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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

पोखरण-II की 25वीं वर्षगाँठ

  • 20 May 2023
  • 11 min read

प्रिलिम्स के लिये:

पोखरण- I, पोखरण- II, परमाणु अप्रसार संधि (NPT), राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस, 'नो फर्स्ट यूज़'  नीति 

मेन्स के लिये:

भारत की परमाणु क्षमताओं को आकार देने में पोखरण- II का महत्त्व, भारत का परमाणु सिद्धांत और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये इसके निहितार्थ

चर्चा में क्यों?  

भारत ने 11 मई, 2023 को पोखरण-II की 25वीं वर्षगाँठ मनाई, जो सफल परमाणु बम परीक्षण विस्फोटों को चिह्नित करती है और परमाणु शक्ति बनने की यात्रा में एक महत्त्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ।  

  • 11 मई को उन भारतीय वैज्ञानिकों, इंजीनियरों एवं प्रौद्योगिकीविदों को सम्मानित करने के लिये राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस के रूप में भी मनाया जाता है, जिन्होंने देश की वैज्ञानिक एवं तकनीकी उन्नति हेतु कार्य किया तथा पोखरण परीक्षणों के सफल आयोजन को सुनिश्चित किया।

पोखरण-II और परमाणु शक्ति के रूप में भारत की यात्रा:

  • उद्भव: 
    • वर्ष 1945 में प्रसिद्ध भौतिक विज्ञानी होमी जे. भाभा ने बॉम्बे में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR) की स्थापना हेतु सिफारिश की, जो परमाणु भौतिकी अनुसंधान के लिये समर्पित था।
      •  TIFR परमाणु भौतिकी के अध्ययन के लिये समर्पित भारत का पहला शोध संस्थान है। 
    • स्वतंत्रता के बाद भाभा ने तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को परमाणु ऊर्जा के महत्त्व के बारे में आश्वस्त किया और वर्ष 1954 में भाभा के निर्देशन में परमाणु ऊर्जा विभाग (DAE) की स्थापना की गई, जिसके प्रथम निदेशक होमी जहाँगीर भाभा थे।
      • सार्वजनिक पहुँच से दूर DAE स्वायत्त रूप से संचालित है।
  • भारत के परमाणु हथियारों की खोज का कारण: 
    • भारत के परमाणु हथियारों की खोज चीन और पाकिस्तान से इसकी संप्रभुता एवं  सुरक्षा खतरों पर चिंताओं से प्रेरित थी। 
    • वर्ष 1962 के भारत-चीन युद्ध और वर्ष 1964 में चीन के परमाणु परीक्षण ने भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा की आवश्यकता को बढ़ा दिया। 
    • वर्ष 1965 में पाकिस्तान के साथ हुए युद्ध, जिसमें पाकिस्तान को चीन का समर्थन प्राप्त था,  ने रक्षा क्षमताओं में आत्मनिर्भरता की आवश्यकता पर बल दिया।
  • पोखरण- I: 
    • परिचय: 
      • वर्ष 1970 के दशक तक भारत परमाणु बम परीक्षण करने में सक्षम था।  
        • पोखरण-I भारत का पहला परमाणु बम परीक्षण था जो 18 मई, 1974 को राजस्थान के पोखरण टेस्ट रेंज में किया गया था। 
      • इसका कोड-नेम स्माइलिंग बुद्धा था और आधिकारिक तौर पर इसे "कुछ सैन्य प्रभाव" के साथ "शांतिपूर्ण परमाणु परीक्षण" के रूप में वर्णित किया गया था।
      • भारत अमेरिका, सोवियत संघ, ब्रिटेन, फ्राँस और चीन के बाद परमाणु हथियार क्षमता वाला दुनिया का छठा देश बन गया है।
    • परीक्षण के निहितार्थ: 
      • परीक्षणों को लगभग सार्वभौमिक निंदा और विशेष रूप से अमेरिका एवं कनाडा से गंभीर प्रतिबंधों का सामना करना पड़ा था।
      • इसने परमाणु प्रौद्योगिकी में भारत की प्रगति को बाधित किया, साथ ही परमाणु के क्षेत्र में विकास की गति को को धीमा कर दिया था।
      • घरेलू राजनीतिक अस्थिरता, जैसे वर्ष 1975 का आपातकाल एवं परमाणु हथियारों का विरोध भी प्रगति में बाधा बन गया।
    • पोखरण-I के बाद:
      • पाकिस्तान की इस क्षेत्र में उपलब्धियों के कारण 1980 के दशक में परमाणु हथियारों के विकास को पुनः बढ़ावा दिया गया।
      • भारत ने अपने मिसाइल कार्यक्रम हेतु वित्तीयन में वृद्धि की और अपने प्लूटोनियम भंडार का विस्तार किया।
  • पोखरण-II: 
    • परिचय:  
      • पोखरण-द्वितीय राजस्थान के पोखरण रेगिस्तान में 11-13 मई, 1998 के बीच भारत द्वारा किये गए पाँच परमाणु बम परीक्षण विस्फोटों की शृंखला को संदर्भित करता है।
      • कोड नाम - ऑपरेशन शक्ति, इस घटना ने भारत के दूसरे सफल प्रयास को चिह्नित किया।
    • महत्त्व: 
      • पोखरण-द्वितीय ने परमाणु शक्ति के रूप में भारत की स्थिति को मज़बूत किया।
      • इसने परमाणु हथियारों को रखने और तैनात करने की भारत की क्षमता का प्रदर्शन किया, इस प्रकार इसकी निवारक क्षमताओं को बढ़ाया।
      • प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली भारत सरकार ने आधिकारिक तौर पर खुद को पोखरण-द्वितीय के बाद परमाणु हथियार रखने वाले राज्य के रूप में घोषित किया।
    • निहितार्थ:  
      • जबकि वर्ष 1998 में हुए परीक्षणों के कारण भी कुछ देशों (जैसे अमेरिका) ने प्रतिबंध लगाए, निंदा (Condemnation) 1974 की तरह सार्वभौमिक थी।
      • भारत ने तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था और बाज़ार क्षमता के बल पर एक प्रमुख राष्ट्र राज्य के रूप में अपनी स्थिति को मज़बूत किया।
  •  भारत का परमाणु सिद्धांत:
    • भारत ने विश्वसनीय न्यूनतम प्रतिरोध की नीति अपनाई, जिसमें कहा गया कि वह निवारक उद्देश्यों के लिये पर्याप्त परमाणु शस्त्रागार बनाए रखेगा लेकिन हथियारों की दौड़ में शामिल नहीं होगा।
    • वर्ष 2003 में भारत आधिकारिक तौर पर अपने परमाणु सिद्धांत के साथ सामने आया, जिसमें स्पष्ट रूप से नो फर्स्ट यूज़ नीति (No First Use Doctrine) नीति पर विस्तार से बताया गया था।
  • भारत की वर्तमान परमाणु क्षमता:
    • फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट्स (FAS) के अनुसार, भारत के पास वर्तमान में लगभग 160 परमाणु हथियार हैं।
    • भारत ने भूमि, वायु और समुद्र से परमाणु हथियारों के प्रक्षेपण की अनुमति देते हुए एक परिचालन परमाणु ट्रायड क्षमता प्राप्त की है।
      • ट्रायड डिलीवरी सिस्टम में अग्नि, पृथ्वी और के-सीरीज़ बैलिस्टिक मिसाइल, लड़ाकू विमान एवं परमाणु पनडुब्बियाँ शामिल हैं। 

परमाणु हथियारों के बारे में विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय संधियों पर भारत की स्थिति:

  • अप्रसार संधि (NPT) 1968:
    • भारत इसका हस्ताक्षरकर्त्ता नहीं है; संधि की कथित भेदभावपूर्ण प्रकृति और परमाणु हथियार वाले राज्यों से पारस्परिक दायित्वों की कमी के बारे में चिंताओं का हवाला देते हुए NPT को स्वीकार करने से इनकार कर दिया गया।
  • व्यापक परमाणु-परीक्षण-प्रतिबंध संधि (CTBT): 
    • भारत ने सीटीबीटी पर हस्ताक्षर नहीं किये हैं क्योंकि यह परमाणु हथियार संपन्न राज्यों (NWS) की समयबद्ध निरस्त्रीकरण प्रतिबद्धता का प्रबल समर्थक है और यह CTBT पर हस्ताक्षर न करने के कारण के रूप में इसमें प्रतिबद्धता की कमी का दावा करता है।
  • परमाणु हथियार निषेध संधि (TPNW):  
    • यह 22 जनवरी, 2021 से प्रभावी है और भारत इस संधि का सदस्य नहीं है।
  • परमाणु आपूर्तिकर्त्ता समूह (NSG):  
    • भारत NSG का सदस्य नहीं है।
  • वासेनार अरेंजमेंट: 
    • भारत दिसंबर 2017 को 42वें सदस्य के रूप में इसमें शामिल हुआ। 

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा पिछले वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. निम्नलिखित देशों पर विचार कीजिये: (2015)

  1. चीन।
  2. फ्राँस
  3. भारत
  4. इज़रायल
  5. पाकिस्तान

उपर्युक्त में से कौन-से परमाणु हथियार संपन्न राज्य हैं जिन्हें परमाणु हथियारों के अप्रसार पर संधि द्वारा मान्यता प्राप्त है, जिसे आमतौर पर परमाणु अप्रसार संधि (NPT) के रूप में जाना जाता है?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 1, 3, 4 और 5
(c) केवल 2, 4 और 5
(d) 1, 2, 3, 4 और 5

उत्तर: (a) 


प्रश्न. किसी देश के 'परमाणु आपूर्तिकर्त्ता समूह' का सदस्य बनने का/के क्या परिणाम है/ हैं? (2018)

  1. इसकी नवीनतम और सबसे कुशल परमाणु प्रौद्योगिकियों तक पहुँच होगी।
  2. यह स्वचालित रूप से "परमाणु हथियारों के अप्रसार पर संधि (NPT)" का सदस्य बन जाता है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? 

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (a) 


मेन्स:

प्रश्न. क्या भारत को अपनी बढ़ती ऊर्जा आवश्यकताओं को देखते हुए नाभिकीय ऊर्जा कार्यक्रम का विस्तार करते रहना चाहिये? नाभिकीय ऊर्जा से संबंधित तथ्यों और आशंकाओं पर चर्चा कीजिये। (2018) 

प्रश्न. भारत में नाभिकीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी की सवृद्धि और विकास का विवरण प्रस्तुत कीजिये। भारत में तीव्र प्रजनक रिएक्टर कार्यक्रम का क्या लाभ हैं? (2017) 

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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