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प्रश्न :
नैतिकता का संबंध व्यक्ति के सभी कर्मों से नहीं होना बल्कि केवल संकल्प स्वातंत्र्य पर आधारित कर्मों से होता है। कथन के संदर्भ में अरस्तू की नीति मीमांसा के प्रमुख बिंदुओं को रेखांकित करें।
03 Jun, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्नउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
• भूमिका
• कथन के संदर्भ में अरस्तू कि नीति मीमांसा के प्रमुख बिंदु
• निष्कर्ष
अरस्तू ने पहली बार नीतिशास्त्र को व्यवस्थित रूप प्रदान किया। उसकी पुस्तक ‘निकोमियन एथिक्स’ नीतिशास्त्र की पहली स्वतंत्र पुस्तक मानी जाती है जिसमें अरस्तू ने पहली बार स्पष्ट किया कि नैतिकता का संबंध व्यक्ति के सभी कर्मों से नहीं होता बल्कि केवल संकल्प स्वातंत्र्य पर आधारित कर्मों से होता है।उसके अनुसार दो प्रकार के कार्यों को स्वैच्छिक नहीं माना जा सकता-
- बाहरी दबाव में किये गए कार्य
- परिस्थितियों से अनभिज्ञ होने के कारण किया गया कार्य
अरस्तू की नीति मीमांसा का मूल प्रश्न है कि सर्वोच्च शुभ क्या है? प्लेटो ने शुभ के प्रत्यय को सर्वोच्च शुभ माना था जो इहलोक में न होकर इससे परे है।
अरस्तू अपनी नीति मीमांसा की इहलोक तक सीमित रखने का पक्षधर है। इसलिये उसका दावा है कि सर्वोच्च शुभ आनंद या कल्याण है। इसका प्रमाण यह है कि हम आनंद की कामना किसी लक्ष्य के साधन के रूप में नहीं करते बल्कि उसे स्वयं में भी वांछनीय मानते हैं।
उसने सद्गुणों की परिभाषा देते हुए कहा कि सद्गुण मनुष्य की ऐसी स्थायी मानसिक अवस्था है जो निरंतर अभ्यास से विकसित होती है तथा बुद्धि द्वारा निर्धारित उसके स्वैच्छिक कर्मों में व्यक्त होती है।
अरस्तू ने सद्गुणों के संबंध में मध्यमार्ग का सिद्धांत दिया है जिसके अनुसार प्रत्येक नैतिक सद्गुण दो अतिवादी दृष्टिकोणों के बीच की अवस्था है।
अरस्तू ने सद्गुणों को दो वर्गों में विभाजित किया है बल्कि सद्गुण तथा नैतिक सद्गुण। यह वर्गीकरण आत्मा के दो पक्षों बौद्धिक तथा भावनात्मक पर आधारित है। आत्मा का भावनात्मक पक्ष इच्छाओं या वासनाओं से संबंधित है जो पशुओं में भी होता है। बौद्धिक पक्ष वह विशेष पक्ष है जो मनुष्य को शेष प्राणियों से बेहतर तथा अलग बनाता है।
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