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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

वासेनार अरेंजमेंट

  • 03 Dec 2022
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

वासेनार अरेंजमेंट, NSG,  नाटो, नो मनी फॉर टेरर, आतंकवाद।

मेन्स के लिये:

भारत द्वारा वासेनार अरेंजमेंट की अध्यक्षता संभालने का महत्त्व।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में वियना, आयरलैंड में वासेनार अरेंजमेंट की 26वीं वार्षिक पूर्ण बैठक में भारत को अध्यक्षता सौंपी गई और भारत आधिकारिक तौर पर 1 जनवरी, 2023 से इसकी अध्यक्षता ग्रहण करेगा।

वासेनार अरेंजमेंट:

  • परिचय:
    • वासेनार अरेंजमेंट एक स्वैच्छिक निर्यात नियंत्रण व्यवस्था है। जुलाई, 1996 में औपचारिक रूप से स्थापित इस व्यवस्था में 42 सदस्य हैं जो पारंपरिक हथियारों और दोहरे उपयोग वाले सामानों एवं प्रौद्योगिकियों के हस्तांतरण पर जानकारी का आदान-प्रदान करते हैं।
      • दोहरे उपयोग से तात्पर्य एक वस्तु या प्रौद्योगिकी की क्षमता से है जिसका उपयोग कई उद्देश्यों के लिये किया जाता है - आमतौर पर शांतिपूर्ण और सैन्य।
    • वासेनार अरेंजमेंट का सचिवालय वियना, ऑस्ट्रिया में है।
  • सदस्य:
    • इसमें 42 सदस्य राज्य हैं जिनमें अधिकतर उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) और यूरोपीय संघ के राज्य शामिल हैं।
      • भाग लेने वाले राज्यों को प्रत्येक छह माह पर व्यवस्था के बाहर के गंतव्यों के लिये अपने हथियारों के हस्तांतरण और कुछ दोहरे उपयोग वाली वस्तुओं एवं प्रौद्योगिकियों के हस्तांतरण/अस्वीकृति की रिपोर्ट करने की आवश्यकता होती है।
    • भारत वर्ष 2017 में इस व्यवस्था का सदस्य बना था।
  • उद्देश्य:
    • समूह पारंपरिक और परमाणु-सक्षम दोनों प्रकार की प्रौद्योगिकी के संबंध में सूचनाओं का नियमित रूप से आदान-प्रदान करता है, जिसे समूह के बाहर के देशों को हस्तांतरण या अस्वीकार किया जाता है।
    • यह उन रसायनों, प्रौद्योगिकियों, प्रक्रियाओं और उत्पादों की विस्तृत सूचियों के रखरखाव और अद्यतनीकरण के माध्यम से किया जाता है जिन्हें सैन्य रूप से महत्त्वपूर्ण माना जाता है।
    • इसका उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा और स्थिरता को कमज़ोर करने वाले देशों या संस्थाओं के लिये प्रौद्योगिकी, सामग्री या घटकों की आवाजाही को नियंत्रित करना है।
  • वासेनार अरेंजमेंट प्लेनरी: इसके निर्णय संबंधी अधिकार होते हैं।
    • इसमें प्रतिभागी राज्यों के प्रतिनिधि शामिल होते हैं और आम तौर पर वर्ष में एक बार, दिसंबर में इनकी बैठक होती है।
    • भाग लेने वाले राज्य बारी-बारी से प्लेनरी चेयर का पद धारण करते हैं।
    • वर्ष 2018 और वर्ष 2019 में प्लेनरी पद क्रमशः यूनाइटेड किंगडम और ग्रीस के पास था।
    • सभी प्लेनरी निर्णय सर्वसम्मति से लिये जाते हैं।

भारत के लिये अध्यक्षता का महत्त्व:

  • आतंकवाद विरोधी प्रयासों को बढ़ावा:
    • वासेनार अरेंजमेंट अध्यक्ष के रूप में भारत की नियुक्ति ऐसे समय में हुई है जब अंतर्राष्ट्रीय संगठनों में आतंकवाद के खिलाफ देश की स्थिति में हाल ही में सुधार हुआ है।
    • भारत आतंकवादी वित्तपोषण को रोकने के लिये वैश्विक हितधारकों को भी सक्रिय रूप से शामिल कर रहा है।
  • आतंकवादियों को हथियारों के इस्तेमाल से रोकना:
    • प्लेनेरी के अध्यक्ष के रूप में, भारत आतंकवादियों या आतंकवाद का समर्थन करने वाले संप्रभु राष्ट्रों को हथियारों के उपयोग को प्रतिबंधित करने के लिये निर्यात नियंत्रण को और अधिक मज़बूत करने हेतु समूह की चर्चाओं को संचालित करने की स्थिति में होगा।
  • मज़बूत प्रसार-विरोधी ढाँचा:
    • भारत के पश्चिमी पड़ोसी देशों में बिगड़ते आर्थिक संकट के साथ-साथ देश के समुदायों में ऐतिहासिक रूप से उदारवादी संप्रदायों के कट्टरपंथीकरण के कारण भारत के सामने कई तरह की चुनौतिायाँ खड़ी हो गई हैं।
    • वासेनार अरेंजमेंट के तहत लाइसेंसिंग और प्रवर्तन संबंधी प्रक्रियों को मज़बूत करने तथा विमान प्रौद्योगिकी एवं डिजिटल जाँच संबंधी उपकरण जैसे क्षेत्रों में नए निर्यात नियंत्रणों को अपनाने से दक्षिण एशिया के लिये एक मज़बूत प्रसार-विरोधी ढाँचे के निर्माण का मार्ग प्रशस्त होगा।
  • अंतरिक्ष और रक्षा प्रौद्योगिकियों का लोकतंत्रीकरण:
    • भारत उन तकनीकों और उनसे संबंधित प्रक्रियाओं तक पहुँच के लोकतंत्रीकरण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है जो भारत में नए उभरते रक्षा एवं अंतरिक्ष निर्माण क्षेत्रों के लिये महत्त्वपूर्ण बिल्डिंग ब्लॉक के रूप में कार्य कर सकते हैं।
    • भारत धीरे-धीरे डब्ल्यूए की नियंत्रण सूची में कम लागत वाली विविध वस्तुओं के उत्पादक के रूप में उभर रहा है।

अन्य निर्यात नियंत्रण संबंधी व्यवस्थाएँ

आगे की राह:

  • इनकी सदस्यता न केवल अधिक प्रौद्योगिकी और उन तक भौतिक रूप से पहुँच की अनुमति प्रदान करती है बल्कि विश्व व्यवस्था के एक ज़िम्मेदार सदस्य के रूप में एक राष्ट्र की विश्वसनीयता को बढ़ाती है।
  • भारत विश्व में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिये तैयार है और एक उभरती हुई शक्ति होने के प्रयास का समर्थन करना चाहिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न  

्रश्न. हाल ही में संयुक्त राज्य अमेरिका ने ‘ऑस्ट्रेलिया समूह’ तथा ‘वासेनार व्यवस्था’ के नाम से ज्ञात बहुपक्षीय निर्यात नियंत्रण व्यवस्थाओं में भारत को सदस्य बनाए जाने का समर्थन करने का निर्णय लिया है। इन दोनों व्यवस्थाओं के बीच क्या अंतर है? (2011)

  1. ‘ऑस्ट्रेलिया समूह’ एक अनौपचारिक व्यवस्था है जिसका लक्ष्य निर्यातक देशों द्वारा रासायनिक तथा जैविक हथियारों के प्रगुणन में सहायक होने के जोखिम को न्यूनीकृत करना है, जबकि ‘वासेनार व्यवस्था’ OECD के अंतर्गत गठित औपचारिक समूह है जिसके समान लक्ष्य हैं।
  2. ‘ऑस्ट्रेलिया समूह’ के सहभागी मुख्यतः एशियाई, अफ्रीकी और उत्तरी अमेरिका के देश हैं, जबकि ‘वासेनार व्यवस्था’ के सहभागी मुख्यतः यूरोपीय संघ और अमेरिकी महाद्वीप के देश हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (d)

स्रोत: हिंदुस्तानी टाइम्स

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