अंतर्राष्ट्रीय संबंध
16वाँ BRICS शिखर सम्मेलन और भारत-चीन सीमा समझौता
- 25 Oct 2024
- 14 min read
प्रिलिम्स के लिये:16वाँ BRICS शिखर सम्मेलन, भारत का एकीकृत भुगतान इंटरफेस (UPI), वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC), देपसांग मैदान और चार्डिंग नाला, न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB) मेन्स के लिये:BRICS से संबंधित चुनौतियाँ और आगे की राह, भारत-चीन सीमा समझौता |
स्रोत: बिज़नेस स्टैण्डर्ड
चर्चा में क्यों?
हाल ही में 16वाँ BRICS शिखर सम्मेलन रूस के कज़ान में आयोजित हुआ।
- इस शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री ने वर्ष 2020 के सीमा मुद्दों की "पूर्ण समाप्ति और समाधान" के लिये चीन के साथ हाल ही में हुए समझौते का स्वागत किया, यह वर्ष 2020 के बाद उनकी पहली द्विपक्षीय बैठक थी।
नोट:
- जनवरी, 2024 में इस गठबंधन में चार नए सदस्य शामिल हुए – मिस्र, इथियोपिया, ईरान और UAE।
- सऊदी अरब ने अभी तक अपनी BRICS सदस्यता को औपचारिक रूप नहीं दिया है, हालांकि उसके विदेश मंत्री ने शिखर सम्मेलन में भाग लिया।
शिखर सम्मेलन की मुख्य बातें क्या हैं?
- नये सदस्यों की भागीदारी:
- इस शिखर सम्मेलन में नए सदस्य देशों की भागीदारी को प्रदर्शित करने के साथ BRICS+ गठबंधन के तहत बढ़ते प्रभाव और विविधता को रेखांकित किया गया।
- बहुपक्षवाद पर ध्यान:
- इसके नेताओं ने बहुपक्षवाद को मज़बूत करने, आतंकवाद का मुकाबला करने, आर्थिक विकास को बढ़ावा देने, सतत् विकास को आगे बढ़ाने तथा ग्लोबल साउथ की चिंताओं को दूर करने के बारे में चर्चा की।
- कज़ान घोषणा:
- भू-राजनीतिक संघर्षों पर रुख:
- यूक्रेन के संदर्भ में: वार्ता और कूटनीति के माध्यम से शांतिपूर्ण समाधान पर बल दिया गया।
- पश्चिम एशिया संकट के संदर्भ में: गाजा पट्टी और पश्चिमी तट में बढ़ते मानवीय संकट पर गहरी चिंता व्यक्त की गई।
- दक्षिणी लेबनान में इज़रायली हमलों से हुई नागरिक जान-माल की हानि और बुनियादी ढाँचे की क्षति की निंदा की गई।
- पश्चिमी प्रतिबंधों के संदर्भ में: वैश्विक अर्थव्यवस्था, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और सतत् विकास लक्ष्यों की प्राप्ति के संदर्भ में अवैध प्रतिबंधों सहित गैर-कानूनी एवं एकतरफा बलपूर्वक उपायों के विघटनकारी प्रभावों पर प्रकाश डाला गया।
- BRICS अनाज एक्सचेंज के संदर्भ में: BRICS के तहत एक अनाज व्यापार मंच (BRICS अनाज एक्सचेंज) की स्थापना की संभावना पर विचार किया गया, जिसमें भविष्य के विकास की योजनाएँ शामिलहोने के साथ अन्य कृषि क्षेत्र भी शामिल हो सकते हैं।
- वित्तीय एकीकरण समर्थन: इस शिखर सम्मेलन में सदस्य देशों के बीच अधिक वित्तीय एकीकरण की आवश्यकता पर बल दिया गया। कुछ प्रमुख पहलुओं पर प्रकाश डाला गया जैसे:
- स्थानीय मुद्राओं में व्यापार को महत्त्व देना
- सुचारू सीमा-पार भुगतान की सुविधा प्रदान करना
- भारत के UPI को एक सफल मॉडल के रूप में रेखांकित करना।
- BRICS के नेतृत्व वाली भुगतान प्रणाली द्वारा SWIFT को प्रतिसंतुलित करना
- भू-राजनीतिक संघर्षों पर रुख:
- बिग कैट्स के संदर्भ में: दुर्लभ प्रजातियों (विशेष रूप से बड़ी बिल्लियों) को संरक्षित करने के लिये सदस्य देशों के प्रयासों का समर्थन किया गया तथा इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस बनाने की भारत की पहल पर ध्यान दिया गया।
- BRICS देशों को इन संकटग्रस्त प्रजातियों के संरक्षण प्रयासों में और अधिक सहयोग करने के लिये प्रोत्साहित करने पर बल दिया गया।
भारत-चीन द्विपक्षीय बैठक की मुख्य बातें क्या हैं?
- परिचय:
- यह बैठक वर्ष 2020 में हुई प्रमुख घटनाओं (जिससे दोनों देशों के बीच संबंध खराब हो गए थे) के बाद आयोजित की गई और इसका उद्देश्य द्विपक्षीय संबंधों को पुनर्जीवित करना था।
- भारत-चीन सीमा समझौता:
- इस समझौते का महत्त्व इस बात से प्रदर्शित होता है कि चीन पहले डेपसांग मैदानों और चार्डिंग नुल्ला पर चर्चा करने के लिये अनिच्छुक था जबकि अन्य बिंदुओं पर सैनिकों की वापसी पर बातचीत चल रही थी।
- दोनों देशों ने डेपसांग मैदानों और डेमचोक में वास्तविक नियंत्रण रेखा के साथ पुराने गश्ती बिंदुओं (PPs) तक सैनिकों को गश्त करने की अनुमति देने पर सहमति व्यक्त की है।
BRICS क्या है?
- परिचय: सर्वप्रथम वर्ष 2006 में G8 (अब G7) आउटरीच शिखर सम्मेलन के दौरान ब्राज़ील, रूस, भारत और चीन (BRICS) के नेताओं की बैठक के दौरान अनौपचारिक रूप से गठित, BRICS विश्व की अग्रणी उभरती अर्थव्यवस्थाओं के समूह का प्रतिनिधित्व करता है।
- वर्ष 2010 में दक्षिण अफ्रीका इस समूह में शामिल हो गया और इसे BRICS के नाम से जाना गया।
- इसमें अब 9 देश शामिल हैं - ब्राज़ील, चीन, मिस्र, इथियोपिया, भारत, ईरान, रूसी संघ, दक्षिण अफ्रीका और संयुक्त अरब अमीरात।
- पहला BRIC शिखर सम्मेलन वर्ष 2009 में रूस के येकातेरिनबर्ग में आयोजित किया गया था।
- फोर्टालेजा (2014) में छठे BRICS शिखर सम्मेलन के दौरान नेताओं ने न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB) की स्थापना के समझौते पर हस्ताक्षर किये।
- वर्ष 2010 में दक्षिण अफ्रीका इस समूह में शामिल हो गया और इसे BRICS के नाम से जाना गया।
- महत्त्व:
- अगस्त 2023 तक BRICS की विश्व की आबादी में 40% और वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में 26% भागीदारी थी।
BRICS क्यों महत्वपूर्ण है?
- रूस के साथ गैर-पश्चिमी देशों की सहभागिता: कज़ान शिखर सम्मेलन में इस बात पर प्रकाश डाला गया कि गैर-पश्चिमी राष्ट्र रूस के सामरिक महत्त्व और हथियारों एवं ऊर्जा के प्रमुख आपूर्तिकर्त्ता के रूप में इसकी भूमिका को स्वीकार करते हैं।
- BRICS एक एकीकृत संस्था के रूप में: विविध सदस्यता के बावजूद, BRICS ने एक एकीकृत संस्था के रूप में प्रभावी प्रबंधन का प्रदर्शन किया है। आलोचकों का तर्क है कि आर्थिक असमानताएँ एकता में बाधा डालती हैं, क्योंकि कुछ अर्थव्यवस्थाएँ दूसरों की तुलना में बहुत बड़ी हैं।
- हालाँकि, BRICS ने वार्षिक शिखर सम्मेलनों और NDB जैसे संस्थानों की स्थापना के माध्यम से सहयोग बनाए रखा है, जिसने वर्ष 2015 से 30 बिलियन अमेरिकी डॉलर की परियोजनाओं को वित्तपोषित किया है। भू-राजनीतिक तनावों के बावजूद शिखर सम्मेलन का कार्यक्रम बरकरार रहा है।
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एक प्रभावशाली समूह के रूप में उभरना: BRICS वैश्विक राजनीति में एक महत्त्वपूर्ण समूह बन गया है, जिससे पश्चिमी देशों में इसकी G-7 के साथ प्रतिस्पर्द्धा करने और G-20 को प्रभावित करने की क्षमता को लेकर चिंता उत्पन्न हो गई है।
हालाँकि यह मुख्य रूप से आर्थिक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करता है, लेकिन BRICS राजनीतिक मामलों को भी संबोधित करता है, अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं में भेदभाव तथा असमानता पर ज़ोर देता है। इसके सदस्यों का मानना है कि UNAC, IMF और विश्व बैंक जैसे प्रमुख संगठनों में उनका प्रतिनिधित्त्व कम है, खासकर जब पश्चिमी प्रभाव कम हो रहा है।
- कज़ान घोषणा-पत्र में मौजूदा अंतर्राष्ट्रीय ढाँचे में सुधार लाने की BRICS की सामूहिक महत्वाकांक्षा प्रतिबिंबित हुई, जिसका उद्देश्य वैश्विक मंच पर बेहतर प्रतिनिधित्त्व और प्रभाव प्राप्त करना है।
BRICS से संबंधित चुनौतियाँ क्या हैं?
- डॉलर का मुकाबला: डॉलर के प्रभाव को कम करना और बहु-ध्रुवीय वित्तीय प्रणाली को बढ़ावा देने की महत्वाकांक्षाओं के बावजूद, BRICS को महत्त्वपूर्ण बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है। विश्व बैंक के विकल्प के रूप में स्थापित NDB ने सीमित प्रगति की है, तथा इसके ऋण विश्व बैंक के आँकड़ों से कहीं अधिक हैं।
- अंतर्राष्ट्रीय लेनदेन में नॉन-डॉलर मुद्राओं को बढ़ावा देने के प्रयास भी अधिक प्रबल नही रहे हैं।
- भू-राजनीतिक विरोधाभास: नए सदस्यों की विविधता जटिलताएँ उत्पन्न करती हैं। यूएई और मिस्र अमेरिका के साथ गठबंधन बनाए रखते हैं, जबकि ईरान प्रत्यक्ष रूप से पर उसका विरोधी है। ये विरोधाभास BRICS के लिये एकीकृत एजेंडा बनाए रखने में चुनौती बन सकते हैं।
- निर्णय लेने में कठिनाइयाँ: BRICS का विस्तार निर्णय लेने को जटिल बना सकता है, क्योंकि यह समूह आम सहमति के आधार पर कार्य करता है। अधिक सदस्यों के साथ, आम सहमति प्राप्त करना अधिक चुनौतीपूर्ण हो सकता है, जिससे संभावित रूप से गुटनिरपेक्ष आंदोलन (NAM) और G-77 जैसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है, जो अभी भी अस्तित्त्व में हैं, लेकिन सीमित प्रभाव रखते हैं।
- इसके अतिरिक्त, यह संगठन अपने सदस्यों के बीच व्यापक भू-राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता को प्रतिबिंबित कर सकता है, विशेष रूप से यह पश्चिम एशिया में संघर्ष इसकी कार्यक्षमता में बाधा उत्पन्न कर सकता है।
आगे की राह:
- भाग लेने वाले देशों के बीच साझा लक्ष्यों को स्पष्ट रूप से परिभाषित करना, वाणिज्य, प्रौद्योगिकी और सुरक्षा सहयोग पर ज़ोर देना।
- आपूर्ति शृंखला, ऊर्जा, खाद्य सुरक्षा और वित्तीय लचीलेपन में सहयोग को मज़बूत करने वाली पहलों में सक्रिय रूप से शामिल होना।
- सभी देशों की सुरक्षा के प्रति सम्मान सुनिश्चित करके तथा संघर्ष के स्थान पर संवाद को बढ़ावा देकर सार्वभौमिक सुरक्षा को बढ़ावा देना।
दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न: प्रश्न: हाल ही में आयोजित BRICS शिखर सम्मेलन, विशेषकर भारत-चीन द्विपक्षीय बैठक, के घटनाक्रमों का क्षेत्रीय स्थिरता और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों पर क्या प्रभाव पड़ेगा? |
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)प्रारंभिकप्रश्न: निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2016)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (B) प्रश्न. हाल ही में चर्चा में रहा 'फोर्टालेजा घोषणा-पत्र' किससे संबंधित है? (2015) (A) ASEAN उत्तर: (b) प्रश्न. BRICS के रूप में ज्ञात देशों के समूह के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2014)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (b) |