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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

‘अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन’की तीसरी बैठक

  • 16 Oct 2020
  • 21 min read

प्रिलिम्स के लिये: 

अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन, एशिया विकास बैंक 

मेन्स के लिये:

 नवीनीकरण ऊर्जा के अनुप्रयोगों के संदर्भ में  ‘अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन, का महत्त्व 

चर्चा में क्यों

हाल ही में संपन्न ‘अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन’ (International Solar Alliance-ISA) की तीसरी आभासी बैठक में भारत एवं फ्राँस को अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन के अध्यक्ष और सह-अध्यक्ष के रूप में फिर से चुना गया है।

प्रमुख बिंदु:

  • अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन की तीसरी बैठक में ‘अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन’ में शामिल 34 देशों के मंत्रियों ने भाग लिया है। 
  • कुल 53 सदस्य देश , 5 हस्ताक्षरकर्ता एवं संभावित सदस्य देशों ने इस आभासी बैठक में भाग लिया।
  • 14 अक्तूबर को आयोजित तीसरी आभासी बैठक में भारत और फ्राँस का चुनाव दो वर्ष के कार्यकाल के लिये किया गया है ।
  • ISA के चार क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करने के लिये चार नए उपाध्यक्ष का चुनाव भी इस बैठक में किया गया जो इस प्रकार है:
    • एशिया प्रशांत क्षेत्र के प्रतिनिधि के रूप में फिजी और नौरु 
    • अफ्रीका क्षेत्र के लिये मॉरीशस और नाइजर
    •  यूरोप एवं अन्य क्षेत्र के लिये यूके और नीदरलैंड,
    • लैटिन अमेरिका और कैरिबियन क्षेत्र के लिये क्यूबा और गुयाना, को उपाध्यक्ष के रूप में चुना गया।
  • इस बैठक में ‘असेंबली फॉर सस्टेनेबल क्लाइमेट एक्शन’(Coalition for Sustainable Climate Action-CSCA) के माध्यम से निजी और सार्वजनिक कॉरपोरेट क्षेत्र के साथ ISA के संस्थागत रूप को स्थापित करने के लिये ISA सचिवालय की पहल को भी मंज़ूरी प्रदान कर दी है।
    • भारत के दस सार्वजनिक क्षेत्र के संगठनों द्वारा इस बैठक में 1 मिलियन अमेरिकी डॉलर राशि प्रदान करने की पेशकश की गई है ।
  • पिछले 5 वर्षों में सौर ऊर्जा के क्षेत्र ने एक लंबा सफर तय किया है जो अब विश्व स्तर पर सबसे तेज़ी से बढ़ते ऊर्जा स्रोत के रूप में उभरा है। 
    • वर्तमान में वैश्विक बिजली उत्पादन में सौर ऊर्जा का लगभग 2.8% योगदान है, और यदि 2030 तक इसके प्रति यही रुझान जारी रहता है, तो सौर ऊर्जा दुनिया के बड़े हिस्से में बिजली उत्पादन के लिये ऊर्जा का सबसे महत्वपूर्ण स्रोत/विकल्प बन जाएगा।

ISA के तहत नई परियोजनाएँ:

  • सौर ऊर्जा के विभिन्न पहलुओं को शामिल करते हुए छह कार्यक्रम एवं दो परियोजनाएंँ संचालित की जा रही हैं। 
    • ISA के उन सदस्य देशों के लिये जो, आधुनिक ऊर्जा सेवाओं से अभी तक काफी हद तक वंचित है, के लिये प्रकाश, सिंचाई, पीने का पानी एवं उत्पादक ऊर्जा की आवश्यकता को पूरा करने के लिये सौर ऊर्जा अनुप्रयोगों हेतु 5 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक की एक मज़बूत परियोजना शुरू की गईं हैं।
    • ISA द्वारा 22 सदस्य देशों में 270,000 से अधिक सोलर पंपों की मांग की गई है, 11 देशों में 1 GW से अधिक सोलर रूफटॉप और 9 देशों में 10GW से अधिक सोलर मिनी-ग्रिडों (Solar Mini-grids) की मांग की गई है।
  • हाल ही में ISA द्वारा 47 मिलियन होम पॉवर सिस्टम (Home Power Systems) के लिये कार्यक्रम शुरू किये गये हैं जिससे न केवल ग्रामीण घरों की निर्वाह ऊर्जा ज़रूरतों को पूरा किया जा सकेगा बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं एवं प्रयोग में आने वाले जल की उपलब्धता भी सुनिश्चित होगी।
  • ISA द्वारा विशेष रूप से विकासशील देशों में, नवीकरणीय ऊर्जा के पुनर्निर्देशन में महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया गया है।
  • फ्राँस की भागीदारी: ISA के सदस्य देशों में फ्राँस की भागीदारी यह इंगित करती है कि फ्राँस वर्ष 2022 तक ISA के सदस्य देशों में सौर परियोजनाओं के लिये 1.5 बिलियन यूरो के वित्तपोषण के लिये प्रतिबद्ध है जिनमे 1.15 बिलियन यूरो की वित्त परियोजनाओं को ठोस रूप प्रदान करने पर खर्च किया जाएगा।
    • फ्राँस द्वारा विश्व बैंक के साथ वित्त पोषण में सहयोग करने के लिये भी अपना समर्थन दिया गया है।
    • फ्राँस और यूरोपीय संघ के समर्थन से शुरु ‘सतत् नवीकरणीय जोखिम न्यूनीकरण पहल’ (Sustainable Renewables Risk Mitigation Initiative-SRMI) जिसे मोजाम्बिक में लॉन्च किया जा रहा है, इससे 10 से अधिक गीगावाट वाली सौर परियोजनाओं के वित्त पोषण के लिये निजी निवेश के माध्यम से 18 बिलियन यूरो जुटाने में मदद मिलेगी।
    •  ISA के ‘स्टार-सी कार्यक्रम’ के तहत , ‘फ्रेंच नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर सोलर एनर्जी’ (French National Institute for Solar Energy-INES) द्वारा शीघ्र ही प्रशांत के छोटे द्वीप राज्यों के लिये एक विशेष कार्यक्रम शुरू किया जाएगा 
  • इस बैठक में जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिये यूनाइटेड किंगडम (UK) की प्रतिबद्धता को याद किया गया। 
  • UK द्वारा अगले पाँच वर्षों में कोयले के प्रयोग को समाप्त करने एवं वर्ष 2050 तक सभी ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को शून्य स्तर पर लाने की योजना बनाई गई है।
    • इस बैठक में ISA द्वारा यूके की तीन प्रतिबद्धताओं पर बल दिया गया जिनमें:
      1. COP-26 के दौरान एलायंस/गठबंधन के लिये एक मंच प्रदान करना।
      2. विश्व सौर बैंक के कार्यान्वयन पर व्यवहार्यता अध्ययन का समर्थन करना।
      3. मानव और वित्तीय संसाधन प्रदान करके ‘वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रिड’( One Sun One World One Grid) पहल के कार्यान्वयन पर ISA सचिवालय की सहायता करना।

अन्य बिंदु:

  • ISA समझौते की शुरुआत के बाद पहली बार, सौर क्षेत्रों में कार्य करने वाले देशों के साथ-साथ सौर/सूर्य पर काम करने वाले संस्थानों को भी सौर पुरस्कारों से सम्मानित किया गया ।
    • ISA द्वारा सम्पन्न इस बैठक में ‘विश्वेश्वरैया पुरस्कारों’(Visvesvaraya Awards) का वितरण किया गया , जो ISA के चार क्षेत्रों में से प्रत्येक में अधिकतम/त्वरित सौर क्षमता वाले देशों को प्रदान किया जाता है।
    • एशिया प्रशांत क्षेत्र के लिये यह पुरस्कार जापान को एवं यूरोप और अन्य क्षेत्र के लिये नीदरलैंड को प्रदान किया गया ।
  • हरियाणा सरकार द्वारा भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री के नाम पर ‘कल्पना चावला पुरस्कार’ की घोषणा की गई , जिसे आईआईटी दिल्ली (भारत) के भीम सिंह और दुबई बिजली और जल प्राधिकरण (संयुक्त अरब अमीरात) के डॉ शेषेश अलनुआमी को प्रदान किया गया ।
    • यह पुरस्कार सौर ऊर्जा के क्षेत्र में काम करने वाले वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को उनके उत्कृष्ट योगदान के लिये दिया गया।
  • कर्नाटक सरकार द्वारा भारत रत्न ‘एम विश्वेश्वरैया’ के नाम पर पुरस्कार वितरण की घोषणा की गई। 
    • जिसे एशिया और प्रशांत क्षेत्र के लिये  जापान को तथा  यूरोप एवं अन्य क्षेत्र के लिये नीदरलैंड को प्रदान किया गया ।
    •  इस पुरस्कार के तहत 12,330 अमेरिकी डॉलर की राशि, एक शाॅल  और एक प्रमाण पत्र प्रदान किये जाते हैं।
  •  ISA द्वारा स्थापित ‘दिवाकर पुरस्कार’ पेन्सिलवेनिया विश्वविद्यालय द्वारा ‘अर्पन इंस्टीट्यूट’ (हरियाणा) और अरुशी सोसाइटी को प्रदान किया गया, इसके अलावा भारत के रेलवे और वाणि‍ज्‍य एवं उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल द्वारा पेनसिल्वेनिया यूनिवर्सिटी से 25,000 अमेरिकी डॉलर की राशि को भी प्राप्त किया गया। 
    • यह पुरस्कार उन संगठनों और संस्थानों को दिया जाता है जो अलग-अलग लोगों के लाभ/हितों के लिए कार्य कर रहे हैं तथा उनके द्वारा मेज़बान देश में सौर ऊर्जा के अधिकतम उपयोग को सुनिश्चित किया गया है।

ISA द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट के मुख्य बिंदु:

  • ISA की इस बैठक में ‘वर्ल्ड रिसोर्स इंस्टीट्यूट’ (World Resources Institute- WRI) द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट को भी प्रस्तुत  किया गया है।
    • प्रस्तुत रिपोर्ट में सौर निवेश को बढ़ावा देने के लिये धन, अवसरों एवं सौर निवेश में आने वाली बाधाओं के स्रोतों की पहचान की गई है तथा ISA के सदस्य देशों में ISA के योगदान को इंगित किया गया।
  • वर्ष 2030 तक WRI तथा ISA द्वारा मिलकर 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर जुटाने के लक्ष्य हेतु रोड मैप/प्रारूप विकसित करने की कदम की सराहना बैठक में की गई। 
    • इस प्रारूप को विकसित करने के लिये नीदरलैंड (Netherlands), ब्लूमबर्ग फिलनथ्रॉफी (Bloomberg Philanthropies), ब्लूमबर्ग न्यू एनर्जी फाइनेंस एंड क्लाइमेट वर्क्स फाउंडेशन ( Bloomberg New Energy Finance and Climate Works Foundation) आवश्यक वित्तीय एवं तकनीकी सहायता प्रदान करेंगे।
    • इस प्रारूप के अंतर्गत सौर ऊर्जा परियोजनाओं के अलावा परिवहन और हीटिंग एंड कू‍लिंग में सौर ऊर्जा के उपयोग में निवेश की संभावनाओं का भी विश्लेषण किया जाएगा ताकि 'वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रिड'(One Sun, One World, One Grid) के दृष्टिकोण को कार्यान्वित किया जा सके।

ISA CARES की स्थापना:

  • वैश्विक महामारी को ध्यान में रखते हुए ISA द्वारा आईएसए केयर्स (ISA CARES) पहल की स्थापना की गई है जो सबसे कम विकसित देशों, छोटे द्वीपीय विकासशील सदस्य देशों के स्‍वास्‍थ्‍य सेवा क्षेत्र में सौर ऊर्जा के लिये समर्पित एक पहल है। 
    • इस पहल के तहत लक्षित सदस्य देशों के प्रत्येक ज़िले में एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को सौर ऊर्जा द्वारा संचालित किया जाना है। 
  • ऑस्ट्रेलिया द्वारा प्रशांत क्षेत्र में स्वास्थ्य केंद्रों पर चल रही विश्वसनीय सौर ऊर्जा ‘आईएसए केयर्स’ पहल के लिये  92,000 ऑस्ट्रेलियाई डॉलर प्रदान किये गए हैं।
    • इसके द्वारा दूरदराज़ के द्वीप पर रहने वाले समुदायों की महंगे डीज़ल एवं इसके आयात की अनिश्चितता पर निर्भरता कम होगी ।

ISA का महत्त्व:

  • वैश्विक स्तर पर कूलिंग एवं हीटिंग यूटिलिटीज़ की बढती मांग को देखते हुए ISA सचिवालय ने सोलराइजिंग हीटिंग एंड कूलिंग सिस्टम पर सातवाँ कार्यक्रम शुरू किया है जो पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों पर केंद्रित है।
    • वर्ष 2017 में केवल कूलिंग के लिये मौजूदा मांग/सौर ऊर्जा से अधिक दर्ज की गई अतः हीटिंग एंड कूलिंग सिस्टम में प्रत्यक्ष रूप से सौर विकिरण का इस्‍तेमाल करने एवं उच्च दक्षता हासिल करने की गुंजाइश है।
  • सम्मेलन के दौरान प्रस्तुत की गईं अन्य पहलों में 4.7 करोड़ ‘सोलर होम सिस्टम’(Solar Home Systems) एवं ISA सदस्य देशों में अगस्त 2020 में शुरु की गई 25 करोड़ ‘एलईडी लैंप’( LED Lamps) वितरित करने की पहल शामिल हैं।

अन्य संगठनों के साथ सहयोग:

  • ISA के सदस्‍य देशों एवं पाँच संभावित सदस्‍यों के लिये 5 लाख अमेरिकी डॉलर की सार्क डेवलपमेंट फंड टेक्निकल असिस्‍टेंस (SAARC Development Fund Technical Assistance) को एशियाई विकास बैंक (Asian Development Bank) के साथ मिलकर संयुक्त रूप से लागू करने का प्रस्ताव है।
  • ISA के ‘सोलर पंप कार्यक्रम’ के तहत UNDP के साथ साथ मिलकर ISA के सदस्‍य देशों में ‘सोलर वाटर पंप सिस्‍टम’ को कार्यान्वित करने वाली परियोजनाओं के लिये 20 लाख अमेरिकी डॉलर की आईबीएसए फैसिलिटी टेक्निकल असिस्टेंस (IBSA Facility Technical Assistance ) उपलब्ध कराने का प्रावधान।

ISA और उसकी सदस्यता:

  • वर्ष 2019 में आयोजित ISA के दूसरे सम्मेलन के बाद से ISA के सदस्य देशों की संख्या लगातार बढ़ रही है। 
    • ISA को अब तक 68 सदस्य देश अपना समर्थन दे चुके हैं तथा 20 अन्य देश सदस्यता ग्रहण करने की प्रक्रिया में शामिल हैं।
  • हाल ही में ISA द्वारा विश्व बैंक एवं भारत सरकार के साथ एक त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किये गए हैं।
    • इस समझौते के तहत ISA, विश्व बैंक एवं भारत सरकार तीनों एक साथ मिलकर 'वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रिड' पहल के सक्रिय कार्यान्वयन में शामिल हैंI
  • वर्ष 2020 में ISA सचिवालय ने ‘संयुक्त राष्ट्र औद्योगिक विकास संगठन’ (United Nations Industrial Development Organization- UNIDO) के साथ मिलकर काम करते हुए आईएस सोलर टेक्‍नोलॉजी एंड एप्लिकेशन रिसोर्स सेंटर’ (ISA Solar Technology and Application Resource Centre- ISA STAR C) नेटवर्क के संचालन पर ध्यान केंद्रित किया है

ISA के बारे में:

  •  ISA भारत के प्रधानमंत्री और फ्राँस के राष्ट्रपति द्वारा 30 नवंबर, 2015 को फ्राँस की राजधानी पेरिस में आयोजित कोप-21 (COP-21) के दौरान शुरू की गई पहल है।
  • ISA का उद्देश्य ISA सदस्य देशों में सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिये प्रमुख चुनौतियों का साथ मिलकर समाधान निकलना है। 
  • इसका उद्देश्य वित्तीय लागत एवं प्रौद्योगिकी लागत को कम करने के लिये आवश्यक संयुक्त प्रयास करना, बड़े पैमाने पर सौर ऊर्जा उत्पाद के लिये आवश्यक निवेश जुटाना तथा भविष्य की प्रौद्योगिकी के लिये उचित मार्ग तैयार करना है। 
  • वर्तमान में ISA उन परिस्थितियों एवं योजनाओं के सुचारु क्रियान्वयन की स्थिति में है जिनके द्वारा सौर ऊर्जा में बड़े पैमाने पर पर निवेश करना संभव है तथा जिनके द्वारा सौर उर्जा के अनुप्रयोगों में आसानी हो।
  • ISA को वर्ष 2030 तक सतत् विकास लक्ष्यों को हासिल करने और जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते के उद्देश्यों को प्राप्त करने की दिशा में कार्य करने वाला एक प्रमुख संगठन माना जाता है।
  • ISA का पहला सम्मेलन 2 से 5 अक्तूबर, 2018 में ग्रेटर नोएडा (भारत) में आयोजित किया गया था। उसका उद्घाटन भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और संयुक्त राष्ट्र महासचिव श्री एंटोनियो गुटेरेस द्वारा किया गया था।
  • ISA के दूसरे सम्मेलन का आयोजन 30 अक्तूबर से 1 नवंबर, 2019 तक नई दिल्ली(भारत ) में सम्पन्न हुआ। इस सम्मेलन में 78 देशों ने भाग लिया था। 
  • ISA के तीसरे सम्मेलन का आयोजन वर्चुअल/आभासी तरीके से 14 से 16 अक्तूबर, 2020 के दौरान हो रहा है।

आगे की राह:

  • दूसरे सम्मेलन के बाद से ISA द्वारा ‘स्टार सी परियोजना’(STAR-C project) का संचालन शुरू किया गया जिसमें ‘स्टार सी परियोजना’ को रेखांकित करने वाले परिचालन ढाँचे एवं परियोजना दस्तावेज़ को विकसित करने के लिये ‘संयुक्त राष्ट्र औद्योगिक विकास संगठन’ के साथ मिलकर कार्य करना शामिल है।
  •  इसके अलावा 25 से 27 फरवरी 2020 तक पेरिस में ISA, स्टार सी परियोजना के विकास पर एक परामर्श कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसकी मेजबानी फ्राँस सरकार द्वारा की गई। 
  • COVID-19 के दौरान ISA सदस्यों के क्षमता विकास में मदद करने के लिये ‘स्‍टार सी वेबिनार-द सोलिनर्स’ (STAR C Webinars-The Solinars) के लिये कार्यक्रम और सत्रों को तैयार किया गया। इसके तहत अब तक लगभग 450 लोगों से संपर्क किया जा चुका है।

स्रोत-पीआईबी

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