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भारतीय अर्थव्यवस्था

सेमीकंडक्टर चिप निर्माण हेतु संशोधित प्रोत्साहन योजना

  • 27 Sep 2022
  • 13 min read

प्रिलिम्स  के लिये:

अर्द्धचालक (Semiconductor) और संबंधित योजनाएँ,  चिप निर्माण पहल, पीएलआई योजना, डीएलआई योजना, इलेक्ट्रॉनिक घटकों और अर्द्धचालकों के विनिर्माण हेतु प्रोत्साहन योजना (SPECS), इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT)।

मेन्स के लिये:

भारतीय अर्थव्यवस्था में अर्द्धचालक उपकरणों का महत्त्व, अर्द्धचालक और भारत में इसका भविष्य।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्र सरकार ने देश में सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम के विकास हेतु योजना में बदलाव को मंज़ूरी दी है ताकि भारत की 10 बिलियन डॉलर की चिप निर्माण पहल को निवेशकों के लिये अधिक आकर्षक बनाया जा सके।

भारत की चिप निर्माण योजना में स्वीकृत परिवर्तन:

  • पृष्ठभूमि:
    • वर्ष 2021 में भारत ने देश में सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले मैन्युफैक्चरिंग को प्रोत्साहित करने के लिये लगभग $ 10 बिलियन डॉलर की उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजना की घोषणा की।
    • साथ ही डिज़ाइन सॉफ्टवेयर, आईपी अधिकारों आदि से संबंधित वैश्विक और घरेलू निवेश को बढ़ावा देने के लिये एक डिज़ाइन-लिंक्ड इनिशिएटिव (DLI) योजना की घोषणा की गई।
  • परिवर्तन:
    • एक समान 50% वित्तीय सहायता: योजना के पिछले संस्करण में केंद्र सरकार 45nm से 65nm चिप उत्पादन के लिये परियोजना लागत का 30%, 28nm से 45nm के लिये 40% और 28nm या उससे कम के लिये 50% या आधी लागत की सहायता करती थी। संशोधित योजना सभी नोड्स के लिये एक समान 50% वित्तीय सहायता प्रदान करती है।
    • वेदांता और ताइवान की चिपमेकर फॉक्सकॉन ने गुजरात में 1,54,000 करोड़ रुपए का सेमीकंडक्टर प्लांट लगाने के लिये समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किये हैं।
    • दो अन्य परियोजनाओं की भी घोषणा की गई है:
      • इंटरनेशनल कंसोर्टियम आईएसएमसी द्वारा कर्नाटक में 3 बिलियन डॉलर का प्लांट।
        • आईएसएमसी अबू धाबी स्थित नेक्स्ट ऑर्बिट वेंचर्स और इज़रायल के टॉवर सेमीकंडक्टर का संयुक्त उद्यम है।
      • सिंगापुर के आईजीएसएस वेंचर्स द्वारा तमिलनाडु में 3.5 बिलियन डॉलर का प्लांट।
      • 45nm चिप का उत्पादन: संशोधित योजना ने 45nm चिप के उत्पादन पर भी ज़ोर दिया, जो उत्पादन के मामले में काफी कम समय लेने वाला और किफायती है।
      • इन चिप्स की उच्च मांग है, जो मुख्य रूप से ऑटोमोटिव, पावर और दूरसंचार अनुप्रयोगों द्वारा संचालित है।
  • महत्त्व:
    • इन परिवर्तनों से अर्द्धचालकों के सभी प्रौद्योगिकी नोड्स के लिये सरकारी प्रोत्साहनों में सामंजस्य स्थापित होगा।
    • यह भारत में एक एकीकृत पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के लिये चिप के सभी क्षेत्रों को प्रोत्साहित करेगा।
    • PLI और DLI योजनाओं ने भारत में अर्द्धचालक निर्माण संयंत्र (fabs) स्थापित करने के लिये कई वैश्विक अर्द्धचालक अभिकर्त्ताओं को आकर्षित किया था एवं संशोधित कार्यक्रम इन निवेशों को और तेज़ करने के साथ ही अधिक आवेदकों को आमंत्रित करेगा।
  • चिंताएँ:
    • हालाँकि यह योजना एक उत्साहजनक कदम है, चिप उत्पादन एक संसाधन-गहन और महँगी प्रक्रिया है। नई योजना प्रक्रिया के सभी चरणों के लिये समान वित्तपोषण प्रदान करती है। तथापि, इस योजना का परिव्यय 10 अरब डॉलर है।
    • केवल एक सेमीकंडक्टर फैब स्थापित करने के लिये 3 से 7 बिलियन डॉलर के निवेश की आवश्यकता होती है।

सेमीकंडक्टर चिप्स:

  • विषय:
    • सेमीकंडक्टर ऐसी सामग्री है जिसमें चालकता सुचालक और कुचालक के बीच होती है
    • ये शुद्ध धातु, सिलिकॉन अथवा ज़र्मेनियम या कोइ यौगिक, गैलियम, आर्सेनाइड या कैडमियम सेलेनाइड हो सकते हैं।
    • सेमीकंडक्टर चिप का मूल घटक सिलिकॉन का एक टुकड़ा होता है, जिसे अरबों सूक्ष्म ट्रांजिस्टर के साथ उकेरा जाता है और विशिष्ट खनिजों एवं गैसों के साथ प्रक्षेपित किया जाता है, जो विभिन्न संगणकीय निर्देशों का पालन करते हुए विद्युत् धारा के प्रवाह को नियंत्रित करने के लिये प्रतिरूप बनाते हैं।
    • आज के समय में उपलब्ध सबसे उन्नत अर्द्धचालक प्रौद्योगिकी नोड 3 nm और 5 nm (Nanometer) वाले हैं।
    • उच्च नैनोमीटर मान वाले अर्द्धचालक ऑटोमोबाइल, उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स आदि में लगाए जाते हैं, जबकि कम मान वाले अर्द्धचालकों का उपयोग स्मार्टफोन और लैपटॉप जैसे उपकरणों में किया जाता है।
    • चिप बनाने की प्रक्रिया जटिल और बहुत सटीक है, जिसमें आपूर्ति शृंखला में कई अन्य चरण होते हैं जैसे कि कंपनियों द्वारा उपकरणों में उपयोग के लिये नई सर्किट विकसित करने हेतु चिप-डिज़ाइनिंग, चिप्स के लिये सॉफ्टवेयर डिज़ाइन करना और केंद्रीय बौद्धिक संपदा अधिकारों (IPR) के माध्यम से उनका पेटेंट कराना।
      • इसके अंतर्गत चिप-निर्माण मशीन बनाना शामिल है; फैब या कारखाने, ATMP स्थापित करना।
  • महत्त्व:
    • सेमीकंडक्टर्स स्मार्टफोन से लेकर इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) में जुड़े उपकरणों तक लगभग हर आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण के थंबनेल के आकार के बिल्डिंग ब्लॉक हैं। वे उपकरणों को संगणकीय शक्ति देने में मदद करते हैं।
  • वैश्विक परिदृश्य:
    • चिप बनाने वाला उद्योग अत्यधिक केंद्रित है, जिसमें बड़े अभिकर्त्ता ताइवान, दक्षिण कोरिया और अमेरिका हैं। वास्तव में ताइवान सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कंपनी (TSMC) द्वारा ताइवान में 5nm चिप्स का 90% बड़े पैमाने पर उत्पादन किया जाता है।
    • इसलियवैश्विक चिप की कमी, ताइवान पर अमेरिका-चीन तनाव और रूस-यूक्रेन संघर्ष के कारण आपूर्ति शृंखला अवरोधों ने प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं को नए सिरे से चिप बनाने के क्षेत्र में प्रवेश करने के लिये प्रेरित किया है।
    • वैश्विक अर्द्धचालक उद्योग का मूल्य वर्तमान में 500-600 बिलियन अमेरिकी डॉलर है और वर्तमान में लगभग 3 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य के वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग कि पूर्ति करता है।
  • भारतीय परिदृश्य:
    • भारत वर्तमान में सभी चिप्स का आयात करता है और वर्ष 2025 तक बाज़ार के 24 अरब डॉलर से 100 अरब डॉलर तक पहुँचने का अनुमान है। हालाँकि सेमीकंडक्टर चिप के घरेलू निर्माण के लिये भारत ने हाल ही में कई पहल शुरू की हैं:
      • केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 'अर्द्धचालक और प्रदर्शन विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र' के विकास का समर्थन करने के लिये 76,000 करोड़ रुपए की राशि आवंटित की है।
      • भारत ने इलेक्ट्रॉनिक्स घटकों और अर्द्धचालकों के निर्माण के लिये इलेक्ट्रॉनिक घटकों एवं अर्द्धचालकों के विनिर्माण को बढ़ावा देने की योजना (SPECS) भी शुरू की है।
      • वर्ष 2021 में MeitY ने सेमीकंडक्टर डिज़ाइन में शामिल कम-से-कम 20 घरेलू कंपनियों का पोषण करने और उन्हें अगले 5 वर्षों में 1500 करोड़ रुपए से अधिक का कारोबार हासिल करने की सुविधा के लिये डिज़ाइन लिंक्ड इंसेंटिव (DLI) योजना भी शुरू की।
    • भारत में अर्द्धचालकों की अपनी खपत वर्ष 2026 तक 80 अरब डॉलर और वर्ष 2030 तक 10 अरब डॉलर तक पहुँचने की उम्मीद है।

आगे की राह

  • हालाँकि भारत ऑटोमोटिव और उपकरण क्षेत्र को आपूर्ति करने के लिये शुरुआत में "लैगिंग-एज" प्रौद्योगिकी नोड्स पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, वैश्विक मांग पैदा करना मुश्किल हो सकता है क्योंकि ताइवान जैसी बड़ी कंपनियाँ दुनिया भर में व्यवहार्य अत्याधुनिक चिप-टेक प्रदान करती हैं। इस प्रकार वैश्विक अभिकर्त्ताओं को यहाँ स्थापित करने के लिये आकर्षित करना फायदेमंद होगा क्योंकि वे अपने ग्राहक आधार के साथ आते हैं।
  • वर्तमान योजना परिव्यय का अधिकांश भाग डिस्प्ले फैब, पैकेजिंग और परीक्षण सुविधाओं तथा चिप डिज़ाइन केंद्रों सहित अन्य तत्त्वों का समर्थन करने के लिये आवंटित किया जा सकता है। हालाँकि शुरुआती फंडिंग डिज़ाइन और R&D जैसे क्षेत्रों पर केंद्रित होनी चाहिये, जिसके लिये भारत के पास पहले से ही एक स्थापित प्रतिभा क्षेत्र है।
  • चिप बनाने के लिये भी एक दिन में गैलन अति शुद्ध जल की आवश्यकता होती है, जो कि सरकार के लिये कारखानों को उपलब्ध कराने के काम आ सकता है, इसके अतिरिक्त देश के बड़े हिस्से में अक्सर सूखे की जटिल स्थिति भी देखी गई है।
    • इसके अलावा जलापूर्ति विद्युत की एक निर्बाध आपूर्ति प्रक्रिया के लिये आवश्यक है, केवल कुछ सेकंड के उतार-चढ़ाव या स्पाइक्स के कारण लाखों का नुकसान हो सकता है।
  • सरकार के लिये एक और जटिल काम सेमीकंडक्टर उद्योग में उपभोक्ता मांग को बढ़ाना है ताकि ऐसी स्थिति न उत्पन्न हो जाए जहाँ उद्यम केवल तब तक सफल रहें जब तक करदाताओं को आवश्यक सब्सिडी प्रदान किया जाए।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, पिछले वर्ष के प्रश्न (PYQs)  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. भारत में सौर ऊर्जा उत्पादन के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)

  1. फोटोवोल्टिक इकाइयों में इस्तेमाल होने वाले सिलिकॉन वेफर्स के निर्माण में भारत दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा देश है।
  2. सौर ऊर्जा शुल्क भारतीय सौर ऊर्जा निगम द्वारा निर्धारित किये जाते हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: D

व्याख्या:

  • सिलिकॉन वेफर्स सेमीकंडक्टर के पतले स्लाइस होते हैं, जैसे क्रिस्टलीय सिलिकॉन (c-Si), एकीकृत/इंटीग्रेटेड सर्किट के निर्माण और फोटोवोल्टिक सेल के निर्माण के लिये उपयोग किया जाता है। चीन अब तक सिलिकॉन का दुनिया का सबसे बड़ा उत्पादक है, इसके बाद रूस, संयुक्त राज्य अमेरिका और ब्राज़ील का स्थान है। भारत सिलिकॉन एवं सिलिकॉन वेफर्स के शीर्ष पांँच उत्पादकों में शामिल नहीं है। अतः कथन 1 सही नहीं है।
  • सोलर टैरिफ का निर्धारण केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग द्वारा किया जाता है, न कि भारतीय सौर ऊर्जा निगम द्वारा। अतः कथन 2 सही नहीं है

स्रोत: द हिंदू

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