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राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA)

  • 03 Oct 2022
  • 13 min read

प्रिलिम्स के लिये:

NDMA, NDRF, सेंडाई फ्रेमवर्क, SAARC, BIMSTEC ।

मेन्स के लिये:

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण का विकास और इसकी कमियाँँ।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) ने 28 सितंबर, 2022 को अपना 18वाँ स्थापना दिवस मनाया। 

  • थीम 2022: आपदा प्रबंधन में स्वैच्छिकता।

 राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA):

  • परिचय
    • राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण भारत में आपदा प्रबंधन के लिये शीर्ष वैधानिक निकाय है।
    • इसका औपचारिक रूप से गठन 27 सितंबर, 2006 को आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत हुआ जिसमें प्रधानमंत्री (अध्यक्ष) और नौ अन्य सदस्य होंगे और इनमें से एक सदस्य को उपाध्यक्ष पद दिया जाएगा।
    • आपदा प्रबंधन की प्राथमिक ज़िम्मेदारी संबंधित राज्य सरकार की होती है। हालाँकि आपदा प्रबंधन पर राष्ट्रीय नीति केंद्र, राज्य और ज़िले, सभी के लिये एक सक्षम वातावरण बनाती है।
    • सरकार, देश के 350 ज़िलों में आपदा प्रबंधन स्वयंसेवक (आपदा मित्र) बनाने के कार्यक्रम पर काम कर रही है।
  • आपदा मित्र:
    • यह एक केंद्रीय क्षेत्रक योजना है जिसे मई 2016 में शुरू किया गया था।
    • NDMA, इस योजना की कार्यान्वयन एजेंसी है।
    • यह आपदा-प्रवण क्षेत्रों में उपयुक्त व्यक्तियों की पहचान करने की एक योजना है, जिसमें आपदाओं की स्थिति में बचाव कार्यों के लिये आपदा मित्र को प्रशिक्षित किया जाना शामिल है।
    • इस योजना का उद्देश्य समुदाय के स्वयंसेवकों को, आपदा के बाद उत्पन्न होने वाली स्थिति में अपने समुदाय की तत्काल ज़रूरतों को पूरा करने हेतु आवश्यक कौशल प्रदान करना है जिससे वे अचानक बाढ़ और शहरी क्षेत्रों में उत्पन्न बाढ़ जैसी आपातकालीन स्थितियों के दौरान बुनियादी राहत एवं बचाव कार्य करने में सक्षम हो सकें। 

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण का विकास:

  • आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को राष्ट्रीय प्राथमिकता का महत्त्व देते हुए भारत सरकार ने आपदा प्रबंधन योजनाओं पर तैयारी की सिफ़ारिश करने तथा प्रभावी शमन उपाय सुझाने हेतु अगस्त 1999 में एक उच्चाधिकार प्राप्त कमेटी और वर्ष 2001 के गुजरात भूकंप के बाद एक राष्ट्रीय कमेटी का गठन किया।
  • दसवीं पंचवर्षीय योजना के अभिलेख में भी प्रथम बार आपदा प्रबंधन पर एक विस्तृत अध्याय को शामिल किया गया है। बारहवें वित्त आयोग को भी आपदा प्रबंधन के लिये वित्तीय प्रबंध की समीक्षा हेतु अधिदेश दिया गया था।
  • 23 दिसंबर, 2005 को भारत सरकार ने आपदा प्रबंधन अधिनियम बनाया जिसमें प्रधानमंत्री के नेतृत्व में एक राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) और संबद्ध मुख्यमंत्रियों के नेतृत्व में राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरणों (SDMAs) की स्थापना की परिकल्पना भारत में आपदा प्रबंधन का नेतृत्व करने तथा उसके प्रति एक समग्र व एकीकृत दृष्टिकोण कार्यान्वित करने हेतु की गई।

राष्ट्रीय  आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के कार्य तथा उत्तरदायित्व:

  • राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना को स्वीकृति देना।
  • आपदा प्रबंधन हेतु नीतियाँ तैयार करना।
  • राष्ट्रीय योजना के अनुसार केंद्र सरकार के मंत्रालयों या विभागों द्वारा बनाई गई योजनाओं को स्वीकृत करना।
  • ऐसे दिशा-निर्देश तैयार करना जिनका अनुसरण कर राज्य के प्राधिकारी राज्य योजना तैयार कर सकें।
  • ऐसे दिशा-निर्देश तैयार करना जिनका अनुसरण केंद्रीय सरकार के मंत्रालयों या विभागों द्वारा आपदा रोकथाम के उपायों को एकीकृत करने या आपदा प्रभावों के शमन हेतु अपनी विकास योजनाओं एवं परियोजनाओं में किया जा सके।
  • आपदा प्रबंधन नीति एवं योजना के प्रवर्तन और कार्यान्वयन हेतु समन्वय करना।
  • शमन के लिये निधियों के प्रावधान की सिफ़ारिशें करना।
  • अन्य ऐसे देशो जो कि बड़ी आपदाओं से प्रभावित होते हैं, को केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित सहायता प्रदान करना।
  • भयावह आपदा स्थितियों या आपदाओं से निपटने हेतु रोकथाम या शमन या तैयारी और क्षमता निर्माण के ऐसे अन्य उपाय अपनाना जिन्हें वह आवश्यक समझे।
  • राष्ट्रीय आपदा प्रबंध संस्थान की कार्यपद्धति हेतु व्यापक नीतियाँ और दिशा-निर्देश तैयार करना।

 कमियाँ और चुनौतियाँ:

  • वर्ष 2013 में उत्तराखंड में आई बाढ़ के दौरान NDMA की भूमिका पर कई सवाल उठाए गए थे, जहाँ यह अचानक से आई बाढ़ और भूस्खलन के विषय में लोगों को समय पर सूचित करने में विफल रहा था, आपदा के बाद राहत संबंधी प्रतिक्रिया भी उतनी ही खराब थी। विशेषज्ञों ने बाढ़ तथा भूस्खलन शमन के लिये NDMA की अधूरी परियोजनाओं को ज़िम्मेदार ठहराया।
  • नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि बाढ़ प्रबंधन कार्यक्रमों के तहत परियोजनाओं को पूरा करने में देरी हुई थी।
    • ऐसा पाया गया कि नदी प्रबंधन गतिविधियों और सीमावर्ती क्षेत्रों की परियोजनाओं से संबंधित कार्यों को पूरा करने में ज़्यादा देरी हुई, जो मूलतः असम, उत्तर बिहार तथा पूर्वी उत्तर प्रदेश की बाढ़ की समस्याओं के दीर्घकालिक समाधान थे।
  • वर्ष 2018 में केरल और वर्ष 2015 में चेन्नई की बाढ़ के दौरान हुआ विनाश आपदा स्थितियों के संबंध में तैयारी को लेकर संस्थाओं को सजग करने वाला है।
    • वर्ष 2015 की चेन्नई की बाढ़ को CAG की रिपोर्ट ने मानव निर्मित आपदा कहा और इस विनाश के लिये तमिलनाडु सरकार को उत्तरदायी बताया।
  • NDRF कर्मियों के पास संकट की स्थितियों से निपटने हेतु पर्याप्त प्रशिक्षण, उपकरणों, सुविधाओं और आवासीय सुविधा का अभाव है।
  • निधियों का दुरुपयोग: आपदाओं से निपटने के लिये सरकार ने राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया निधि और राज्य आपदा प्रतिक्रिया निधि की स्थापना की है।
    • इनके लेखा परीक्षणों से पता चला है कि कुछ राज्यों ने उन व्ययों हेतु निधि का दुरुपयोग किया है, जिन्हें आपदा प्रबंधन के लिये स्वीकृत नहीं किया गया था।

आपदा प्रबंधन हेतु भारत के प्रयास:

  • राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) की स्थापना:
    • भारत ने सभी प्रकार की आपदाओं के न्यूनीकरण के संदर्भ में तेज़ी से कार्य किया है तथा आपदा प्रतिक्रिया के लिये समर्पित विश्व के सबसे बड़े बल ‘राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल’ (NDRF) की स्थापना के साथ सभी प्रकार की आपदाओं की स्थिति में तेज़ी से प्रतिक्रिया की है।
  • अन्य देशों को आपदा राहत प्रदान करने में भारत की भूमिका:
    • भारत की विदेशी मानवीय सहायता में इसकी सैन्य शक्ति को भी तेज़ी से शामिल किया गया है जिसके तहत आपदा के समय देशों को राहत प्रदान करने के लिये नौसेना के जहाज़ों या विमानों को तैनात किया जाता है। 
    • "नेबरहुड फर्स्ट" की इसकी कूटनीतिक नीति के अनुरूप, राहत प्राप्तकर्ता देश दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया के रहे हैं।
  • क्षेत्रीय आपदा तैयारियों में योगदान:
  • जलवायु परिवर्तन से संबंधित आपदा का प्रबंधन:
    • भारत ने DRR, सतत् विकास लक्ष्यों (2015-2030) और जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते के लिये सेंडाई फ्रेमवर्क को अपनाया है, जो सभी DRR, जलवायु परिवर्तन अनुकूलन (CCA) एवं सतत् विकास के बीच संबंधों को स्पष्ट करते हैं।

आगे की राह

  • वृहद स्तर पर नीतिगत दिशा-निर्देशों की आवश्यकता है जो सभी क्षेत्रों में आपदा प्रबंधन और विकास योजनाओं की तैयारी एवं कार्यान्वयन को सूचित तथा मार्गदर्शन करेंगे।
  • तैयारी और शमन की संस्कृति में निर्माण करना समय की मांग है।
  • आपदा प्रबंधन प्रथाओं के विकास हेतु एकीकरण और आपदाओं की रोकथाम एवं शमन के लिये विशिष्ट विकासात्मक योजनाओं के परिचालन दिशानिर्देश तैयार किये जाने चाहिये।
  • ज़िला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर प्रभावी प्रतिक्रिया हेतु योजनाओं के साथ मज़बूत पूर्व चेतावनी प्रणाली स्थापित की जानी चाहिये।
  • आपदा प्रबंधन के सभी चरणों में समुदाय, गैर-सरकारी संगठनों, CSO और मीडिया को शामिल किया जाना चाहिये।
  • अनुकूलन और शमन के माध्यम से जलवायु जोखिम प्रबंधन को संबोधित किया जाना चाहिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, पिछले वर्ष के प्रश्न (PYQs)  

प्रश्न. पहले के प्रतिक्रियाशील दृष्टिकोण से हटकर भारत सरकार द्वारा आपदा प्रबंधन हेतु शुरू किये गए हालिया उपायों की चर्चा कीजिये। (2020)

प्रश्न. राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) के दिशा-निर्देशों के संदर्भ में उत्तराखंड के कई स्थानों पर हाल ही में बादल फटने की घटनाओं के प्रभाव को कम करने के लिये अपनाए जाने वाले उपायों पर चर्चा कीजिये. (2016)

प्रश्न. सूखे को इसके स्थानिक विस्तार, अस्थायी अवधि, धीमी शुरुआत और कमज़ोर वर्गों पर स्थायी प्रभाव को देखते हुए एक आपदा के रूप में मान्यता दी गई है। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) के सितंबर 2010 के दिशा-निर्देशों पर ध्यान केंद्रित करते हुए, भारत में संभावित अल नीनो और ला नीना नतीजों से निपटने के लिये तैयारियों के तंत्र पर चर्चा कीजिये। (2014)

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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