भूगोल
हिंद महासागर के तापमान में वृद्धि
- 01 May 2024
- 14 min read
प्रिलिम्स के लिये:ग्लोबल वार्मिंग, हिंद महासागर, हीटवेव राज्य, कोरल ब्लीचिंग, समुद्री घास, केल्प वन, मत्स्य पालन क्षेत्र, हिंद महासागर द्विध्रुव मेन्स के लिये:महासागरों के गर्म होने के कारण, हीटवेव और प्रभाव, समुद्र जलस्तर में वृद्धि |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (IITM), पुणे ने समुद्री हीटवेव में दस गुना वृद्धि का संकेत दिया है, जो संभावित रूप से प्रतिवर्ष 20 दिनों से 220-250 दिनों तक चलने वाले चक्रवातों की गति को तेज़ कर सकती हैं।
रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष क्या हैं?
- महासागर के तापमान में वृद्धि:
- तीव्र तापन: हिंद महासागर का तापमान 1950 से 2020 तक की अवधि में 1.2 डिग्री सेल्सियस बढ़ गया है और 2020 से 2100 तक, 1.7 डिग्री सेल्सियस से 3.8 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ने का अनुमान है।
- ये हीटवेव तीव्र चक्रवात निर्माण से जुड़ी हैं और उष्णकटिबंधीय हिंद महासागर में लगभग स्थायी हीटवेव स्थिति का कारण बन सकती हैं।
- लगातार और तीव्र गर्मी की लहरों से कोरल ब्लीचिंग, समुद्री घास के विनाश एवं केल्प वनों के नष्ट होने की संभावना है जो मत्स्य पालन क्षेत्र के लिये महत्त्वपूर्ण हैं।
- तीव्र तापन: हिंद महासागर का तापमान 1950 से 2020 तक की अवधि में 1.2 डिग्री सेल्सियस बढ़ गया है और 2020 से 2100 तक, 1.7 डिग्री सेल्सियस से 3.8 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ने का अनुमान है।
- महासागरों की ऊष्मा में परिवर्तन:
- गहरे महासागरों का गर्म होना: तापमान में वृद्धि सतह के साथ-साथ 2,000 मीटर की गहराई तक हुई है, जिससे समुद्र की कुल ऊष्मा सामग्री में वृद्धि हो रही है।
- हिंद महासागर की ऊष्मा वर्तमान में प्रति दशक 4.5 ज़ेटा-जूल की दर से बढ़ रही है और भविष्य में प्रति दशक 16-22 ज़ेटा-जूल की दर से बढ़ने की उम्मीद है।
- ऊर्जा की तुलना: तापमान में अनुमानित वृद्धि की तुलना लगातार दस वर्षों तक हर सेकंड एक हिरोशिमा परमाणु बम विस्फोट से निकलने वाली ऊर्जा से की जाती है।
- गहरे महासागरों का गर्म होना: तापमान में वृद्धि सतह के साथ-साथ 2,000 मीटर की गहराई तक हुई है, जिससे समुद्र की कुल ऊष्मा सामग्री में वृद्धि हो रही है।
- समुद्र-स्तर में वृद्धि और तापीय विस्तार:
- तापमान बढ़ने से मुख्य रूप से थर्मल विस्तार के माध्यम से समुद्र के स्तर में वृद्धि होती है, जो ग्लेशियर और समुद्री बर्फ के पिघलने के प्रभावों के अतिरिक्त हिंद महासागर में समुद्र के स्तर में हुई आधे से अधिक वृद्धि के लिये ज़िम्मेदार है।
- हिंद महासागर द्विध्रुव(IOD) और मानसून प्रतिरूपों में परिवर्तन:
- IOD परिवर्तन: समुद्र की ऊष्मा में वृद्धि के कारण हिंद महासागर द्विध्रुव, जो मानसून की शक्ति का निर्धारण करने में एक महत्त्वपूर्ण कारक है, 21 वीं सदी के अंत तक चरम मौसमी घटनाओं में 66% की वृद्धि और मध्यम घटनाओं में 52% की कमी का अनुभव होने की संभावना है।
- मानसून हेतु निहितार्थ: ये परिवर्तन महत्त्वपूर्ण हैं क्योंकि द्विध्रुव के सकारात्मक चरण, जो पश्चिमी भाग में गर्म तापमान की विशेषता है, ग्रीष्मकालीन मानसून के लिये अनुकूल हैं।
- भविष्य का दृष्टिकोण:
- चल रही गर्म हवाओं के बावजूद, IOD के सकारात्मक चरण के कारण आंशिक रूप से जून-सितंबर 2024 में "सामान्य से अधिक" गर्म मानसून मानसून की उम्मीद है।
स्थलीय हीटवेव और समुद्री हीटवेव के बीच अंतर:
विशेषता |
भूमि हीटवेव |
समुद्री हीटवेव |
माध्यम |
हवा का तापमान |
महासागरीय सतही जल |
अवधि |
दिन या सप्ताह |
सप्ताह या महीने |
पहचान |
उच्च तापमान सीमा से अधिक है |
समुद्र की सतह का असामान्य रूप से उच्च तापमान |
प्रभाव |
हीट स्ट्रेस, निर्जलीकरण, वनाग्नि, विद्युत् कटौती |
समुद्री पारिस्थितिक तंत्र बाधित, समुद्री जीवन को नुकसान, मौसम के पैटर्न को प्रभावित करता है (संभवतः चक्रवात तीव्र हो सकता है) |
समुद्र का जलस्तर बढ़ने के कारण भारत पर क्या प्रभाव पड़ता है?
- समुद्र स्तर में वृद्धि की दर:
- पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अनुसार, पिछली शताब्दी (वर्ष 1900-2000) के दौरान भारतीय तट पर समुद्र का स्तर औसतन लगभग 1.7 मिमी/वर्ष की दर से बढ़ता हुआ देखा गया।
- समुद्र के स्तर में 3 सेमी. की वृद्धि से समुद्र लगभग 17 मीटर तक अंतर्देशीय घुसपैठ कर सकता है।
- भारत की अतिसंवेदनशीलता
- समुद्र के जलस्तर में वृद्धि के जटिल प्रभावों के प्रति भारत सबसे अधिक संवेदनशील है।
- हिंद महासागर में समुद्र के स्तर में आधी वृद्धि जल की मात्रा के विस्तार के कारण है क्योंकि समुद्र तेज़ी से गर्म हो रहा है। ग्लेशियर पिघलने का योगदान उतना अधिक नहीं है।
- सतह के तापमान में वृद्धि के मामले में हिंद महासागर सबसे तेज़ी से गर्म होने वाला महासागर है।
- निहितार्थ :
- भारत अपनी तटरेखा पर जटिल तथा चरम घटनाओं का सामना कर रहा है। समुद्र के गर्म होने से अधिक नमी और गर्मी के कारण चक्रवातों की तीव्रता बढ़ रही हैं।
- इससे समुद्री बाढ़ आने का खतरा भी बढ़ जाता है क्योंकि तूफानी लहरें प्रत्येक दशक में समुद्र के स्तर में वृद्धि कर रही हैं।
- चक्रवातों में पहले से अधिक वर्षा हो रही है.
- सुपर साइक्लोन अम्फान (2020) के कारण बड़े पैमाने पर बाढ़ आई और खारा पानी समुद्र तट से दसियों किलोमीटर अंदर भर गया।
- समय के साथ सिंधु, गंगा और ब्रह्मपुत्र नदियाँ सिकुड़ सकती हैं तथा समुद्र के बढ़ते जलस्तर के कारण समुद्र का खारा जल इन नदियों के विशाल डेल्टा में प्रवेश कर सकता है तथा नदियों के डेल्टा के बड़े भाग को मानव निवास के लिये अनुपयुक्त कर देगा।
भारत द्वारा उठाये गये कदम:
- निगरानी और अनुसंधान:
- चक्रवात की तैयारी:
- अतिरिक्त उपाय:
समुद्री हीटवेव और तीव्र चक्रवातों के खतरे से निपटने के क्या तरीके हैं?
- शमन रणनीतियाँ:
- उत्सर्जन कटौती रणनीतियाँ: यूरोपीय संघ की उत्सर्जन व्यापार प्रणाली (ETS) के समान नीतियों को अपनाना तथा उनका समर्थन करना।
- ETS एक कैप-एंड-ट्रेड योजना है जो समुद्री हीट वेव के मूल कारण से निपटने के क्रम में उद्योगों को ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने के लिये प्रोत्साहित करती है।
- नवीकरणीय ऊर्जा एकीकरण: जर्मनी के सौर और पवन ऊर्जा की ओर संक्रमण जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों में निवेश कर उन्हें बढ़ावा देना।
- इससे जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम होने के साथ समुद्र के तापमान पर दीर्घकालिक प्रभाव में कमी आती है।
- उत्सर्जन कटौती रणनीतियाँ: यूरोपीय संघ की उत्सर्जन व्यापार प्रणाली (ETS) के समान नीतियों को अपनाना तथा उनका समर्थन करना।
- प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली और तैयारी:
- उन्नत निगरानी: ऑस्ट्रेलिया के एकीकृत समुद्री अवलोकन प्रणाली (IMOS) जैसे कार्यक्रमों का अनुकरण करना।
- IMOS वास्तविक समय के समुद्र संबंधी डेटा एकत्र करने के लिये प्लवों, जहाज़ों और उपग्रहों के एक नेटवर्क का उपयोग करता है, जो समुद्री हीट वेव, हीटवेव तथा चक्रवात विकास में महत्त्वपूर्ण अंतर्दृष्टि प्रदान करता है।
- पूर्वानुमानित मॉडलिंग: नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (NOAA) के तूफान सीज़नल आउटलुक जैसी प्रगति का लाभ उठाना।
- वायुमंडलीय और समुद्री डेटा का सांख्यिकीय विश्लेषण करके, NOAA चक्रवात गतिविधि के लिये पूर्वानुमान प्रदान करता है, जिससे सुरक्षा संबंधी बेहतर तैयारी करने के लिये पर्याप्त समय मिलता है।
- उन्नत निगरानी: ऑस्ट्रेलिया के एकीकृत समुद्री अवलोकन प्रणाली (IMOS) जैसे कार्यक्रमों का अनुकरण करना।
- तटीय अनुकूल के उपाय:
- मैंग्रोव पुनर्स्थापना: मैंग्रोव वनों को पुनर्स्थापित करने के लिये बांग्लादेश के प्रयासों जैसी पहल लागू करना।
- मैंग्रोव प्राकृतिक बाधाओं के रूप में कार्य करते हैं, तूफान को कम करते हैं और तटीय समुदायों को चक्रवातों से बचाते हैं।
- बुनियादी ढाँचे में सुधार: नीदरलैंड के रोबस्ट सीवाॅल नेटवर्क जैसी प्रगति के लिये प्रयास करना।
- अच्छी तरह से बनाए गए सीवाॅल और तटबंध तटीय बुनियादी ढाँचे एवं बस्तियों में चक्रवात से होने वाले नुकसान को काफी कम कर सकते हैं।
- मैंग्रोव पुनर्स्थापना: मैंग्रोव वनों को पुनर्स्थापित करने के लिये बांग्लादेश के प्रयासों जैसी पहल लागू करना।
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग:
- डेटा साझाकरण और अनुसंधान: ग्लोबल ओशन ऑब्सेज़र्विंग सिस्टम (GOOS) के समान, वैज्ञानिक डेटा के खुले आदान-प्रदान को बढ़ावा देना।
- GOOS समुद्री अवलोकन में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की सुविधा प्रदान करता है, जिससे समुद्री हीटवेव और चक्रवात विकास की बेहतर समझ मिलती है।
- क्षमता निर्माण: विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) के उष्णकटिबंधीय चक्रवात कार्यक्रम के समान विकासशील देशों को तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान करना।
- यह कार्यक्रम आर्थिक रूप से कमज़ोर देशों को चक्रवातों से निपटने के लिये बेहतर तैयारी करने के लिये संसाधनों एवं विशेषज्ञता प्रदान करता है।
- डेटा साझाकरण और अनुसंधान: ग्लोबल ओशन ऑब्सेज़र्विंग सिस्टम (GOOS) के समान, वैज्ञानिक डेटा के खुले आदान-प्रदान को बढ़ावा देना।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न. चक्रवात निर्माण और तीव्रता पर हिंद महासागर में समुद्री हीट वेव में अनुमानित वृद्धि के निहितार्थ पर चर्चा कीजिये। ऐसे अनुमान हिंद महासागर क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन शमन और अनुकूलन रणनीतियों को कैसे सूचित कर सकते हैं? (250 शब्द) |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष द्वारा स्थापित स्टिग्लिट्ज आयोग अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में था। किसके साथ सौदा करने हेतु आयोग का समर्थन किया गया था? (2010) (a) आसन्न वैश्विक जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न चुनौतियाँ और एक रोडमैप तैयार करना। उत्तर: (b) मेन्स:प्रश्न. 'जलवायु परिवर्तन' एक वैश्विक समस्या है। भारत जलवायु परिवर्तन से किस प्रकार प्रभावित होगा? जलवायु परिवर्तन के द्वारा भारत के हिमालयी और समुद्रतटीय राज्य किस प्रकार प्रभावित होंगे? (2017) |