प्रारंभिक परीक्षा
केल्प वनों में गिरावट
- 30 Jan 2023
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हाल के एक अध्ययन से पता चला है कि जलवायु परिवर्तन के कारण केल्प वनों में कमी आ रही है।
अध्ययन के प्रमुख निष्कर्ष:
- एकलोनिया रेडिएटा (Ecklonia radiata) जो कि दक्षिणी गोलार्द्ध की एक प्रमुख केल्प प्रजाति है, जलवायु परिवर्तन के प्रति संवेदनशील पाई गई है विशेष रूप से भूमध्य रेखा के निकटवर्ती क्षेत्रों में।
- तापमान में वृद्धि पूर्वी ऑस्ट्रेलियाई तटरेखा के आस-पास इन प्रजातियों की आबादी में गिरावट का कारण बन रही है तथा भविष्य में वैश्विक स्तर पर इसमें और अधिक गिरावट आने की संभावना है।
- इनका स्वस्थाने (In situ) संरक्षण संभव नहीं हो सकता है, लेकिन भविष्य में पुनर्बहाली (Restoration), संकरण (Hybridization) या अनुकूलन (Adaptation) रणनीतियों में उपयोग हेतु कल्चर बैंकों में बाह्य स्थाने (Ex situ) संरक्षण के माध्यम से इनकी अनूठी आनुवंशिक विविधता को संरक्षित किया जा सकता है।
केल्प वन:
- परिचय:
- केल्प वन कई अलग-अलग प्रजातियों के सघन विकास से उथले जल क्षेत्र में निर्मित जल के नीचे के पारिस्थितिक तंत्र हैं।
- केल्प बड़े भूरे रंग के शैवाल होते हैं जो तट के निकट ठंडे, अपेक्षाकृत उथले जल में पाए जाते हैं।
- वे समुद्र तल से संबंधित होते हैं और अंततः जल की सतह तक बढ़ते हैं और खाद्य एवं ऊर्जा उत्पन्न करने के लिये सूर्य के प्रकाश पर निर्भर होते हैं, केल्प वन हमेशा तटीय रेखा में पाए जाते हैं जिन्हें उथले, अपेक्षाकृत स्वच्छ जल की आवश्यकता होती है।
- वे अकशेरूकीय, मछलियों और अन्य शैवाल की सैकड़ों प्रजातियों को जल के अंदर आवास प्रदान करते हैं तथा उनका उच्च पारिस्थितिक और आर्थिक मूल्य है।
- महत्त्व:
- यह विभिन्न प्रकार के समुद्री जीवों के लिये एक उचित भोजन स्रोत के रूप में कार्य करता है। तटीय अकशेरूकीय में पाए जाने वाले 60% तक कार्बन के उत्पादन के लिये केल्प्स ज़िम्मेदार हैं।
- विविध अकशेरूकीय और मछली पारिस्थितिकी तंत्र के रूप में वे पक्षियों के खुराक हेतु एक आवास के रूप में काम करते हैं।
- यह तटीय पारिस्थितिकी में कार्बन उत्सर्जित करता है, जिससे इसकी उत्पादकता बढ़ती है। केल्प द्वारा प्राथमिक उत्पादन के माध्यम से नए बायोमास, अपरद (Detritus) और अन्य पदार्थों का उत्पादन किया जाता है।
- प्रमुख केल्प वनों का वैश्विक वितरण: