नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली न्यूज़


शासन व्यवस्था

सिज़ोफ्रेनिया तथा इसके संभावित कारण

  • 08 Aug 2020
  • 8 min read

प्रीलिम्स के लिये:

सिज़ोफ्रेनिया, एलील, गुणसूत्र

मेन्स के लिये:

सिज़ोफ्रेनिया से संबंधित शोध का चिकित्सा क्षेत्र में महत्त्व

चर्चा में क्यों?

हाल ही में, सिज़ोफ्रेनिया रिसर्च फाउंडेशन (Schizophrenia Research Foundation-SCARF) और जीवन स्टेम सेल फाउंडेशन (Jeevan Stem Cell Foundation) चेन्नई द्वारा सिज़ोफ्रेनिया रोग से ग्रसित ‘विशिष्ट जातीय’ समूह के लोगों पर एक प्रारंभिक अध्ययन किया गया। जिसमें  रोग के साथ एक विशिष्ट प्रकार के एलील (विशिष्ट जीन के प्रकार) समहू को देखा गया।

प्रमुख बिंदु:

वर्तमान अध्ययन:

  • वर्तमान अध्ययन के अनुसार, HLA, प्रतिरक्षा प्रणाली के सुचारु रूप से कार्य करने के लिये बेहद महत्त्वपूर्ण पूर्ण है तथा इसमें किसी भी प्रकार का परिवर्तन प्रतिरक्षा प्रणाली में 
  • ऑटोइम्यून बीमारियों (एंटीबॉडी/लिम्फोसाइटों के कारण होने वाली बीमारी) में, जब शरीर मस्तिष्क में एन-मिथाइल-डी-एस्पेरेट (N-methyl-D-aspartate-NMDA) की प्रतिक्रिया के विरुद्ध एंटीबॉडी का निर्माण करता है तो ऐसी स्थिति में ये एंटीबॉडी मस्तिष्क से प्राप्त होने वाले सामान्य संकेतों/सिग्नलों को बाधित करती हैं जिसके कारण मस्तिष्क में  सूजन (Encephalitis) उत्पन्न हो जाती है इससे पुरुष एवं महिला दोनों ही प्रभावित होते हैं तथा यह स्थिति  सिज़ोफ्रेनिया का कारण बन सकती हैं।
  • एन-मिथाइल-डी-एस्पेरेट (N-methyl-D-aspartate- NDMA) एक ग्लूटामेट ग्राही (Receptor) एवं आयन चैनल (Ion Channel) प्रोटीन है जो तंत्रिका कोशिकाओं (Nerve Cells) में पाया जाता है तथा स्मृति कार्यों के लिये महत्त्वपूर्ण  है।      
  • अध्ययन में शोधकर्त्ताओं द्वारा सिज़ोफ्रेनिया से ग्रसित व्यक्तियों में ‘एचएलए वर्ग I एलील्स’ (HLA Class I Alleles) की उच्च आवृत्ति देखी गई।
  • इन एलील्स के वाहक व्यक्तियों में  सिज़ोफ्रेनिया के होने की आशंका व्यक्त की जा सकती है।
  • अध्ययन के अनुसार, जिन लोगों  में  सिज़ोफ्रेनिया का प्रभाव कम देखा गया उनके एलील्स के मध्य एक नकारात्मक सह-संबंध (Negative Correlation) विद्यमान था।
  • पहली बार, रोगियों के HLA अणुओं में अमीनो एसिड के स्तर का भी अध्ययन किया गया।
  • शोधकर्ताओं ने इस अध्ययन में माना है कि सिज़ोफ्रेनिया के कारण पूरी तरह से स्पष्ट नहीं हैं, लेकिन शायद चयन तथा पूर्व में हुए चयनात्मक दबावों की 'स्मृति' इसकी रोग के शुरुआती लक्षणों का कारण हो सकती है।
  • हालांकि, विकार पैदा करने वाले सटीक कारकों का आगे अध्ययन किये जाने की आवश्यकता है। सिज़ोफ्रेनिया से ग्रसित लोगों में अलग-अलग एलील का होना समस्या नहीं है, लेकिन सटीक एलील की पहचान करना अपने आप में एक चुनौतीपूर्ण कार्य  है।
  • प्रारंभिक अध्ययन इस बात को और इशारा करते हैं कि अलग-अलग जातीय समूहों में विभिन्न एलील विदयमान हो सकते हैं। उदाहरण के लिये, सऊदी अरब, ट्यूनीशिया और जापान में किये गए अध्ययन में सिज़ोफ्रेनिया के जोखिम को उत्पन्न करने के लिये भिन्न-भिन्न  एलील उत्तरदायी रहे हैं।

सिज़ोफ्रेनिया (Schizophrenia):

  • यह मानसिक विकारों के समूह के लिये प्रयोग होने वाला शब्द है जिसमें व्यक्तिगत, सामाजिक और व्यावसायिक कार्यपद्धति में विकृति या ह्रास उत्पन्न होने के परिणामस्वरूप व्यक्ति में अव्यवस्थित विचा , विचित्र धारणाएँ, असामान्य भावनात्मक स्थिति तथा मोटर डिसअर्डर जैसी समस्याएँ उत्पन्न हो जाती हैं।
  • यह कमज़ोरी लाने वाला ( किसी को कमजोर तथा दुर्बल बनाने वाला) एक विकार है।
  • सामाजिक और मनोवैज्ञानिक स्तर पर सिज़ोफ्रेनिया की कीमत रोग से ग्रसित व्यक्तियों के साथ-साथ  उसके परिवारों एवं समाज़ दोनों को चुकानी पड़ती है।
  •  सामन्यत: इस रोग की शुरुआत किशोर अवस्था के अंत में या फिर व्यस्क अवस्था के शुरुआत में होती है।  

लक्षण:

  • सिज़ोफ्रेनिया से ग्रसित व्यक्ति में अतिरिक्त विकृतिपूर्ण या विचित्र लक्षण जुड़ जाते हैं जिसमें  भ्रम की स्थिति, अव्यस्थित तरीके से सोचना एवं बोलना, अत्यधिक कल्पनाशील तथा रोगी की सोच का विकृत होना इत्यादि शामिल हैं।
  • ये लक्षण सिज़ोफ्रेनिया से ग्रसित व्यक्ति के विकृतिपूर्ण लक्षणों में कमी या नकारात्मक पक्षों को दर्शाते हैं, जैसे- रोगी द्वारा कम बोलना, भावनाओं को कम या फिर अभिव्यक्त ही न करना, इच्छा शक्ति का अभाव तथा समाज से दूरी बना लेना इत्यादि।
  • रोगी में स्वतः स्फूर्ति का अभाव, रोगी द्वारा चहरें के भावों को बेहद विकृत एवं विचित्र प्रकार से प्रकट करना तथा इशारों में बात करना।

कारण: 

  • सिज़ोफ्रेनिया का वास्तविक कारण अभी तक ज्ञात नहीं है। इसके संभावित कारणों एवं अन्य संबंधों को जानने के लिये विश्व भर में विभिन्न जातीय समूहों के बीच विभिन्न अध्ययन किये गए हैं।
    • इन अध्ययनों में इस रोग का संबंध ह्यूमन ल्यूकोसाइट एंटीजन (Human Leukocyte Antigen- HLA) से संबंधित विभिन्न एलीलों के साथ देखा गया है।
    • HLA प्रतिरक्षा प्रणाली का एक महत्त्वपूर्ण अंग है जो गुणसूत्र संख्या छह पर स्थित जीन के एक समूह से संबंधित है।
    • HLA जीन अत्यंत परिवर्तनशील होते हैं और मानव जातियों में भिन्न-भिन्न होते हैं।
  • विशिष्ट एलील जो सिज़ोफ्रेनिया से ग्रसित लोगों में देखा गया वह प्रत्येक नृजातीय समूह में अलग-अलग था।

उपचार: 

इस रोग में थेरेपी तथा लोगों का सहयोग ग्रसित लोगों को सामाजिक कौशल सीखने में मदद कर सकता है, शुरुआत में ही लक्षणों की पहचान करके तथा उन्हें एक चेतावनी की तरह लेते हुए इस समस्या से बचा जा सकता है।

स्रोत: द हिंदू

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow