अंतर्राष्ट्रीय संबंध
स्विफ्ट मैसेजिंग प्रणाली
- 26 Mar 2022
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चर्चा में क्यों?
हाल ही में अमेरिका और यूरोपीय आयोग ने यूक्रेन पर रूस के युद्ध का मुकाबला करने के लिये सोसाइटी फॉर वर्ल्डवाइड इंटरबैंक फाइनेंशियल टेलीकम्युनिकेशन (स्विफ्ट) मैसेजिंग सिस्टम से कई रूसी बैंकों को बाहर कर दिया है।
स्विफ्ट क्या है?
- इसे औपचारिक रूप से सोसाइटी फॉर वर्ल्डवाइड इंटरबैंक फाइनेंशियल टेलीकम्युनिकेशन (स्विफ्ट) के रूप में जाना जाता है।
- यह दुनिया भर के बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों के लिये एक विश्वसनीय संदेश प्रणाली है।
- यह पैसे का लेन-देन स्वयं नहीं करता है, लेकिन विशेष प्रकार की निधि का लेन-देन कैसे करना है, इसके लिये निर्देशात्मक संदेश प्रदान करता है।
- यह G10 देशों के केंद्रीय बैंकों, यूरोपीय सेंट्रल बैंक और नेशनल बैंक ऑफ बेल्जियम द्वारा नियंत्रित है।
- इन दस देशों का समूह 11 औद्योगिक देशों (बेल्जियम, कनाडा, फ्राँस, जर्मनी, इटली, जापान, नीदरलैंड, स्वीडन, स्विट्ज़रलैंड, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका) से बना है जो आर्थिक एवं मौद्रिक मामलों पर परामर्श और सहयोग करते हैं।
- इसकी स्थापना वर्ष 1973 में हुई थी और यह बेल्जियम में स्थित है।
- स्विफ्ट से पहले अंतर्राष्ट्रीय फंड ट्रांसफर के लिये संदेश पुष्टिकरण का एकमात्र विश्वसनीय साधन टेलेक्स था।
- कम गति, सुरक्षा चिंताओं और एक निशुल्क संदेश प्रारूप जैसे कई मुद्दों के कारण इसे बंद कर दिया गया था।
- 200 देशों और क्षेत्रों में लगभग 11,000 सदस्य बैंक हैं जो स्विफ्ट का उपयोग करते हैं।
- वर्ष 1973 में शुरू होने के बाद से स्विफ्ट वैश्विक व्यापार-प्रवाह का एक अभिन्न अंग बन गया है।
- भारत की वित्तीय प्रणाली की स्विफ्ट तक पहुँच है।
- ईरान और उत्तर कोरिया पहले ही स्विफ्ट प्लेटफॉर्म से बाहर हो चुके हैं।
स्विफ्ट कैसे काम करता है?
- स्विफ्ट मैसेजिंग सिस्टम का एक महत्त्वपूर्ण घटक स्विफ्ट कोड है।
- सिस्टम में भाग लेने वाले प्रत्येक बैंक को यह कोड दिया जाता है, जिससे उस बैंक की पहचान होती है, जिस देश में वह है, साथ ही वह बैंक देश के जिस स्थान में स्थित है व वैकल्पिक रूप से बैंक की शाखा की भी पहचान होती है।
- इसमें आठ वर्णों का स्विफ्ट कोड UNCRITMM है।
- पहले चार अक्षर: संस्थान कोड (UniCredit Banca के लिये यूएनसीआर)
- अगले दो अक्षर: देश का कोड (देश इटली के लिये IT)
- अगले दो अक्षर: स्थान/शहर का कोड (मिलान के लिये MM)
- अंतिम तीन वर्ण: वैकल्पिक, लेकिन संगठन उनका उपयोग अलग-अलग शाखाओं को कोड असाइन करने के लिये करते हैं।
- जब कोई बैंक SWIFT का सदस्य बनता है, तो उनके निर्देश संदेश तुरंत सुरक्षित हो जाते हैं, इसलिये लेन-देन जल्दी होता है।
स्विफ्ट प्रतिबंध रूस को कैसे प्रभावित कर सकते हैं?
- किसी बैंक को SWIFT से प्रतिबंधित करना तकनीकी रूप से बहिष्कृत बैंक और उसके ग्राहकों को विदेशियों के साथ वित्तीय लेन-देन करने, दायित्वों को पूरा करने, निर्यात का भुगतान प्राप्त करने या आयात के लिये अल्पकालिक ऋण प्रदान करने से बाधित करेगा।
- यह अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और वित्त से जुड़ी अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों को पंगु बना सकता है।
- रूस की घरेलू भुगतान प्रणाली में प्रमुख क्रेडिट कार्ड नेटवर्क (वीज़ा, मास्टरकार्ड, एमेक्स आदि) द्वारा जारी किये गए किसी भी कार्ड के साथ सभी लेन-देन स्विफ्ट के माध्यम से संचालित होते हैं। अतः घरेलू भुगतान प्रणाली में बाधा आ सकती है।
- रूसी नागरिकों के लिये क्रेडिट कार्ड के बिना विदेश यात्रा करना अधिक बोझिल हो सकता है।
- प्रतिबंध उन देशों के लिये जोखिम पैदा करते हैं जिन्होंने व्यापक वैश्विक अर्थव्यवस्था को अपनाया है।
- रूस की वित्तीय प्रणाली में व्यवधान यूरोप को ऊर्जा आपूर्ति के साथ ही वैश्विक बाज़ारों में कमोडिटी निर्यात को बाधित कर सकता है। यह ऊर्जा एवं खाद्य कीमतों में और अधिक वृद्धि का कारण बन सकता है जिसमें पहले से ही COVID-19, आपूर्ति की कमी, प्रतिकूल मौसम की स्थिति और आपूर्ति शृंखला में व्यवधान के कारण वृद्धि हुई थी।
स्विफ्ट के विकल्प क्या हैं?
- SPFS (वित्तीय संदेशों के हस्तांतरण के लिये सिस्टम) स्विफ्ट वित्तीय हस्तांतरण प्रणाली का एक रूसी वर्जन है, जिसे सेंट्रल बैंक ऑफ रूस द्वारा विकसित किया गया है। यह वर्ष 2014 के क्रीमिया पर आक्रमण के बाद रूसी केंद्रीय बैंक द्वारा स्थापित किया गया था।
- बैंक ऑफ रूस की वित्तीय संदेश प्रणाली (FMS) एक वैकल्पिक इलेक्ट्रॉनिक वित्तीय संदेश चैनल का निर्माण करती है जिसे अक्सर 'स्विफ्ट एनालॉग' कहा जाता है।
- FMS देश के भीतर वित्तीय संदेशों के निर्बाध प्रसारण की गारंटी देता है।
- चीन के पास SWIFT का एक विकल्प भी है जिसे क्रॉस-बॉर्डर इंटरबैंक पेमेंट सिस्टम (CIPS) कहा जाता है।
- लेकिन CIPS बहुत छोटा नेटवर्क है, जिसमें लगभग 1,300 वित्तीय संस्थान भाग ले रहे हैं, जिनमें से अधिकांश अप्रत्यक्ष रूप से भाग ले रहे हैं।
- रिपल जैसी वित्तीय प्रौद्योगिकी कंपनियाँ जो एक विकल्प के रूप में इंटरलेजर प्रोटोकॉल (क्रिप्टोकरेंसी के पीछे कार्य करने वाली एक तकनीक) के आधार पर अपने मंच की पेशकश कर रही हैं।
- सीमा पार प्रेषण के लिये क्रिप्टोकरेंसी का प्रयोग भी एक और तरीका है। रूस एक 'डिजिटल' रूबल पर भी काम कर रहा है जो अभी तक लॉन्च नहीं हुआ है।
भारत पर क्या प्रभाव पड़ सकता है?
- भारत, रूसियों द्वारा आपूर्ति के कुछ ऑर्डर रद्द कर सकता है, घरेलू निर्यातक भी कुछ ऑर्डर को रद्द करने का विकल्प चुन सकते हैं।
- यदि सभी रूसी बैंकों को स्विफ्ट नेटवर्क से बाहर कर दिया जाता है तो भुगतान में देरी होगी और अंततः व्यापार प्रभावित होगा।
- चूँकि भारत का रूस के साथ व्यापार घाटा है, इसलिये कुछ मामलों में वस्तु विनिमय प्रणाली को भी आसानी से सक्रिय किया जा सकता है।
- व्यापार घाटे को देखते हुए भारत पर प्रभाव अंततः सीमित होगा।
- भारत ज़्यादातर रूस से पेट्रोलियम उत्पाद, हीरे और अन्य कीमती पत्थर एवं उर्वरक खरीदता है। इसी तरह यह पूंजीगत सामान, दवा उत्पाद, जैविक रसायन और ऑटो पार्ट्स को मास्को भेजता है।
भारत के लिये वैकल्पिक तंत्र:
- भारत एक ऐसा तंत्र अपना सकता है जिसे रुपया-रियाल तंत्र पर तैयार किया जा सकता है और इसका उपयोग घरेलू फर्मों को भुगतान की मंज़ूरी देने के लिये किया गया था जब अमेरिका ने ईरान पर प्रतिबंध लगाए थे।
- रुपया-रियाल तंत्र के तहत भारतीय रिफाइनरीज़ द्वारा ईरान से कच्चे तेल का आयात किया जाता था और वे यूको बैंक एवं IDBI बैंक में निर्दिष्ट रुपए-खाते में भुगतान करते थे।
- बदले में इस पैसे का इस्तेमाल भारतीय निर्यातकों को भुगतान करने के लिये किया जाता था। यह तब तक जारी रहा जब तक कि कच्चा तेल अमेरिकी प्रतिबंधों की छूट प्राप्त सूची में शामिल नहीं हो गया।
- वर्ष 1991 में सोवियत संघ के पतन के बाद भारत ने रूस के साथ एक रुपया-रूबल व्यापार व्यवस्था में प्रवेश किया था ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि रक्षा एवं अन्य आयात जारी रह सकें।
- वर्ष 2018 में एक पायलट प्रोजेक्ट चलाया गया, जहाँ भारतीय आयातकों ने हीरे के आयात के लिये रूबल में भुगतान किया।
- ये भुगतान रूस के सर्बैंक की भारतीय शाखा को किये गए थे। SBI और केनरा बैंक का एक संयुक्त उद्यम (द कमर्शियल इंडो बैंक) है, जो वहाँ भारतीयों की मदद करने में सक्षम हो सकता है।
IFSC कोड क्या है?
- भारतीय वित्तीय प्रणाली कोड (IFSC) एक अद्वितीय 11-अंकीय अल्फान्यूमेरिक कोड है जिसका उपयोग NEFT, RTGS और IMPS के माध्यम से किये गए ऑनलाइन फंड ट्रांसफर के लिये किया जाता है।
- भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) बैंकों को IFSC कोड प्रदान करता है।
- यदि आप पैसे ट्रांसफर करने के लिये नेट बैंकिंग का उपयोग करते हैं, तो ट्रांसफर शुरू करने के लिये IFSC दर्ज करना अनिवार्य है।
- प्रत्येक बैंक शाखा का एक विशिष्ट कोड होगा और कोई भी दो शाखाएँ (एक ही बैंक की भी) कभी भी समान नहीं होंगी।
- जब तक विलय नहीं होता है, बैंक IFSC कोड को संशोधित या परिवर्तित नहीं करते हैं।
- IFSC कोड प्रारूप: IFSC के पहले 4 अक्षर बैंक का प्रतिनिधित्व करते हैं।
- अंतिम 6 अक्षर शाखा का प्रतिनिधित्व करते हैं एवं पाँचवाँ अंक 'शून्य' होता है।
MICR कोड क्या है?
- मैग्नेटिक इंक कैरेक्टर रिकॉग्निशन (MICR) एक 9-अंकीय कोड है जो एक बैंक की विशेष शाखा की पहचान करने में मदद करता है जो इलेक्ट्रॉनिक क्लियरिंग सिस्टम (ECS) का हिस्सा है।
- यह कोड बैंक द्वारा जारी किये गए चेक पर पाया जा सकता है और आमतौर पर खाताधारक को जारी की गई पासबुक पर मुद्रित होता है।
- MICR कोड का मुख्य उद्देश्य मशीनों में जमा किये गए चेक को क्लियर करना है। यह कोड त्रुटियों से बचने में भी मदद करता है।
- MICR कोड प्रारूप: कोड के पहले तीन अंक शहर का प्रतिनिधित्व करते हैं।
- अगले तीन अंक बैंक कोड का प्रतिनिधित्व करते हैं और अंतिम तीन अंक बैंक शाखा कोड का प्रतिनिधित्व करते हैं।