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भारतीय अर्थव्यवस्था

न्यूनतम समर्थन मूल्य

  • 21 Oct 2023
  • 12 min read

प्रिलिम्स के लिये:

न्यूनतम समर्थन मूल्य, रबी और खरीफ फसलें, कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (CACP), उचित तथा लाभकारी मूल्य, फसल विविधीकरण

मेन्स के लिये:

न्यूनतम समर्थन मूल्य, देश के विभिन्न हिस्सों में प्रमुख फसलों के फसल पैटर्न, भारतीय अर्थव्यवस्था और योजना, संसाधनों को जुटाने, विकास, वृद्धि एवं रोज़गार से संबंधित मुद्दे

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्र ने 2024-25 विपणन सत्र के लिये गेहूँ और पाँच अन्य रबी फसलों के लिये न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में बढ़ोतरी की घोषणा की है।

  • वर्ष 2007-2008 के बाद से गेहूँ की कीमतों में 150 रुपए प्रति क्विंटल की सबसे अधिक वृद्धि हुई है, जो कि उच्चतम स्तर है।
  • गेहूँ एक महत्त्वपूर्ण रबी फसल है और भारत में क्षेत्रफल की दृष्टि से दूसरी सबसे बड़ी फसल है तथा अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

न्यूनतम समर्थन मूल्य:

  • परिचय:
    • MSP वह गारंटीकृत राशि है जो किसानों को तब दी जाती है जब सरकार उनकी फसल खरीदती है।
    • MSP कृषि लागत और मूल्य आयोग (Commission for Agricultural Costs and Prices- CACP) की सिफारिशों पर आधारित है, जो उत्पादन लागत, मांग तथा आपूर्ति, बाज़ार मूल्य रुझान, अंतर-फसल मूल्य समानता आदि जैसे विभिन्न कारकों पर विचार करता है।
      • CACP कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय का एक संलग्न कार्यालय है। यह जनवरी 1965 में अस्तित्व में आया।
    • भारत के प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (CCEA) MSP के स्तर पर अंतिम निर्णय (अनुमोदन) लेती है।
    • MSP का उद्देश्य उत्पादकों को उनकी फसल के लिये लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करना और फसल विविधीकरण को प्रोत्साहित करना है।
  • MSP के तहत फसलें:
  • उत्पादन लागत के तीन प्रकार:
    • CACP प्रत्येक फसल के लिये राज्य और अखिल भारतीय औसत स्तर पर तीन प्रकार की उत्पादन लागत का अनुमान लगाता है।
      • ‘A2’: इसके तहत किसान द्वारा बीज, उर्वरकों, कीटनाशकों, श्रम, पट्टे पर ली गई भूमि, ईंधन, सिंचाई आदि पर किये गए प्रत्यक्ष व्यय को शामिल किया जाता है। 
      • A2+FL': इसके तहत ‘A2’ के साथ-साथ अवैतनिक पारिवारिक श्रम का एक अधिरोपित मूल्य शामिल किया जाता है।
      • ‘C2’: यह एक अधिक व्यापक लागत है, क्योंकि इसके अंतर्गत ‘A2+FL’ में किसान की स्वामित्त्व वाली भूमि और स्थिर संपत्ति के किराए तथा ब्याज को भी शामिल किया जाता है। 
    • न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की सिफारिश करते समय CACP द्वारा ‘A2+FL’ और ‘C2’ दोनों लागतों पर विचार किया जाता है। 
      • CACP द्वारा ‘A2+FL’ लागत की ही गणना प्रतिफल के लिये की जाती है। 
      • जबकि ‘C2’ लागत का उपयोग CACP द्वारा मुख्य रूप से बेंचमार्क लागत के रूप में किया जाता है, यह देखने के लिये कि क्या उनके द्वारा अनुशंसित MSP कम-से-कम कुछ प्रमुख उत्पादक राज्यों में इन लागतों को कवर करते हैं।
  • MSP की आवश्यकता: 
    • वर्ष 2014 और वर्ष 2015 में लगातार दो सूखे (Droughts) कि घटनाओं के कारण किसानों को वर्ष 2014 के बाद से वस्तु की कीमतों में लगातार गिरावट का सामना करना पड़ा। 
    • विमुद्रीकरण (Demonetisation) एवं  ‘वस्तु एवं सेवा कर’ ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था, मुख्य रूप से गैर-कृषि क्षेत्र के साथ-साथ कृषि क्षेत्र को भी नकारात्मक रूप से प्रभावित किया है। 
    • वर्ष 2016-17 के बाद अर्थव्यवस्था में जारी मंदी और उसके बाद कोविड महामारी के कारण अधिकांश किसानों के लिये परिदृश्य विकट बना हुआ है। 
    • डीज़ल, बिजली एवं उर्वरकों के लिये उच्च इनपुट कीमतों ने उनके संकट को और बढ़ाया है। 
    • यह सुनिश्चित करता है कि किसानों को उनकी फसलों का उचित मूल्य मिले, जिससे कृषि संकट एवं निर्धनता को कम करने में मदद मिलती है। यह उन राज्यों में विशेष रूप से प्रमुख है जहाँ कृषि आजीविका का एक प्रमुख स्रोत है

भारत में MSP व्यवस्था से संबद्ध समस्याएँ:

  • सीमितता:
    • 23 फसलों के लिये MSP की आधिकारिक घोषणा के विपरीत केवल दो- चावल और गेहूँ की खरीद की जाती है क्योंकि इन्हीं दोनों खाद्यान्नों का वितरण राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) के तहत किया जाता है। शेष अन्य फसलों के लिये यह अधिकांशतः तदर्थ व महत्त्वहीन ही है। 
    • शेष अन्य फसलों के लिये यह अधिकांशतः तदर्थ व महत्त्वहीन है। इसका अर्थ यह है कि गैर-लक्षित फसलें उगाने वाले अधिकांश किसानों को MSP से लाभ नहीं मिलता है।
  • अप्रभावी कार्यान्वयन:
    • शांता कुमार समिति ने वर्ष 2015 में अपनी रिपोर्ट में बताया था कि किसानों को MSP का मात्र 6% ही प्राप्त हो सका।
    • जिसका अर्थ यह है कि देश के 94% किसान MSP के लाभ से वंचित रहे हैं। इसका मुख्य कारण किसानों के लिये अपर्याप्त खरीद तंत्र और बाज़ार पहुँच है।
  • प्रवण फसल का प्रभुत्व:  
    • चावल और गेहूँ के लिये MSP पर ध्यान केंद्रित करने से इन दो प्रमुख खाद्य पदार्थों के पक्ष में फसल पैटर्न में बदलाव आया है। इन फसलों पर अत्यधिक बल देने से पारिस्थितिक, आर्थिक और पोषण संबंधी प्रभाव पड़ सकते हैं।
    • यह बाज़ार की मांगों के अनुरूप नहीं हो सकता है, जिससे किसानों के लिये आय की संभावना सीमित हो जाएगी।
  • बिचौलियों पर निर्भरता:
    • MSP-आधारित खरीद प्रणाली में प्रायः बिचौलिये, कमीशन एजेंट और कृषि उपज बाज़ार समितियों (APMC) के अधिकारी जैसे बिचौलिये शामिल होते हैं।
    • विशेष रूप से छोटे किसानों के लिये इन चैनलों तक पहुँच चुनौतीपूर्ण हो सकती है, जिससे अक्षमताएँ उत्पन्न होंगी और उनके लिये लाभ कम हो जाएगा।
  • सरकार पर बोझ:
    • सरकार MSP समर्थित फसलों के बफर स्टॉक की खरीद और रखरखाव में एक वृहत वित्तीय बोझ उठाती है। इससे उन संसाधनों का विचलन हो जाता है जिन्हें अन्य कृषि या ग्रामीण विकास कार्यक्रमों के लिये आवंटित किया जा सकता है।

आगे की राह

  • फसल विविधीकरण को प्रोत्साहित करने और चावल व गेहूँ के प्रभुत्व को कम करने के लिये सरकार धीरे-धीरे MSP समर्थन हेतु पात्र फसलों की सूची का विस्तार कर सकती है। इससे किसानों को अधिक विकल्प मिलेंगे और बाज़ार की मांग के अनुरूप फसलों की खेती को बढ़ावा मिलेगा।
  • सभी क्षेत्रों में सभी फसलों के लिये MSP प्रदान करने के बदले सरकार उन फसलों के लिए MSP निर्धारित करने पर ध्यान केंद्रित कर सकती है जो खाद्य सुरक्षा के लिये आवश्यक हैं और जिनका किसानों की आजीविका पर प्रभाव पड़ता है। यह लक्षित दृष्टिकोण संसाधन आवंटन को अनुकूलित करने में मदद कर सकता है।
  • यह सुनिश्चित करने के लिये खरीद तंत्र में सुधार और आधुनिकीकरण किया जाना आवश्यक है ताकि किसानों की MSP तक पहुँच प्राप्त हो। इसमें अधिक कुशल खरीद प्रणाली, बिचौलियों को कम करना और खरीद एजेंसियों की पहुँच का विस्तार करना शामिल हो सकता है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2020)

  1. सभी अनाजों, दालों एवं तिलहनों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर प्रापण भारत के किसी भी राज्य/केंद्रशासित प्रदेश (यू.टी.) में असीमित होता है।
  2. अनाजों एवं दालों का MSP किसी भी राज्य/केंद्रशासित प्रदेश में उस स्तर पर निर्धारित किया जाता है, जिस स्तर पर बाज़ार मूल्य कभी नहीं पहुँच पाते।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (d)


प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2023)

  1. भारत सरकार काले तिल नाइजर (गुइज़ोटिया एबिसिनिका) के बीजों के लिये न्यूनतम समर्थन कीमत उपलब्ध कराती है।
  2.  काले तिल की खेती खरीफ की फसल के रूप में की जाती है।
  3. भारत के कुछ जनजातीय लोग काले तिल के बीजों का तेल भोजन पकाने के लिये प्रयोग में लाते हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल एक
(b) केवल दो
(c) सभी तीन
(d) कोई भी नहीं

उत्तर: (c)

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