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डेली न्यूज़

  • 20 Mar, 2025
  • 29 min read
भारतीय अर्थव्यवस्था

डी-डॉलराइज़ेशन और भारत

प्रिलिम्स के लिये:

BRICS+, डी-डॉलराइज़ेशन, केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्राएँ (CBDC), बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट्स (BIS), 16वाँ कज़ान BRICS शिखर सम्मेलन 2024, क्रिप्टोकरेंसी, विनिमय दर, मुद्रा अवमूल्यन, ब्लॉकचेन भुगतान, UPI, RuPay, IMF, SDR, सॉवरेन वेल्थ फंड, G20

मेन्स के लिये:

डी-डॉलराइज़ेशन और भारतीय तथा वैश्विक अर्थव्यवस्था पर इसका प्रभाव

स्रोत: बिज़नेस स्टैंडर्ड 

चर्चा में क्यों?

हाल की वित्तीय और मुद्रा पहलों, विशेष रूप से BRICS+ ढाँचे के भीतर, के अंतर्गत अमेरिकी डॉलर-प्रधान प्रणाली पर निर्भरता को कम करने (डी-डॉलराइज़ेशन) और वैश्विक व्यापार तथा वित्त के लिये वैकल्पिक तंत्र स्थापित करने का प्रयास किया जा रहा है।

डी-डॉलराइज़ेशन

  • यह वैश्विक व्यापार, वित्त और विदेशी मुद्रा अरक्षित निधियों में अमेरिकी डॉलर के प्रभुत्व को कम करने की प्रक्रिया को संदर्भित करता है।
  • इसमें अंतर्राष्ट्रीय लेनदेन, कमोडिटी ट्रेडिंग (जैसे तेल) और विदेशी मुद्रा धारिताओं के लिये अमेरिकी डॉलर को अन्य मुद्राओं या परिसंपत्तियों (जैसे सोना, क्रिप्टोकरेंसी या क्षेत्रीय मुद्राएँ) के साथ प्रतिस्थापित करना शामिल है।

डी-डॉलराइज़ेशन संबंधी हाल की वित्तीय और मुद्रा पहलें कौन-सी हैं?

  • mBridge परियोजना: यह सेंट्रल बैंक डिजिटल मुद्राओं (CBDC) के उपयोग पर आधारित एक डिजिटल क्रॉस-बॉर्डर भुगतान प्रणाली है। इसे शुरुआत में बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट्स (BIS) के समर्थन से चीन, थाईलैंड जैसे कई देशों के केंद्रीय बैंकों द्वारा बढ़ावा दिया गया था।
    • अनुमानों के अनुसार डॉलर के प्रभुत्व को बनाए रखने के लिये अमेरिकी दबाव के कारण BIS mBridge से अलग हुआ।
  • BRICS+ पहल: BRICS ब्रिज और BRICS क्लियर, BRICS+ देशों में भुगतान और समाशोधन प्रणाली स्थापित करने के लिये प्रस्तावित वित्तीय प्रणालियाँ हैं। 
    • BRICS+ समूह में मूल BRICS राष्ट्र अर्थात ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका सहित नए सदस्य अर्थात मिस्र, इथियोपिया, ईरान, संयुक्त अरब अमीरात और इंडोनेशिया शामिल हैं।
  • पेट्रो-युआन बाज़ार: वैश्विक तेल व्यापार का 10.5% और वैश्विक तेल फ्यूचर्स (मानकीकृत संविदा) का 14.4% शंघाई इंटरनेशनल एनर्जी एक्सचेंज (2018) द्वारा संपन्न होता है। 
    • सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात के गैर-डॉलर तेल व्यापार से मांग में वृद्धि के कारण पेट्रो-युआन को बढ़ावा मिलता है और अमेरिकी डॉलर के  एक स्थिर विकल्प के रूप में इसकी विश्वसनीयता बढ़ती है।
  • BRICS मुद्रा: 16वें कज़ान BRICS शिखर सम्मेलन 2024 में, "यूनिट" नामक एक नई निपटान मुद्रा का उपयोग करने के लिये सिद्धांत रूप में एक समझौता हुआ, जो 40% सोने और सदस्य देशों की 60% स्थानीय मुद्राओं द्वारा समर्थित है।

डी-डॉलराइज़ेशन के वैश्विक लाभ क्या हैं? 

  • भू-राजनीतिक जोखिम में कमी: देश अमेरिका के उन प्रतिबंधों और विदेश नीति निर्णयों से स्वयं को को सुरक्षित रख सकते हैं जिनसे डॉलर के प्रभुत्व को बढ़ावा मिलता है (जैसे, परिसंपत्तियों को फ्रीज़ करना अथवा वैश्विक वित्तीय प्रणाली के अभिगम को प्रतिबंधित करना)।
    • उदाहरण के लिये, वर्ष 2022 में यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद, पश्चिमी देशों ने रूस की 300 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक की संपत्ति का कीलन कर लिया।
  • विविधीकरण: डी-डॉलराइज़ेशन से बहु-मुद्रा उपयोग को बढ़ावा मिलता है, एक मुद्रा पर निर्भरता कम होती है और वैश्विक वित्त में संतुलन स्थापित होता है। 
    • उदाहरण के लिये, वैकल्पिक भुगतान प्रणाली स्थापित किये जाने हेतु पेट्रो-युआन और भारतीय रुपए का उदय।
  • क्षेत्रीय मुद्राओं का सुदृढ़ीकरण: देश आर्थिक संप्रभुता का सुदृढ़ीकरण करने और विनिमय दर जोखिम को कम करने के उद्देश्य से व्यापार में अपनी मुद्राओं को बढ़ावा दे सकते हैं।
    • उदाहरण के लिये, भारत संयुक्त अरब अमीरात के साथ रुपए में तेल का व्यापार करता है।
  • सभेद्यता में सुधार: डी-डॉलराइज़ेशन होने से देशों पर अमेरिकी मौद्रिक नीति (जैसे, ब्याज दर में परिवर्तन) से पड़ने वाला प्रभाव कम होगा, जिससे पूंजी पलायन और मुद्रा अवमूल्यन जैसे प्रभावों से संरक्षा मिलेगी।
  • सोने के उपयोग में वृद्धि: डी-डॉलराइज़ेशन के कारण आरक्षित परिसंपत्ति के रूप में सोने का उपयोग पुनः प्रचलित हो गया है, जिससे यह वैध/कागज़ी मुद्राओं के लिये एक स्थिर विकल्प बन गया है।
  • डिजिटल मुद्राओं को बढ़ावा: डी-डॉलराइज़ेशन से डिजिटल मुद्रा और ब्लॉकचेन भुगतान का विकास तेज़ी से होगा, जिससे वित्तीय नवाचार को बढ़ावा मिलेगा।

वैश्विक डी-डॉलराइज़ेशन संबंधी चिंताएँ क्या हैं?

  • अल्पकालिक अस्थिरता: मुद्रा आरक्षित निधियों अथवा व्यापार समझौतों में सहसा परिवर्तन होने से वैश्विक बाज़ारों में अस्थिरता बढ़ सकती है, क्योंकि वर्तमान में डॉलर अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और वित्त का आधार है।
  • विकल्पों की सीमित स्वीकृति: कई वैकल्पिक मुद्राओं (जैसे, युआन, रुपया या रूबल) में तरलता, स्थिरता और वैश्विक विश्वास का अभाव होता है जो अमेरिकी डॉलर में है।
  • विखंडन का जोखिम: डी-डॉलराइज़ेशन से प्रतिस्पर्द्धी मुद्रा ब्लॉकों का निर्माण हो सकता है, जिससे वैश्विक अर्थव्यवस्था विखंडित हो सकती है और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और निवेश जटिल हो सकता है।
  • भू-राजनीतिक तनाव: अमेरिका डी-डॉलराइज़ेशन प्रयासों पर आक्रामक प्रतिक्रिया दे सकता है, जिससे व्यापार युद्ध, प्रतिबंध या अन्य प्रकार की आर्थिक जवाबी कार्यवाही बढ़ सकती है। 
    • उदाहरण के लिये, डॉलर पर निर्भरता कम करने के प्रयास में BRICS देशों के लिये अमेरिकी टैरिफ का खतरा।
  • वैश्विक परिणाम: डॉलर की आरक्षित स्थिति में गिरावट से अमेरिकी ऋण की मांग कम हो सकती है, और अमेरिका में आर्थिक अस्थिरता हो सकती है, जिसके वैश्विक प्रभाव हो सकते हैं, क्योंकि अमेरिका सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है।
  • विनिमय दर निर्धारण की समस्या: वैश्विक बेंचमार्क के रूप में अमेरिकी डॉलर के बिना, देशों को बहु-मुद्रा बास्केट जैसे विकल्पों का उपयोग करना होगा, जिससे विनिमय दरें जटिल हो जाएंगी।
    • उदाहरण के लिये, भारत और रूस लगातार अपनी स्थानीय मुद्राओं के आधार पर मुद्रा विनिमय दर पर बातचीत कर रहे हैं।

डी-डॉलराइज़ेशन पर भारत का दृष्टिकोण क्या है और इसका भारत पर क्या प्रभाव पड़ता है?

  • डी-डॉलराइज़ेशन पर भारत का दृष्टिकोण: भारत BRICS+ मुद्रा वार्ताओं में शामिल है, तथा सतर्कता बरतते हुए कहा है कि उसका अमेरिकी डॉलर को कमज़ोर करने का कोई इरादा नहीं है, क्योंकि वह इसे वैश्विक स्थिरता के लिये आवश्यक मानता है।

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लाभ

  • भारतीय रुपए को बढ़ावा देना: यह द्विपक्षीय और बहुपक्षीय व्यापार समझौतों में भारतीय रुपए के उपयोग को प्रोत्साहित करता है। उदाहरण के लिये, तेल आयात के लिये भारत का रूस के साथ रुपए में व्यापार।
  • अधिक मौद्रिक नीति स्वायत्तता: डॉलर पर निर्भरता कम करने से भारत को अमेरिकी नीतिगत बदलावों से प्रभावित हुए बिना, मुद्रास्फीति और ब्याज दरों को प्रबंधित करने के लिये मौद्रिक नीति पर अधिक नियंत्रण मिलता है।
  • रिज़र्व का विविधीकरण: डी-डॉलराइज़ेशन से भारत को अपने रिज़र्व को अन्य मुद्राओं (जैसे, यूरो, येन, युआन) या स्वर्ण में विविधता लाने में मदद मिलती है, जिससे डॉलर के अवमूल्यन का जोखिम कम हो जाता है।
  • अमेरिकी प्रतिबंधों के प्रति जोखिम में कमी: इससे अमेरिकी प्रतिबंधों के प्रति भारत की संवेदनशीलता कम हो जाती है तथा उसे अधिक भू-राजनीतिक लचीलापन प्राप्त होता है।
    • यह अमेरिका-केंद्रित स्विफ्ट प्रणाली पर निर्भरता को कम करता है, तथा भारत की वित्तीय प्रणाली को जोखिमों और प्रतिबंधों से बचाता है।

चिंताएँ

  • विदेशी निवेश पर प्रभाव: डॉलर से दूर जाने से विदेशी निवेशक हतोत्साहित हो सकते हैं जो डॉलर-मूल्य वाली संपत्तियों की स्थिरता और पूर्वानुमेयता को पसंद करते हैं।
  • रिज़र्व में विविधता लाने में चुनौतियाँ: वैकल्पिक मुद्राएँ या स्वर्ण जैसी परिसंपत्तियाँ भारत को नए जोखिमों के प्रति सुभेद्द बना सकती हैं, जैसे मुद्रा मूल्यह्रास या वस्तुओं की कीमत में उतार-चढ़ाव।
    • भारत के लिये चीनी युआन पर अत्यधिक निर्भरता का जोखिम है, जिससे भू-राजनीतिक और आर्थिक चुनौतियाँ सामने आ रही हैं।
  • धन प्रेषण पर प्रभाव: डी-डॉलराइज़ेशन से भारत में डॉलर में भेजी जाने वाली धनराशि बाधित हो सकती है, जिससे लाखों परिवार प्रभावित होंगे।

भारत के लिये आगे क्या है?

  • रुपए को मज़बूत बनाना: भारत-UAE तेल व्यापार की तरह रुपए में द्विपक्षीय व्यापार का विस्तार करना, साथ ही करेंसी स्वैप और ब्रिक्स+ पहल जैसे क्षेत्रीय ढाँचे को बढ़ावा देना।
    • सीमा पार लेनदेन के लिये UPI, RuPay और डिजिटल रुपया (ई₹) का अंतर्राष्ट्रीयकरण करना।
  • रिज़र्व में विविधता लाना: यूरो, येन, युआन, स्वर्ण और IMF SDR में रिज़र्व का विविधीकरण करके अमेरिकी डॉलर पर निर्भरता कम करना, साथ ही स्थिरता के लिये संप्रभु संपदा निधि (SWF) और कमोडिटी भंडार का विकास करना।
  • जोखिम प्रबंधन: बहु-मुद्रा व्यापार प्रणाली को बनाए रखना, विविधतापूर्ण व्यापार के लिये आसियान, यूरोपीय संघ और अफ्रीका के साथ संबंधों को मज़बूत करना तथा रुपए में  निवेशकों का विश्वास सुनिश्चित करना।
  • भारत की वित्तीय स्थिति को सुदृढ़ करना: मुंबई को वैश्विक वित्तीय केंद्र के रूप में स्थापित करना, बॉण्ड बाज़ार में तरलता को बढ़ावा देना, तथा IMF, G-20 और अन्य निकायों के माध्यम से बहु-मुद्रा प्रणाली की वकालत करना।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न: डी-डॉलराइज़ेशन की अवधारणा और भारत की अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभाव पर चर्चा कीजिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2019)

  1. भारत का अधिकांश विदेशी ऋण सरकारी सत्त्वों के ऋणी होने के द्वारा है।
  2. भारत का सारा विदेशी ऋण US डॉलर के मूल्यवर्ग में है।

उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 व 2 दोनों 
(d) न तो 1 न ही 2

उत्तर: (d)


प्रश्न. हाल ही में IMF के SDR बास्केट में निम्नलिखित में से किस मुद्रा को जोड़ने का प्रस्ताव दिया गया है?

(a) रूबल
(b) रैंड
(c) भारतीय रुपया
(d) रेनमिनबी

 उत्तर: (d)


मेन्स:

प्रश्न: विश्व व्यापार में संरक्षणवाद और मुद्रा चालबाजियों की हाल की परिघटनाएँ भारत की समष्टि आर्थिक स्थिरता को किस प्रकार से प्रभावित करेंगी? (वर्ष 2018)

प्रश्न: सोने के लिये भारतीयों के उन्माद ने हाल के वर्षों में सोने के आयात में प्रोत्कर्ष (उछाल) उत्पन्न कर दिया है और भुगतान-संतुलन और रुपए के बाह्य मूल्य पर दबाव डाला है। इसको देखते हुए, स्वर्ण मुद्रीकरण योजना के गुणों का परीक्षण कीजिये। (वर्ष 2015)


मुख्य परीक्षा

वैश्विक जलवायु स्थिति रिपोर्ट 2024

स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स 

चर्चा में क्यों?

विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) की वैश्विक जलवायु स्थिति रिपोर्ट 2024 के अनुसार, भूमंडलीय तापक्रम वृद्धि पेरिस समझौते की निर्धारित सीमा 1.5°C के निकट है।

वैश्विक जलवायु रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष क्या हैं?

  • वर्तमान तापक्रम वृद्धि स्तर: वैश्विक तापक्रम वृद्धि पूर्व-औद्योगिक स्तर से 1.34-1.41 डिग्री सेल्सियस अधिक है, तथा गत 20 माहों में से 19 माहों में तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस की सीमा से अधिक रहा।
    • सितंबर 2029 तक विश्व का तापमान 1.5°C की सीमा से अधिक होने की संभावना है।
    • चरम मौसम की घटनाएँ: वर्ष 2024 में चक्रवातों, बाढ़ और अनावृष्टि से हुए रिकॉर्ड स्तर के विस्थापन के कारण खाद्य संकट और भी गंभीर हो गया है, जबकि पूर्वी एशिया, दक्षिण-पूर्वी यूरोप, भूमध्य सागर, पश्चिम एशिया और दक्षिण-पश्चिमी अमेरिका में हीट वेव्स की तीव्रता जारी रही।
    • कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर: वर्ष 2023 में, वायुमंडलीय CO₂ पूर्व-औद्योगिक स्तर के 151% तक पहुँच गया, जो 800,000 वर्षों में सबसे अधिक है।
    • क्रायोस्फीयर में गिरावट: आर्कटिक समुद्री हिम लगातार 18 वर्षों तक रिकॉर्ड निम्न स्तर पर रही, जबकि अंटार्कटिक समुद्री हिम वर्ष 2024 में अपनी दूसरी सबसे निम्नतम सीमा पर पहुँच गई।
  • अपरिवर्तनीय प्रभाव:
    • महासागरीय तापमान में वृद्धि: वर्ष 2024 में महासागरीय तापमान में 65 वर्षों में सबसे अधिक वृद्धि देखी गई, तथा तापमान वृद्धि की दर वर्ष 1960 के बाद से दोगुनी हो गई।
    • समुद्र के स्तर में वृद्धि: वैश्विक औसत समुद्र का स्तर रिकॉर्ड ऊँचाई पर पहुँच गया, जिसकी दर 2.1 मिमी/वर्ष (वर्ष 1993-2002) से दोगुनी होकर 4.7 मिमी/वर्ष (वर्ष 2015-2024) हो गई।
    • ग्लेशियर का पिघलना: वर्ष 2022-2024 की अवधि में सबसे नकारात्मक ग्लेशियर द्रव्यमान संतुलन दर्ज किया गया, जिसमें नॉर्वे, स्वीडन, स्वालबार्ड और उष्णकटिबंधीय एंडीज में महत्त्वपूर्ण नुकसान हुआ।
    • महासागरीय अम्लीकरण: pH स्तर में तेज़ी से गिरावट आ रही है, विशेष रूप से हिंद महासागर, दक्षिणी महासागर और भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर में, जिसका प्रभाव सदियों तक अपरिवर्तनीय रहेगा।

Global_Mean_Surface_Temperature

विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) क्या है?

और पढ़ें: विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO)

पेरिस समझौता क्या है?

और पढ़ें: पेरिस समझौता


भारतीय अर्थव्यवस्था

भारत का धन प्रेषण रुझान 2024

प्रिलिम्स के लिये:

भारतीय रिज़र्व बैंक, धन प्रेषण, खाड़ी सहयोग परिषद, रुपया आहरण व्यवस्था, उदारीकृत प्रेषण योजना

मेन्स के लिये:

धन प्रेषण रुझान, धन प्रवाह पर वैश्विक आर्थिक बदलावों का प्रभाव, विदेशी मुद्रा

स्रोत: TH

चर्चा में क्यों?

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के भारत के धन प्रेषण सर्वेक्षण (2023-24) के छठे दौर में यह बात सामने आई कि विकसित अर्थव्यवस्थाएँ (AI), विशेष रूप से अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम (UK), भारत में धन प्रेषण में शीर्ष योगदानकर्त्ता के रूप में खाड़ी देशों से आगे निकल गए हैं।

भारत के धन प्रेषण सर्वेक्षण के 6वें दौर के प्रमुख निष्कर्ष क्या हैं?

  • धन प्रेषण के स्रोत: भारत का कुल धन प्रेषण दोगुने से भी अधिक हो गया है, जो वर्ष 2010-11 में 55.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर वर्ष 2023-24 में 118.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है।
  • वर्ष 2023-24 में अमेरिका 27.7% के साथ सबसे आगे रहा, उसके बाद संयुक्त अरब अमीरात (USA) 19.2% के साथ दूसरे स्थान पर है। 
  • ब्रिटेन, सिंगापुर, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया सहित विकसित अर्थव्यवस्थाओं ने 50% से अधिक का योगदान दिया। 
  • ब्रिटेन की हिस्सेदारी 3.4% (2016-17) से बढ़कर 10.8% हो गई, जो भारतीय प्रवास में वृद्धि के कारण हुई तथा ऑस्ट्रेलिया 2.3% के साथ एक प्रमुख स्रोत के रूप में उभरा।
  • खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) देशों (UAE, सऊदी अरब, कुवैत, कतर, ओमान, बहरीन) की कुल हिस्सेदारी 38% (2023-24) है, जो लगभग 47% (2016-17) से कम है।
  • धन प्रेषण का राज्यवार वितरण: महाराष्ट्र (20.5%) शीर्ष प्राप्तकर्त्ता रहा, उसके बाद केरल (19.7%) का स्थान है। 
  • अन्य प्रमुख राज्यों में तमिलनाडु (10.4%), तेलंगाना (8.1%) और कर्नाटक (7.7%) शामिल हैं। पंजाब और हरियाणा में भी वृद्धि देखी गई।
  • धन-प्रेषण हस्तांतरण का तरीका: रुपया आहरण व्यवस्था (RDA) आवक धन प्रेषण के लिये प्रमुख चैनल बनी हुई है, इसके बाद प्रत्यक्ष वोस्ट्रो हस्तांतरण और फिनटेक प्लेटफॉर्म का स्थान है।
  • डिजिटल धन प्रेषण बढ़ रहा है, जो वर्ष 2023-24 में कुल लेनदेन का 73.5% होगा।

भारत में धन प्रेषण के स्रोत में बदलाव के क्या कारण हैं?

  • उन्नत भारतीय उद्योगों में मजबूत रोज़गार बाज़ार: अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया उच्च वेतन वाली नौकरियों की, विशेष रूप से कुशल भारतीय प्रवासियों के लिये, पेशकश करते हैं।
  • कोविड-19 के बाद अमेरिकी नौकरी बाज़ार में सुधार हुआ, जिसके परिणामस्वरूप भारतीय पेशेवरों से अधिक धन प्रेषण हुआ।
    • यूके-भारत प्रवासन और गतिशीलता भागीदारी (MMP) ने भारतीयों के लिये कार्य वीजा प्राप्त करना आसान बना दिया, जिसके परिणामस्वरूप, यूके में भारतीय प्रवासन वर्ष 2020 में 76,000 से बढ़कर 2023 में 250,000 हो रहा।
    • कनाडा की एक्सप्रेस एंट्री और ऑस्ट्रेलिया की आव्रजन प्रणाली कुशल भारतीय पेशेवरों को तरजीह देती है, जिससे उच्च वेतन वाली नौकरियाँ मिलती हैं तथा धन प्रेषण में वृद्धि होती है।
  • GCC में रोजगार के अवसरों में गिरावट: कई भारतीय प्रवासी कोविड-19 के दौरान खाड़ी देशों से वापस लौटे तथा बाद में बेहतर वित्तीय अवसरों के लिये अरेबियन देश चले गए। 
  • इसके अतिरिक्त, आर्थिक विविधीकरण और स्वचालन ने खाड़ी क्षेत्र में कम कुशल भारतीय श्रमिकों की मांग को कम कर दिया है।
  • इस बीच, निताकत (सऊदी अरब) और अमीरातीकरण (यूएई) जैसी राष्ट्रीयकरण नीतियाँ स्थानीय श्रमिकों के पक्ष में हैं, जिससे प्रवासियों के लिये नौकरी की संभावनाएँ सीमित हो रही हैं।
  • भारत में प्रवासन प्रारूप में बदलाव: केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना जैसे दक्षिणी राज्य अब खाड़ी देशों की तुलना में एशियाई देशों को प्राथमिकता दे रहे हैं।
    • उत्तर प्रदेश, बिहार और राजस्थान से बड़ी संख्या में श्रमिक खाड़ी देशों में भेजे जा रहे हैं, जिससे दक्षिणी राज्यों की तुलना में उनकी शैक्षिक योग्यता कम है, जिससे कृत्रिम बुद्धि वाले देशों में कुशल नौकरियों के लिये पात्रता कम हो गई है।
  • शिक्षा-प्रेरित प्रवासन और धन विप्रेषण में वृद्धि:  AE में भारतीय छात्रों की बढ़ती संख्या ने धन विप्रेषण को भी बढ़ावा दिया है। कई छात्र काम के लिये यहीं रहते हैं और घर पैसे भेजते हैं।
    • कनाडा में 32% भारतीय छात्र रहते हैं, उसके बाद अमेरिका (25.3%), ब्रिटेन (13.9%) और ऑस्ट्रेलिया (9.2%) का स्थान आता है।

विप्रेषण

  • परिचय: धन विप्रेषण विदेशी श्रमिकों द्वारा अपने देश में अपने परिवारों की सहायता के लिये भेजी गई धनराशि है, जो घरेलू आय और अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। 
    • वर्ष 2024 में, भारत को रिकॉर्ड 129.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर का धन विप्रेषण प्राप्त हुआ, जो किसी भी देश के लिये एक वर्ष में अब तक का सबसे अधिक धन है, जो वैश्विक धन विप्रेषण का 14.3% है। मेक्सिको और चीन अगले सबसे बड़े प्राप्तकर्त्ता हैं।
  • नियामक ढाँचा: विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA), 1999 भारत में सभी विदेशी मुद्रा लेनदेन को नियंत्रित करता है। 
    • FEMA के एक भाग, उदारीकृत विप्रेषण योजना (LRS) के अंतर्गत, भारतीय निवासी व्यक्तिगत और निवेश उद्देश्यों के लिये प्रति वर्ष 250,000 अमेरिकी डॉलर तक धन विप्रेषित कर सकते हैं, तथा इससे अधिक राशि के लिये RBI की मंजूरी की आवश्यकता होगी।
    • हालाँकि, LRS जुआ, सट्टा व्यापार और आतंकवादी वित्तपोषण के लिये धन विप्रेषण पर प्रतिबंध लगाता है।
  • विप्रेषणों को भुगतान संतुलन (BoP) के चालू खाते के अंतर्गत एकपक्षीय हस्तांतरण के रूप में दर्ज किया जाता है। वे विदेशी आय प्रवाह का प्रतिनिधित्व करते हैं जो देनदारियों का निर्माण नहीं करते हैं।

BoP_Remittances

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. भारत के विप्रेषण और घरेलू श्रम बाज़ार पर बदलते प्रवासन रुझान के प्रभाव का विश्लेषण कीजिये। 

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सा पूंजी खाता है? (2013)

  1. विदेशी ऋण 
  2. प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 
  3. निजी प्रेषण 
  4. पोर्टफोलियो निवेश

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1, 2 और 3
(b) केवल 1, 2 और 4
(c) केवल 2, 3 और 4
(d) केवल 1, 3 और 4

उत्तर: (b)


प्रश्न. डिजिटल भुगतान के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)

  1. BHIM एप उपयोग करने वालों के लिये यह एप UPI सक्षम बैंक खाते से किसी को धन अंतरण करना संभव बनाता है। 
  2. जहाँ एक चिप-पिन डेबिट कार्ड में प्रमाणीकरण के चार घटक होते हैं, BHIM एप में प्रमाणीकरण के सिर्फ दो घटक होते हैं।

उपर्युक्त कथनों में कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (a)


प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन 'एकीकृत भुगतान इंटरफेस (UPI)' को लागू करने का सबसे संभावित परिणाम है? (2017)

(a) ऑनलाइन भुगतान के लिये मोबाइल वॉलेट की आवश्यकता नहीं होगी।
(b) डिजिटल मुद्रा लगभग दो दशकों में भौतिक मुद्रा को पूरी तरह से प्रतिस्थापित कर देगी।
(c) FDI के प्रवाह में भारी वृद्धि होगी।
(d) निर्धन लोगों को सब्सिडी का सीधा हस्तांतरण अधिक प्रभावी हो जाएगा।

उत्तर: (a)


मेन्स:

प्रश्न. 'अमेरिका एवं यूरोपीय देशों की राजनीति और अर्थव्यवस्था में भारतीय प्रवासियों को एक निर्णायक भूमिका निभानी है'। उदाहरणों सहित टिप्पणी कीजिये। (2020)


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