प्रिलिम्स फैक्ट्स (23 Dec, 2024)



चौधरी चरण सिंह की जयंती एवं राष्ट्रीय किसान दिवस 2024

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

हाल ही में, किसानों के सम्मान और श्री चौधरी चरण सिंह की जयंती के उपलक्ष्य में 23 दिसंबर 2024 को राष्ट्रीय किसान दिवस (किसान दिवस) मनाया गया।

  • उन्हें ‘किसान नेता’ के रूप में जाना जाता है, उनकी जयंती को भारतीय कृषि और ग्रामीण विकास में उनके योगदान के लिये वर्ष 2001 से ‘किसान दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।

चौधरी चरण सिंह से संबंधित प्रमुख तथ्य क्या हैं?

  • परिचय:
    • वर्ष 1902 में नूरपुर, मेरठ, उत्तर प्रदेश में जन्मे, वे एक भारतीय राजनीतिज्ञ और स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होंने भारत के पाँचवें प्रधानमंत्री (1979-80) के रूप में कार्य किया।
    • उन्होंने दो बार उप-प्रधानमंत्री (जनवरी-जुलाई 1979) और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में भी कार्य किया।
    • उन्होंने उत्तर प्रदेश विधानसभा में छपरौली (वर्ष 1937, 1946, 1952, 1962, 1967) और बाद में बागपत के सांसद के रूप में प्रतिनिधित्व किया
  • प्रमुख योगदान:
  • सामाजिक योगदान:
    • उन्होंने ब्रिटिश सरकार से स्वतंत्रता के लिये महात्मा गांधी के साथ मिलकर अहिंसक आंदोलन किया और कई बार जेल भी गए। 
    • उन्होंने जातिगत विभाजन का विरोध करके, अंतर्जातीय विवाहों को बढ़ावा दिया तथा कृषकों के आश्रितों के लिये कोटा का समर्थन करके सामाजिक न्याय की वकालत की, जो कि बी.आर. अंबेडकर के एकीकृत सामाजिक और आर्थिक सुधारों के दृष्टिकोण से मेल खाता था।
    • उन्होंने 'ज़मींदारी उन्मूलन', 'कोऑपरेटिव फार्मिंग एक्स-रेड', 'इंडिया पावर्टी एंड इट्स सॉल्यूशन', 'किसान स्वामित्व या श्रमिकों के लिये भूमि' और 'प्रिवेंशन ऑफ डिविजन ऑफ होल्डिंग बिलो अ सर्टेन मिनिमम' जैसी प्रभावशाली पुस्तकें लिखीं।
  • प्रासंगिकता:
  • हाल ही में, 2024 में सरकार ने उन्हें 4 अन्य पुरस्कार विजेताओं- कर्पूरी ठाकुर, मनकोम्बु संबाशिवन (MS) स्वामीनाथन, पामुलपर्थी वेंकट (P. V.) नरसिम्हा राव, लाल कृष्ण आडवाणी के साथ प्रतिष्ठित भारत रत्न से सम्मानित किया।
    • सरकार ने उनके सम्मान में 2008 में लखनऊ हवाई अड्डे का नाम बदलकर चौधरी चरण सिंह अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा कर दिया।
  • 29 मई 1987 को उनका निधन हो गया। नई दिल्ली में उनका स्मारक स्थित है जिसे किसान घाट कहते हैं।

Chaudhary_Charan_Singh

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. किसान क्रेडिट कार्ड योजना के अंतर्गत निम्नलिखित में से किन-किन उद्देश्यों के लिये कृषकों को अल्पकालीन ऋण समर्थन उपलब्ध कराया जाता है? (2020)

  1. फार्म परिसंपत्तियों के रखरखाव हेतु कार्यशील पूंजी के लिये 
  2. कंबाइन कटाई मशीनों, ट्रैक्टरों एवं मिनी ट्रकों के क्रय के लिये 
  3. फार्म परिवारों की उपभोग आवश्यकताओं के लिये 
  4. फसल कटाई के बाद के खर्चों के लिये पारिवार के लिये 
  5. घर निर्माण तथा गाँव में शीतागार सुविधा की स्थापना के लिये

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1, 2 और 5
(b) केवल 1, 3 और 4
(c) केवल 2, 3, 4 और 5
(d) 1, 2, 3, 4 और 5

उत्तर: (b)


NCD की रोकथाम और नियंत्रण हेतु राष्ट्रीय कार्यक्रम

स्रोत: पी.आई.बी

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने संपूर्ण भारत में गैर-संचारी रोगों की रोकथाम और नियंत्रण के लिये राष्ट्रीय कार्यक्रम (NP-NCD) की प्रगति पर प्रकाश डाला।

NP-NCD क्या है?

  • परिचय: NP-NCD उद्देश्य हृदय संबंधी रोग (CVD), कैंसर और मधुमेह जैसे गैर-संचारी रोगों (NCD) के बढ़ते बोझ से निपटना है।
    • ये रोग प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता के रूप में उभरे हैं, जो भारत में होने वाली कुल मौतों में लगभग 63% का कारण बनते हैं।
  • उद्देश्य: NP-NCD का प्राथमिक लक्ष्य बुनियादी ढाँचे को मज़बूत करने, मानव संसाधन विकास, स्वास्थ्य संवर्द्धन और रोगों के शीघ्र निदान तथा प्रबंधन के माध्यम से प्रमुख NCD को रोकना एवं  नियंत्रित करना है।
  • कार्यान्वयन: यह कार्यक्रम राष्ट्रीय, राज्य और ज़िला स्तर पर कार्यान्वित किया जाता है, जिसमें राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के माध्यम से NCD फ्लेक्सी-पूल के तहत वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
    • राज्यों को ज़िला स्तर और उससे नीचे NCD से संबंधित गतिविधियों को लागू करने के लिये वित्तीय सहायता मिलती है, जिसमें केंद्र-राज्य का हिस्सा 60:40 (पूर्वोत्तर और पहाड़ी राज्यों के लिये 90:10) होता है।
  • NP-NCD के प्रमुख घटक:
    • NCD स्क्रीनिंग: मधुमेह, उच्च रक्तचाप और सामान्य कैंसर जैसे- मौखिक, स्तन तथा गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर की जाँच के लिये 30 वर्ष एवं उससे अधिक आयु के व्यक्तियों को लक्षित करना।
    • NCD क्लीनिक: शीघ्र निदान, उपचार और आपातकालीन देखभाल के लिये ज़िला NCD क्लीनिक तथा कार्डियक केयर यूनिट (CCU) एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) NCD क्लीनिक की स्थापना।
    • कैंसर देखभाल: कैंसर रोगियों के लिये डे केयर सेंटर स्थापित करना और तृतीयक कैंसर देखभाल बुनियादी ढाँचे को समर्थन देना।
    • प्रशिक्षण: मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्त्ता (आशा), सहायक नर्स दाइयों (ANM) और चिकित्सा अधिकारियों जैसे स्वास्थ्य कार्यककर्त्ताओं को NCD का शीघ्र पता लगाने, प्रबंधन तथा रोकथाम में प्रशिक्षित किया जाता है।
    • डिजिटल एकीकरण: NCD डेटा और स्क्रीनिंग को ट्रैक तथा प्रबंधित करने के लिये राष्ट्रीय NCD पोर्टल एवं मोबाइल एप्लिकेशन का उपयोग किया जाता है।
  • प्रभाव: सुलभ NCD निदान और प्रबंधन के लिये 770 ज़िला NCD क्लीनिक, 372 डे केयर सेंटर, 233 CCU तथा लगभग 6,410 CHC NCD क्लीनिक स्थापित किये गए। 
    • NHM के अंतर्गत प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल के भाग के रूप में सामान्य NCD के लिये जनसंख्या-आधारित जाँच लागू की गई।
    • आशा कार्यकर्त्ता समुदायों को NCD की रोकथाम के बारे में शिक्षित करती हैं, स्वस्थ आदतों को बढ़ावा देती हैं तथा जाँच और परीक्षण के माध्यम से शीघ्र पहचान करने का कार्य करती हैं।

गैर-संचारी रोग

  • NCD: इसे क्रोनिक रोग भी कहा जाता है, ये दीर्घकालिक रोग हैं जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलते हैं।
    • ये रोग दीर्घकालीन अवस्था में विकसित होते हैं और आनुवंशिक, पर्यावरणीय तथा व्यवहारगत कारकों से प्रभावित होते हैं।
  • NCD के लिये जोखिम कारक: तंबाकू का उपयोग अधिक नमक, शराब का दुरुपयोग, निष्क्रियता, उच्च रक्तचाप, मोटापा, उच्च रक्त लिपिड और वायु प्रदूषण।
  • प्रभाव: NCD के कारण वैश्विक स्तर पर 74% मौतें होती हैं, प्रतिवर्ष 15 मिलियन से अधिक असामयिक मौतें होती हैं (30-69 वर्ष की आयु में), जिनमें से 85% निम्न एवं मध्यम आय वाले देशों में होती हैं।
  • रोकथाम और नियंत्रण रणनीतियाँ: तंबाकू, शराब का सेवन कम करना, व्यायाम, स्वस्थ आहार और बेहतर वायु गुणवत्ता को बढ़ावा देना। प्रारंभिक जाँच, प्राथमिक देखभाल और सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज़ से परिणाम बेहतर होने की संभावना होती है साथ ही लागत भी कम हो सकती है।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की वर्ष 2030 तक गैर- संचारी रोगों के लिये वैश्विक कार्य योजना में सतत् विकास लक्ष्य (SDG) लक्ष्य 3.4 की दिशा में प्रगति में तेज़ी लाने के लिये एक कार्यान्वयन रोडमैप शामिल है, जिसका लक्ष्य गैर-संचारी रोगों से होने वाली असामयिक मौतों को एक तिहाई तक कम करना है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रिलिम्स

प्रश्न. कई घरेलू उत्पादों जैसे गद्दों और फर्नीचर की गद्दियों (अपहोल्स्टरी) में ब्रोमीनयुक्त ज्वाला मंदकों का उपयोग किया जाता है। उनका उपयोग क्यों कुछ चिंता का विषय है? (2014)

  1. उनमें पर्यावरण में निम्नीकरण के प्रति उच्च प्रतिरोधकता है।
  2. वे मनुष्यों और पशुओं में संचित हो सकते हैं।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग करके सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1 
(b) केवल 2 
(c) 1 और 2 दोनों 
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (c)

व्याख्या:

  • ब्रोमिनेटेड फ्लेम रिटार्डेंट्स (BFR) मानव निर्मित रसायनों के मिश्रण हैं जिन्हें कम ज्वलनशील बनाने के लिये विभिन्न प्रकार के उत्पादों में मिलाया जाता है। वे आमतौर पर प्लास्टिक, कपड़ा और इलेक्ट्रिकल / इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में उपयोग किये जाते हैं।
  • BFR प्राकृतिक पर्यावरण में गिरावट के लिये अत्यधिक प्रतिरोधी हैं। अत: कथन 1 सही है।
  • BFR मनुष्यों और जानवरों शरीर में संचित होने में सक्षम हैं। और मधुमेह, न्यूरोबिहेवियरल एवं विकास संबंधी विकार, कैंसर, प्रजनन स्वास्थ्य प्रभाव तथा थायराइड में परिवर्तन का कारण बन सकते हैं। अत: कथन 2 सही है। अतः विकल्प (c) सही है।

त्रिशूर पूरम में हाथी परेड

स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स

हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने त्रिशूर पूरम में हाथियों के प्रदर्शन पर केरल उच्च न्यायालय द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों पर रोक लगा दी।

  • इससे पहले केरल उच्च न्यायालय ने हाथियों के बीच 3 मीटर की दूरी , सार्वजनिक या पर्क्यूशन प्रदर्शनों से 8 मीटर की दूरी , तथा आतिशबाजी वाले क्षेत्रों से 100 मीटर की दूरी रखने का आदेश दिया था।

त्रिशूर पूरम: 

  • यह केरल के त्रिशूर में आयोजित होने वाला एक वार्षिक हिंदू मंदिर उत्सव है जो 10 मंदिरों  के देवताओं का एक प्रतीकात्मक मिलन है।
  • केरल के मेडम (अप्रैल-मई) में मनाया जाने वाला यह त्यौहार सभी पूरमों (मंदिर उत्सव) की जननी के रूप में जाना जाता है।
  • इसकी शुरुआत कोचीन के महाराजा राजा राम वर्मा (1790-1805) ने की थी, जिन्हें सक्थन थंपुरन के नाम से जाना जाता था। इसमें 10 विभिन्न मंदिरों ने भाग लिया था।
  • जीवंत रूप से सुसज्जित हाथी त्रिशूर पूरम का एक प्रमुख आकर्षण हैं।
  • त्यौहार की शुरुआत ध्वजारोहण समारोह से होती है, जिसे कोडियेट्टम के नाम से जाना जाता है। अंतिम दिन शानदार आतिशबाजी का प्रदर्शन होता है।

Thrissur_Pooram

और पढ़ें: त्रिशूर पूरम


बड़े मांसाहारी जीवों द्वारा फूलों का परागण

स्रोत: डाउन टू अर्थ

इथियोपियाई भेड़िया, एक दुर्लभ और लुप्तप्राय प्रजाति है, जो अप्रत्याशित परागणकर्त्ता के रूप में कार्य करता है तथा पादप-परागणकर्त्ता संबंधों पर पारंपरिक दृष्टिकोण को चुनौती देता है।

  • इथियोपियाई भेड़िया, इथियोपियाई रेड हॉट पोकर फूलों के रस का सेवन करता है, वह अपने मुँह के आगे वाले भाग पर पराग स्थानांतरित करके परागण में सहायता करता है।
    • इथियोपियन रेड हॉट पोकर एक लाल और पीले रंग का फूल है जो मीठा पराग उत्पन्न करता है और अनेक परागणकों को आकर्षित करता है।

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इथियोपियाई भेड़िया: 

  • यह एफ्रोअल्पाइन पारिस्थितिकी तंत्र में एक विशेष कृंतक शिकारी है।
    • एफ्रोअल्पाइन पारिस्थितिकी तंत्र अफ्रीका के उच्च ऊँचाई वाले क्षेत्र हैं, विशेष रूप से इथियोपियाई हाइलैंड्स (समुद्र तल से 3200 मीटर ऊपर, ठंडी और कठोर जलवायु)। 
  • इसका आकार लगभग एक बड़े कुत्ते के समान होता है, जिसका आवरण  (Coat) लाल होता है, गले और छाती पर सफेद निशान होते हैं तथा पूँछ काली एवं घनी होती है।
  • आज 500 से भी कम जीवित प्राणियों के साथ यह अफ्रीका का सबसे संकटग्रस्त मांसाहारी जानवर है।
  • यह केवल इथियोपिया में, उष्णकटिबंधीय जंगलों के ऊपर ऊँचे "स्काई आइलैंड्स" में रहता है।
    • स्काई आइलैंड्स अलग-अलग पर्वत हैं जो मौलिक रूप से भिन्न तराई के वातावरण से घिरे हैं।
  • अन्य मांसाहारी परागणकर्त्ता: चमगादड़ पराग-खाने वाले स्तनधारी परागणकर्त्ता हैं। 
    • छोटी मांसाहारी प्रजातियाँ जैसे कि सीवेट या नेवले परागण करते हैं।
    • सर्वाहारी भालू, जैसे कि सन बियर, भी परागण करते हैं। 

और पढ़ें: फील्ड पैंसी का विकास


उत्तर पूर्वी परिषद का 72वाँ पूर्ण अधिवेशन

स्रोत: पी.आई.बी.

त्रिपुरा के अगरतला में पूर्वोत्तर परिषद (NEC) के 72 वें पूर्ण अधिवेशन में केंद्रीय गृहमंत्री ने पूर्वोत्तर राज्यों में पुलिस बलों के लिये उग्रवाद नियंत्रण से हटकर नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों को सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया, जो इस क्षेत्र में शासन की एक नवीन अवस्था को दर्शाता है।

  • NEC: वर्ष 1971 में (संसद के एक अधिनियम द्वारा) स्थापित NEC, पूर्वोत्तर क्षेत्र के आर्थिक और सामाजिक विकास के लिये  नोडल एजेंसी है, जिसमें अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिज़ोरम, नगालैंड, सिक्किम तथा त्रिपुरा शामिल हैं।
    • इसका उद्देश्य विकासात्मक चुनौतियों का समाधान करना और क्षेत्र की क्षमता का दोहन करना है।
  • NEC की उपलब्धियाँ: 11,500 किलोमीटर से अधिक सड़कों का निर्माण, जिससे पूर्वोत्तर क्षेत्र में कनेक्टिविटी में सुधार हुआ।
    • उत्तर पूर्वी विद्युत ऊर्जा निगम (NEEPCO) के नेतृत्व वाली परियोजनाओं के माध्यम से विद्युत उत्पादन क्षमता को बढ़ाया गया।
    • क्षेत्रीय आयुर्विज्ञान संस्थान (RIMS) जैसे आधारभूत संस्थान तथा विभिन्न शैक्षिक एवं तकनीकी केंद्र स्थापित करना।
    • एक सलाहकार निकाय से क्षेत्रीय योजना एजेंसी के रूप में परिवर्तित होकर, रणनीतिक निर्णय लेने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

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 विकसित राष्ट्र के लिये पूर्वी भारत का पुनरुद्धार


ग्रीन डिपॉज़िट

स्रोत: बिज़नेस लाइन 

भारत में मूल्य निर्धारण संबंधी मुद्दों, लोगों की अपर्याप्त सहभागिता और निजी बैंकों की सीमित रुचि के कारण ग्रीन डिपॉज़िट के स्वीकरण की गति मंद है।

  • ग्रीन डिपॉज़िट: ये सौर ऊर्जा, स्वच्छ परिवहन और सतत् जल प्रबंधन जैसी हरित परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिये निर्धारित ब्याज़-युक्त जमा राशि हैं।
  • ग्रीन डिपॉज़िट संबंधी चुनौतियाँ: नियमित जमा की तुलना में ग्रीन डिपॉज़िट पर कम ब्याज़ दरें ग्राहकों को हतोत्साहित करती हैं।
    • बैंकों को यह परिभाषित करने में कठिनाई होती है कि कौन सी गतिविधियाँ "हरित" मानी जाएंगी तथा हरित निवेश के लिये स्पष्ट रूपरेखा का भी अभाव है।
    • ग्रीन डिपॉज़िट के लिये आरक्षित नकदी निधि अनुपात (CRR) की आवश्यकता अधिक है, जो अधिक ग्राहकों को आकर्षित करने में बाधा बन सकती है।
  • ग्रीन डिपॉज़िट के प्रति भारत की प्रतिबद्धता: भारत का लक्ष्य वर्ष 2070 तक कार्बन तटस्थता लक्ष्यों की पूर्ति करना है तथा इस परिवर्तन में  हरित वित्त महत्त्वपूर्ण होगा।

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