भारतीय अर्थव्यवस्था
ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता
- 20 Sep 2022
- 9 min read
प्रिलिम्स के लिये:नवीकरणीय ऊर्जा, गैस आधारित अर्थव्यवस्था, पेट्रोल में इथेनॉल का मिश्रण। मेन्स के लिये:भारत का ऊर्जा क्षेत्र, नवीकरणीय ऊर्जा संक्रमण। |
चर्चा में क्यों?
भारत सरकार ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता बढ़ाने के लिये अधिक अन्वेषण और उत्पादन (Exploration & Production) के लिये निवेश आकर्षित करने हेतु विभिन्न पहल कर रही है।
पृष्ठभूमि:
- भारत का ऊर्जा क्षेत्र दुनिया में सबसे विविध क्षेत्रों में से एक है। भारत में कोयला, लिग्नाइट, प्राकृतिक गैस, तेल, जलविद्युत और परमाणु ऊर्जा जैसे विद्युत उत्पादन के पारंपरिक स्रोतों से लेकर पवन, सौर, कृषि घरेलू अपशिष्ट जैसे व्यवहार्य गैर-पारंपरिक स्रोत उपलब्ध हैं।
- वर्ष 2020 तक भारत का स्थान पवन ऊर्जा उत्पादन में चौथा, सौर ऊर्जा में पाँचवाँ और नवीकरणीय ऊर्जा स्थापित क्षमता में चौथा था।
- वर्ष 2019 में विद्युत के क्षेत्र में सार्वभौमिक घरेलू पहुँच हासिल की गई, जिसका अर्थ है कि दो दशकों से भी कम समय में 900 मिलियन से अधिक नागरिकों ने विद्युत कनेक्शन प्राप्त किया है।
- भारत में प्रति व्यक्ति विद्युत की खपत वैश्विक औसत का केवल एक-तिहाई है, भले ही ऊर्जा की मांग दोगुनी हो गई है।
- इसलिये ऊर्जा की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिये ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की सुरक्षित और टिकाऊ व्यवस्था किये जाने की आवश्यकता है।
ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की आवश्यकता:
- भारत ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर नहीं है। यह ऊर्जा आयात पर 12 लाख करोड़ रुपए से अधिक खर्च करता है।
- सरकार आज़ादी के 100 वर्ष पूरे होने से पहले यानी वर्ष 2047 तक ऊर्जा स्वतंत्रता प्राप्त करने की योजना बना रही है।
- जैसे-जैसे वैश्विक योजना में हरित ऊर्जा अधिक महत्त्वपूर्ण हो रही है, भारत सरकार ने हरित हाइड्रोजन पर कार्य करना शुरू कर दिया है।
- ऐसे देश जो अपनी तेल की ज़रूरतों को पूरा करने के लिये आयात पर 85% तक निर्भर है और अपनी गैस की ज़रूरतों को पूरा करने के लिये इसके 50% का आयात करते हैं, अतः उसे प्रमुख वैकल्पिक ऊर्जा स्रोत जैसे- नवीकरणीय ऊर्जा से हाइड्रोजन और वर्तमान पेट्रोल एवं डीज़ल संचालित ऑटोमोबाइल वाहनों से इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग पर कार्य करना होगा।
- सौर ऊर्जा से मिशन हाइड्रोजन से लेकर इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने तक हमें ऊर्जा स्वतंत्रता के लिये इन पहलों को अगले स्तर तक ले जाने की ज़रूरत है।
- अमेरिका, ब्राज़ील, यूरोपीय संघ और चीन के बाद भारत इथेनॉल का विश्व का पाँचवाँ सबसे बड़ा उत्पादक है। दुनिया भर में इथेनॉल का उपयोग बड़े पैमाने पर उपभोक्ता वस्तुओं के लिये किया जाता है लेकिन ब्राज़ील और भारत जैसे देश इसे पेट्रोल के साथ उपयोग करते हैं।
- हरित ऊर्जा पहल के माध्यम से आत्मनिर्भरता प्राप्त करना हरित और टिकाऊ अर्थव्यवस्था की नींव है। हरित ऊर्जा पहल स्वच्छ ऊर्जा और सभी व्यक्तियों एवं व्यवसायों के लिये इसकी उपलब्धता पर ध्यान केंद्रित करती है।
ऊर्जा क्षेत्र में सरकार की उपलब्धियाँ:
- नवंबर 2022 के मूल कार्यक्रम से पहले जून 2022 में 10% इथेनॉल (10% इथेनॉल, 90% पेट्रोल) के साथ मिश्रित पेट्रोल की आपूर्ति का लक्ष्य हासिल किया गया था।
- इस सफलता से उत्साहित होकर सरकार ने 20% इथेनॉल से पेट्रोल बनाने का लक्ष्य पाँच वर्ष आगे बढ़ाकर वर्ष 2025 कर दिया है।
- मार्च 2021 तक प्रधानमंत्री सहज हर घर बिजली योजना, "सौभाग्य" के तहत 2.82 करोड़ घरों का विद्युतीकरण किया गया है।
- जून 2022 तक देश भर में 36.86 करोड़ से अधिक LED बल्ब, 72.18 लाख LED ट्यूबलाइट और 23.59 लाख ऊर्जा कुशल पंखे वितरित किये गए हैं, जिससे प्रतिवर्ष लगभग 48,411 मिलियन किलोवाट प्रति घंटे के साथ ही लागत के मामले में 19,332 करोड़ रुपए की बचत हुई है।
- जून 2022 तक नेशनल स्मार्ट ग्रिड मिशन (NSGM) के तहत 44 लाख से अधिक स्मार्ट मीटर लगाए जा चुके हैं तथा 67 लाख मीटर और लगाए जाने हैं।
- भारत में सोलर टैरिफ वित्त वर्ष 2015 के 7.36 रुपए/kWh (US 10 सेंट/kWh) से जुलाई 2021 में कम होकर 2.45/kWh (US 3.2 सेंट/kWh) हो गया है।
- विश्व बैंक की ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस - "गेटिंग इलेक्ट्रिसिटी" रैंकिंग में 2014 के 137 से 2019 में भारत की रैंक 22 हो गई।
ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिये विविध पहल:
- गैस आधारित अर्थव्यवस्था:
- पेट्रोल में इथेनॉल का सम्मिश्रण
- प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना
- नवीकरणीय ऊर्जा पहल
- राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन
आगे की राह
- भारत को लगातार बढ़ती ऊर्जा मांग को पूरा करने के लिये अपनी विद्युत व्यवस्था में सौर और पवन ऊर्जा तथा विशेष रूप से हरित हाइड्रोजन ऊर्जा का उपयोग करना चाहिये।
- विकास प्रक्रिया में समावेशिता की आवश्यकता को पूरा करने के लिये निवेश, अवसंरचनात्मक विकास, निजी-सार्वजनिक भागीदारी, हरित वित्तपोषण, नीतिगत ढाँचे जैसे पहलुओं को राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय स्तर पर मज़बूत करने की आवश्यकता है।
- हरित ऊर्जा में आय, रोज़गार और उद्यमिता में योगदान देने की काफी अधिक क्षमता है तथा यह निस्संदेह सतत् विकास को प्रोत्साहित करती है।
- नौकरी और आय सृजन के अतिरिक्त यह नए उत्पादों एवं सेवाओं के लिये निवेश तथा बाज़ार के अवसर/ रास्ते खोलता है। इसलिये भारत को ऊर्जा क्षेत्र में हरित ऊर्जा और आत्मनिर्भरता प्राप्त करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिये।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न (PYQs):प्रश्न. परंपरागत ऊर्जा की कठिनाइयों को कम करने के लिये भारत की ‘हरित ऊर्जा पट्टी’ पर लेख लिखिये। (2013) प्रश्न. भारत में सौर ऊर्जा की अपार संभावनाएँ हैं, हालाँकि इसके विकास में क्षेत्रीय विविधताएँ हैं। विस्तार में बताइये। (2020) प्रश्न. क्या आपको लगता है कि भारत 2030 तक अपनी ऊर्जा ज़रूरतों का 50 प्रतिशत नवीकरणीय ऊर्जा से पूरा करेगा? अपने उत्तर का औचित्य साबित कीजिये। सब्सिडी को जीवाश्म ईंधन से नवीकरणीय ऊर्जा में स्थानांतरित करने से उपरोक्त उद्देश्य को प्राप्त करने में कैसे मदद मिलेगी? व्याख्या कीजिये (2022) |