शासन व्यवस्था
बौद्धिक संपदा अधिकार
- 25 May 2023
- 17 min read
प्रिलिम्स के लिये:विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (WIPO), भारत में पेटेंट मानदंड (Patent Criteria in India), राष्ट्रीय IPR नीति (National IPR Policy), राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा जागरूकता मिशन (National Intellectual Property Awareness Mission-NIPAM), बौद्धिक संपदा साक्षरता एवं जागरूकता अभियान के लिये कलाम कार्यक्रम (Kalam Program for Intellectual Property Literacy and Awareness Campaign-KAPILA). मेन्स के लिये:बौद्धिक संपदा अधिकार से संबंधित मुद्दे, एक मज़बूत IPR पारिस्थितिकी तंत्र की भूमिका एवं महत्त्व, भारत का वर्तमान परिदृश्य, महिलाओं की भागीदारी में सुधार |
चर्चा में क्यों?
वर्ष 2000 में विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (WIPO) ने 26 अप्रैल को विश्व बौद्धिक संपदा दिवस के रूप में नामित किया, जिस दिन वर्ष 1970 में WIPO अभिसमय लागू हुआ था, जिसका उद्देश्य IP के बारे में सामान्य जागरूकता एवं समझ को बढ़ाना था।
- विश्व बौद्धिक संपदा दिवस, 2023 का विषय- “वीमेन एंड IP: एक्सेलरेटिंग इनोवेशन एंड क्रिएटिविटी” (Women and IP: Accelerating Innovation and Creativity) है।
नोट: मार्च 2023 में जारी WIPO के आँकड़ों के अनुसार, यह अनुमान लगाया गया है कि वर्ष 2022 में अंतर्राष्ट्रीय पेटेंट आवेदकों में नामित नवप्रवर्तकों में केवल 16.2% महिलाएँ थीं। हालाँकि यह संख्या बढ़ रही है परंतु इसकी प्रगति धीमी है।
बौद्धिक संपदा
- परिचय:
- आधुनिक युग में बौद्धिक संपदा सबसे मूल्यवान संपत्ति है क्योंकि यह मानवीय विकास को गति देने वाले तकनीकी नवाचार को पुरस्कृत करती है। यह वैश्विक कला परिदृश्य की उन्नति में सहायक है।
- बौद्धिक संपदा काल्पनिक रचनाओं को संदर्भित करती है। इसमें सभी प्रकार के आविष्कार, साहित्यिक एवं वैज्ञानिक, कलात्मक कार्य, डिज़ाइन एवं कई अन्य चीजें शामिल हैं।
- वे उन व्यक्तियों को भी संदर्भित कर सकते हैं जिनकी प्रतिष्ठा स्वयं ही वाणिज्यिक सुविधा और लाभ को नियंत्रित करती है।
- IP अधिकार:
- WIPO, संपत्ति के आविष्कारकों या निर्माताओं को कुछ विशेष अधिकार प्रदान करने के लिये नियम निर्धारित करता है ताकि वे अपने रचनात्मक प्रयासों या प्रतिष्ठा से व्यावसायिक लाभ प्राप्त कर सकें।
- बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) कानूनी संरक्षण का एक रूप है जो व्यक्तियों या कंपनियों को उनके रचनात्मक एवं अभिनव कार्यों के लिये प्रदान किया जाता है।
- ये अधिकार मानव अधिकारों की सार्वभौम घोषणा के अनुच्छेद 27 में उल्लिखित हैं।
- इन कानूनी सुरक्षा उपायों के कारण रचनाकार को उसकी रचनाओं को विनियमित करने और दूसरों द्वारा उन रचनाओं के उपयोग या अनधिकृत प्रतिकृति को प्रतिबंधित करने में सहायता मिलती है।
- प्रकार :
- IP के मुख्य प्रकारों में आविष्कारों के लिये पेटेंट, ब्रांडिंग के लिये ट्रेडमार्क, कलात्मक और साहित्यिक कार्यों के लिये कॉपीराइट, गुप्त व्यावसायिक सूचनाओं के लिये व्यापारिक गोपनीयता तथा उत्पाद की प्रस्तुति के लिये औद्योगिक डिज़ाइन शामिल हैं।
- भारत और IPR:
- भारत विश्व व्यापार संगठन का सदस्य होने के साथ-साथ बौद्धिक संपदा के व्यापार संबंधी पहलुओं पर समझौते (ट्रिप्स समझौते) के लिये प्रतिबद्ध है।
- भारत विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (World Intellectual Property Organisation- WIPO) का भी सदस्य है, जो विश्व भर में बौद्धिक संपदा अधिकारों के संरक्षण को बढ़ावा देने के लिये उत्तरदायी निकाय है।
- राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) नीति, 2016 को मई 2016 में देश में IPR के भविष्य के विकास को निर्देशित करने के लिये एक विज़न दस्तावेज़ (Vision Document) के रूप में अपनाया गया था।
- नीति का आदर्श वाक्य "क्रिएटिव इंडिया; इनोवेटिव इंडिया" (Creative India; Innovative India) है।
भारत में पेटेंट मानदंड
- परिचय:
- पेटेंट एक आविष्कार के लिये एक वैधानिक अधिकार है जो सरकार द्वारा पेटेंटधारक को उसके आविष्कार के पूर्ण प्रकटीकरण के बदले में सीमित अवधि के लिये प्रदान किया जाता है, ताकि दूसरों को उसकी सहमति के बिना उन उद्देश्यों हेतु उस उत्पाद के उत्पादन के लिये पेटेंट किये गए उत्पाद या प्रक्रिया को बनाने, उपयोग करने, बेचने या आयात करने से रोका जा सके।
- अवधि:
- हालाँकि, पेटेंट सहयोग संधि (PCT) के अंतर्गत नेशनल फेज़ (राष्ट्रीय चरण) में दाखिल आवेदनों के पेटेंट की अवधि PCT के तहत की गई अंतर्राष्ट्रीय आवेदन तिथि से 20 वर्ष तक होगी।
- दिये गए प्रत्येक पेटेंट की अवधि आवेदन दाखिल करने की तिथि से अगले 20 वर्ष तक होती है।
- हालाँकि, पेटेंट सहयोग संधि (PCT) के अंतर्गत नेशनल फेज़ (राष्ट्रीय चरण) में दाखिल आवेदनों के पेटेंट की अवधि PCT के तहत की गई अंतर्राष्ट्रीय आवेदन तिथि से 20 वर्ष तक होगी।
IPR पारिस्थितिकी तंत्र की भूमिका एवं महत्त्व:
- नवाचार को प्रोत्साहन: एक मज़बूत IPR पारिस्थितिकी तंत्र निर्माताओं के नवाचार को विधिक संरक्षण प्रदान करता है। यह व्यक्तियों एवं व्यवसायों को अनुसंधान और विकास में निवेश करने के लिये प्रोत्साहित करता है तथा निरंतर नवाचार की संस्कृति को बढ़ावा देता है। नतीजतन, राष्ट्र तकनीकी एवं आर्थिक रूप से उन्नति करता है।
- सहयोग और ज्ञान साझा करना: विभिन्न निर्माताओं/रचनाकारों का सहयोग उनके ज्ञान और कौशल को एक साथ लाता है। एक मज़बूत IPR तंत्र यह सुनिश्चित करके सहयोग को प्रोत्साहित करती है कि प्रत्येक प्रतिभागी की बौद्धिक संपदा सुरक्षित है।
- यह उद्योगों और संस्थानों के बीच ज्ञान साझाकरण, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और सहयोग करता है, जो समग्र प्रगति में योगदान देता है।
- सरकारी समर्थन एवं वैधानिक मंच: सरकार वैधानिक मंच प्रदान कर तथा बौद्धिक संपदा अधिकारों की रक्षा करने वाले कानून बनाकर एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
- यह समर्थन निर्माताओं और नवप्रवर्तकों के लिये निश्चितता एवं सुरक्षा का वातावरण निर्मित करता है, जिससे वे अनधिकृत उपयोग अथवा उल्लंघन के भय के बिना अपने काम पर ध्यान केंद्रित कर सकें।
- उत्तरदायी उपयोग और लाभ साझाकरण: यह बौद्धिक संपदा अधिकारों के उत्तरदायी उपयोग और आविष्कारकों तथा समाज के बीच समान लाभ वितरण को सुनिश्चित करता है। एक मज़बूत IPR पारिस्थितिकी तंत्र यह सुनिश्चित करता है कि सृजनकर्त्ता सामाजिक आवश्यकताओं के साथ अपने अधिकारों को संतुलित करते हुए IPR का उचित उपयोग करें।
- इसके अतिरिक्त यह भी सुनिश्चित करता है कि नवाचारों से प्राप्त लाभों को समान रूप से साझा किया जाए तथा निष्पक्षता एवं सामाजिक विकास की भावना को बढ़ावा दिया जाए।
- आर्थिक विकास और प्रतिस्पर्द्धात्मकता: एक मज़बूत IPR पारिस्थितिकी तंत्र निवेश को आकर्षित करने के साथ-साथ आर्थिक विकास को बढ़ावा देती है। यह व्यवसायों को घरेलू एवं अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों में उनकी प्रतिस्पर्द्धात्मकता को बढ़ाते हुए उनकी बौद्धिक संपदाओं के विकास और सुरक्षा के लिये प्रोत्साहित करता है। इससे रोज़गार सृजन, निर्यात में वृद्धि एवं समग्र आर्थिक उन्नति होती है।
- अंतर्राष्ट्रीय संबंध और व्यापार: एक मज़बूत IPR तंत्र वाले देशों के अनुकूल व्यापारिक संबंध होने की संभावना अधिक होती है। बौद्धिक संपदा संरक्षण के अंतर्राष्ट्रीय मानकों का अनुपालन एक देश की प्रतिष्ठा को बढ़ाता है, व्यापारिक वार्ताओं को सुगम बनाता है और नवीन उत्पादों एवं सेवाओं के निर्यात को बढ़ावा देता है।
- सार्वजनिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा: फार्मास्यूटिकल्स जैसे क्षेत्रों में मज़बूत IPR संरक्षण यह सुनिश्चित करता है कि आविष्कारकों और निर्माताओं को नई दवाओं एवं प्रौद्योगिकियों को विकसित करने हेतु प्रोत्साहित किया जाता है। यह जीवन रक्षक उपचारों तथा उत्पादों के निर्माण एवं उपलब्धता को बढ़ावा देकर सार्वजनिक स्वास्थ्य और सुरक्षा में योगदान प्रदान करता है।
वर्तमान भारतीय परिदृश्य
- पहल:
- भारत ने वर्ष 1999 से अपने IPR कानूनों में महत्त्वपूर्ण बदलाव किये हैं, हाल ही में राष्ट्रीय IPR नीति, राष्ट्रीय (बौद्धिक संपदा) जागरूकता मिशन (NIPAM), कलाम बौद्धिक संपदा साक्षरता एवं जागरूकता अभियान (KAPILA) जैसे कार्यक्रमों के आयोजन तथा प्रक्रियात्मक सरलीकरण के परिणामस्वरूप ने IP तंत्र और मज़बूत हुआ है।
- ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स (GII) में रैंक:
- WIPO द्वारा जारी ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स (GII), 2022 में कुल 132 देशों की रैंकिंग में से भारत 40वें स्थान पर था।
- जबकि वर्ष 2021 में भारत 46वें और वर्ष 2015 में 81वें स्थान पर था।
- WIPO द्वारा जारी ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स (GII), 2022 में कुल 132 देशों की रैंकिंग में से भारत 40वें स्थान पर था।
- अन्य संबंधित तथ्य:
- भारत, एशिया का नवाचार केंद्र बनने की दिशा में तीव्रता से अग्रसर है, जो वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनने की महत्त्वाकांक्षा रखता है।
- प्रधानमंत्री ने भारत को वर्ष 2047 तक एक विकसित देश बनाने की समय सीमा निर्धारित की है।
- भारत, एशिया का नवाचार केंद्र बनने की दिशा में तीव्रता से अग्रसर है, जो वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनने की महत्त्वाकांक्षा रखता है।
इस संबंध में महिलाओं की भागीदारी को प्रोत्साहन
- शिक्षा एवं जागरूकता: कम उम्र से ही बालिकाओं एवं महिलाओं के लिये STEM(विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित) रूपी शिक्षा को बढ़ावा देना। नवाचार एवं IP में उनके ज्ञान तथा कौशल में वृद्धि करने के लिये प्रासंगिक शैक्षणिक कार्यक्रमों, कार्यशालाओं एवं प्रशिक्षण सत्रों में उनकी भागीदारी को प्रोत्साहित करना।
- मेंटरशिप और रोल मॉडल: मेंटरशिप प्रोग्राम स्थापित करना, जो महिला नवाचारों को उनके क्षेत्र में अनुभवी पेशेवरों से जोड़ता है। सफल महिला नवाचारों को रोल मॉडल के रूप में कार्य करने के लिये प्रोत्साहित करना और इच्छुक नवाचारों के विचारों को आगे बढ़ाना तथा IP संरक्षण के लिये प्रेरित करना।
- नेटवर्किंग और सहयोग: नेटवर्किंग के अवसरों और प्लेटफॉर्मों को सुगम बनाना जहाँ महिला नवप्रवर्तक जुड़ सकती हैं, सहयोग कर सकती हैं और अपने अनुभव साझा कर सकती हैं। विशेष रूप से नवाचार एवं IP में महिलाओं पर केंद्रित समुदायों, मंचों और समर्थन नेटवर्क की स्थापना करना।
- वित्तीयन एवं संसाधन: वित्त पोषण के अवसरों, अनुदानों और संसाधनों तक पहुँच प्रदान करना जो विशेष रूप से महिला नवप्रवर्तकों को लक्षित करते हैं। महिलाओं के नेतृत्व वाले स्टार्टअप और नवाचारों का समर्थन करने के लिये समर्पित पहल और निवेश कोष बनाना।
- IP प्रशिक्षण और उसका समर्थन: विशेष रूप से महिला नवप्रवर्तकों को पेटेंट, ट्रेडमार्क और कॉपीराइट सहित IP अधिकारों पर विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम और कार्यशालाएँ आयोजित करना।
- IP तंत्र को नेविगेट करने में मार्गदर्शन और समर्थन प्रदान करना, जिसमें आवेदन दाखिल करने एवं अनुज्ञप्ति विकल्पों को समझने में सहायता शामिल है।
- सांस्कृतिक बदलाव एवं पूर्वाग्रहों को चुनौती: सामाजिक रूढ़ियों और पूर्वाग्रहों को चुनौती देना, जो नवाचार और IP में महिलाओं की भागीदारी में बाधा उत्पन्न करते हैं। नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र के सभी पहलुओं में समावेशिता, विविधता और समान अवसरों को बढ़ावा देना।
निष्कर्ष
पारंपरिक दृष्टिकोण, मार्ग में आने वाली उन चुनौतियों से निपटने में प्रभावी नहीं हो सकते हैं, विशेष रूप से भारत जैसे देश में जहाँ एक बड़ी आबादी रहती है। यहाँ त्वरित समाधान की खोज करने में पारंपरिक मार्ग से हटकर सोचना तथा प्रौद्योगिकी हस्तक्षेप को महत्त्वपूर्ण माना जाता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. 'राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा अधिकार नीति (नेशनल इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स पॉलिसी)' के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2017)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (c) प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2019)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 और 3 उत्तर: (c) प्रश्न: वैश्वीकृत संसार में, बौद्धिक संपदा अधिकारों का महत्त्व हो जाता है और वे मुकद्दमेबाज़ी का एक स्रोत हो जाते हैं। कॉपीराइट, पेटेंट और व्यापार गुप्तियों के बीच मोटे तौर पर विभेदन कीजिये। (मुख्य परीक्षा 2014) |