भारतीय अर्थव्यवस्था
क्रिप्टोकरेंसी और ब्लॉकचेन
- 30 Aug 2024
- 17 min read
प्रिलिम्स के लिये:क्रिप्टोकरेंसी, ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी, सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC), बिटकॉइन, मुद्रास्फीति, डिजिटल वॉलेट, टोकनाइज़ेशन, मनी लॉन्ड्रिंग, कर चोरी। मेन्स के लिये:अर्थव्यवस्था पर क्रिप्टोकरेंसी का प्रभाव |
स्रोत: फाइनेंशियल एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
हाल ही में पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एक क्रिप्टो सभा में बिटकॉइन के प्रति समर्थन व्यक्त किया।
- मुद्रास्फीति और आर्थिक संकटों से निपटने के सरकारी तरीकों से व्यापक असंतोष के बीच, पारंपरिक वित्तीय प्रणालियों के प्रति अविश्वास बढ़ा है।
- वित्तीय स्वायत्तता की खोज और ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी की परिवर्तनकारी संभावनाओं में विश्वास से प्रेरित यह क्रांति निरंतर विकसित हो रही है, यद्यपि इसकी स्थायी वित्तीय व्यवहार्यता व अस्तित्व संबंधी स्थिरता अनिश्चित बनी हुई है।
क्रिप्टोकरेंसी क्या है और यह कैसे कार्य करती है?
- क्रिप्टोकरेंसी एक विकेंद्रीकृत डिजिटल या आभासी मुद्रा है, जो सुरक्षा के लिये क्रिप्टोग्राफी का उपयोग करती है। इसके उदाहरणों में बिटकॉइन, एथेरियम, रिपल और लाइटकॉइन शामिल हैं।
- क्रिप्टोकरेंसी के साथ लेनदेन ब्लॉकचैन नामक एक सार्वजनिक डिजिटल खाताबही पर किया जाता है। यह बही-खाता वैश्विक स्तर पर कंप्यूटरों के एक नेटवर्क द्वारा बनाकर रखा जाता है और प्रत्येक नए लेनदेन को सत्यापित किया जाता है, साथ ही इन कंप्यूटरों द्वारा ब्लॉकचेन में जोड़ा जाता है।
- क्रिप्टोग्राफी के इस विकेंद्रीकरण और उपयोग से किसी के लिये भी ब्लॉकचेन पर रिकॉर्ड किये गए लेनदेन में हेर-फेर करना मुश्किल हो जाता है।
- क्रिप्टोकरेंसी का उपयोग करने के लिये व्यक्तियों या व्यवसायों को पहले एक डिजिटल वॉलेट प्राप्त करना होगा, जो एक सॉफ्टवेयर प्रोग्राम है, जो उपयोगकर्त्ता की सार्वजनिक और निजी कुंजियों (केस) को संग्रहीत करता है।
- इन कुंजियों का उपयोग क्रिप्टोकरेंसी भेजने और प्राप्त करने के लिये किया जाता है, साथ ही ब्लॉकचेन पर लेनदेन को सत्यापित करने के लिये भी किया जाता है।
- उपयोगकर्त्ता ‘माइनिंग’ नामक एक प्रक्रिया के माध्यम से क्रिप्टोकरेंसी प्राप्त कर सकते हैं, जिसमें जटिल गणितीय समीकरणों को हल करने के लिये कंप्यूटर की क्षमता का उपयोग करना शामिल है।
- यह प्रक्रिया ब्लॉकचेन पर लेनदेन को सत्यापित और रिकॉर्ड करती है तथा बदले में माइनर को एक निश्चित मात्रा में क्रिप्टोकरेंसी प्रदान करती है।
ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी क्या है?
- यह एक विकेंद्रीकृत डिजिटल बहीखाता है, जो कंप्यूटर के एक नेटवर्क में लेनदेन के रिकॉर्ड रखता है।
- शृंखला में प्रत्येक ब्लॉक में कई लेनदेन होते हैं और जब भी ब्लॉकचेन पर एक नया लेनदेन होता है, तो उस लेनदेन का एक रिकॉर्ड प्रत्येक प्रतिभागी के बही-खाता में जोड़ा जाता है।
- प्रौद्योगिकी की विकेंद्रीकृत प्रकृति यह सुनिश्चित करती है कि कोई भी इकाई उच्च स्तर की सुरक्षा और पारदर्शिता प्रदान करते हुए पिछले लेनदेन को परिवर्तित या हटा नहीं सकती है।
- ब्लॉकचैन बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी की नींव है, लेकिन डिजिटल मुद्राओं से परे इसके कई संभावित उपयोग हैं।
- वित्तीय संस्थाएँ सुरक्षित और पारदर्शी लेनदेन प्रसंस्करण, धोखाधड़ी तथा परिचालन लागत को कम करने के लिये ब्लॉकचेन का उपयोग कर रही हैं।
- ब्लॉकचेन-आधारित तंत्र का उपयोग छात्रवृत्ति प्रणाली को डिज़ाइन करने के लिये भी किया जा सकता है, जो छात्रों को निरंतरता बनाए रखने और शैक्षणिक उत्कृष्टता प्राप्त करने हेतु प्रोत्साहित करेगी।
- ब्लॉकचेन विद्यार्थियों के रिकॉर्ड को प्रबंधित करने के लिये एक उत्कृष्ट ढाँचा प्रदान कर सकता है, जिसमें दैनिक जानकारी जैसे कि असाइनमेंट, उपस्थिति और पाठ्येतर गतिविधियों से लेकर उनकी डिग्री व कॉलेजों की जानकारी तक शामिल है।
भारत में क्रिप्टोकरेंसी की कानूनी स्थिति क्या है?
- भारत में क्रिप्टोकरेंसी अनियमित है, लेकिन इस पर विशेष रूप से प्रतिबंध नहीं है। सरकार क्रिप्टोकरेंसी को कानूनी मुद्रा के रूप में मान्यता नहीं देती है। इसका उद्देश्य अवैध गतिविधियों के वित्तपोषण या भुगतान पद्धति के रूप में उनके उपयोग को सीमित करना है।
- वर्ष 2022 में भारत सरकार ने केंद्रीय बजट 2022-23 में उल्लेख किया कि किसी भी आभासी मुद्रा/क्रिप्टोकरेंसी परिसंपत्ति का हस्तांतरण 30% कर कटौती के अधीन होगा।
- भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (National Payments Corporation of India- NPCI) ने वित्तीय सेवा विभाग (DFS), राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (National Health Authority- NHA), स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (Ministry of Health and Family Welfare- MoHFW) और साझेदार बैंकों के साथ मिलकर भारत की अपनी सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (Central Bank Digital Currency- CBDC) – डिजिटल रुपया या ‘e-RUPI’ लॉन्च की है।
- CBDC कागजी मुद्रा का एक डिजिटल रूप है और शून्य नियामक में काम करने वाली क्रिप्टोकरेंसी के विपरीत ये केंद्रीय बैंक द्वारा जारी और समर्थित वैध मुद्राएँ हैं।
- डिजिटल फिएट मुद्रा या CBDC का लेनदेन ब्लॉकचेन द्वारा समर्थित वॉलेट्स का उपयोग करके किया जा सकता है।
- यद्यपि CBDC की अवधारणा सीधे बिटकॉइन से प्रेरित थी, फिर भी यह विकेंद्रीकृत आभासी मुद्राओं और क्रिप्टो परिसंपत्तियों से अलग है, जिन्हें राज्य द्वारा जारी नहीं किया जाता है तथा उन्हें ‘वैध मुद्रा’ का दर्जा नहीं प्राप्त है।
क्रिप्टोकरेंसी के गुण और दोष क्या हैं?
क्रिप्टोकरेंसी के गुण:
- ब्लॉकचेन-संचालित सुरक्षा और पारदर्शिता: क्रिप्टोकरेंसी ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी पर आधारित है, जो वित्तीय लेनदेन में सुरक्षा, पारदर्शिता तथा दक्षता प्रदान करती है।
- इस विकेंद्रीकृत खाताबही प्रणाली से वित्तीय संस्थाओं के लिये धोखाधड़ी के जोखिम और परिचालन लागत में कमी आती है तथा अधिक सुरक्षित एवं पारदर्शी संव्यवहार (लेनदेन) परिवेश सुनिश्चित होता है।
- नवाचार और टोकनाइज़ेशन की संभावना: अंतर्निहित ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी से टोकनाइज़ेशन सक्षम होता है, जिसका क्रियान्वन विभिन्न क्षेत्रों में किया जा सकता है, जिससे परिसंपत्तियों को डिजिटल टोकन में परिवर्तित किया जा सकता है।
- इस नवाचार का उपयोग क्रिप्टोकरेंसी की आवश्यकता के बिना किया जा सकता है, जिससे नवीन वित्तीय साधन और परिसंपत्ति प्रबंधन मॉडल सरल होंगे।
- वैश्विक वित्त के स्वरुप में परिवर्तन: क्रिप्टोकरेंसी परिसंपत्तियों से संबंधित हुए नवीनतम विकास का उदाहरण हैं, जो विश्वास की सीमाओं में विस्तार, स्वामित्व को पुनः परिभाषित और विश्व में स्थापित वित्तीय प्रणालियों को महत्त्वपूर्ण रूप से नया स्वरुप प्रदान कर रही है।
- जैसे-जैसे डिजिटल परिसंपत्तियाँ स्वीकार्य होंगी, वे मूल्य को संग्रहीत करने और इसे सीमाओं के पार स्थानांतरित करने के तरीके में परिवर्तन ला सकती हैं, जिससे वित्तीय समावेशन एवं वैश्विक व्यापार के लिये एक नए परिवेश का निर्माण होगा।
- वित्तीय स्वायत्तता की संभावना: क्रिप्टोकरेंसी विशेषकर अस्थिर अर्थव्यवस्था वाले क्षेत्रों में अथवा बैंकिंग की परंपरागत प्रणालियों तक सीमित पहुँच वाले क्षेत्रों में वित्तीय स्वायत्तता का एक साधन प्रदान करती हैं।
- वे व्यक्तियों और व्यवसायों को केंद्रीकृत वित्तीय संस्थानों का विकल्प प्रदान करते हैं, जो संभावित रूप से बैंकिंग के परंपरागत बुनियादी ढाँचे पर निर्भरता को कम करते हैं।
क्रिप्टोकरेंसी के अवगुण:
- अप्रत्याशित प्रकृति और अस्थिरता: क्रिप्टोकरेंसी की अत्यधिक अप्रत्याशित/अनिश्चित प्रकृति से प्रायः इनकी कार्यात्मक क्षमता प्रभावित होती है। इनका मूल्य अधिकतर बाज़ार की स्थिति और पूर्वानुमानों पर आधारित होता होता है, जिससे कीमतों में अत्यधिक अस्थिरता आती है।
- यह अस्थिरता विनिमय के एक स्थिर माध्यम और मूल्य के एक विश्वसनीय साधन के रूप में उनकी उपयोगिता को प्रभावित करती है।
- नियामक चुनौतियाँ और अनिश्चितता: क्रिप्टोकरेंसी से संबद्ध नियामक परिवेश में अनिश्चितता की बहुलता है, जिसमें सरकारें स्वीकृति और पूर्ण प्रतिबंध के बीच संघर्ष करती हैं।
- सीमित व्यावहारिक उपयोगिता और स्वीकृति: वित्तीय संस्थानों और व्यापारियों द्वारा क्रिप्टोकरेंसी की सीमित स्वीकृति उनकी व्यावहारिक उपयोगिता को प्रतिबंधित करती है।
- क्रिप्टो परिसंपत्तियों की अस्थिरता व्यवसायों के लिये वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों को सुसंगततः निर्धारित करना चुनौतीपूर्ण बनाती है, जिससे रोज़मर्रा के लेनदेन में उनका उपयोग सहज़ नहीं हो पाता है।
- इसके अतिरिक्त परंपरागत वित्तीय प्रणालियों के साथ एकीकरण की कमी क्रिप्टो को फिएट करेंसी में बदलने को जटिल बनाती है, जिससे यह व्यवसायों के लिये बोझिल और खर्चीला हो जाता है।
- उच्च लेनदेन लागत और अकुशलता: परंपरागत भुगतान विधियों की अपेक्षा क्रिप्टोकरेंसी के मामले में प्रायः उच्च लेनदेन शुल्क और प्रसंस्करण की धीमी गति जैसी समस्याएँ होती हैं।
निष्कर्ष
निष्कर्षतः भारत में क्रिप्टोकरेंसी की बढ़ती वृद्धि डिजिटलीकरण की दिशा में देश की तीव्र प्रगति को दर्शाती है। हालाँकि क्रिप्टो-एसेट्स मार्केट को नियंत्रित करने वाले नियामक ढाँचे की अनुपस्थिति के कारण इस द्रुत विस्तार के साथ महत्त्वपूर्ण चुनौतियाँ भी हैं। यह नियामक शून्यता न केवल इस क्षेत्र में उद्यम करने के इच्छुक व्यवसायों के लिये अनिश्चितता उत्पन्न करती है, बल्कि निवेशकों को संभावित धोखाधड़ी और वित्तीय अपराधों के लिये भी उजागर करती है। इसके अलावा एक अनियमित पारिस्थितिकी तंत्र अनजाने में मनी लॉन्ड्रिंग, धोखाधड़ी और आतंकवाद के वित्तपोषण के लिये एक माध्यम के रूप में काम कर सकता है, जिसके लिये सुदृढ़ नियामक निगरानी की तत्काल स्थापना की आवश्यकता होती है।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न. आर्थिक स्थिरता, विनियामक चुनौतियों और बाज़ार की अस्थिरता से संबंधित जोखिमों का परीक्षण करते हुए वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने में क्रिप्टोकरेंसी की भूमिका का मूल्यांकन कीजिये। भारत के विनियामक ढाँचे के लिये निहितार्थों पर चर्चा कीजिये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न (PYQ)प्रिलिम्स:प्रश्न. ‘‘ब्लॉकचेन तकनीकी’’ के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2020)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर : (d) प्रश्न. निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिये: (2018)
उपर्युक्त युग्मों में से कौन-सा/से सही सुमेलित है/हैं? (a) केवल 2 उत्तर: (a) मेन्स:प्रश्न. चर्चा कीजिये कि किस प्रकार उभरती प्रौद्योगिकियाँ और वैश्वीकरण मनी लॉन्ड्रिंग में योगदान करते हैं। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर मनी लॉन्ड्रिंग की समस्या से निपटने के लिये किये जाने वाले उपायों को विस्तार से समझाइये। (2021) प्रश्न. क्रिप्टोकरेंसी क्या है? वैश्विक समाज को यह कैसे प्रभावित करती है? क्या यह भारतीय समाज को भी प्रभावित कर रही है? (2021) |