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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

आनुवंशिक रूप से संशोधित कीट

  • 13 Nov 2023
  • 13 min read

प्रिलिम्स के लिये:

आनुवंशिक रूप से संशोधित कीट, सकल घरेलू उत्पाद (GDP), संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO), जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (BIRAC)

मेन्स के लिये:

आनुवंशिक रूप से संशोधित कीट, आईटी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-प्रौद्योगिकी, जैव-प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में जागरूकता

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों?

भारत का लक्ष्य वर्ष 2030 तक सकल घरेलू उत्पाद (Gross Domestic Product- GDP) में जैव अर्थव्यवस्था के योगदान को 2.6% से बढ़ाकर 5% करना है, जैसा कि जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) द्वारा 'बायोइकोनॉमी रिपोर्ट 2022' में बताया गया है।

  • भारत में जैव प्रौद्योगिकी वित्तपोषण सकल घरेलू उत्पाद का केवल 0.0001% आवंटन के साथ स्थिर बना हुआ है। कोविड-19 के दौरान अस्थायी वृद्धि के बावजूद वित्तपोषण का स्तर महामारी-पूर्व मानकों पर वापस नहीं आया है।
  • अप्रैल 2023 में DBT द्वारा जारी 'आनुवंशिक रूप से संशोधित (Genetically Engineered- GE) कीटों के लिये दिशा-निर्देश' उन लोगों हेतु प्रक्रियात्मक रोडमैप प्रदान करते हैं जो GE कीट निर्माण में रुचि रखते हैं लेकिन उनकी अपनी समस्याएँ हैं

जैव अर्थव्यवस्था क्या है?

  • संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन (FAO) के अनुसार, जैव अर्थव्यवस्था “एक सतत् अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ने के उद्देश्य से सभी आर्थिक क्षेत्रों को सूचना, उत्पाद, प्रक्रियाएँ और सेवाएँ प्रदान करने के लिये संबंधित ज्ञान, विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार सहित जैविक संसाधनों का उत्पादन, उपयोग तथा संरक्षण है”।
  • यूरोपीय संघ (EU) तथा आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) द्वारा नए उत्पादों एवं बाज़ारों को विकसित करने के लिये जैव प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ावा देने हेतु एक रूपरेखा के रूप में अपनाए जाने के बाद 21वीं सदी के पहले दशक में लोकप्रिय हुआ। तब से यूरोपीय संघ और OECD दोनों ने विशिष्ट जैव-आर्थिक नीतियों को लागू किया है।

बायोइकोनॉमी रिपोर्ट 2022 की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?

  • भारत की जैव अर्थव्यवस्था मज़बूत विकास पथ पर है, जिसके वर्ष 2025 तक 150 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँचने और वर्ष 2030 तक 300 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक होने का अनुमान है।
  • इस क्षेत्र में उल्लेखनीय 14.1% की वृद्धि हुई, जो वर्ष 2020 के 70.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर की तुलना में वर्ष 2021 में 80 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गई।
    • जैव अर्थव्यवस्था ने प्रतिदिन 219 मिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य का उत्पादन किया, जो इसके महत्त्वपूर्ण आर्थिक प्रभाव को दर्शाता है।
  • वर्ष 2021 में इस क्षेत्र में प्रतिदिन तीन बायोटेक स्टार्टअप की स्थापना हुई, जो वर्ष में कुल 1,128 थीं।
  • अनुसंधान और विकास में 1 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक के निवेश के साथ यह उद्योग नवाचार और उन्नति के प्रति प्रतिबद्धता प्रदर्शित कर रहा है।
  • वैश्विक महामारी के बीच भारत ने अपने लचीलेपन और क्षमता का प्रदर्शन करते हुए 4 मिलियन कोविड-19 वैक्सीन खुराक  प्रदान की और प्रतिदिन 3 मिलियन परीक्षण किये।
  • पिछले एक दशक में बायोटेक स्टार्टअप्स की संख्या 50 से बढ़कर 5,300 से अधिक हो गई है तथा वर्ष 2025 तक दोगुनी होने की उम्मीद है।
  • जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (BIRAC) ने जैव-उद्यमियों के लिये एक सहायक वातावरण को बढ़ावा देने, 21 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में 74 जैव-ऊष्मायन केंद्र स्थापित करके महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
  • विशेष रूप से भारत अमेरिका के बाहर USFDA (यूनाइटेड स्टेट्स फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन) द्वारा अनुमोदित विनिर्माण संयंत्रों की दूसरी सबसे बड़ी संख्या का दावा करता है, जो बायोटेक उद्योग में इसकी वैश्विक स्थिति को रेखांकित करता है।

आनुवंशिक रूप से संशोधित कीट क्या हैं? 

  • परिचय:
    • GE कीट ऐसे जीव हैं जिनकी आनुवंशिक सामग्री को विशिष्ट वांछित लक्षण अथवा विशेषताओं को पेश करने के लिये आनुवंशिक संशोधन तकनीकों के माध्यम से परिवर्तित कर दिया गया है।
    • इसमें कीट के DNA में इस तरह से हेर-फेर करना शामिल है जो स्वाभाविक रूप से नहीं होता है, अक्सर कुछ लाभ प्रदान करने या विशिष्ट मुद्दों को संबोधित करने के उद्देश्य से।
    • इसमें अमूमन लाभ प्रदान करने अथवा विशेष समस्याओं को हल करने के प्रयास में कीट के DNA को इस तरह से संशोधित करना शामिल है जो प्रकृति में नहीं देखा जाता है।
  • अनुप्रयोग:
    • GE कीटों का विकास विभिन्न क्षेत्रों में अनुप्रयोग प्रदान करता है, जैसे-
      • मानव व पशुधन स्वास्थ्य में वेक्टर प्रबंधन
      • प्रमुख फसल कीटों का प्रबंधन
      • रसायनों के उपयोग में कमी के माध्यम से मानव स्वास्थ्य एवं पर्यावरण का रखरखाव तथा उसमें सुधार
      • स्वास्थ्य देखभाल प्रयोजनों के लिये प्रोटीन का उत्पादन
      • शिकारी, परजीवी, परागणकर्त्ता (जैसे मधुमक्खी) अथवा उत्पादक कीट (जैसे रेशमकीट, लाख कीट) आदि लाभकारी कीटों का आनुवंशिक सुधार।
  • आनुवंशिक रूप से संशोधित (GE) कीट दिशा-निर्देशों से संबंधित मुद्दे:
    • भारत में GE कीटों के उपयोग के बारे में दिशा-निर्देश अस्पष्ट हैं। वे स्वास्थ्य, कृषि और पर्यावरण के क्षेत्रों में अनुप्रयोगों पर ज़ोर देते हैं, लेकिन उनका ध्यान जैव अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने के बड़े लक्ष्य के अनुरूप नहीं है।
      • शोधकर्त्ताओं के लिये अनिश्चितता: दिशा-निर्देश अनुसंधान तक सीमित हैं एवं सीमित परीक्षणों अथवा नियोजन को संबोधित नहीं करते हैं। नियोजन के लिये सरकारी मंज़ूरी पर अनिश्चितता व्यक्तिगत प्राथमिकता से परे सामुदायिक प्रदर्शन के बारे में चिंता पैदा करती है।
      • दायरे की अनिश्चितता: GE कीटों के संदर्भ में 'फायदेमंद' की परिभाषा को लेकर अस्पष्टता है, जो फंड प्रदाता तथा वैज्ञानिकों को निवेश करने से रोकती है। अन्य जीन-संपादन दिशा-निर्देशों में भी इसी तरह की अस्पष्टताएँ मौजूद हैं, जो प्रगति को प्रभावित कर रही हैं।

आनुवंशिक रूप से संशोधित (GE) कीटों से संबंधित चुनौतियाँ क्या हैं? 

  • पारिस्थितिक प्रभाव:
    • एक बड़ी चिंता पर्यावरण में आनुवंशिक रूप से संशोधित कीटों को छोड़ने का संभावित पारिस्थितिक प्रभाव हो सकता है। ऐसा जोखिम है कि ये कीट गैर-लक्षित प्रजातियों को प्रभावित कर अथवा मौजूदा आबादी के संतुलन को बदलकर पारिस्थितिक तंत्र को बाधित कर सकते हैं।
  • अनायास नतीजे: 
    • यह आनुवंशिक रूप से संशोधित एक जटिल प्रक्रिया है और इसके अनपेक्षित परिणाम उत्पन्न हो सकते हैं। लक्षित जीन में परिवर्तन से कीट के व्यवहार, जीवन काल या अन्य जीवों के साथ अंतःक्रिया पर अप्रत्याशित प्रभाव पड़ सकता है।
    • संशोधित जीन की लक्षित आबादी से परे फैलने का जोखिम है। यदि संशोधित कीट जंगली आबादी के साथ प्रजनन करते हैं, तो संशोधित जीन जंगली जीन पूल में प्रवेश कर सकते हैं, जिसके अनपेक्षित परिणाम हो सकते हैं।
  • नैतिक चिंताएँ:
    • कुछ व्यक्ति जीवित जीवों की आनुवंशिकी को बदलने की नैतिकता के विषय में चिंतित हैं, खासकर जब पर्यावरण में उनकी रिहाई शामिल होती है।
  • नियामक चुनौतियाँ:
    • आनुवंशिक रूप से संशोधित कीटों के लिये नियामक ढाँचा विकसित करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। सुरक्षा और प्रभावशीलता दोनों सुनिश्चित करने के लिये परीक्षण, निगरानी तथा निरीक्षण का उचित स्तर निर्धारित करना महत्त्वपूर्ण है।
  • दीर्घकालिक स्थिरता:
    • पीढ़ी-दर-पीढ़ी संशोधित किये गए लक्षणों की स्थिरता सुनिश्चित करना महत्त्वपूर्ण है। आनुवंशिक संशोधनों को प्रभावी रहना चाहिये और उनमें खराबी नहीं आनी चाहिये या यह प्राकृतिक चयन के दबाव के अधीन नहीं होना चाहिये जो उनके इच्छित उद्देश्य से समझौता कर सकता है।
  • लागत और मापनीयता:
    • आनुवंशिक रूप से संशोधित कीट प्रौद्योगिकियों का विकास और कार्यान्वयन महँगा हो सकता है। रोग वेक्टर नियंत्रण जैसे बड़े पैमाने के अनुप्रयोगों के लिये लागत-प्रभावशीलता और मापनीयता सुनिश्चित करना एक निरंतर चुनौती है।

आगे की राह

  • जैव अर्थव्यवस्था के लिये निर्धारित महत्त्वाकांक्षी लक्ष्यों को प्राप्त करने हेतु व्यापक और स्पष्ट नीतियाँ आवश्यक है और इन मुद्दों को संबोधित करना क्षेत्र की वृद्धि तथा राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में योगदान के लिये  महत्त्वपूर्ण है।
  • GM कीटों से संबंधित चुनौतियों से निपटने के लिये वैज्ञानिकों, नीति निर्माताओं, नैतिकतावादियों और जनता को शामिल करते हुए एक बहु-विषयक दृष्टिकोण की आवश्यकता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि संभावित जोखिमों को कम करते हुए आनुवंशिक रूप से संशोधित कीटों के लाभ प्राप्त हो।
  • इन जटिलताओं से ज़िम्मेदारीपूर्वक निपटने के लिये निरंतर अनुसंधान और खुला संवाद आवश्यक है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. पीड़कों को प्रतिरोध के अतिरिक्त वे कौन-सी संभावनाएँ हैं जिनके लिये आनुवंशिक रूप से रूपांतरित पादपों का निर्माण किया गया है? (2012) 

  1. सूखा सहन करने के लिये सक्षम बनाना  
  2. उत्पाद में पोषकीय मान बढ़ाना 
  3. अंतरिक्ष यानों और अंतरिक्ष स्टेशनों में उन्हें उगाने तथा प्रकाश संश्लेषण करने के लिये सक्षम बनाना
  4. उनकी शेल्फ लाइफ बढ़ाना 

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: 

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 3 और 4 
(c) केवल 1, 2 और 4 
(d) 1, 2, 3 और 4 

उत्तर: (c)

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