भारतीय अर्थव्यवस्था
उचित और लाभकारी मूल्य (FRP)
- 26 Feb 2022
- 7 min read
प्रिलिम्स के लिये:उचित और लाभकारी मूल्य (FRP), गन्ना। मेन्स के लिये:कृषि मूल्य निर्धारण, भारतीय अर्थव्यवस्था में चीनी उत्पादन, गन्ना उद्योग के समक्ष चुनौतियाँ। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में महाराष्ट्र सरकार द्वारा एक सरकारी प्रस्ताव जारी किया गया जो चीनी मिलों को दो चरणों में मूलभूत उचित और लाभकारी मूल्य (Fair and Remunerative Price- FRP) का भुगतान करने की अनुमति प्रदान करेगा।
प्रमुख बिंदु
सरकार द्वारा जारी प्रस्ताव में बदलाव:
- पहली किश्त का भुगतान गन्ने की डिलीवरी के 14 दिनों के भीतर करना होगा और यह ज़िले की औसत वसूली (Average Recovery Of The District) के अनुसार होगा।
- अंतिम वसूली की गणना के बाद मिल बंद होने के 15 दिनों के भीतर मिल द्वारा किसानों को दूसरी किस्त का भुगतान किया जाएगा,जिसमें उत्पादित चीनी और 'बी हेवी' (B Heavy) या 'सी' शीरे (‘C’ Molasses) से उत्पादित इथेनॉल को ध्यान में रखकर भुगतान किया जाएगा।
- इस प्रकार पिछले सीज़न के FRP पर निर्भर रहने के बजाय किसानों को मौजूदा सीज़न की वसूली के अनुसार भुगतान किया जाएगा।
महाराष्ट्र में किसानों के विरोध का कारण:
- किसानों का तर्क है कि इस पद्धति से उनकी आय प्रभावित होगी तथा FRP का भुगतान किश्तों में किया जाएगा जिसमें काफी अंतर विद्यमान होगा, साथ ही उसमें पूर्व की तरह बैंक ऋण और अन्य खर्चों का भुगतान शामिल होने की उम्मीद है।
- किसानों को एकमुश्त धनराशि की आवश्यकता ज़्यादातर मौसम की शुरुआत (अक्तूबर-नवंबर) में होती है क्योंकि उनका अगला फसल चक्र इसी पर निर्भर करता है।
FRP के बारे में:
- FRP सरकार द्वारा घोषित मूल्य है जिस पर मिलें किसानों से खरीदे गए गन्ने का भुगतान कानूनी रूप से करने के लिये बाध्य हैं।
- मिलों के पास किसानों के साथ समझौते के लिये हस्ताक्षर करने का एक विकल्प है, जो मिलों द्वारा किसानों को किश्तों में FRP का भुगतान करने की अनुमति प्रदान करता है।
- भुगतान में देरी पर 15% तक प्रतिवर्ष ब्याज लग सकता है और चीनी आयुक्त (Sugar Commissioner) मिलों की संपत्तियों को संलग्न कर राजस्व वसूली के तहत बकाया के रूप में अदत्त एफआरपी (Unpaid FRP) की वसूली कर सकते हैं।
- देश भर में FRP का भुगतान आवश्यक वस्तु अधिनियम (EAC), 1955 के तहत जारी गन्ना नियंत्रण आदेश, 1966 द्वारा नियंत्रित होता है, जो गन्ने की डिलीवरी की तारीख के 14 दिनों के भीतर भुगतान को अनिवार्य करता है।
- यह कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP) की सिफारिश के आधार निर्धारित तथा आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA) द्वारा घोषित किया जाता है।
- CACP कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय का एक संबद्ध कार्यालय है। यह एक सलाहकार निकाय है, अतः इसकी सिफारिशें सरकार के लिये बाध्यकारी नहीं हैं।
- CCEA की अध्यक्षता भारत के प्रधानमंत्री द्वारा की जाती है।
- FRP गन्ना उद्योग के पुनर्गठन को लेकर रंगराजन समिति की रिपोर्ट पर आधारित है।
FRP की घोषणा हेतु प्रमुख कारक:
- गन्ना उत्पादन की लागत।
- वैकल्पिक फसलों से उत्पादकों की वापसी और कृषि वस्तुओं की कीमतों की सामान्य प्रवृत्ति।
- उपभोक्ताओं को उचित मूल्य पर चीनी की उपलब्धता।
- चीनी उत्पादकों द्वारा बेची गई चीनी का मूल्य।
- गन्ने से उत्पादित चीनी की मात्रा।
- उप-उत्पादों की बिक्री से होने वाली प्राप्ति अर्थात् गुड़, खोई और उन पर आरोपित मूल्य।
- गन्ना उत्पादकों के लिये जोखिम और मुनाफे के कारण उचित मार्जिन।
FRP का भुगतान:
- FRP का भुगतान गन्ने से प्राप्त चीनी पर आधारित है।.
- चीनी सीज़न 2021-22 के लिये 10% की बेस रिकवरी पर FRP 2,900 रुपए प्रति टन तय किया गया है।
- चीनी की रिकवरी (Sugar Recovery) उत्पादित चीनी तथा गन्ने की पेराई के अनुपात के बराबर होती है, जिसे प्रतिशत के रूप में व्यक्त किया जाता है।
- रिकवरी जितनी अधिक होगी, FRP उतना ही अधिक होगा तथा चीनी का उत्पादन अधिक होगा।
गन्ना (Sugarcane):
- तापमान : उष्ण और आर्द्र जलवायु के साथ 21-27 डिग्री सेल्सियस के बीच।
- वर्षा : लगभग 75-100 सेमी.।
- मिट्टी का प्रकार : गहरी समृद्ध दोमट मिट्टी।
- शीर्ष गन्ना उत्पादक राज्य : उत्तर प्रदेश> महाराष्ट्र> कर्नाटक> तमिलनाडु> बिहार।
- ब्राज़ील के बाद भारत गन्ने का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है।
- इसे बलुई दोमट से लेकर चिकनी दोमट मिट्टी तक सभी प्रकार की मृदा में उगाया जा सकता है, क्योंकि इसके लिये अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी की आवश्यकता होती है।
- इसमें बुवाई से लेकर कटाई तक शारीरिक श्रम की आवश्यकता होती है।
- यह चीनी, गुड़, खांडसारी और राब का मुख्य स्रोत है।
- चीनी उद्योग को समर्थन देने हेतु सरकार की दो पहलें हैं- चीनी उपक्रमों को वित्तीय सहायता योजना (SEFASU) और जैव ईंधन पर राष्ट्रीय नीति गन्ना उत्पादन योजना।