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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

रूसी बैंकों को SWIFT से बाहर किया गया

  • 28 Feb 2022
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये:

सोसाइटी फॉर वर्ल्डवाइड इंटरबैंक फाइनेंशियल टेलीकम्युनिकेशन (SWIFT), सिस्टम फॉर ट्रांसफर ऑफ फाइनेंशियल मैसेज, क्रिप्टोकरेंसी।

मेन्स के लिये:

द्विपक्षीय समूह और समझौते, यूक्रेन पर रूस का युद्ध, रूस पर प्रतिबंधों का प्रभाव, स्विफ्ट और इसका महत्त्व।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में यूक्रेन पर रूस के हमले के विरोध में अमेरिका और यूरोपीय आयोग ने कुछ रूसी बैंकों को ‘सोसाइटी फॉर वर्ल्डवाइड इंटरबैंक फाइनेंशियल टेलीकम्युनिकेशन (स्विफ्ट) मैसेजिंग सिस्टम’ से बाहर करने के लिये एक संयुक्त बयान जारी किया।

  • इस कार्रवाई के पीछे का इरादा रूस को अंतर्राष्ट्रीय  वित्तीय प्रणाली से अलग करना है।
  • रूस के खिलाफ यह कार्रवाई अभी केवल आंशिक रूप से लागू की गई है, इसके तहत केवल कुछ रूसी बैंकों को कवर किया गया है।
  • इसे पूरे देश में प्रतिबंध के रूप में विस्तारित करने के विकल्प को अमेरिका और उसके सहयोगी आगे बढ़ने वाले कदम के रूप में अभी रोक रहे हैं।

क्‍या है 'स्विफ्ट'?

  • स्विफ्ट विश्वसनीय मैसेजिंग प्लेटफॉर्म प्रदान करता है जो वित्तीय संस्थानों को धन हस्तांतरण जैसे वैश्विक मौद्रिक लेन-देन के बारे में जानकारी का आदान-प्रदान करने में सक्षम बनाता है।
  • जबकि स्विफ्ट वास्तविक रूप से रुपए का लेन-देन नहीं करता है, यह 200 से अधिक देशों में 11,000 से अधिक बैंकों को सुरक्षित वित्तीय संदेश सेवाएँ प्रदान करके लेन-देन की जानकारी को सत्यापित करने के लिये एक मध्यस्थ के रूप में कार्य करता है।
    • अधिकांश विश्व व्यापार स्विफ्ट के माध्यम से वित्तीय संदेश भेजने के साथ होता है।
  • इसकी स्थापना वर्ष 1973 में हुई थी तथा यह बेल्जियम में स्थित है।
  • यह बेल्जियम के अलावा कनाडा, फ्राँस, जर्मनी, इटली, जापान, नीदरलैंड, स्वीडन, स्विट्ज़रलैंड, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे 11 औद्योगिक देशों के केंद्रीय बैंकों की देखरेख करता है।
    • भारत की वित्तीय प्रणाली की पहुँच स्विफ्ट तक है।
  • स्विफ्ट से पहले अंतर्राष्ट्रीय फंड ट्रांसफर के लिये संदेश पुष्टिकरण का एकमात्र विश्वसनीय माध्यम टेलेक्स (Telex) था।
    • कम गति, सुरक्षा चिंताओं और एक मुफ्त संदेश प्रारूप जैसे कई मुद्दों के कारण इसे बंद कर दिया गया था।

रूस पर इसका प्रभाव:

  • रूस अपने प्रमुख प्राकृतिक संसाधनों के व्यापार, विशेष रूप से अपने तेल एवं गैस निर्यात के भुगतान हेतु स्विफ्ट प्लेटफॉर्म पर अधिक निर्भर है।
    • यह रूस के केंद्रीय बैंक की संपत्ति को फ्रीज कर देगा, जिससे रूस अपने विदेशी मुद्रा भंडार का उपयोग युद्ध से संबंधित गतिविधियों के लिये नहीं कर पाएगा।
    • इसके अलावा, रूस के केंद्रीय बैंक पर यह प्रतिबंध इसके प्रभाव को सीमित करने के लिये रूस को अपने विदेशी मुद्रा जमा का प्रयोग करने से भी रोकेगा।
  • ऐसा प्रतीत होता है कि केवल कुछ रूसी बैंकों को लक्षित करने का उद्देश्य प्रतिबंधों को आगे और मज़बूत करने के एक विकल्प को खुला रखना है।
    • यह भी परिकल्पना की गई है कि इन प्रतिबंधों का रूस पर अधिकतम संभव प्रभाव पड़ेगा, लेकिन यूरोपीय कंपनियों पर उनके गैस आयात के भुगतान हेतु रूसी बैंकों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
  • इसके कारण रूसी मुद्रा बाज़ार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
  • इससे पहले केवल एक देश ‘स्विफ्ट’ (SWIFT) से अलग हुआ था- ईरान। इसके परिणामस्वरूप उसे अपने विदेशी व्यापार का एक-तिहाई नुकसान हुआ था।

रूस की प्रतिक्रिया:

  • रूस SPFS (सिस्टम फॉर ट्रांसफर ऑफ फाइनेंसियल मेसेजेज़ ) जैसे विकल्पों पर काम कर रहा है, जो कि रूस के सेंट्रल बैंक द्वारा विकसित वित्तीय संदेश हस्तांतरण प्रणाली है।
  • रूस, चीन के साथ भी सहयोग कर रहा है, जो स्विफ्ट हेतु एक संभावित चुनौती होगी।
    • रूस अपनी प्रणाली को चीन के ‘क्रॉस-बॉर्डर इंटर-बैंक पेमेंट सिस्टम’ (CIPS) के साथ एकीकृत करने की योजना बना रहा है।

स्विफ्ट (SWIFT) के अन्य वैश्विक विकल्प:

  • रिपल (Ripple) जैसी वित्तीय प्रौद्योगिकी कंपनियांँ एक विकल्प के रूप में इंटरलेज़र प्रोटोकॉल (क्रिप्टोकरेंसी के पीछे एक ही तकनीक) के आधार पर अपने मंच की पेशकश कर रही हैं।
  • सीमा पार प्रेषण हेतु क्रिप्टोकरेंसी एक और तरीका है। रूस एक 'डिजिटल' रूबल पर भी कार्य कर रहा है जो अभी तक लॉन्च नहीं हुई है।

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  • प्रतिबंधों का भारत पर प्रभाव:
    • वर्ष 1991 में सोवियत संघ के पतन के बाद रक्षा और अन्य आयात को जारी रखने के उद्देश्य से भारत ने रूस के साथ रुपया-रूबल व्यापार व्यवस्था (Rupee-Rouble Trade Arrangement) में साझेदारी की।
    • वर्ष 2018 में एक पायलट प्रोजेक्ट चलाया गया जहांँ भारतीय आयातकों ने हीरे के आयात हेतु रूबल (रूस की मुद्रा) में भुगतान किया। 
    • ये भुगतान रूस के सर्बैंक (Sberbank) की भारतीय शाखा को किये गए। यह एसबीआई और केनरा बैंक का एक संयुक्त उद्यम (द कमर्शियल इंडो बैंक) है, जो रूस में भारतीयों की मदद करने में सक्षम है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 

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