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पीएम कुसुम और रूफटॉप सोलर कार्यक्रम फेज़-II

  • 21 Aug 2021
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

पीएम कुसुम और रूफटॉप सोलर कार्यक्रम फेज़-II

मेन्स के लिये:

पीएम कुसुम और रूफटॉप सोलर कार्यक्रम फेज़-II का कृषि क्षेत्र में महत्त्व

चर्चा में क्यों?

हाल ही में नवीन और नवीकरणीय मंत्रालय (MNRE) ने प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (पीएम-कुसुम) योजना और रूफटॉप सोलर कार्यक्रम फेज़- II के कार्यान्वयन की समीक्षा की तथा इसके विस्तार के उपायों से संबंधित सुझाव दिया है।

प्रमुख बिंदु

पीएम-कुसुम:

  • ग्रामीण क्षेत्रों में ऑफ-ग्रिड सौर पंपों की स्थापना का समर्थन करने और ग्रिड से जुड़े क्षेत्रों में ग्रिड पर निर्भरता को कम करने के लिये 2019 में एमएनआरई द्वारा पीएम-कुसुम योजना शुरू की गई थी।
  • इस योजना का उद्देश्य किसानों को अपनी बंजर भूमि पर सौर ऊर्जा उत्पादन क्षमता स्थापित करने और इसे ग्रिड को बेचने में सक्षम बनाना है।
  • वर्ष 2020-21 के बजट में सरकार ने 20 लाख किसानों को स्टैंडअलोन सोलर पंप स्थापित करने हेतु सहायता के साथ योजना के दायरे का विस्तार किया तथा अन्य 15 लाख किसानों को उनके ग्रिड से जुड़े पंप सेटों को सोलराइज़ करने हेतु मदद की जाएगी।

पीएम-कुसुम योजना के लाभ:

  • किसानों की मदद करना:
    • यह सिंचाई गतिविधियों के लिये दिन में बिजली का विश्वसनीय स्रोत प्रदान कर किसानों के लिये जल-सुरक्षा सुनिश्चित करती है।
    • यह किसानों को अधिशेष सौर ऊर्जा राज्यों को बेचने के लिये भी प्रोत्साहित करती है, जिससे उनकी आय में वृद्धि होगी।
  • पर्यावरण संरक्षण:
    • यदि किसान अधिशेष बिजली बेचने में सक्षम होंगे, तो उन्हें बिजली बचाने के लिये प्रोत्साहित किया जाएगा और बदले में भूजल का उचित और कुशल उपयोग होगा।
    • साथ ही विकेंद्रीकृत सौर-आधारित सिंचाई प्रदान करना और प्रदूषणकारी डीज़ल से मुक्त सिंचाई कवर का विस्तार करना।
  • डिस्कॉम की मदद करना:
    • चूँकि किसान सब्सिडी वाली बिजली पर कम निर्भर होंगे, पीएम-कुसुम योजना कृषि क्षेत्र पर सब्सिडी के बोझ को कम करके बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) के वित्तीय सशक्तीकरण का समर्थन करेगी।
    • RPO (नवीकरणीय खरीद दायित्व) लक्ष्यों को पूरा करने में उनकी सहायता करना।
  • सहयोग:
    • विकेंद्रीकृत सौर ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा देती है और पारेषण हानियों को कम करती है।
    • यह सिंचाई के लिये सब्सिडी परिव्यय को कम करने का एक संभावित तरीका है।

रूफटॉप सोलर प्रोग्राम फेज़ II के विषय में: 

  • इसका उद्देश्य वर्ष 2022 तक रूफटॉप सौर परियोजनाओं से 40,000 मेगावाट की संचयी क्षमता हासिल करना है।
  • ग्रिड से जुड़े रूफटॉप या छोटे सोलर वोल्टाइक पैनल सिस्टम में सोलर वोल्टाइक पैनल से उत्पन्न डीसी पावर को पावर कंडीशनिंग यूनिट का उपयोग करके एसी पावर में परिवर्तित किया जाता है।
  • यह योजना राज्यों में वितरण कंपनियों (DISCOMs) द्वारा लागू की जा रही है।
  • MNRE पहले 3 किलोवाट के लिये 40% सब्सिडी और 3 किलोवाट से अधिक तथा सौर पैनल क्षमता के 10 किलोवाट तक 20% सब्सिडी प्रदान कर रहा है।

रूफटॉप सोलर प्रोग्राम के उद्देश्य:

  • आवासीय, सामुदायिक, संस्थागत, औद्योगिक और वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों के बीच ग्रिड से जुड़े SPV रूफटॉप और छोटे SPV बिजली उत्पादन संयंत्रों को बढ़ावा देना।
  • जीवाश्म ईंधन आधारित बिजली उत्पादन पर निर्भरता को कम करना और पर्यावरण के अनुकूल सौर बिजली उत्पादन को प्रोत्साहित करना।
  • निजी क्षेत्र, राज्य सरकार और व्यक्तियों द्वारा सौर ऊर्जा क्षेत्र में निवेश के लिये एक सक्षम वातावरण बनाना।
  • छत और छोटे संयंत्रों से ग्रिड तक सौर ऊर्जा की आपूर्ति के लिये एक सक्षम वातावरण बनाना।
    • रूफटॉप सोलर लगाने से घरों में बिजली की खपत कम होगी और बिजली खर्च की बचत होगी।

सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिये अन्य योजनाएँ        

  • अल्ट्रा मेगा रिन्यूएबल एनर्जी पावर पार्क के विकास के लिये योजना: यह मौजूदा सौर पार्क योजना के तहत अल्ट्रा मेगा रिन्यूएबल एनर्जी पावर पार्क (UMREPPs) विकसित करने की एक योजना है।
  • राष्ट्रीय पवन-सौर हाइब्रिड नीति 2018: इस नीति का मुख्य उद्देश्य पवन और सौर संसाधनों, बुनियादी ढांँचे और भूमि के इष्टतम व कुशल उपयोग के लिये ग्रिड कनेक्टेड विंड-सोलर पीवी सिस्टम (Wind-Solar PV Hybrid Systems) को बढ़ावा देने हेतु एक रूपरेखा प्रस्तुत करना है।
  • अटल ज्योति योजना (AJAY): AJAY योजना को सितंबर 2016 में ग्रिड पावर (2011 की जनगणना के अनुसार) में 50% से कम घरों वाले राज्यों में सौर स्ट्रीट लाइटिंग (Solar Street Lighting- SSL) सिस्टम की स्थापना के लिये शुरू किया गया था।
  • अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) : ISA, भारत की एक पहल है जिसे 30 नवंबर, 2015 को पेरिस, फ्रांँस में भारत के प्रधानमंत्री और फ्रांँस के राष्ट्रपति द्वारा पार्टियों के सम्मेलन (COP-21) में शुरू किया गया था। इस संगठन के सदस्य देशों में वे 121 सौर संसाधन संपन्न देश शामिल हैं जो पूर्ण या आंशिक रूप से कर्क और मकर रेखा के मध्य स्थित हैं।
  • वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रिड (OSOWOG): यह वैश्विक सहयोग को सुविधाजनक बनाने हेतु एक रूपरेखा पर केंद्रित है, जो परस्पर नवीकरणीय ऊर्जा संसाधनों (मुख्य रूप से सौर ऊर्जा) के वैश्विक पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण कर उसे साझा करता है।
  • राष्ट्रीय सौर मिशन (जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में राष्ट्रीय कार्ययोजना का एक हिस्सा)।
  • सूर्यमित्र कौशल विकास कार्यक्रम: इसका उद्देश्य सौर प्रतिष्ठानों की निगरानी हेतु ग्रामीण युवाओं को कौशल प्रशिक्षण प्रदान करना है।

स्रोत : पीआईबी

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