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कृषि

पोषक तत्त्व आधारित सब्सिडी दरों को मंज़ूरी

  • 03 Nov 2022
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

पोषक तत्त्व आधारित सब्सिडी, पी एंड के उर्वरक, यूरिया

मेन्स के लिये:

NBS व्यवस्था और संबंधित मुद्दे।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने रबी सीज़न 2022-23 के लिये 1 अक्तूबर, 2022 से 31 मार्च, 2023 तक फॉस्फेटिक और पोटासिक (P&K) उर्वरकों के लिये पोषक तत्त्व आधारित सब्सिडी (NBS) दरों को मंज़ूरी दी

  • सभी गैर-यूरिया आधारित उर्वरकों को NBS योजना के तहत विनियमित किया जाता है।

पोषक तत्त्व आधारित सब्सिडी (NBS) व्यवस्था:

  • NBS व्यवस्था के तहत इन उर्वरकों में निहित पोषक तत्त्वों (N, P, K और S) के आधार पर किसानों को रियायती दरों पर उर्वरक प्रदान किये जाते हैं।
  • साथ ही जिन उर्वरकों को द्वितीयक और सूक्ष्म पोषक तत्त्वों जैसे मोलिब्डेनम (Mo) एवं जस्ता के साथ मज़बूत किया जाता है, उन्हें अतिरिक्त सब्सिडी दी जाती है।
  • P&K उर्वरकों पर सब्सिडी की घोषणा सरकार द्वारा प्रति किलो के आधार पर प्रत्येक पोषक तत्त्व के लिये वार्षिक आधार पर की जाती है, जो P&K उर्वरकों की अंतर्राष्ट्रीय और घरेलू कीमतों, विनिमय दर, देश में सूची स्तर आदि को ध्यान में रखते हुए निर्धारित की जाती है।
  • NBS नीति का उद्देश्य P&K उर्वरकों की खपत में वृद्धि करना है ताकि NPK उर्वरकों का इष्टतम संतुलन (N:P:K= 4:2:1) हासिल किया जा सके।
    • इससे मृदा के स्वास्थ्य में सुधार होगा और परिणामस्वरूप फसलों की उपज में वृद्धि होगी, जिसके परिणामस्वरूप किसानों की आय में वृद्धि होगी।
    • साथ ही जैसा कि सरकार को उर्वरकों के तर्कसंगत उपयोग की उम्मीद है, इससे उर्वरक सब्सिडी का बोझ भी कम होगा।
  • इसे उर्वरक विभाग, रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय द्वारा अप्रैल 2010 से क्रियान्वित किया जा रहा है।

NBS से संबंधित मुद्दे:

  • उर्वरकों की कीमत में असंतुलन:
    • चूँकि यूरिया योजना में शामिल नहीं है, इसकी कीमत अभी भी नियंत्रण में है क्योंकि NBS केवल उर्वरकों पर लागू किया गया है। वर्तमान में यूरिया का अधिकतम खुदरा मूल्य औपचारिक रूप से 5,628 रुपए प्रति टन तय की गई है। तकनीकी रूप से,अन्य उर्वरकों के लिये कोई मूल्य विनियमन नहीं है। अन्य गैर-विनियमित उर्वरकों की बढ़ती लागत के कारण किसान अब पहले की तुलना में अधिक यूरिया का उपयोग कर रहे हैं। परिणामस्वरूप उर्वरक में असंतुलन की स्थिति और भी बदतर हो गई है।
  • अर्थव्यवस्था और पर्यावरण पर प्रभाव:
    • खाद्य सब्सिडी के बाद उर्वरक सब्सिडी दूसरी सबसे बड़ी सब्सिडी है, एनबीएस नीति न केवल अर्थव्यवस्था के वित्तीय स्वास्थ्य को नुकसान पहुँचा रही है बल्कि देश की मिट्टी के स्वास्थ्य के लिये भी हानिकारक साबित हो रही है।
  • कालाबाज़ारी:
    • सब्सिडी वाली यूरिया को थोक खरीदारों/व्यापारियों या यहाँ तक कि गैर-कृषि उपयोगकर्त्ताओं जैसे कि प्लाईवुड और पशु-चारा निर्माताओं को दिया जा रहा है।
      • इसकी तस्करी बांग्लादेश और नेपाल जैसे पड़ोसी देशों में की जा रही है।

आगे की राह

  • उर्वरक उपयोग में असंतुलन को दूर करने के लिये यूरिया को एनबीएस के तहत लाना चाहिये।
    • ऐसा करने का एक व्यावहारिक तरीका यूरिया की कीमतों में वृद्धि करना और साथ ही अन्य उर्वरकों को सस्ता करने के लिये फास्फोरस, पोटाश और सल्फर की एनबीएस दरों को कम करना है।
  • यह देखते हुए कि सभी तीन पोषक तत्त्व अर्थात् एन (नाइट्रोजन), पी (फास्फोरस) और के (पोटेशियम) फसल की उत्पादकता एवं उपज की गुणवत्ता बढ़ाने के लिये महत्त्वपूर्ण हैं, सरकार को आवश्यक रूप से सभी उर्वरकों हेतु एक समान नीति बनानी चाहिये।
  • दीर्घावधि में एनबीएस की जगह प्रति एकड़ नकद सब्सिडी (एकमुश्त) दी जानी चाहिये जिसका उपयोग किसी भी उर्वरक को खरीदने में किया जा सकता है।
    • इस सब्सिडी में मूल्यवर्द्धित और अनुकूलित उत्पाद शामिल होने चाहिये जिनमें न केवल अन्य पोषक तत्त्व हों, बल्कि यूरिया की तुलना में नाइट्रोजन को भी अधिक कुशलता से वितरित किया जाए।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्षों के प्रश्न (PYQs)  

प्रश्न. भारत में रासायनिक उर्वरकों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2020)

  1. वर्तमान में रासायनिक उर्वरकों का खुदरा मूल्य बाज़ार संचालित है और यह सरकार द्वारा नियंत्रित नहीं है।
  2. अमोनिया, जो यूरिया बनाने में काम आता है, प्राकृतिक गैस से उत्पन्न होता है।
  3. सल्फर, जो फॉस्फोरिक अम्ल उर्वरक के लिये एक कच्चा माल है, तेलशोधन कारखानों का उपोत्पाद है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 2
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (b)

व्याख्या:

  • भारत सरकार उर्वरकों पर सब्सिडी देती है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि किसानों को उर्वरक आसानी से उपलब्ध हो तथा देश कृषि उत्पादन में आत्मनिर्भर बना रहे। यह काफी हद तक उर्वरक की कीमत और उत्पादन की मात्रा को नियंत्रित करके प्राप्त किया जाता है। अतः कथन 1 सही नहीं है।
  • प्राकृतिक गैस से अमोनिया (NH3) का संश्लेषण किया जाता है। इस प्रक्रिया में प्राकृतिक गैस के अणु कार्बन और हाइड्रोजन में परिवर्तित हो जाते हैं। फिर हाइड्रोजन को शुद्ध किया जाता है तथा अमोनिया के उत्पादन के लिये नाइट्रोजन के साथ प्रतिक्रिया कराई जाती है। इस सिंथेटिक अमोनिया को यूरिया, अमोनियम नाइट्रेट तथा मोनो अमोनियम या डायमोनियम फॉस्फेट के रूप में संश्लेषण के बाद प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से उर्वरक के तौर पर प्रयोग किया जाता है। अत: कथन 2 सही है।
  • सल्फर तेलशोधन और गैस प्रसंस्करण का एक प्रमुख उप-उत्पाद है। अधिकांश कच्चे तेल ग्रेड में कुछ सल्फर होता है, जिनमें से अधिकांश को परिष्कृत उत्पादों में सल्फर सामग्री की सख्त सीमा को पूरा करने के लिये शोधन प्रक्रिया के दौरान हटाया जाना चाहिये। यह कार्य हाइड्रोट्रीटिंग के माध्यम से किया जाता है और इसके परिणामस्वरूप H2S गैस का उत्पादन होता है जो मौलिक सल्फर में परिवर्तित हो जाता है। सल्फर का खनन भूमिगत, प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले निक्षेपों से भी किया जा सकता है लेकिन यह तेल और गैस से प्राप्त करने की तुलना में अधिक महँगा है तथा इसे काफी हद तक बंद कर दिया गया है। सल्फ्यूरिक एसिड का उपयोग मोनोअमोनियम फॉस्फेट (Monoammonium Phosphate- MAP) एवं डाइअमोनियम फॉस्फेट (Diammonium Phosphate- DAP) दोनों के उत्पादन में किया जाता है। अत: कथन 3 सही है।

अतः विकल्प B सही उत्तर है।

स्रोत: पी.आई.बी.

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