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स्टेट पी.सी.एस.

  • 10 Jul 2024
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उत्तर प्रदेश Switch to English

न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर का शीघ्र पता लगाना

चर्चा में क्यों?

सूत्रों के अनुसार, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) वाराणसी के शोधकर्त्ताओं ने एक अभूतपूर्व 'लैब-ऑन-चिप' उपकरण विकसित किया है, जो उल्लेखनीय सटीकता के साथ प्रारंभिक चरण की बीमारियों का पता लगा सकता है।

मुख्य बिंदु

सर्फेस-एन्हांस्ड रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी (SERS)

  • SERS आमतौर पर इस्तेमाल की जाने वाली एक सेंसिंग तकनीक है, जिसमें अणुओं द्वारा बिखरे हुए इनलेस्टिक लाइट (Aelastic Light) की तीव्रता को तब बढ़ाया जाता है, जब तक अणुओं को सिल्वर या गोल्ड नैनोपार्टिकल्स (NPs) जैसी नालीदार धातु की सतहों पर अवशोषित किया जाता है।
  • यह अणुओं में रमन प्रकीर्णन प्रकाश (Raman Scattering Light) की तीव्रता को तेज़ करता है, जिससे अणुओं का प्रभावी विश्लेषण होता है।

पार्किंसंस रोग 

  • पार्किंसंस रोग एक प्रोग्रेसिव न्यूरोडीजेनेरेटिव डिसऑर्डर है जो गतिशीलता को बाधित करता है और  समय के साथ गतिहीनता एवं मनोभ्रंश का कारण बन सकता है।
    • यह बीमारी आमतौर पर वृद्ध लोगों को होती है, लेकिन युवा लोग भी इससे प्रभावित हो सकते हैं। महिलाओं की तुलना में पुरुष इससे अधिक प्रभावित होते हैं।
    • पिछले 25 वर्षों में पार्किंसन की व्यापकता दोगुनी हो गई है। पार्किंसन रोग के वैश्विक बोझ में भारत का हिस्सा लगभग 10% है।

सिज़ोफ्रेनिया 

  • यह एक गंभीर मानसिक विकार है, जिसमें सोचने-समझने में बहुत ज़्यादा व्यवधान होता है, जिससे भाषा, धारणा और आत्म-बोध प्रभावित होता है। यह दुनिया भर में 21 मिलियन से ज़्यादा लोगों को प्रभावित करता है।
  • शोधकर्त्ताओं का मानना ​​है कि आनुवंशिक और पर्यावरणीय कारक, जैसे वायरस के संपर्क में आना, इसके कारण-कार्य में योगदान करते हैं तथा जीवन के तनाव भी इस विकार की शुरुआत एवं प्रगति में भूमिका निभा सकते हैं।


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हाइब्रिड कारों पर कोई रजिस्ट्रेशन टैक्स नहीं

चर्चा में क्यों?

हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार ने हाइब्रिड कारों पर रजिस्ट्रेशन टैक्स माफ करने का निर्णय किया है। यह निर्णय ग्रीन वाहनों के लिये एक महत्त्वपूर्ण बढ़ावा है।

मुख्य बिंदु

  • इस कदम से मुख्य रूप से मारुति सुज़ुकी, टोयोटा किर्लोस्कर मोटर और होंडा कार्स इंडिया जैसी कार निर्माता कंपनियों को लाभ होगा। ग्राहक 3.5 लाख रुपए तक की बचत कर सकते हैं।
  • उत्तर प्रदेश में 10 लाख रुपए से कम मूल्य के वाहनों पर 8% रोड टैक्स तथा 10 लाख रुपए (एक्स-शोरूम) से अधिक मूल्य के वाहनों पर 10% रोड टैक्स लगाया जाता है।
    • हाइब्रिड वाहनों की कम बिक्री के कारण सड़क कर माफी से राज्य के राजस्व पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ने की आशा नहीं है।
  • स्वामित्व में आसानी इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) की तरह समर्पित चार्जिंग बुनियादी ढाँचे की आवश्यकता नहीं, पेट्रोल कारों की तुलना में बेहतर माइलेज और कम अधिग्रहण लागत जैसे कारकों के कारण हाइब्रिड वाहनों की बिक्री में तेज़ी आ रही है।
    • वर्ष 2023 में राज्य ने इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद के लिये तीन वर्ष की टैक्स और रजिस्ट्रेशन शुल्क छूट की घोषणा की, जबकि राज्य के भीतर निर्मित इलेक्ट्रिक वाहनों के लिये पाँच वर्ष की छूट दी जाएगी।

हाइब्रिड वाहन

  • हाइब्रिड वाहन पारंपरिक आंतरिक दहन इंजन (Internal Combustion Engine- ICE) को इलेक्ट्रिक प्रणोदन प्रणाली के साथ जोड़ते हैं, जिससे वाहन को एक या दोनों ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करके संचालित करने की अनुमति मिलती है।
  • हाइब्रिड प्रणालियाँ विभिन्न प्रकार की होती हैं, लेकिन सबसे आम हैं समानांतर हाइब्रिड (इंजन और इलेक्ट्रिक मोटर दोनों ही वाहन को स्वतंत्र रूप से शक्ति प्रदान कर सकते हैं) तथा शृंखला हाइब्रिड (केवल इलेक्ट्रिक मोटर पहियों को चलाती है, जबकि इंजन विद्युत उत्पन्न करता है)।


राजस्थान Switch to English

राजस्थान का लक्ष्य विद्युत और ऊर्जा में आत्मनिर्भरता प्राप्त करना

चर्चा में क्यों?

राजस्थान सरकार ने विद्युत और ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के लिये वित्त वर्ष 2025 के अंत तक 30 गीगावाट (Gw) सौर ऊर्जा का उत्पादन करने का लक्ष्य रखा है।

मुख्य बिंदु

  • मार्च 2024 में राज्य सरकार और नेवेली लिग्नाइट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (NLC) इंडिया ने बीकानेर में 7,000 करोड़ रुपए से अधिक के निवेश के साथ 1,000 मेगावाट (Mw) सौर ऊर्जा संयंत्र तथा 125 मेगावाट लिग्नाइट-आधारित विद्युत संयंत्र स्थापित करने हेतु एक संयुक्त उद्यम बनाने के लिये एक समझौते पर हस्ताक्षर किये।
    • सरकार ने राज्य को ऊर्जा आत्मनिर्भरता में अग्रणी बनाने हेतु चार प्रमुख सौर परियोजनाओं के लिये भूमि को भी स्वीकृति दी।
    • इन परियोजनाओं में बीकानेर में 2,450 मेगावाट के तीन सौर पार्क तथा फलौदी में 500 मेगावाट की एक परियोजना शामिल है।
  • राज्य PM कुसुम सौर पंप संयंत्र को भी मज़बूत कर रहा है, जिससे 50,000 से अधिक खेतों में सौर पंप स्थापित करने और 200 मेगावाट विद्युत उत्पादन में सहायता मिलेगी।
    • यह पहल नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को अपनाने को भी प्रोत्साहित करती है और सौर ऊर्जा चालित पंपों के कार्यान्वयन के माध्यम द्वारा राज्य में कृषि क्षेत्र को पुनर्जीवित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

PM- कुसुम (प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्तम महाभियान)

  • PM- कुसुम योजना को नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में ऑफ-ग्रिड सौर पंपों की स्थापना तथा इन क्षेत्रों में ग्रिड पर निर्भरता कम करने के लिये शुरू किया गया था।
  • आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA) ने फरवरी 2019 में वित्तीय और जल सुरक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से इस योजना को शुरू करने को मंज़ूरी दी थी।
  • सरकार के 2020-21 के बजट में इस योजना का दायरा बढ़ा दिया गया है, जिसके तहत 20 लाख किसानों को सौर पंप लगाने के लिये सहायता प्रदान की जाएगी; अन्य 15 लाख किसानों को उनके ग्रिड से जुड़े पंप सेटों को सौर ऊर्जा से चलाने के लिये सहायता दी जाएगी।
    • इससे किसान अपनी बंजर भूमि पर सौर ऊर्जा उत्पादन क्षमता स्थापित कर सकेंगे और उसे ग्रिड को बेच सकेंगे।


राजस्थान Switch to English

राजस्थान बजट 2024

चर्चा में क्यों?

हाल ही में राजस्थान की वित्त मंत्री दीया कुमारी ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिये व्यापक बजट पेश किया है।

मुख्य बिंदु

  • जल जीवन मिशन परियोजनाओं के तहत 5,846 गाँवों को कवर करने वाली छह परियोजनाओं के लिये 20,370 करोड़ रुपए आवंटित किये जाएंगे। 
  • अमृत 2.0 परियोजनाओं के तहत अगले दो वर्षों में 185 शहरी बस्तियों में परियोजनाओं के लिये 5,180 करोड़ रुपए आवंटित किये जाएंगे।
  • अजमेर में सेवा जलाशयों और पाइपलाइनों के निर्माण सहित लघु परियोजनाओं के लिये 187 करोड़ रुपए आवंटित किये जाएंगे।
  • उत्पादन लक्ष्य बढ़कर 33,600 मेगावाट हो गया।
  • ग्रामीण संपर्क में सुधार के लिये लोक परिवहन सेवा लागू की जाएगी। 
  • दो वर्षों के भीतर 208,000 घरों को कनेक्शन दिये जाएंगे; आदर्श सौर गाँव बनाने के लिये प्रधानमंत्री सूर्यघर योजना; विद्युत् रिसाव (Electricity Leakage) को रोकने के लिये 2.5 मिलियन स्मार्ट मीटर लगाए जाएंगे।
  • प्रमुख शहरों में आधुनिक आश्रय स्थल और चार्जिंग स्टेशन; सार्वजनिक परिवहन को बढ़ाने के लिये 300 इलेक्ट्रिक बसें। 
  • बाईपास, राज्य राजमार्ग और बुनियादी ढाँचे में सुधार सहित नई सड़क परियोजनाओं के लिये 60,000 करोड़ रुपए; सड़क मरम्मत, रेलवे पुल, अंडरपास तथा सौंदर्यीकरण परियोजनाओं के लिये 9,000 करोड़ रुपए आवंटित किये जाएंगे।
  • नई औद्योगिक नीति 2024 और नई निर्यात संवर्धन नीति, 2024 का परिचय।
  • कुल 2750 किलोमीटर से अधिक लंबाई वाले नौ ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे का निर्माण किया जाएगा।
  • शहरों में 71 ठोस अपशिष्ट प्रसंस्करण संयंत्रों, 131 विरासत अपशिष्ट प्रबंधन केंद्रों की स्थापना और अपशिष्ट संग्रह प्रबंधन में सुधार के लिये वाहन ट्रैकिंग प्रणाली तथा रेडियो-फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (Radio-Frequency Identification- RFID) प्रौद्योगिकी को लागू करने के लिये 650 करोड़ रुपए का बजट आवंटित किया गया है।
  • जयपुर वाल्ड सिटी हेरिटेज विकास योजना के लिये 100 करोड़ रुपए का बजट आवंटित किया गया है, जिसका उद्देश्य स्मारकों और संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक तथा सांस्कृतिक संगठन विरासत स्थल को संरक्षित करना है।
  • "एक ज़िला एक उत्पाद" पहल के तहत नई नीति लाई जाएगी। इसके लिये प्रतिवर्ष 100 करोड़ रुपए का बजट आवंटित किया जाएगा।
    • स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने के लिये "वोकल फॉर लोकल" योजना के तहत प्रोत्साहन प्रदान किया जाएगा।

छत्तीसगढ़ Switch to English

सुशासन और अभिसरण विभाग

चर्चा में क्यों?

हाल ही में छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य सरकार की कल्याणकारी नीतियों के प्रभावी कार्यान्वयन, सुशासन और सार्वजनिक मुद्दों के समाधान के लिये एक अलगसुशासन एवं अभिसरण विभाग” बनाने का निर्णय लिया है।

प्रमुख बिंदु

  • कैबिनेट की बैठक में निर्णय लिया गया कि विभाग अब ई-समीक्षा, ई-लोक सेवा गारंटी और डिजिटल सचिवालय को शामिल करेगा, जो वर्तमान में सामान्य प्रशासन विभाग का हिस्सा हैं।
  • छत्तीसगढ़ शासन कार्य (आबंटन) नियम में संशोधन तथा राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के क्रियान्वयन को भी मंज़ूरी दी गई।
  • मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत नया रायपुर में आवासहीन, आर्थिक रूप से कमज़ोर और निम्न वर्ग के परिवारों को आवास उपलब्ध कराने के लिये पंजीयन की तिथि भी बढ़ा दी गई है।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति (National Education Policy- NEP) 2020

  • परिचय:
    • राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का लक्ष्य "भारत को वैश्विक ज्ञान महाशक्ति बनाना" है। यह स्वतंत्रता के बाद से भारत में शिक्षा के ढाँचे में किया गया तीसरा बड़ा बदलाव है।
      • इससे पहले दो शिक्षा नीतियाँ वर्ष 1968 और वर्ष 1986 में लाई गई थीं।
  • मुख्य विशेषताएँ:
    • पूर्व-प्राथमिक स्कूल से कक्षा 12 तक स्कूली शिक्षा के सभी स्तरों पर सार्वभौमिक पहुँच सुनिश्चित करना।
    • 3-6 वर्ष की आयु के सभी बच्चों के लिये गुणवत्तापूर्ण प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा सुनिश्चित करना।
    • नया पाठ्यक्रम और शैक्षणिक संरचना (5+3+3+4) क्रमशः 3-8, 8-11, 11-14 तथा 14-18 वर्ष के आयु समूहों के अनुरूप है।
      • इसमें स्कूली शिक्षा के चार चरण शामिल हैं: आधारभूत चरण (5 वर्ष), प्रारंभिक चरण (3 वर्ष), मध्य चरण (3 वर्ष) और माध्यमिक चरण (4 वर्ष)।
    • कला और विज्ञान के बीच, पाठ्यक्रम तथा पाठ्येतर गतिविधियों के बीच, व्यावसायिक एवं  शैक्षणिक धाराओं के बीच कोई कठोर विभाजन नहीं;
    • बहुभाषिकता और भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देने पर ज़ोर।
    • एक नए राष्ट्रीय मूल्यांकन केंद्र, PARAKH (प्रदर्शन मूल्यांकन, समीक्षा एवं समग्र विकास के लिये ज्ञान का विश्लेषण) की स्थापना।
    • वंचित क्षेत्रों और समूहों के लिये एक अलग लिंग समावेशन निधि एवं विशेष शिक्षा क्षेत्र।


मध्य प्रदेश Switch to English

मध्य प्रदेश ने नए टाइगर रिज़र्व में जाँच शुरू की

चर्चा में क्यों?

हाल ही में मध्य प्रदेश सरकार ने नव स्थापित वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिज़र्व में बाघों के कथित शिकार और अनियमितताओं की जाँच शुरू की है।

प्रमुख बिंदु:

  • बाघ संरक्षण, बाघ सफारी और रिज़र्व में वन भूमि के प्रशासन के बारे में गंभीर लापरवाही की शिकायत के बाद वन विभाग द्वारा यह जाँच शुरू की गई थी।
  • नौरादेही अभयारण्य के बारा बीट क्षेत्र में व्यापक पैमाने पर अवैध रूप से वृक्षों की कटाई और लकड़ी का परिवहन भी किया जा रहा है।

वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिज़र्व

  • यह राज्य का सातवाँ और भारत का 54वाँ बाघ अभयारण्य है।
  • यह मध्य प्रदेश के सागर, दमोह और नरसिंहपुर ज़िलों में 2,339 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है।
  • रिज़र्व का कुछ हिस्सा नर्मदा और यमुना नदी बेसिन के अंतर्गत आता है तथा सिंगोरगढ़ किला रिज़र्व के भीतर स्थित है।

नौरादेही वन्यजीव अभयारण्य

  • नौरादेही अभयारण्य मध्य प्रदेश के सागर ज़िले में स्थित है।
  • नौरादेही वन्यजीव अभयारण्य को चीतों के लिये सबसे उपयुक्त क्षेत्र पाया गया है, क्योंकि ये वन इतने सघन नहीं हैं कि सबसे तेज़ गति से दौड़ने वाले स्थलीय जीव अर्थात् चीतों की तीव्र गति बाधित हो।
    • इसके अतिरिक्त, इस अभयारण्य में चीतों के लिये प्रचुर मात्रा में शिकार उपलब्ध है।
  • क्षेत्रफल की दृष्टि से यह मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा वन्यजीव अभ्यारण्य है। 
  • यह राज्य के मध्य में स्थित है और सागर, दमोह, नरसिंहपुर तथा रायसेन ज़िलों के कुछ हिस्सों को कवर करता है।
  • यह संरक्षित क्षेत्र भारत की दो प्रमुख नदी घाटियों, नर्मदा और गंगा के तट पर स्थित है।

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