जैव विविधता और पर्यावरण
विश्व वायु गुणवत्ता रिपोर्ट 2023
- 21 Mar 2024
- 12 min read
प्रिलिस्म के लिये:विश्व वायु गुणवत्ता रिपोर्ट, विश्व स्वास्थ्य संगठन, WHO वायु गुणवत्ता दिशा-निर्देश, पार्टिकुलेट मैटर, वायु गुणवत्ता सूचकांक मेन्स के लिये:वायु प्रदूषण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण को नियंत्रित करने के लिये भारत द्वारा की गई पहल, वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिये की गई पहल |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
स्विस संगठन IQAir द्वारा विश्व वायु गुणवत्ता रिपोर्ट, 2023 जारी की गई, जिसके अनुसार भारत विश्व का तीसरा सबसे प्रदूषित देश है।
रिपोर्ट से संबंधित प्रमुख बिंदु क्या हैं?
- वायु गुणवत्ता में भारत की रैंकिंग:
- 54.4 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर की औसत वार्षिक PM2.5 सांद्रता के साथ विश्व के सबसे प्रदूषित देशों में भारत का स्थान तीसरा है।
- रिपोर्ट के अनुसार, बांग्लादेश और पाकिस्तान में प्रदूषण का स्तर भारत से आधिक दर्ज किया गया तथा उन्हें क्रमशः सबसे अधिक एवं दूसरे सबसे प्रदूषित देश के रूप में नामित किया गया।
- विश्व के शीर्ष 10 सबसे प्रदूषित शहरों में से 9 भारत के हैं।
- भारत की वायु गुणवत्ता विगत वर्ष की तुलना में और खराब हो गई है तथा दिल्ली निरंतर चौथी बार विश्व की सबसे प्रदूषित राजधानी के रूप में नामित की गई।
- बिहार का बेगुसराय विश्व का सबसे प्रदूषित महानगरीय क्षेत्र रहा जहाँ औसत PM2.5 सांद्रता 118.9 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर है।
- स्वास्थ्य पर प्रभाव और WHO दिशा-निर्देश:
- लगभग 136 मिलियन भारतीय (भारत की कुल आबादी का 96%) विश्व स्वास्थ्य संगठन के 5 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर के अनुशंसित स्तर से अधिक PM2.5 सांद्रता (सात गुना) में जीवन यापन करते हैं।
- 66% से अधिक भारतीय शहरों में वार्षिक औसत 35 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर (µg/m3) से अधिक दर्ज की गई है।
- PM2.5 प्रदूषण प्रमुख रूप से जीवाश्म ईंधन के उपयोग से बढ़ता है जिसके परिणामस्वरूप मनुष्यों को स्वास्थ्य संबंधी गंभीर प्रभावों के साथ दिल के दौरे, स्ट्रोक और ऑक्सीडेटिव तनाव जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
- लगभग 136 मिलियन भारतीय (भारत की कुल आबादी का 96%) विश्व स्वास्थ्य संगठन के 5 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर के अनुशंसित स्तर से अधिक PM2.5 सांद्रता (सात गुना) में जीवन यापन करते हैं।
- 54.4 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर की औसत वार्षिक PM2.5 सांद्रता के साथ विश्व के सबसे प्रदूषित देशों में भारत का स्थान तीसरा है।
- वैश्विक वायु गुणवत्ता:
- WHO की वार्षिक PM2.5 गाइडलाइन (वार्षिक औसत 5 µg/m3 या उससे कम) को पूरा करने वाले सात देशों में ऑस्ट्रेलिया, एस्टोनिया, फिनलैंड, ग्रेनाडा, आइसलैंड, मॉरीशस और न्यूज़ीलैंड शामिल हैं।
- रिपोर्ट में कहा गया है कि अफ्रीका सबसे कम प्रतिनिधित्व वाला महाद्वीप बना हुआ है, इसकी एक तिहाई आबादी के पास वायु गुणवत्ता डेटा तक पहुँच नहीं है।
- चीन और चिली सहित कुछ देशों ने PM2.5 प्रदूषण स्तर में कमी दर्ज की है, जो वायु प्रदूषण से निपटने में प्रगति का संकेत देता है।
- प्रदूषण अपने स्रोत तक ही सीमित नहीं रहता है, प्रचलित हवाएँ इसे विभिन्न क्षेत्रों में वितरित करती हैं, जिससे वायु गुणवत्ता के मुद्दों के समाधान में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता पर बल मिलता है।
- वायु प्रदूषण का वैश्विक प्रभाव:
- वायु प्रदूषण के कारण विश्व भर में प्रतिवर्ष लगभग समय से पहले सात मिलियन मौतें होती हैं। यह विश्व भर में हर नौ मौतों में से लगभग एक में योगदान देता है।
- PM2.5 के संपर्क में आने से अस्थमा, कैंसर, स्ट्रोक और मानसिक स्वास्थ्य संबंधी जटिलताएँ जैसी स्वास्थ्य समस्याएँ पैदा होती हैं।
- सूक्ष्म कणों के ऊँचे स्तर के संपर्क में आने से बच्चों में संज्ञानात्मक विकास क्षीण हो सकता है, मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ हो सकती हैं और मधुमेह सहित मौजूदा बीमारियाँ जटिल हो सकती हैं।
WHO के वायु गुणवत्ता दिशा-निर्देश क्या हैं?
- प्रदूषकों से आच्छादित:
- विश्व स्वास्थ्य संगठन सार्वजनिक स्वास्थ्य को वायु प्रदूषण के मौजूदा खतरे से बचाने के लिये नियमित रूप से अपने साक्ष्य-आधारित वायु गुणवत्ता दिशा-निर्देशों को अद्यतन करता है। सबसे हालिया अपडेट वर्ष 2021 में हुआ, जिसमें मूल रूप से वर्ष 2005 में प्रकाशित दिशा-निर्देशों को संशोधित किया गया।
- दिशा-निर्देश PM2.5, PM10, ओज़ोन (O3), नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2), सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) और कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) सहित पार्टिकुलेट मैटर (PM) तथा गैसीय प्रदूषक दोनों को कवर करते हैं।
पार्टिकुलेट मैटर (PM)
- पार्टिकुलेट मैटर या PM, हवा में निलंबित बेहद छोटे कणों और तरल बूंदों के एक जटिल मिश्रण को संदर्भित करता है। ये कण कई आकारों में आते हैं और सैकड़ों विभिन्न यौगिकों से बने हो सकते हैं।
- PM 10 (मोटे कण) - 10 माइक्रोमीटर या उससे कम व्यास वाले कण।
- PM 2.5 (सूक्ष्म कण) - 2.5 माइक्रोमीटर या उससे कम व्यास वाले कण।
वायु प्रदूषण
- यह रसायनों, भौतिक अथवा जैविक कारकों द्वारा पर्यावरण का प्रदूषण है। स्रोतों में घरेलू उपकरण, वाहन, औद्योगिक सुविधाएँ तथा वनाग्नि शामिल हैं।
- प्रमुख प्रदूषकों में पार्टिकुलेट मैटर(PM), कार्बन मोनोऑक्साइड, ओज़ोन, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड एवं सल्फर डाइऑक्साइड शामिल हैं, जो श्वसन संबंधी बीमारियों तथा उच्च मृत्यु दर का कारण बनते हैं।
- WHO के आँकड़ों से पता चलता है कि वैश्विक आबादी का 99% हिस्सा दिशा-निर्देश सीमा से अधिक हवा में साँस लेता है, जिसमें निम्न एवं मध्यम आय वाले देश सबसे अधिक पीड़ित हैं।
- वायु की गुणवत्ता पृथ्वी की जलवायु एवं पारिस्थितिक तंत्र से निकटता से जुड़ी हुई है और साथ ही वायु प्रदूषण को कम करने की नीतियाँ जलवायु एवं स्वास्थ्य दोनों के लिये एक समान लाभ प्रदान करती हैं।
- भारत के सभी 1.4 अरब लोग (देश की 100%) आबादी PM2.5 के अस्वास्थ्यकर स्तर के संपर्क में हैं।
- प्रदूषण के स्वास्थ्य प्रभाव भी अर्थव्यवस्था के लिये भारी लागत का प्रतिनिधित्व करते हैं। समय से पहले होने वाली मौतों और वायु प्रदूषण के कारण होने वाली रुग्णता से उत्पन्न उत्पादन में 36.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर की आर्थिक हानि हुई, जो भारत के सकल घरेलू उत्पाद का 1.36% था।
वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिये क्या पहल की गई है?
- राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम
- भारत स्टेज उत्सर्जन मानक
- ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016
- वायु गुणवत्ता और मौसम पूर्वानुमान तथा अनुसंधान प्रणाली पोर्टल
- वायु गुणवत्ता सूचकांक
- ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान
- राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता निगरानी कार्यक्रम
- वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग
- टर्बो हैप्पी सीडर मशीन
आगे की राह
- विनियामक सुदृढ़ीकरण: कठोर वायु गुणवत्ता मानकों और उत्सर्जन सीमाओं को लागू करने तथा साथ ही अनुपालन न करने पर भारी दंड का प्रावधान करने की आवश्यकता है।
- स्वच्छ ऊर्जा की ओर परिवर्तन: नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को अपनाने में तेज़ी लाने, जीवाश्म ईंधन को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने और इलेक्ट्रिक वाहनों जैसे टिकाऊ परिवहन विकल्पों में निवेश करने की आवश्यकता है।
- औद्योगिक सुधार: उद्योगों में स्वच्छ प्रौद्योगिकियों को अनिवार्य करने, अपशिष्ट न्यूनीकरण को बढ़ावा देने और प्रदूषण नियंत्रण उपकरणों के लिये प्रोत्साहन प्रदान करने की आवश्यकता है।
- सार्वजनिक जागरूकता और अनुसंधान: जागरूकता अभियान चलाने, निर्णय लेने में जनता को शामिल करने, नवीन प्रदूषण नियंत्रण प्रौद्योगिकियों के लिये अनुसंधान में निवेश करने और सार्वजनिक-निजी भागीदारी को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।
- वैश्विक सहयोग और समर्थन: सीमा पार प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिये अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सहयोग करने, तकनीकी सहायता और वित्त पोषण के साथ विकासशील देशों का समर्थन करने एवं सामूहिक ज़िम्मेदारी के रूप में वायु गुणवत्ता प्रबंधन को प्राथमिकता देने की आवश्यकता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:Q. हमारे देश के शहरों में वायु गुणता सूचकांक (AirQuality Index) का परिकलन करने में साधारणतया निम्नलिखित वायुमंडलीय गैसों में से किनको विचार में लिया जाता है? (2016)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1, 2 और 3 उत्तर: (b) मेन्स:Q. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यू.एच.ओ.) द्वारा हाल ही में जारी किये गए संशोधित वैश्विक वायु गुणवत्ता दिशा-निर्देशों (ए.क्यू.जी.) के मुख्य बिंदुओं का वर्णन कीजिये। विगत वर्ष 2005 के अद्यतन से, ये किस प्रकार भिन्न हैं? इन संशोधित मानकों को प्राप्त करने के लिये, भारत के राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम में किन परिवर्तनों की आवश्यकता है? (2021) |