प्रारंभिक परीक्षा
मिड-एयर बूस्टर रिकवरी
स्रोत: लाइव मिंट
चर्चा में क्यों?
हाल ही में, एलन मस्क के स्पेसएक्स ने स्टारशिप रॉकेट से अलग होने के बाद, मेचाज़िला नामक दो जायंट रोबोट आर्म्स का उपयोग करके स्टारशिप के बूस्टर, सुपर हैवी को हवा में ही पकड़ लिया।
- यह नवीन दृष्टिकोण समुद्र में न उतरकर बूस्टर की पुनः प्रयोज्यता में सुधार करता है, तथा लागत और टर्नअराउंड समय को भी कम करता है।
मेचाज़िला (मिड-एयर बूस्टर रिकवरी) के मुख्य बिंदु क्या हैं?
- मेचाज़िला: यह स्पेसएक्स की ऊँची संरचना है जो जायंट रोबोट आर्म्स के एक युग्म से सुसज्जित है, जिसे प्रक्षेपण वाहनों के उतरते समय उनके हिस्सों को पकड़ने और पुनः प्राप्त करने के लिये डिज़ाइन किया गया है ।
- मेचाज़िला का कार्य: जब प्रक्षेपण यान बूस्टर से अलग हो जाता है, तो बूस्टर अपने अवतरण और दिशा को नियंत्रित करने के लिये ग्रिड फिन का उपयोग करते हुए प्रक्षेपण स्थल पर वापस लौटता है ।
- जैसे ही यह प्रक्षेपण टॉवर के निकट पहुँचता है, रोबोटिक आर्म्स, जो परिशुद्धता मोटरों और एक्चुएटर्स द्वारा नियंत्रित होती हैं, टॉवर के साथ लंबवत रूप से संरेखित हो जाती हैं।
- फाल्कन 9 रिकवरी से भिन्न: फाल्कन 9 बूस्टर हवा में फंसने के बजाय, अपने किनारे पर बंधे लैंडिंग लेग्स का उपयोग करके विशेष रूप से निर्मित प्लेटफार्मों पर लैंड होता है।
- प्रतिस्पर्द्धियों के साथ तुलना:
- रॉकेट लैब: इसमें हेलीकॉप्टरों का उपयोग पैराशूट के माध्यम से हवा में बूस्टरों को पकड़ने के लिये किया जाता है।
- ब्लू ओरिज़िन : यह अपने न्यू शेपर्ड रॉकेट का उपयोग ऊर्ध्वाधर रूप से उतरने के लिये तथा धीमी गति से उतरने के लिये अपने इंजन पर निर्भर करता है।
- यूनाइटेड लॉन्च अलायंस (ULA) : यह पूरे बूस्टर के बजाय प्रमुख इंजन घटकों को पुनर्प्राप्त करने पर आधारित है। यह ULA बोइंग और लॉकहीड मार्टिन के बीच एक संयुक्त उद्यम है ।
- नासा: नासा रॉकेट रिकवरी के लिये पैराशूट का उपयोग करता है और हाइपरसोनिक इन्फ्लेटेबल एयरोडायनामिक डिसेलेरेटर्स (HIAD) पर प्रायोगिक रूप से कार्य कर रहा है ।
- HIAD में एक फ्लेक्सिबल थर्मल प्रोटेक्शन प्रणाली (F-TPS) होती है जो हाइपरसोनिक वायुमंडलीय प्रवेश के माध्यम से प्रवेश वाहन की सुरक्षा करती है।
- HIAD की फ्लेक्सिबल थर्मल प्रोटेक्शन प्रणाली (F-TPS) प्रवेश वाहन की सुरक्षा के लिये हाइपरसोनिक वायुमंडलीय प्रवेश का उपयोग करती है।
- मिशन का महत्त्व: बूस्टर को सफलतापूर्वक प्रयोग से स्पेसएक्स, समुद्र में उतरने या पैराशूट आधारित प्रणालियाँ जो की महँगी और अधिक समय लेने वाली हो, को समाप्त करके, रॉकेटों का तेज़ी से पुनः उपयोग करने के लक्ष्य के करीब पहुँच गया है।
नोट: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने पुष्पक यान के लिये तीसरा और अंतिम पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण यान लैंडिंग (आरएलवी लेक्स-03) का प्रयोग का सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है ।
- पुष्पक इसरो द्वारा विकसित भारत का पहला मानवरहित उड़ान परीक्षण यान है।
स्टारशिप क्या है?
- स्टारशिप के बारे में: स्टारशिप एक दो चरणों वाला भारी लिफ्ट वाहन है जिसमें एक बूस्टर (जिसे सुपर हेवी कहा जाता है) और एक ऊपरी भाग (स्टारशिप अंतरिक्ष यान) शामिल है।
- यह अब तक का सबसे बड़ा रॉकेट (120 मीटर) है, जो सैटर्न V (111 मीटर) से भी ऊँचा है , जो नील आर्मस्ट्रांग को चंद्रमा पर ले गया था।
- अनुप्रयोग: इसे पृथ्वी की कक्षा, चंद्रमा, मंगल और उससे आगे तक चालक दल और कार्गो ले जाने के लिये डिज़ाइन किया गया है और एक बार पूरी तरह से संचालन में हो जाने पर, यह अंतरिक्ष यात्रा में क्रांति ला सकता है।
- भविष्य के अंतरिक्ष अन्वेषण के लिये महत्त्व: स्पेसएक्स वर्ष 2026 तक आर्टेमिस III मिशन के एक भाग के रूप में नासा के अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर वापस ले जाने के लिये स्टारशिप एचएलएस (ह्यूमन लैंडिंग सिस्टम) का उपयोग करना चाहता है ।
- अंततः स्पेसएक्स कोअनुमान है कि स्टारशिप मंगल ग्रह पर पहले मानव मिशन को संचालित करेगा।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रिलिम्स के लियेप्रश्न: भारत के उपग्रह प्रमोचित करने वाले वाहनों के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये :
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं ? (a) केवल 1 उत्तर:(a) |
प्रारंभिक परीक्षा
'आत्महत्या के लिये दुष्प्रेरण' का अपराध
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने 'आत्महत्या के लिये दुष्प्रेरण' के अपराध की व्याख्या कर ऐसे मामलों में दोष निर्धारित करने के मानदंडों का विवरण प्रदान किया।
'आत्महत्या के लिये दुष्प्रेरण' क्या है?
- आत्महत्या के लिये दुष्प्रेरण भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 306 (भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 108) के तहत अपराध है।
- इस अपराध के लिये 10 वर्ष तक के कारावास और जुर्माने का प्रावधान है।
- भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 45 के अनुसार, दुष्प्रेरण (अर्थात् उकसाना) तब होता है जब कोई व्यक्ति जानबूझकर किसी अवैध कार्य के निष्पादन में सहायता करता है, किसी कार्य को करने के लिये दूसरों के साथ षड्यंत्र करता है, या किसी अन्य को कार्य करने के लिये उकसाता है।
- सर्वोच्च न्यायालय की व्याख्या:
- यह अपराध तब बनता है जब अभियुक्त के “प्रत्यक्ष और भयावह प्रोत्साहन या उकसावे” के कारण मृतक के पास आत्महत्या करने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं बचता।
- न्यायालय ने यह निर्धारित करने के लिये निम्नलिखित दिशा-निर्देश निर्धारित किये कि किन स्थितियों में असहनीय उत्पीड़न या भावनात्मक शोषण शामिल था, जिसने मृतक को आत्महत्या के लिये प्रेरित किया।
- न्यायालय ने यह निर्धारित करने के लिये निम्नलिखित दिशा-निर्देश निर्धारित किये हैं कि क्या कोई कार्य आत्महत्या के लिये दुष्प्रेरण के रूप में योग्य है, जिसने मृतक को आत्महत्या के लिये प्रेरित किया। इनमें शामिल हैं:
- अभियुक्तों ने असहनीय उत्पीड़न या यातना जैसी ऐसी स्थिति पैदा की जहाँ मृतक को आत्महत्या के अलावा कोई विकल्प नहीं दिखा।
- अभियुक्त ने मृतक की भावनाओं से छेड़छाड़ की, जिससे उन्हें जीवन के लिये बेकार या अयोग्य महसूस हुआ।
- अभियुक्त ने मृतक या उनके परिवार को नुकसान पहुँचाने या आर्थिक बर्बादी की धमकी दी, जिससे मृतक को आत्महत्या के अलावा कोई विकल्प नहीं दिखा।
- अभियुक्तों ने झूठे आरोप लगाए जिससे पीड़िता की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचा, सार्वजनिक रूप से अपमानित होना पड़ा तथा उसकी गरिमा को ठेस पहुँची।
- संबंधित मामले:
- एम मोहन बनाम राज्य, 2011: सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला दिया कि IPC की धारा 306 के तहत आत्महत्या के लिये दुष्प्रेरण को साबित करने हेतु प्रत्यक्ष इरादे (Direct Act with Intent) से कार्य करना आवश्यक है, जिससे पीड़ित के पास आत्महत्या के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता।
- उदे सिंह बनाम हरियाणा राज्य, 2019: सर्वोच्च न्यायालय ने माना कि आत्महत्या के लिये दुष्प्रेरण को साबित करना मामले की बारीकियों पर निर्भर करता है, जिसके लिये प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से दुष्प्रेरण की आवश्यकता होती है, जिससे पीड़ित के पास आत्महत्या के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता।
- एम मोहन बनाम राज्य, 2011: सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला दिया कि IPC की धारा 306 के तहत आत्महत्या के लिये दुष्प्रेरण को साबित करने हेतु प्रत्यक्ष इरादे (Direct Act with Intent) से कार्य करना आवश्यक है, जिससे पीड़ित के पास आत्महत्या के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता।
- आत्महत्या रोकथाम के लिये सरकारी पहल:
भारत में आत्महत्या से संबंधित आँकड़े क्या हैं?
- एनसीआरबी द्वारा संकलित आँकड़े पुलिस द्वारा दर्ज प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) पर आधारित हैं ।
- छात्र आत्महत्याओं में वृद्धि: भारत में छात्र आत्महत्याओं में प्रतिवर्ष 4% की वृद्धि हुई है, जो कि कुल आत्महत्या दर में 2% की वृद्धि से अधिक है , बावजूद इसके कि छात्र आत्महत्या के मामलों की "कम रिपोर्टिंग" की जाती है।
- लैंगिक असमानता:वर्ष 2022 में, कुल छात्र आत्महत्याओं में 53% पुरुष छात्र थे। वर्ष 2021 से पुरुष आत्महत्याओं में 6% की कमी आई, जबकि महिला छात्रों की आत्महत्याओं में 7% की वृद्धि देखी गई।
- दशक का रुझान: पिछले दशक में, 0-24 आयु वर्ग की आबादी में अल्प कमी के बावजूद, छात्र आत्महत्याओं की संख्या 6,654 से बढ़कर 13,044 हो गयी ।
- राज्यवार वितरण: महाराष्ट्र, तमिलनाडु और मध्य प्रदेश में छात्र आत्महत्याओं की संख्या सबसे अधिक है, जो कुल राष्ट्रीय आँकड़ों का एक तिहाई है।
- आत्महत्या से संबंधित कानूनी मानदंड:
- मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम, 2017 (MHCA) की धारा 115 में प्रावधान किया गया है कि आत्महत्या के प्रयास को गंभीर तनाव का परिणाम माना जाएगा और व्यक्ति पर मुकदमा नहीं चलाया जाएगा।
- यद्यपि भारतीय न्याय संहिता ने आत्महत्या का प्रयास करने संबंधी धारा को कानून की पुस्तकों से हटा दिया है, फिर भी आत्महत्या का प्रयास करना अभी भी आपराधिक रूप से दंडनीय है।
- भारतीय न्याय संहिता की धारा 224 में कहा गया है कि किसी भी लोकसेवक को अपने आधिकारिक कर्त्तव्यों का निर्वहन करने के लिये मजबूर करने के इरादे से आत्महत्या का प्रयास करने पर एक वर्ष तक कारावास, जुर्माना या दोनों से दंडनीय होगा।
प्रारंभिक परीक्षा
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की जयंती
स्रोत: पीआईबी
चर्चा में क्यों?
हाल ही में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को उनकी जयंती पर पुष्पांजलि अर्पित की।
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के बारे में मुख्य बिंदु क्या हैं?
- परिचय:
- डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्तूबर, 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम में हुआ था।
- उन्होंने कई सफल मिसाइलों के निर्माण के लिये कार्यक्रमों की योजना बनाई, जिससे उन्हें "भारत का मिसाइल मैन" कहा जाता है।
- उन्होंने वर्ष 2002 में भारत के 11वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली और वर्ष 2007 में पूरा कार्यकाल पूरा किया।
- प्राप्त पुरस्कार:
- उन्हें प्रतिष्ठित नागरिक पुरस्कार - पद्म भूषण (1981) और पद्म विभूषण (1990) तथा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न (1997) से सम्मानित किया गया।
- वह भारत और विदेशों से 48 विश्वविद्यालयों एवं संस्थानों से मानद डॉक्टरेट प्राप्त करने के अद्वितीय सम्मान के साथ भारत के सबसे प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों में से एक हैं।
- साहित्यिक रचनाएँ:
- "विंग्स ऑफ फायर",
- "इंडिया 2020 - ए विजन फॉर द न्यू मिलेनियम",
- "माई जर्नी" और "इग्नाइटेड माइंड्स - अनलीशिंग द पावर इन इंडिया",
- "इंडोमेबल स्पिरिट",
- योगदान:
- फाइबरग्लास प्रौद्योगिकी में अग्रणी: वे फाइबरग्लास प्रौद्योगिकी में अग्रणी थे और इसरो में इस प्रयास को शुरू करने के लिये उन्होंने एक युवा टीम का नेतृत्त्व किया था ।
- उपग्रह प्रक्षेपण यान (SLV-3): परियोजना निदेशक के रूप में, उन्होंने भारत के पहले स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण यान (SLV-3) को विकसित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई , जिसने जुलाई 1980 में रोहिणी उपग्रह को सफलतापूर्वक कक्षा में प्रक्षेपित किया, जिससे भारत विश्व के अंतरिक्ष क्लब में शामिल हुआ।
- स्वदेशी निर्देशित मिसाइल: वह एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम (IGMDP) के मुख्य कार्यकारी थे।
- उन्होंने परमाणु ऊर्जा विभाग के सहयोग से सामरिक मिसाइलों के शस्त्रीकरण और पोखरण-II परमाणु परीक्षण नेतृत्त्व किया।
- ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने देश का पहला परमाणु परीक्षण,स्माइलिंग बुद्ध का नेतृत्त्व किया और बाद में प्रोजेक्ट डेविल और प्रोजेक्ट वैलियंट का निर्देशन किया - जो सफल एस.एल.वी. प्रोग्राम की की तकनीक से बैलिस्टिक मिसाइल विकसित करने में सफलता मिली।
- टेक्नोलॉजी विजन 2020: वर्ष 1998 में उन्होंने ‘टेक्नोलॉजी विज़न-2020’ नामक एक देशव्यापी योजना को सामने रखा, जिसे उन्होंने 20 वर्षों में भारत को ‘अल्प-विकसित’ से विकसित समाज में बदलने के लिये एक रोडमैप के रूप में पेश किया।
- चिकित्सा एवं स्वास्थ्य देखभाल: एपीजे अब्दुल कलाम ने हृदय रोग विशेषज्ञ बी. सोमा राजू के सहयोग से कोरोनरी हृदय रोग के लिये 'कलाम-राजू-स्टेंट' विकसित किया, जिससे स्वास्थ्य सेवा सभी के लिये सुलभ हो पाई।
और पढ़ें: भारत के राष्ट्रपति, राष्ट्रपति का निर्वाचन, इसरो के शीर्ष 10 मिशन
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्सप्रश्न:भारत के राष्ट्रपति के निर्वाचन के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं ? (a) केवल 1 उत्तर: (a) |
रैपिड फायर
डिजिलॉकर की उमंग के साथ साझेदारी
स्रोत: पीआईबी
हाल ही में, राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस प्रभाग (NeGD) ने UMANG ऐप को भारत के डिजिटल वॉलेट डिजिलॉकर के साथ एकीकृत किया है । यह सहयोग नागरिकों की सरकारी सेवाओं तक पहुँच को बढ़ाता है, जिससे उपयोगकर्त्ता एकीकृत प्लेटफाॅॅर्म के माध्यम से कई सेवाओं को आसानी से प्रबंधित कर सकते हैं।
- राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस प्रभाग (NeGD): वर्ष 2009 में, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा डिजिटल इंडिया कॉरपोरेशन के तहत एक स्वतंत्र व्यापार प्रभाग के रूप में NeGD का निर्माण किया गया था।
- इसे विभिन्न मंत्रालयों और राज्य सरकारों द्वारा डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के कार्यान्वयन के लिये एक सुविधाकर्त्ता और उत्प्रेरक के रूप में बनाया गया था।
- उमंग ऐप: उमंग मोबाइल ऐप एक ऑल-इन-वन, एकीकृत, सुरक्षित, मल्टी-चैनल, बहुभाषी, मल्टी-सर्विस मोबाइल ऐप है। यह संघ और राज्यों के विभिन्न संगठनों की उच्च-प्रभाव वाली सेवाओं तक पहुँच प्रदान करता है।
- डिजिलॉकर: डिजिलॉकर भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा डिजिटल इंडिया पहल के तहत प्रदान की गई एक डिजिटलीकरण सेवा है ।
- यह ड्राइवर लाइसेंस, वाहन पंजीकरण प्रमाणपत्र और शैक्षणिक अंकतालिकाओं सहित विभिन्न दस्तावेजों के डिजिटल संस्करणों तक पहुँच की अनुमति देता है।
और पढ़ें: उमंग ऐप
रैपिड फायर
लोकनायक जयप्रकाश नारायण की जयंती
स्रोत: पीआईबी
हाल ही में प्रधानमंत्री ने लोकनायक जयप्रकाश नारायण को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की।
परिचय:
- जयप्रकाश नारायण का जन्म 11 अक्तूबर, 1902 को सिताबदियारा, बिहार में हुआ था।
- वह एक भारतीय स्वतंत्रता कार्यकर्त्ता, समाज सुधारक व राजनेता थे।
विचारधारा:
- संयुक्त राज्य अमेरिका में अध्ययन के बाद मार्क्सवादी विचारों से प्रभावित थे।
- भारत में ब्रिटिश शासन का कड़ा विरोध किया तथा समाजवादी सिद्धांतों के माध्यम से स्वतंत्रता पर ज़ोर दी।
- उनका उद्देश्य सर्वोदय के आदर्शों के अनुरूप सामाजिक परिवर्तन लाना था, जो कि सभी के लिये प्रगति पर ज़ोर देने वाला गांधीवादी दर्शन है।
प्रमुख कार्य:
- वर्ष 1929 में भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस में शामिल हुए और सविनय अवज्ञा आंदोलन तथा भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया।
- कॉन्ग्रेस सोशलिस्ट पार्टी की सह-स्थापना की तथा कॉन्ग्रेस पार्टी के भीतर वामपंथी दृष्टिकोण का समर्थन किया।
- भूदान ग्रामदान (आचार्य विनोबा भावे द्वारा शुरू किया गया) आंदोलन को बढ़ावा दिया, इस आंदोलन के तहत उनकी मांग भूमिहीनों को भूमि पुनर्वितरण की थी।
- वर्ष 1959 में उन्होंने चार स्तरीय शासन प्रणाली के साथ एक विकेंद्रीकृत राजनीतिक संरचना का प्रस्ताव रखा।
- उन्होंने आपातकाल (1975 से 1977) के विरुद्ध सम्पूर्ण क्रांति आंदोलन का नेतृत्व किया और भ्रष्टाचार तथा अधिनायकवाद के मुखर आलोचक बन गए।
मौत:
- 8 अक्तूबर, 1979 को उनकी मृत्यु हो गई और उन्हें वर्ष 1999 में मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
और पढ़ें: जयप्रकाश नारायण
रैपिड फायर
नानाजी देशमुख की जयंती
स्रोत: पीआईबी
हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री ने भारत रत्न नानाजी देशमुख को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की।
परिचय:
- नानाजी देशमुख का जन्म 11 अक्तूबर, 1916 को महाराष्ट्र के हिंगोली ज़िले में हुआ था।
- वह एक समाज सुधारक और राजनीतिज्ञ थे , जिनका ध्यान शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और ग्रामीण आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने पर था।
विचारधारा:
- वह लोकमान्य तिलक की राष्ट्रवादी विचारधारा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के संस्थापक प्रमुख डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार से प्रेरित थे ।
प्रमुख कार्य:
- स्वास्थ्य, शिक्षा और ग्रामीण आत्मनिर्भरता पर ध्यान केंद्रित करते हुए सामाजिक सुधार में सक्रिय रूप से योगदान दिया।
- भारत के पहले ग्रामीण विश्वविद्यालय, चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय की स्थापना की और इसके कुलाधिपति के रूप में कार्य किया।
- गरीबी उन्मूलन पहल और न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रमों में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।
- जनता पार्टी को गठन में उनका महत्त्वपूर्ण योगदान था ।
- वर्ष 1977 के लोकसभा चुनाव में बलरामपुर (उत्तर प्रदेश) से संसद सदस्य चुने गए।
- उनकी राष्ट्रीय सेवा के सम्मान में वर्ष 1999 में उन्हें राज्यसभा के लिये मनोनीत किया गया ।
मृत्यु एवं पुरस्कार:
- 27 फरवरी 2010 को उनका निधन हो गया । उन्हें वर्ष 1999 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया और वर्ष 2019 में मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
और पढ़ें: नानाजी देशमुख की जयंती
रैपिड फायर
NPPA द्वारा दवा की कीमतों में संशोधन
स्रोत: पीआईबी
हाल ही में, राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (NPPA) ने औषधि मूल्य नियंत्रण आदेश, 2013 के अंतर्गत आठ औषधियों के ग्यारह अनुसूचित फॉर्मूलेशनों के अधिकतम मूल्यों में 50% की वृद्धि को मंजूरी दी है।
- ये दवाएँ अस्थमा ,ग्लूकोमा ,थैलेसीमिया ,क्षय रोग और मानसिक स्वास्थ्य विकारों जैसी स्थितियों के उपचार के लिये निर्धारित हैं।
राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (NPPA):
- एनपीपीए का गठन वर्ष 1997 में रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के फार्मास्यूटिकल्स विभाग (DoP) के एक संबद्ध कार्यालय के रूप में किया गया था।
- एक स्वतंत्र नियामक जो दवाओं की कीमतें निर्धारित करता है और उनकी उपलब्धता और पहुँच सुनिश्चित करता है।
- इसे औषधि मूल्य नियंत्रण आदेश, 2013 और औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम,1940 से प्राधिकार प्राप्त है।
- एनपीपीए दवाइयों की कीमतों की जानकारी और सार्वजनिक शिकायतें दर्ज करने के लिये 'फार्मा सही दाम' और 'फार्मा जन समाधान' प्लेटफॉर्म का प्रबंधन करता है।
- फार्मा निर्माताओं से ऑनलाइन सूचना एकत्र करने के लिये एकीकृत फार्मास्युटिकल डेटाबेस प्रबंधन प्रणाली 2.0 (IPDMS) को क्रियान्वित किया जा रहा है।
और पढ़ें: भारतीय दवाओं की नियामक चुनौतियाँ
रैपिड फायर
विश्व खाद्य दिवस 2024
स्रोत: पी.आई.बी.
हाल ही में 16 अक्तूबर को विश्व खाद्य दिवस मनाया गया,जिसमें भुखमरी उन्मूलन और लचीली वैश्विक खाद्य प्रणालियों के निर्माण की तत्काल आवश्यकता पर ध्यान केंद्रित किया गया ।
- वर्ष 2024 का विषय है बेहतर जीवन और बेहतर भविष्य के लिये भोजन का अधिकार ।
- यह दिन 16 अक्तूबर, 1945 को संयुक्त राष्ट्र (UN) द्वारा खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) की स्थापना का प्रतीक है ।
- विश्व खाद्य दिवस वर्ष 1979 में FAO के 20 वें महाधिवेशन के दौरान अस्तित्व में आया तथा संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 1984 में इसका समर्थन किया ।
- भोजन के अधिकार को मानव अधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा, 1948 द्वारा मान्यता दी गई है ।
- इसके अतिरिक्त WWF की लिविंग प्लैनेट रिपोर्ट ने भारत के खाद्य उपभोग प्रणाली की प्रशंसा करते हुए इसे G-20 देशों में सर्वाधिक सतत् अथवा टिकाऊ होने के रूप में व्यक्त किया।
- इसमें कहा गया है कि यदि वैश्विक जनसंख्या भारत के उपभोग प्रणाली को अपना ले, तो वैश्विक खाद्य उत्पादन को बनाए रखने के लिये वर्ष 2050 तक वैश्विक रूप से केवल 0.84 प्रतिशत अथवा भूभाग की आवश्यकता ही पूर्ण होगी।
- खाद्य सुरक्षा के लिये भारत की प्रतिबद्धता: राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना, पीएम पोषण योजना, अंत्योदय अन्न योजना, राइस फोर्टिफिकेशन एवं मूल्य स्थिरीकरण कोष (PSF) आवश्यक वस्तुओं की मूल्य अस्थिरता का प्रबंधन करने हेतु प्रतिबद्ध हैं।
और पढ़ें: खाद्य सुरक्षा एवं राष्ट्रीय सुरक्षा