लिये वैश्विक गठबंधन (Global Alliance for Circular Economy and Resource Efficiency- GACERE) तथा अंतर्राष्ट्रीय संसाधन पैनल (International Resource Panel- IRP) की संचालन समिति का सदस्य है।
      • ये मंच वैश्विक एवं न्यायसंगत चक्रीय अर्थव्यवस्था (Circular Economy) परिवर्तन तथा सतत् प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन की वकालत करते हैं।
    • अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (International Solar Alliance- ISA) की छठी सभा 31 अक्तूबर 2023 को नई दिल्ली में आयोजित की गई, जिसमें 116 सदस्य और हस्ताक्षरकर्त्ता देशों के मंत्री एवं प्रतिनिधि भाग लेंगे।

पर्यावरण दिवस पर कोयला मंत्रालय की रिपोर्ट:

  • कोयला मंत्रालय के तहत कोयला तथा लिग्नाइट सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम, कोयला-धारक क्षेत्रों और उसके आसपास के क्षेत्रों में व्यापक वृक्षारोपण प्रयासों के माध्यम से खनन में छूट वाले क्षेत्रों को पुनः प्राप्त करने के उपायों को क्रियान्वित कर रहे हैं।
  • कोयला मंत्रालय ने "कोयला एवं लिग्नाइट सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम में हरित पहल" (Greening Initiative in Coal & Lignite PSUs) शीर्षक के नाम पर एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें खनन द्वारा नष्ट हुई भूमि को बहाल करने और पुनर्जीवित करने में सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम के प्रयासों पर प्रकाश डाला गया है।
    • रिपोर्ट में इस बात पर ज़ोर दिया गया है कि कोयला क्षेत्र भूमि पुनरुद्धार के लक्ष्यों को आगे बढ़ाने तथा पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
    • कोयला/लिग्नाइट सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम ने कोयला खनन क्षेत्रों में और उसके आसपास लगभग 50,000 हेक्टेयर का हरित आवरण बनाया है। इसमें कोयला रहित भूमि को पुनः प्राप्त करना तथा खदान पट्टे के आंतरिक और बाह्य भाग में वृक्ष लगाना शामिल है, जिससे प्रतिवर्ष लगभग 2.5 मिलियन टन CO2 समतुल्य कार्बन सिंक (Carbon Sink) का उत्सर्जन होने का अनुमान है।
    • इस पहल का उद्देश्य वर्ष 2030 तक 2.5 से 3.0 बिलियन टन कार्बन सिंक बनाने के राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (Nationally Determined Contribution- NDC) लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायता के लिये भारत के हरित आवरण में वृद्धि करना है।

AQ-AIMS और वायु-प्रवाह ऐप:

विश्व पर्यावरण दिवस पर, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने भारत में बेहतर वायु गुणवत्ता जागरूकता और निगरानी की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम उठाया।

  • AQ-AIMS (स्वदेशी वायु गुणवत्ता निगरानी प्रणाली): यह लागत प्रभावी, भारत निर्मित प्रणाली महँगी, जटिल पारंपरिक विधियों की जगह लेती है।
  • वायु-प्रवाह ऐप: उनका मोबाइल ऐप वास्तविक समय वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) डेटा प्रदान करता है, साथ ही इसमें निम्नलिखित विशेषताएँ भी हैं:
    • आसान सेटअप
    • लाइव डेटा विज़ुअलाइज़ेशन
    • आसान समझ के लिये यूनिट रूपांतरण
    • समय या स्थान के आधार पर AQI तुलना
    • सुविधाजनक पहुँच के लिये मल्टी-डिवाइस समर्थन
    • गहन जानकारी के लिये डेटा विश्लेषण उपकरण
    • केंद्रीकृत डेटा प्रबंधन के लिये दूरस्थ निगरानी
    • नवीनतम जानकारी के लिये स्वचालित अपडेट
  • लाभ:
    • किफायती और उपयोगकर्त्ता के अनुकूल वायु गुणवत्ता निगरानी।
    • सटीक डेटा के साथ पर्यावरणीय मंज़ूरी।
    • सूचित निर्णयों (जैसे, उच्च प्रदूषण के दौरान मास्क पहनना) के माध्यम से बेहतर सार्वजनिक स्वास्थ्य की संभावना।
  • तकनीकी जानकारी:
    • AQ-AIMS को PM (विभिन्न आकार), SO2, NO2, O3, CO, CO2, तापमान और आर्द्रता की निगरानी के लिये मान्य किया गया है।
    • 'एग्रीएनिक्स' कार्यक्रम के तहत C-DAC कोलकाता, TeXMIN (ISM धनबाद) और JM एनवायरोलैब प्राइवेट लिमिटेड के बीच एक सहयोगी प्रयास के माध्यम से विकसित किया गया।

 

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

भूमि पुनर्स्थापन में भारत की चुनौतियों और अवसरों की व्याख्या कीजिये। पारिस्थितिकी तंत्र पुनर्स्थापन पर संयुक्त राष्ट्र दशक के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये नीतिगत उपाय सुझाइए।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. 'अभीष्ट राष्ट्रीय निर्धारित अंशदान (Intended Nationally Determined Contributions)' पद को कभी-कभी समाचारों में किस संदर्भ में देखा जाता है?  (2016)

(a) युद्ध-प्रभावित मध्य-पूर्व के शरणार्थियों के पुनर्वास के लिये यूरोपीय देशों द्वारा दिये गए वचन
(b) जलवायु परिवर्तन का सामना करने के लिये विश्व के देशों द्वारा बनाई गई कार्य-योजना
(c) एशियाई अवसंरचना निवेश बैंक (एशियन इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक) की स्थापना करने में सदस्य राष्ट्रों द्वारा किया गया पूँजी योगदान
(d) धारणीय विकास लक्ष्यों के बारे में विश्व के देशों द्वारा बनाई गई कार्य-योजना

उत्तर: (b)


प्रश्न. वर्ष 2015 में पेरिस में UNFCCC बैठक में हुए समझौते के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (2016)

  1. इस समझौते पर UN के सभी सदस्य देशों ने हस्ताक्षर किये और यह वर्ष 2017 से लागू होगा।
  2. यह समझौता ग्रीनहाउस गैस के उत्सर्जन को सीमित करने का लक्ष्य रखता है, जिससे इस सदी के अंत तक औसत वैश्विकं तापमान की वृद्धि उद्योग-पूर्व स्तर (pre-industrial levels) से 2°C या कोशिश करें कि 1.5°C से  भी अधिक न हो पाए।
  3. विकसित देशों ने वैश्विक तापन में अपनी ऐतिहासिक ज़िम्मेदारी को स्वीकारा और जलवायु परिवर्तन का सामना करने के लिये विकासशील देशों की सहायता के लिये 2020 से प्रतिवर्ष 1000 अरब डॉलर देने की प्रतिबद्धता जताई।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये-

(a) केवल 1 और 3
(b) केवल 2
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (b)


मेन्स:

प्रश्न. संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क सम्मेलन (UNFCCC) के सी.ओ.पी. के 26वें सत्र के प्रमुख परिणामों का वर्णन कीजिये। इस सम्मेलन में भारत द्वारा की गई वचनबद्धताएँ क्या हैं? (2021)

प्रश्न. "वहनीय (ऐफोर्डेबल), विश्वसनीय, धारणीय तथा आधुनिक ऊर्जा तक पहुँच संधारणीय (सस्टेनबल) विकास लक्ष्यों (SDG) को प्राप्त करने के लिये अनिवार्य है।" भारत में इस संबंध में हुई प्रगति पर टिप्पणी कीजिये। (2018)


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