नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्य संबंधी भारत की उपलब्धियाँ

प्रिलिम्स के लिये:

नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्य प्राप्त करने हेतु योजनाएँ और कार्यक्रम

मेन्स के लिये:

नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में भारत की उपलब्धियाँ, भारत के नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्य, चुनौतियाँ और इसे प्राप्त करने हेतु की गई पहलें।

चर्चा में क्यों?

भारत ने नवंबर 2021 में वर्ष 2030 तक गैर-जीवाश्म ऊर्जा स्रोतों से अपनी स्थापित बिजली क्षमता का 40% हासिल करने का लक्ष्य हासिल कर लिया है।

प्रमुख बिंदु

  • भारत की नवीकरणीय ऊर्जा (RE) क्षमता:
    • 30 नवंबर 2021 को देश की स्थापित नवीकरणीय ऊर्जा (RE) क्षमता 150.54 गीगावाट (सौर: 48.55 गीगावाट, पवन: 40.03 गीगावाट, लघु जलविद्युत: 4.83, जैव-शक्ति: 10.62, लार्ज हाइड्रो: 46.51 गीगावाट) है, जबकि भारत की परमाणु ऊर्जा आधारित स्थापित बिजली क्षमता 6.78 गीगावाट है।
      • भारत के पास विश्व की चौथी सबसे बड़ी पवन ऊर्जा क्षमता है।
    • इस प्रकार भारत की कुल गैर-जीवाश्म आधारित स्थापित ऊर्जा क्षमता 157.32 गीगावाट है, जो कि 392.01 गीगावाट की कुल स्थापित बिजली क्षमता का 40.1% है।
    • COP26 में भारत ने वर्ष 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से 500 GW स्थापित बिजली क्षमता प्राप्त करने हेतु प्रतिबद्धता ज़ाहिर की थी।
  • लक्ष्य प्राप्ति संबंधी चुनौतियाँ:
    • आवश्यक वित्त एकत्र करना:
      • बड़े परिनियोजन लक्ष्यों के लिये वित्त की व्यवस्था करने हेतु बैंकिंग क्षेत्र को तैयार करना, दीर्घावधिक अंतर्राष्ट्रीय वित्तपोषण और तकनीकी एवं वित्तीय बाधाओं को संबोधित करके जोखिम कम करने या साझा करने के लिये एक उपयुक्त तंत्र का अभाव इस संबंध में एक चुनौती है। 
    • भूमि अधिग्रहण
      • अक्षय ऊर्जा क्षमता के साथ भूमि की पहचान, उसका रूपांतरण (यदि आवश्यक हो), भूमि सीमा अधिनियम के तहत मंज़ूरी, भूमि पट्टा किराए पर निर्णय, राजस्व विभाग से मंज़ूरी और ऐसी अन्य मंज़ूरी में समय लगता है।
      • RE परियोजनाओं के लिये भूमि अधिग्रहण में राज्य सरकारों को प्रमुख भूमिका निभानी होगी। 
    • पारितंत्र बनाना:
      • देश में एक नवाचार और विनिर्माण पारितंत्र बनाना।
    • अन्य:
      • ग्रिड के साथ अक्षय ऊर्जा के बड़े हिस्से को एकीकृत करना।
      • अक्षय ऊर्जा से फर्म और प्रेषण योग्य बिजली की आपूर्ति को सक्षम करना।
      • तथाकथित हार्ड टू डीकार्बोनाइज़ क्षेत्रों में नवीकरणीय ऊर्जा के प्रवेश को सक्षम बनाना।

संबंधित पहलें:

PM-कुसुम:

यह ग्रामीण क्षेत्रों में ऑफ-ग्रिड सौर पंपों की स्थापना का समर्थन करने और ग्रिड से जुड़े क्षेत्रों में ग्रिड पर निर्भरता को कम करने के लिये नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) द्वारा शुरू किया गया था।

उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (PIL) योजना:

उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना "उच्च दक्षता वाले सौर पीवी मॉड्यूल पर राष्ट्रीय कार्यक्रम" को भारत में सेल, वेफर्स और पॉलीसिलिकॉन जैसे अपस्टेज वर्टिकल घटकों सहित उच्च दक्षता वाले सौर पीवी मॉड्यूल के निर्माण के समर्थन के लिये 4500 करोड़ रूपए के परिव्यय के साथ प्रारंभ किया गया था और यह सौर फोटोवोल्टिक (PV) क्षेत्र में आयात निर्भरता को कम करती है।

सौर पार्क योजना:

बड़े पैमाने पर ग्रिड से जुड़ी सौर ऊर्जा परियोजनाओं की सुविधा के लिये मार्च 2022 तक 40 गीगावाट क्षमता की लक्ष्य क्षमता के साथ "सौर पार्कों और अल्ट्रा मेगा सौर ऊर्जा परियोजनाओं के विकास" की एक योजना लागू की जा रही है।

रूफ टॉप सोलर प्रोग्राम फेज-II:

  • यह आवासीय क्षेत्र को 4 गीगावाट तक की सोलर रूफ टॉप क्षमता की वित्तीय सहायता प्रदान करता है और पिछले वर्ष की तुलना में वृद्धिशील उपलब्धि के लिये बिजली वितरण कंपनियों को प्रोत्साहित करने का प्रावधान है। 
  • केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (CPSU) योजना:
    • केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों द्वारा घरेलू सेल और मॉड्यूल के साथ 12 गीगावाट ग्रिड-कनेक्टेड सौर पीवी विद्युत परियोजनाओं की स्थापना के लिये एक योजना लागू की जा रही है। इस योजना के तहत व्‍यवहार्यता अंतर वित्त पोषण सहायता प्रदान की जाती है।
  • हाइड्रोजन मिशन:
    • प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन के शुभारंभ की घोषणा की और भारत को हरित हाइड्रोजन उत्पादन एवं निर्यात के लिये एक वैश्विक केंद्र बनाने का लक्ष्य रखा।
  • अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन:
    • ISA एक अंतर-सरकारी संधि-आधारित संगठन है, जिसके पास वित्तपोषण और प्रौद्योगिकी की लागत को कम करने में मदद करके सौर विकास को उत्प्रेरित करने का वैश्विक जनादेश है। हाल ही में संयुक्त राज्य अमेरिका ISA में शामिल होने वाला 101वाँ सदस्य देश बन गया है।
  • OSOWOG:
    • OSOWOG को भारत और यूके द्वारा संयुक्त रूप से ग्लासगो में COP26 क्लाइमेट मीट में जारी किया गया था।
  • राष्ट्रीय पवन-सौर हाइब्रिड नीति: 
    • राष्ट्रीय पवन-सौर हाइब्रिड नीति, 2018 का मुख्य उद्देश्य पवन और सौर संसाधनों, पारेषण बुनियादी ढाँचे और भूमि के इष्टतम तथा कुशल उपयोग के लिये बड़े ग्रिड से जुड़े पवन-सौर पीवी हाइब्रिड सिस्टम को बढ़ावा देने के लिये एक ढाँचा प्रदान करना है।
  • राष्ट्रीय अपतटीय पवन ऊर्जा नीति: 
    • राष्ट्रीय अपतटीय पवन ऊर्जा नीति को अक्तूबर 2015 में भारतीय विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र (EEZ) में 7600 किलोमीटर की भारतीय तटरेखा के साथ अपतटीय पवन ऊर्जा विकसित करने के उद्देश्य से अधिसूचित किया गया था।
  • विद्युत उत्पादन के लिये अन्य नवीकरणीय वस्तुएँ:
    • शहरी, औद्योगिक और कृषि अपशिष्टों/अवशेषों से ऊर्जा उत्पादन पर कार्यक्रम।
    • चीनी मिलों और अन्य उद्योगों में बायोमास आधारित सह उत्पादन को बढ़ावा देने के लिये योजना।
    • बायोगैस पावर (ऑफ-ग्रिड) उत्पादन और थर्मल एप्लीकेशन प्रोग्राम (BPGTP)।
    • नया राष्ट्रीय बायोगैस और जैविक खाद कार्यक्रम (NNBOMP)।

आगे की राह:

  • क्षेत्रों की पहचान: नवीनीकरण संसाधन विशेष रूप से पवन ऊर्जा को हर जगह स्थापित नहीं किया जा सकता क्योकि इनके लिये विशिष्ट स्थान की आवश्यकता होती है।
    • इन विशिष्ट स्थानों की पहचान, उन्हें मुख्य ग्रिड के साथ एकीकृत करना और शक्तियों का वितरण जैसे तीनों संयोजन ही भारत को आगे ले जा सकते हैं।
  • अन्वेषण: अधिक संग्रहण समाधान तलाशने की आवश्यकता है।
  • कृषि सब्सिडी: कृषि सब्सिडी में सुधार किया जाना चाहिये ताकि आवश्यक मात्रा में ऊर्जा की खपत को सुनिश्चित किया जा सके।
  • हाइड्रोजन ईंधन सेल आधारित वाहन और इलेक्ट्रिक वाहन: जब ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों की ओर बढ़ने की बात आती है तो ये सबसे उपयुक्त विकल्प होते हैं, जहाँ हमें काम करने की आवश्यकता होती है।

स्रोत: पी.आई.बी