ग्रीनफील्ड इकोनॉमिक कॉरिडोर को मंज़ूरी
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्रीय सड़क और परिवहन मंत्रालय ने उत्तर प्रदेश राज्य के गाज़ियाबाद से कानपुर तक बनने वाले ग्रीनफील्ड इकोनॉमिक कॉरिडोर को मंज़ूरी दे दी है।
प्रमुख बिंदु
- यह कॉरिडोर 380 किमी. लंबा होगा और 2025 तक बनकर तैयार हो जाएगा। इसके बनने के बाद गाज़ियाबाद, हापुड़ और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बड़े हिस्से से जुड़े लोगों को यमुना एक्सप्रेसवे पर जाने की ज़रूरत नहीं होगी।
- यह कॉरिडोर लखनऊ से कानपुर के बीच बन रहे एक्सप्रेसवे को उन्नाव और कानपुर के बीच में कनेक्ट करेगा, जबकि गाजियाबाद और हापुड़ में मौज़ूदा मेरठ एक्सप्रेसवे को कनेक्ट करेगा।
- नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) ने विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) बनाने की दिशा में काम शुरू कर दिया है। यह काम दिसंबर 2023 तक पूरा होगा और उसके बाद 24 महीने में प्रोजेक्ट बनकर तैयार हो जाएगा।
- इस प्रोजेक्ट को गाज़ियाबाद/ हापुड़-कानपुर/ उन्नाव ग्रीनफील्ड इकोनॉमिक कॉरिडोर नाम दिया गया है।
- एनएचएआई अधिकारियों का कहना है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश से गंगा एक्सप्रेसवे का निर्माण भी शुरू होने जा रहा है, जो बीच में लखनऊ जाने वाले एक्सप्रेसवे को कनेक्ट करेगा, जिससे काफी ट्रैफिक गंगा एक्सप्रेसवे पर जाएगा, इसलिये शुरुआत में गाज़ियाबाद-कानपुर के बीच चार लेन का ही कॉरिडोर बनाया जा रहा है। बाद में ट्रैफिक बढ़ने पर इसे आठ लेन तक बढ़ाया जाएगा।
- गौरतलब है कि अंडरपास, फ्लाईओवर और सर्विस रोड का निर्माण छह लेन के ग्रीनफील्ड कॉरिडोर की तर्ज़ पर किया जाएगा।
- इस कॉरिडोर के बनने से गाज़ियाबाद और नोएडा की सड़कों से वाहनों का दबाव कम होगा।
- उल्लेखनीय है कि हापुड़ से कानपुर तक नया इकोनॉमिक कॉरिडोर बनाने की घोषणा केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने सितंबर 2019 में की थी।