शासन व्यवस्था
RSS: एक गैर-राजनीतिक संगठन
- 23 Jul 2024
- 15 min read
प्रिलिम्स के लिये:राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS), RSS का इतिहास, संबंधित तथ्य, राजनीतिक संगठन, आपातकाल। मेन्स के लिये:RSS की गतिविधियों में सरकारी कर्मचारियों के शामिल होने पर लगे प्रतिबंध को हटाने के निहितार्थ एवं संबंधित मुद्दे। |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत सरकार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की गतिविधियों में भाग लेने वाले लोक प्रशासकों के संदर्भ में आधिकारिक तौर पर प्रतिबंध हटा दिया है।
- कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (Department of Personnel and Training- DoPT) द्वारा जारी इस निर्णय ने वर्ष 1966, 1970 और 1980 के आधिकारिक ज्ञापनों में RSS के संदर्भ जारी निर्देशों को अप्रभावी बना दिया।
नोट:
- यह सर्कुलर केवल केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिये है।
- राज्य सरकारों के पास अपने कर्मचारियों के लिये अपने स्वयं के आचरण नियम हैं।
सरकारी कर्मचारियों के लिये RSS में शामिल होने के संदर्भ में क्या नियम हैं?
- DoPT के निर्देश:
- 9 जुलाई 2024 को DoPT ने वर्ष 1966, 1970 और 1980 के आधिकारिक ज्ञापनों (OM) में RSS के संदर्भ में जारी निर्देशों को अप्रभावी करने की घोषणा की।
- इसके तहत RSS को अब एक "राजनीतिक" संगठन नहीं माने जाने से केंद्र सरकार के कर्मचारियों को आचरण नियमों के नियम 5(1) के तहत शामिल दंड के बिना इसकी गतिविधियों में भाग लेने की अनुमति मिलेगी।
- हालाँकि, यह पुनर्वर्गीकरण जमात-ए-इस्लामी (जो एक राजनीतिक संगठन बना हुआ है) पर लागू नहीं होता है, जिससे सरकारी अधिकारियों को इसकी गतिविधियों में शामिल होने पर प्रतिबंधित किया गया है।
- केंद्रीय सिविल सेवा (आचरण) नियमावली, 1964 का नियम (5) सरकारी कर्मचारियों को राजनीतिक दलों से जुड़ने या राजनीतिक गतिविधियों में शामिल होने से प्रतिबंधित करता है।
- वर्ष 1966, 1970 और 1980 के आधिकारिक ज्ञापन (OM):
- वर्ष 1966 का आधिकारिक ज्ञापन: 30 नवंबर, 1966 को गृह मंत्रालय (MHA) ने एक सर्कुलर जारी कर RSS और जमात-ए-इस्लामी में सरकारी कर्मचारियों के शामिल होने को सरकारी नीति के विपरीत बताया।
- इस सर्कुलर में केंद्रीय सिविल सेवा (आचरण) नियमावली, 1964 के नियम 5 का संदर्भ दिया गया और कहा गया कि इन समूहों से जुड़े लोगों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है।
- अखिल भारतीय सेवाएँ (आचरण) नियमावली, 1968 में भी ऐसा ही नियम है, जो आईएएस, आईपीएस और भारतीय वन सेवा अधिकारियों पर लागू होता है।
- वर्ष 1970 का आधिकारिक ज्ञापन: 25 जुलाई, 1970 को गृह मंत्रालय ने इस बात पर बल दिया कि 30 नवंबर 1966 को जारी निर्देशों का उल्लंघन करने पर सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जानी चाहिये।
- आपातकाल (वर्ष 1975 से 1977) के दौरान सरकार ने RSS, जमात-ए-इस्लामी और CPI-ML सहित विभिन्न समूहों के सदस्यों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश जारी किये, जिनकी गतिविधियाँ उस समय प्रतिबंधित थीं।
- वर्ष 1980 का आधिकारिक ज्ञापन: 28 अक्तूबर, 1980 को सरकार ने एक निर्देश जारी किया जिसमें सरकारी कर्मचारियों के बीच धर्मनिरपेक्ष दृष्टिकोण बनाए रखने के महत्त्व पर बल दिया गया और सांप्रदायिक भावनाओं एवं पूर्वाग्रहों को समाप्त करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया।
- वर्ष 1966 का आधिकारिक ज्ञापन: 30 नवंबर, 1966 को गृह मंत्रालय (MHA) ने एक सर्कुलर जारी कर RSS और जमात-ए-इस्लामी में सरकारी कर्मचारियों के शामिल होने को सरकारी नीति के विपरीत बताया।
- 1966 से पहले की स्थिति:
- वर्ष 1966 से पूर्व भारत में सरकारी कर्मचारी सरकारी सेवक आचरण नियमावली, 1949 (जिसके तहत राजनीतिक गतिविधियों में भाग लेने पर प्रतिबंध था) के द्वारा शासित थे।
- इस प्रतिबंध को सरकारी सेवक आचरण नियमावली, 1949 के नियम (23) में दोहराया गया था, जो केंद्रीय सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1964 के नियम (5) और अखिल भारतीय सेवा (आचरण) नियम, 1968 के साथ संरेखित था।
- नियमों के उल्लंघन के लिये दंड:
- इन नियमों [केंद्रीय सिविल सेवा (आचरण) नियमावली, 1964 के नियम (5) और अखिल भारतीय सेवा (आचरण) नियमावली, 1968] के उल्लंघन से सेवा से बर्खास्तगी/पदच्युति सहित अन्य गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
- दोनों नियमों के अनुसार यदि किसी पक्ष की राजनीतिक भागीदारी या किसी गतिविधि के अनुपालन के बारे में कोई अनिश्चितता है, तो ऐसे में सरकार का निर्णय अंतिम है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) क्या है?
- परिचय:
- राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) एक हिंदू राष्ट्रवादी स्वयंसेवी संगठन है जिसकी स्थापना वर्ष 1925 में नागपुर में डॉ. के.बी. हेडगेवार ने ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के दौरान कथित खतरों से रक्षा एवं इसके प्रत्युत्तर के रूप में हिंदू संस्कृति और भारतीय नागरिक समाज के मूल्यों को बनाए रखने के आदर्शों को बढ़ावा देने के लिये की थी।
- इसका उद्देश्य हिंदुत्व के विचार को बढ़ावा देना है।
- स्वतंत्रता-पूर्व चरण:
- इस संगठन ने हिंदुओं के बीच सामाजिक और सांस्कृतिक समन्वय बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसने सामुदायिक सेवा, शिक्षा और हिंदू मूल्यों के प्रचार पर ध्यान केंद्रित किया।
- स्वतंत्रता-उपरांत:
- वर्ष 1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद, RSS जाँच के घेरे (वर्ष 1948 में नाथूराम गोडसे द्वारा महात्मा गांधी की हत्या के बाद) में आ गया। इसके बाद इस संगठन पर कुछ समय के लिये प्रतिबंध लगाया गया था लेकिन बाद में इस प्रतिबंध को हटा दिया गया।
- विचारधारा:
- विनायक दामोदर सावरकर द्वारा व्यक्त की गई RSS की केंद्रीय विचारधारा इस विचार को बढ़ावा देती है कि भारत, मूल रूप से एक हिंदू राष्ट्र है।
- RSS भारतीय संस्कृति और विरासत के महत्त्व पर बल देता है, जिसका उद्देश्य भारतीयों को एक समान राष्ट्रीय पहचान के तहत संगठित करना है।
- यह संगठन शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और आपदा राहत सहित विभिन्न सामाजिक सेवा गतिविधियों में संलग्न है, जो अपने सदस्यों के बीच "सेवा भाव" के विचार को बढ़ावा देता है।
- स्वतंत्रता संग्राम में योगदान:
- RSS ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में प्रत्यक्ष रूप से भाग नहीं लिया लेकिन इसने हिंदुओं के सामाजिक-राजनीतिक जागरण में योगदान दिया।
- RSS पर प्रतिबंध का इतिहास:
- वर्ष 1948: महात्मा गांधी की हत्या के बाद इस पर प्रतिबंध लगाया गया; संविधान के प्रति निष्ठा की शपथ लेने के बाद वर्ष 1949 में यह प्रतिबंध हटा दिया गया।
- वर्ष 1966: सरकारी कर्मचारियों पर RSS में शामिल होने पर प्रतिबंध लगाया गया, जिसे वर्ष 1970 और 1980 में दोहराया गया।
- वर्ष 1975-1977: आपातकाल के दौरान इस पर प्रतिबंध लगाया गया; वर्ष 1977 में यह प्रतिबंध हटा दिया गया।
- वर्ष 1992: बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद इस पर प्रतिबंध लगाया गया। आगे चलकर वर्ष 1993 में एक आयोग द्वारा इस प्रतिबंध को अनुचित मानने के बाद इसे हटा दिया गया।
- संरचना और कार्यप्रणाली:
- RSS भारत और विदेशों में अपनी विभिन्न शाखाओं (जो शारीरिक, बौद्धिक और सांस्कृतिक प्रशिक्षण पर केंद्रित हैं) के नेटवर्क के माध्यम से कार्य करता है।
- इसने विश्व हिंदू परिषद (VHP), बजरंग दल और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) सहित कई अन्य संगठनों को प्रेरित किया है।
- राजनीतिक प्रभाव: इसे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का वैचारिक आधार माना जाता है, जो 1990 के दशक से भारत में एक प्रमुख राजनीतिक शक्ति रही है।
जमात-ए-इस्लामी
- यह एक सामाजिक-धार्मिक और राजनीतिक संगठन है जिसकी स्थापना वर्ष 1941 में ब्रिटिश भारत में अबुल अला मौदूदी (Abul A'la Maududi) द्वारा की गई थी।
- इसका उद्देश्य इस्लामी मूल्यों को बढ़ावा देना और समाज एवं शासन में इस्लामी सिद्धांतों को लागू करना है।
- यह शरिया कानून द्वारा शासित इस्लामी राज्य की स्थापना का समर्थन करता है।
- भारत सरकार ने मार्च 2019 में विधिविरुद्ध क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम (UAPA) के तहत जमात-ए-इस्लामी जम्मू और कश्मीर पर आधिकारिक रूप से प्रतिबंध लगा दिया था।
आनंद मार्ग:
- इसकी स्थापना वर्ष 1955 में प्रभात रंजन सरकार द्वारा की गई थी, यह एक सामाजिक-आध्यात्मिक संगठन है जो अपने प्रगतिशील उपयोग सिद्धांत (Prout) के लिये जाना जाता है।
- प्रगतिशील उपयोग सिद्धांत (Prout) एक सामाजिक-आर्थिक वैकल्पिक मॉडल है जो प्रत्येक व्यक्ति के शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक कल्याण तथा विकास को बढ़ावा देता है।
- 1960 के दशक में इसे लोकप्रियता मिली, जिसके कारण पश्चिम बंगाल सरकार के साथ इसका संघर्ष हुआ। इससे संबंधित प्रमुख घटनाओं में वर्ष 1975 में रेल मंत्री एल. एन. मिश्रा की हत्या शामिल है, जिसके लिये चार सदस्यों को दोषी ठहराया गया था और 1971 में एक अनुयायी की हत्या (Disciple's Murde) का आदेश देने के आरोप में आनंदमूर्ति की गिरफ्तारी की गई।
- आपातकाल (1975-1977) के दौरान इस पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में राजनीतिक संगठनों और दबाव समूहों की भूमिका पर चर्चा कीजिये। इन संगठनों ने आंदोलन को किस प्रकार प्रभावित किया तथा भारत की अंतिम स्वतंत्रता में किस प्रकार योगदान दिया? |
प्रिलिम्स :प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन अंग्रेज़ी में प्राचीन भारतीय धार्मिक गीतों के अनुवाद 'सॉन्ग्स फ्रॉम प्रिज़न' से संबंधित है? (2021) (a) बाल गंगाधर तिलक उत्तर: (c) प्रश्न. भारत में ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2019)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (b) मेन्स:प्रश्न. असहयोग आंदोलन और सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान महात्मा गांधी के रचनात्मक कार्यक्रमों पर प्रकाश डालिये। (2021) प्रश्न . जम्मू-कश्मीर में 'जमात-ए-इस्लामिक' पर पाबंदी लगाने से आतंकवादी संगठनों को सहायता पहुँचाने में भूमि उपरि कार्यकर्ताओं (OGW) की भूमिका ध्यान का केंद्र बन गई है। उप्लव प्रभावित क्षेत्रों में आतंकवादी संगठनों को सहायता पहुँचाने में भूमि उपरि कार्यकर्ताओं द्वारा निभाई जा रही भूमिका का परीक्षण कीजिये। भूमि उपरि कार्यकर्ताओं के प्रभाव को निष्प्रभावित करने के उपायों पर चर्चा कीजिये। (2019) |