विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
सेमीकंडक्टर चिप विनिर्माण प्रौद्योगिकी
- 09 Apr 2024
- 8 min read
प्रिलिम्स के लिये:अर्द्धचालक (सेमीकंडक्टर), उन्नत कंप्यूटिंग विकास केंद्र (सी-डैक), महत्त्वपूर्ण सूचना अवसंरचना, उद्योग 4.0, उत्पादन आधारित प्रोत्साहन मेन्स के लिये:भारतीय अर्थव्यवस्था में सेमीकंडक्टिंग उपकरणों का महत्त्व, इलेक्ट्रॉनिक्स और अर्द्धचालक/सेमीकंडक्टर उद्योग को बढ़ावा देने की आवश्यकता, भारत को आत्मनिर्भर बनाने में इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग की भूमिका |
स्रोत द हिंदू
चर्चा में क्यों
हाल ही में टाटा समूह ने 2026 में 28nm (नैनोमीटर) चिप लॉन्च करने की योजना के साथ गुजरात में 300 मिलीमीटर वेफर फैब्रिकेशन प्लांट स्थापित करने के लिये ताइवान के PSMC के साथ सहयोग किया।
- भारत सरकार ने हाल ही में गुजरात व असम में दो असेंबली और परीक्षण संयंत्रों को भी मंज़ूरी दी है।
अर्द्धचालक/सेमीकंडक्टर चिप क्या है?
- परिचय:
- अर्द्धचालकों/सेमीकंडक्टर: अर्द्धचालकों में कंडक्टर और इंसुलेटर के बीच विद्युत चालकता के गुण होते हैं जिन्हें डोपेंट पेश करके संशोधित किया जा सकता है।
- सेमीकंडक्टर चिप्स, ट्रांज़िस्टर, फैब्रिकेशन टेक्नोलॉजी और वेफर्स इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस की कार्यक्षमता के लिये आवश्यक अन्योन्याश्रित घटक हैं।
- ट्राँज़िस्टर विशिष्ट तकनीकों का उपयोग करके वेफर्स पर निर्मित सेमीकंडक्टर चिप्स के बिल्डिंग ब्लॉक के रूप में कार्य करते हैं, जो आधुनिक तकनीक को शक्ति देने वाले जटिल उपकरणों के निर्माण को सक्षम करते हैं।
- सेमीकंडक्टर चिप्स:
- यह सेमीकंडक्टर (सिलिकॉन या जर्मेनियम) से बना एक छोटा इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है, जो अधिकांश इलेक्ट्रॉनिक सर्किट के बेसिक बिल्डिंग ब्लॉक के रूप में कार्य करता है।
- इन चिप्स में एक नाखून से भी छोटी चिप पर अरबों माइक्रोस्कोपिक स्विच हो सकते हैं।
- सेमीकंडक्टर चिप का मूल घटक छोटे ट्रांजिस्टर से निर्मित एक सिलिकॉन वेफर है, जो विभिन्न कम्प्यूटेशनल निर्देशों के अनुसार विद्युत् प्रवाह को नियंत्रित करता है।
- यह विभिन्न कार्य करता है, जैसे डेटा संसाधित करना, जानकारी संग्रहीत करना या इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को नियंत्रित करना आदि।
- ये स्मार्टफोन, कंप्यूटर और एकीकृत सर्किट सहित लगभग प्रत्येक आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा हैं।
- ट्राँज़िस्टर:
- ट्राँजिस्टर सेमीकंडक्टर डिवाइस के मूलभूत घटक हैं, जो इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल और विद्युत शक्ति को बढ़ाते या स्विच करते हैं।
- ये आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेस के बिल्डिंग ब्लॉक हैं, जो एम्पलीफायरों, स्विच और डिजिटल सर्किट सहित विभिन्न अनुप्रयोगों में उपयोग किये जाते हैं।
- फैब्रिकेशन टेक्नोलॉजी:
- फैब्रिकेशन टेक्नोलॉजी से तात्पर्य चिप्स और ट्राँज़िस्टर जैसे सेमीकंडक्टर डिवाइसेस के निर्माण की प्रक्रिया से है। इसमें वेफर उपक्रम (wafer preparation), फोटोलिथोग्राफी, नक्काशी, डोपिंग और पैकेजिंग सहित कई महत्त्वपूर्ण चरण शामिल हैं।
- वेफर:
- वेफर (जिसे स्लाइस या सब्सट्रेट भी कहा जाता है) अर्द्धचालक सामग्री का एक पतला टुकड़ा होता है, जैसे कि क्रिस्टलीय सिलिकॉन, जिसका उपयोग एकीकृत सर्किट के निर्माण के लिये किया जाता है।
- एक सेमीकंडक्टर चिप का उत्पादन एक गोलाकार सेमीकंडक्टर वेफर पर चिप्स की एक शृंखला को प्रिंट करके किया जाता है, जैसे डाक टिकटों को एक शीट पर मुद्रित किया जाता है और फिर एक- एक करके काटा जाता है।
- उद्योग में बड़े वेफर आकार एक ही वेफर र अधिक चिप्स मुद्रित करने में सक्षम बनाते हैं, जिससे तकनीकी चुनौतियों और प्रारंभिक पूंजीगत व्यय के बावजूद, चिप उत्पादन की लागत में तेज़ी व कमी आती है।
भारत के सेमीकंडक्टर पारिस्थितिकी तंत्र की स्थिति क्या है?
- भारत अपनी बड़ी बाज़ार क्षमता, प्रतिभा और सरकारी समर्थन के साथ मिलकर सक्रिय रूप से एक मज़बूत सेमीकंडक्टर पारिस्थितिकी तंत्र के विकास पर काम कर रहा है। भारत का लक्ष्य आयात पर निर्भरता कम करना और घरेलू विनिर्माण क्षमताएँ स्थापित करना है।
- 1990 के दशक से भारत का स्थापित चिप विनिर्माण उद्योग इसके सेमीकंडक्टर विनिर्माण प्रयासों में सहायता करेगा, जो इलेक्ट्रॉनिक्स तथा कंप्यूटर इंजीनियरों से परे विभिन्न पेशेवरों के लिये अवसर प्रदान करेगा।
- प्रमुख लाभ:
- बाज़ार की संभावनाएँ: भारत की तेज़ी से बढ़ती जनसंख्या तथा बढ़ता मध्यम वर्ग सेमीकंडक्टर उत्पादों की मज़बूत माँग उत्पन्न करता है।
- भारत का सेमीकंडक्टर बाज़ार वर्ष 2026 तक 55 बिलियन डॉलर तक पहुँचने का अनुमान है, जो घरेलू विनिर्माण पर इसके फोकस को दर्शाता है।
- प्रतिभा पूल: भारत घरेलू चिप विनिर्माण कौशल को प्रोत्साहित करते हुए कौशल विकास के साथ नवाचार पर भी ज़ोर देता है।
- बाज़ार की संभावनाएँ: भारत की तेज़ी से बढ़ती जनसंख्या तथा बढ़ता मध्यम वर्ग सेमीकंडक्टर उत्पादों की मज़बूत माँग उत्पन्न करता है।
- सेमीकंडक्टर क्षेत्र के लिये सरकार द्वारा की गई पहल:
- उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना (PLI)
- माइक्रोप्रोसेसरों के उत्पादन के लिये डिजिटल RISC-V (DIR-V) कार्यक्रम।
- सेमीकंडक्टर्स के लिये संशोधित विशेष प्रोत्साहन पैकेज योजना (M-SIPS)।
- उच्च गुणवत्ता वाले इंजीनियरों को प्रशिक्षित करने हेतु चिप्स टू स्टार्टअप (C2S) प्रोग्राम।
दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न: प्रश्न. भारत के सेमीकंडक्टर क्षेत्र में विकास को बढ़ाने के लिये आवश्यक बाधाओं, नीतिगत सुझावों तथा संभावित परिवर्तनों का अन्वेषण कीजिये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित में से किस लेज़र प्रकार का उपयोग लेज़र प्रिंटर में किया जाता है? (2008) (a) डाई लेज़र उत्तर: (c) |