रैपिड फायर
कुछ समय के लिये अदृश्य हो जाएँगे शनि के वलय
- 12 Sep 2024
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स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
हाल ही में नासा ने पुष्टि की है कि शनि के वलय(rings) पृथ्वी के साथ संरेखित होने के कारण मार्च 2025 में कुछ समय के लिये गायब हो जाएँगे, जिससे वे पृथ्वी से किनारे पर दिखाई देंगे।
- यह प्रकाशीय घटना प्रत्येक 13 से 15 वर्ष में घटित होती है, अंतिम बार यह घटना वर्ष 2009 में हुई थी।
- शनि को सूर्य के चारों ओर एक चक्कर पूरा करने में लगभग 29.4 पृथ्वी वर्ष (Earth years) लगते हैं और यह 26.73 डिग्री के कोण पर झुका हुआ है, इसलिये वलय अपनी दिशा परिवर्तित करते हुए दिखाई देते हैं। मार्च 2025 में केवल वलय के किनारे ही दिखाई देंगे, जो बहुत ही कम प्रकाश को परावर्तित करेंगे।
शनि और उसके वलय:
- शनि सूर्य से छठा ग्रह तथा सौरमंडल में बृहस्पति के बाद दूसरा सबसे बड़ा ग्रह है।
- इसमें बर्फ और चट्टान से बनी एक वलय प्रणाली है, जो सभी ग्रहों में सबसे जटिल है।
- शनि के वलयों की चौड़ाई लगभग 2,82,000 किलोमीटर है, लेकिन वे अविश्वसनीय रूप से महीन हैं, जिनकी मोटाई केवल 10 से 30 मीटर है।
- इस ग्रह के 7 प्राथमिक वलय हैं। प्रत्येक वलय अलग-अलग गति से शनि की परिक्रमा करता है।
- यदि शनि की वलय प्रणाली को एक दूसरे से जोड़कर क्रमबद्ध रूप में रखा जाए, तो इसकी लंबाई पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की दूरी के समान होगी।
- नासा के अनुसार सौरमंडल में शनि के पास सबसे अधिक चंद्रमा (146) हैं। बृहस्पति की तरह शनि भी एक गैसीय ग्रह है, जो मुख्य रूप से हाइड्रोजन और हीलियम से निर्मित है।
- शनि ग्रह के लिये मिशन: पायनियर 11, वॉयेजर 1, और वॉयेजर 2, कैसिनी अंतरिक्ष यान।
- नासा का अनुमान है कि शनि के वलय आगामी 300 मिलियन वर्षों में "वलय वर्षा(ring rain)" के कारण स्थायी रूप से अदृश्य हो जाएँगे, यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें वलय से जल तीव्र गति से बाहर निकल जाता है।
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