अंतर्राष्ट्रीय संबंध
LAC पर चीन के 'ज़ियाओकांग' सीमा रक्षा गाँव
- 24 Feb 2024
- 12 min read
प्रिलिम्स के लिये:वास्तविक नियंत्रण रेखा (Line of Actual Control- LAC), ज़ियाओकांग सीमा रक्षा गाँव, तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र, नियंत्रण रेखा, वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम मेन्स के लिये:भारत चीन सीमा विवाद, भारत और उसके पड़ोस, भारत के हितों पर देशों की नीतियों का प्रभाव |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (Line of Actual Control- LAC) पर हाल के घटनाक्रम में, चीनी नागरिकों ने पहले से खाली पड़े "ज़ियाओकांग" सीमा रक्षा गाँवों पर कब्ज़ा करना शुरू कर दिया है।
- वर्ष 2019 में चीन द्वारा निर्मित इन गाँवों ने भारतीय सेना के लिये चिंताएँ बढ़ा दी हैं, विशेषकर चीन-निर्मित बस्तियों पर कब्ज़ा करने वालों की प्रकृति और रणनीतिक निहितार्थों को लेकर।
"ज़ियाओकांग" सीमा रक्षा गाँव क्या हैं?
- मॉडल गाँव:
- ज़ियाओकांग या "समृद्ध गाँव" सीमा रक्षा गाँव चीन की सीमाओं, विशेषकर भारत के साथ LAC पर रणनीतिक बुनियादी ढाँचे के विकास की पहल का एक हिस्सा हैं।
- कब्ज़े के उल्लेखनीय क्षेत्रों में लोहित घाटी और अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर के गाँव शामिल हैं।
- इनका निर्माण उन क्षेत्रों में किया जाता है जहाँ क्षेत्रीय दावों का विरोध किया जाता है या संप्रभुता को सुदृढ़ करने की आवश्यकता अनुभव की जाती है।
- ज़ियाओकांग या "समृद्ध गाँव" सीमा रक्षा गाँव चीन की सीमाओं, विशेषकर भारत के साथ LAC पर रणनीतिक बुनियादी ढाँचे के विकास की पहल का एक हिस्सा हैं।
- दोहरे उपयोग वाला बुनियादी ढाँचा:
- "इन गाँवों को नागरिक उपनिवेश/व्यवस्था और सैन्य उपस्थिति सहित कई उद्देश्यों को पूरा करने के लिये डिज़ाइन किया गया है, इसलिये इन्हें "दोहरे उपयोग वाले बुनियादी ढाँचे" के रूप में जाना जाता है।
- इनका निर्माण उन क्षेत्रों में किया जाता है जहाँ क्षेत्रीय दावों का विरोध किया जाता है या जहाँ संप्रभुता को सुदृढ़ करने की आवश्यकता होती है।
- भारत के लिये संबद्ध चिंताएँ:
- क्षेत्रीय दावे: तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र के साथ भारत की सीमाओं पर चीन द्वारा 628 ऐसे गाँवों का निर्माण LAC के साथ क्षेत्रीय दावों पर बल देने के लिये एक ठोस प्रयास का प्रतीक है। यह भारतीय सैन्य रणनीतिकारों के लिये चिंताएँ बढ़ाता है, जो सीमा पर सतर्कता की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है।
- सैन्य निहितार्थ: गाँवों की दोहरे उपयोग की क्षमता पहले से ही तनावपूर्ण LAC पर बढ़ते सैन्यीकरण के बारे में चिंता उत्पन्न करती है।
- अनिश्चित प्रयोजन: इन गाँवों में नागरिक आबादी के विशिष्ट उद्देश्य और पैमाने के संबंध में पारदर्शिता की कमी संदेह तथा विश्वास-निर्माण के प्रयासों में बाधा उत्पन्न करती है।
LAC से संबंधित भारत की क्या पहल हैं?
चीन द्वारा किये गए बुनियादी ढाँचा विकास के प्रत्युत्तर में भारत ने वर्ष 2019 से अपने सीमा बुनियादी ढाँचे की क्षमता में वृद्धि करने के प्रयास तीव्र कर दिये हैं।
- वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम:
- वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम का लक्ष्य 663 सीमावर्ती गाँवों का आधुनिकीकरण करना है जिनमें से 17 को लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश जैसे क्षेत्रों में चीन-भारत सीमा पर विकास के लिये चुना गया है।
- लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश जैसे क्षेत्रों में चीन-भारत सीमा पर विकास करने के लिये चयनित 17 गाँवों के साथ, वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम का लक्ष्य 663 सीमावर्ती गाँवों का आधुनिकीकरण करना है।
- सीमा सड़क संगठन (BRO):
- BRO ने भारत-चीन सीमा पर 2,941 करोड़ रुपए परिव्यय की 90 बुनियादी ढाँचा परियोजनाएँ पूरी की हैं।
- इनमें से 36 परियोजनाएँ अरुणाचल प्रदेश से, 26 लद्दाख से और 11 जम्मू-कश्मीर से संबंधित हैं।
- BRO ट्रांस-अरुणाचल हाईवे, फ्रंटियर हाईवे और ईस्ट-वेस्ट इंडस्ट्रियल कॉरिडोर हाईवे सहित प्रमुख राजमार्गों के विकास में शामिल है जो विशेष रूप से अरुणाचल प्रदेश के पूर्वी हिस्से तथा तवांग क्षेत्र में कनेक्टिविटी में सुधार के लिये निर्माणाधीन हैं।
- BRO ने भारत-चीन सीमा पर 2,941 करोड़ रुपए परिव्यय की 90 बुनियादी ढाँचा परियोजनाएँ पूरी की हैं।
- सीमावर्ती क्षेत्र विकास कार्यक्रम (BADP):
- BADP एक केंद्र प्रायोजित योजना है जिसका उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय सीमा के पास स्थित दूरवर्ती और दुर्गम क्षेत्रों में रहने वाले निवासियों की विशेष विकास संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करना है।
- इस कार्यक्रम का उपयोग बुनियादी ढाँचे, आजीविका, शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, संबद्ध क्षेत्रों से संबंधित परियोजनाओं के लिये किया जा सकता है।
- भारतीय रेल:
- भारतीय रेल भारतीय सेना की त्वरित लामबंदी की सुविधा के लिये पूर्वोत्तर क्षेत्र में रणनीतिक रेल लाइनों का निर्माण कर रहा है।
वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) क्या है?
- परिचय:
- LAC का आशय भारतीय-नियंत्रित क्षेत्र को चीनी-नियंत्रित क्षेत्र से अलग करने वाली सीमा से है।
- भारत का दावा है कि LAC की लंबाई 3,488 किमी. है, जबकि चीन का तर्क है कि यह लगभग 2,000 किमी. है।
- इस सीमांकन को तीन क्षेत्रों में वर्गीकृत किया गया है:
- पूर्वी क्षेत्र जिसमें अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम शामिल हैं।
- मध्य क्षेत्र उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश तक फैला हुआ है।
- पश्चिमी क्षेत्र लद्दाख में स्थित है।
- LAC का आशय भारतीय-नियंत्रित क्षेत्र को चीनी-नियंत्रित क्षेत्र से अलग करने वाली सीमा से है।
- LAC को लेकर असहमति:
- LAC के संबंध में प्राथमिक विवाद विभिन्न क्षेत्रों में इसके संरेखण से उत्पन्न होता है। पूर्वी क्षेत्र में LAC वर्ष 1914 मैकमोहन रेखा का अनुसरण करती है, जिसमें ज़मीनी स्थिति को लेकर मामूली विवाद हैं।
- पश्चिमी क्षेत्र में प्रमुख असहमतियाँ मौजूद हैं, जो वर्ष 1959 में चीनी प्रधानमंत्री झोउ एनलाई द्वारा प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को लिखे गए पत्रों से शुरू हुई हैं।
- मानचित्रों पर LAC का वर्णन केवल सामान्य शब्दों में किया गया था, न कि चीनी भाषा में।
- वर्ष 1962 के युद्ध के बाद नवंबर 1959 में चीनियों ने LAC से 20 किमी. पीछे हटने का दावा किया।
- वर्ष 2017 में डोकलाम संकट के दौरान, चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने भारत से "1959 LAC" का पालन करने का आग्रह किया था।
- बाद के स्पष्टीकरणों के बावजूद, अस्पष्टता बनी रही, जिससे दोनों देशों द्वारा विपरीत व्याख्याएँ की गईं।
- चीन के LAC पदनाम पर भारत की प्रतिक्रिया:
- भारत ने शुरू में वर्ष 1959 और 1962 में LAC की अवधारणा को खारिज़ कर दिया था, इसकी अस्पष्ट परिभाषा तथा सैन्य बल के माध्यम से ज़मीनी वास्तविकताओं को बदलने के लिये चीन द्वारा संभावित शोषण पर चिंताओं का हवाला देते हुए।
- LAC के दृष्टिकोण में भारत का बदलाव 1980 के दशक के मध्य में सीमा पर बढ़ती मुठभेड़ों के कारण शुरू हुआ, जिससे सीमाओं पर गश्त की समीक्षा शुरू हुई।
- भारत ने वर्ष 1993 में औपचारिक रूप से LAC की अवधारणा को स्वीकार कर लिया और दोनों पक्षों ने LAC पर शांति बनाए रखने के लिये समझौते पर हस्ताक्षर किये।
- भारत तथा चीन ने केवल LAC के मध्य क्षेत्र के लिये मानचित्रों का आदान-प्रदान किया है। पश्चिमी क्षेत्र के लिये मानचित्र "साझा" किये गए लेकिन औपचारिक रूप से कभी आदान-प्रदान नहीं और साथ ही LAC को स्पष्ट करने की प्रक्रिया वर्ष 2002 से प्रभावी रूप से स्थगित रही है।
- संघर्ष के सबसे गंभीर हालिया प्रकरण वर्ष 2020 में लद्दाख की गलवान घाटी एवं वर्ष 2022 में अरुणाचल प्रदेश के तवांग में थे।
- LAC के दोनों ओर के पर्यवेक्षक इस बात से सहमत हैं कि वर्ष 2013 के बाद से गंभीर सैन्य टकरावों में वृद्धि हुई है।
- भारत ने शुरू में वर्ष 1959 और 1962 में LAC की अवधारणा को खारिज़ कर दिया था, इसकी अस्पष्ट परिभाषा तथा सैन्य बल के माध्यम से ज़मीनी वास्तविकताओं को बदलने के लिये चीन द्वारा संभावित शोषण पर चिंताओं का हवाला देते हुए।
- LAC बनाम पाकिस्तान के साथ नियंत्रण रेखा(LoC):
- नियंत्रण रेखा (LoC) की स्थापना वर्ष 1972 में कश्मीर युद्ध के बाद की गई थी, जो वर्ष 1948 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा वार्ता की गई युद्धविराम रेखा पर आधारित थी। इसकी अंतर्राष्ट्रीय कानूनी वैधता है और इसे दोनों देशों द्वारा हस्ताक्षरित मानचित्रित किया गया है।
- दूसरी ओर, LAC पर दोनों देश सहमत नहीं हैं और इसे मानचित्रित नहीं किया गया है अथवा ज़मीन पर सीमांकित नहीं किया गया है।
- नियंत्रण रेखा (LoC) की स्थापना वर्ष 1972 में कश्मीर युद्ध के बाद की गई थी, जो वर्ष 1948 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा वार्ता की गई युद्धविराम रेखा पर आधारित थी। इसकी अंतर्राष्ट्रीय कानूनी वैधता है और इसे दोनों देशों द्वारा हस्ताक्षरित मानचित्रित किया गया है।
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