भारतीय राजव्यवस्था
निजता का अधिकार
- 21 Oct 2022
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प्रिलिम्स के लिये:डेटा संरक्षण, व्यक्तिगत डेटा, निजता, व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक, डेटा स्थानीयकरण, अन्य संबंधित कानून मेन्स के लिये:निजता का अधिकार |
चर्चा में क्यों?
भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग (CCI) की 2021 की निजता नीति की जाँच के खिलाफ व्हाट्सएप-मेटा अपील को सर्वोच्च न्यायालय ने खारिज़ कर दिया।
- व्हाट्सएप और मेटा दोनों ने तर्क दिया गया है कि एंटी-ट्रस्ट वॉचडॉग निजता नीति की जाँच नहीं कर सकता है क्योंकि इसे संशोधित डेटा संरक्षण विधेयक पेश होने तक स्थगित रखा जाता है।
- CCI 2002 के प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम के प्रावधानों के किसी भी उल्लंघन पर विचार करने के लिये एक स्वतंत्र प्राधिकरण है और इसे जाँच और प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम, 2002 के कथित उल्लंघन से नहीं रोका जा सकता है।
व्हाट्सएप की गोपनीयता नीति से संबंधित मुद्दे:
- व्हाट्सएप स्वचालित रूप से जो जानकारी एकत्र करता है और उसे फेसबुक के साथ साझा करता है, उसमें मोबाइल फोन नंबर, उपयोगकर्त्ता गतिविधि और व्हाट्सएप अकाउंट की अन्य बुनियादी जानकारी शामिल होती है।
- फेसबुक के साथ वाणिज्यिक उपयोगकर्त्ता डेटा साझा करने के लिये व्हाट्सएप की गोपनीयता नीति यह स्थापित करती है कि यह स्वयं एक मध्यस्थ होने के बजाय डेटा का मालिक है।
- नई नीति को समझने की कोशिश करें तो उपयोगकर्त्ताओं के पास अब यह विकल्प नहीं है कि वे अपने डेटा को अन्य स्वामित्त्व वाले और बाहरी एप्स के साथ साझा न करें।
- व्हाट्सएप नीति श्रीकृष्ण समिति की रिपोर्ट की सिफारिशों का खंडन करती है, जो डेटा संरक्षण विधेयक 2019 का आधार है। उदाहरण के लिये:
- डेटा स्थानीकरण का सिद्धांत का उद्देश्य देश के बाहर व्यक्तिगत डेटा के हस्तांतरण पर अंकुश लगाना है, हो सकता है कि यह व्हाट्सएप की गोपनीयता नीति के अनुकूल न हो ।
व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक:
- व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक, 2019 को इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री द्वारा 11 दिसंबर, 2019 को लोकसभा में पेश किया गया था।
- आमतौर पर इसे "गोपनीयता विधेयक" के रूप में जाना जाता है, इसका उद्देश्य व्यक्तिगत डेटा (जो कि व्यक्ति की पहचान कर सकता है) के संग्रह, संचालन और प्रक्रिया को विनियमित करके व्यक्तिगत अधिकारों की रक्षा करना है।
- सरकार ने प्रौद्योगिकी दिग्गजों द्वारा उठाई गई विभिन्न आपत्तियों और आम लोगों द्वारा उठाए गए अन्य मुद्दों के कारण विधेयक को वापस ले लिया।
निजता का अधिकार:
- आमतौर पर यह समझा जाता है कि गोपनीयता अकेला छोड़ दिये जाने के अधिकार (Right to Be Left Alone) का पर्याय है।
- सर्वोच्च न्यायालय ने वर्ष 2017 में के.एस. पुट्टास्वामी बनाम भारतीय संघ ऐतिहासिक निर्णय में गोपनीयता और उसके महत्त्व को वर्णित किया। सर्वोच्च न्यायालय के अनुसार, निजता का अधिकार एक मौलिक और अविच्छेद्य अधिकार है तथा इसके तहत व्यक्ति से जुड़ी सभी सूचनाओं के साथ उसके द्वारा लिये गए निर्णय शामिल हैं।
- निजता के अधिकार को अनुच्छेद 21 के तहत प्राण एवं दैहिक स्वतंत्रता के अधिकार के आंतरिक भाग के रूप में तथा संविधान के भाग-III द्वारा गारंटीकृत स्वतंत्रता के हिस्से के रूप में संरक्षित किया गया है।
- प्रतिबंध (निर्णय में वर्णित):
- इस अधिकार को केवल राज्य कार्रवाई के तहत तभी प्रतिबंधित किया जा सकता है, जब वे निम्नलिखित तीन परीक्षणों को पास करते हों :
- पहला, ऐसी राजकीय कार्रवाई के लिये एक विधायी जनादेश होना चाहिये;
- दूसरा, इसे एक वैध राजकीय उद्देश्य का पालन करना चाहिये;
- तीसरा, यह यथोचित होनी चाहिये, अर्थात् ऐसी राजकीय कार्रवाई- प्रकृति और सीमा में समानुपाती होनी चाहिये, एक लोकतांत्रिक समाज के लिये आवश्यक होनी चाहिये तथा किसी लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु उपलब्ध विकल्पों में से सबसे कम अंतर्वेधी होनी चाहिये।
- इस अधिकार को केवल राज्य कार्रवाई के तहत तभी प्रतिबंधित किया जा सकता है, जब वे निम्नलिखित तीन परीक्षणों को पास करते हों :
निजता की सुरक्षा हेतु सरकार द्वारा उठाए गए कदम:
- बी एन श्रीकृष्ण समिति:
- सरकार ने न्यायमूर्ति बी एन श्रीकृष्ण की अध्यक्षता में डेटा संरक्षण पर विशेषज्ञों की एक समिति नियुक्त की जिसने जुलाई, 2018 में अपनी रिपोर्ट सौंपी।
- सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000:
- IT अधिनियम, कंप्यूटर प्रणाली से डेटा के संबंध में कुछ उल्लंघनों के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करता है। इसमें कंप्यूटर, कंप्यूटर प्रणाली और उसमें संग्रहीत डेटा के अनधिकृत उपयोग को रोकने के प्रावधान हैं।
भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग (CCI):
- परिचय:
- CCI की स्थापना मार्च 2009 में भारत सरकार द्वारा प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम, 2002 के तहत अधिनियम के प्रशासन, कार्यान्वयन और प्रवर्तन के लिये की गई थी।
- यह मुख्य रूप से बााज़ार में प्रतिस्पर्द्धा-विरोधी प्रथाओं के तीन मुद्दों का अनुसरण करता है:
- प्रतिस्पर्द्धा-विरोधी समझौते।
- प्रभुत्व का दुरुपयोग।
- संयोजन।
- उद्देश्य:
- प्रतिस्पर्द्धा पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाली प्रथाओं को समाप्त करना।
- प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा देना और बनाए रखना।
- उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना।
- भारत के बाज़ारों में व्यापार की स्वतंत्रता सुनिश्चित करना।
- मज़बूत प्रतिस्पर्द्धी माहौल स्थापित करना:
- उपभोक्ताओं, उद्योग, सरकार और अंतर्राष्ट्रीय न्यायालयों सहित सभी हितधारकों के साथ सक्रिय जुड़ाव।
- संरचना:
- आयोग में एक अध्यक्ष और छह सदस्य होते हैं जिन्हें केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किया जाएगा।
- आयोग एक अर्द्ध-न्यायिक निकाय (Quasi-Judicial Body) है जो सांविधिक प्राधिकरणों को परामर्श देने के साथ-साथ अन्य मामलों को भी संबोधित करता है।
- अध्यक्ष और अन्य सदस्य पूर्णकालिक सदस्य होंगे।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. 'निजता का अधिकार' भारत के संविधान के किस अनुच्छेद के तहत संरक्षित है? (a) अनुच्छेद 15 उत्तर: (c) |