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कृषि

तेल के मूल्य स्तर में गिरावट तथा चीनी उद्योग

  • 24 Apr 2020
  • 5 min read

प्रीलिम्स के लिये:

भारत में चीनी मिलों की संख्या, गन्ने का मूल्य निर्धारण, भारत की गन्ना उत्पादन में वैश्विक स्थिति

मेन्स के लिये:

भारत में गन्ना उद्योग

चर्चा में क्यों?

COVID-19 महामारी के तहत लगाए गए लॉकडाउन के कारण क्रूड ऑयल की कीमतों में गिरावट के साथ ही चीनी की कीमतों में भी तेज़ी से गिरावट देखी गई।

मुख्य बिंदु:

चीनी की कम मांग के कारण:

  • भोजनालय, शादियों सहित अन्य सामाजिक कार्य बंद होना। 
  • लोगों द्वारा आइसक्रीम तथा पेय पदार्थों का, गले के संक्रमण के डर से परहेज करना।  

क्रूड ऑयल तथा चीनी उद्योग: 

  • चीनी की कीमतों में गिरावट का एक बड़ा कारण क्रूड ऑयल की कीमतें में गिरावट होना है। गन्ने के रस का उपयोग सामान्यत: चीनी बनाने तथा शराब के लिये किण्वित करने में किया जाता है। 
  • जब तेल की कीमतें अधिक होती है तो मिलें इथेनॉल; जिसका इस्तेमाल शराब बनाने में किया जाता है, को ‘इथेनॉल मिश्रित ईंधन’ बनाने वाली इकाइयों को बेच देती है। परंतु WTI की कीमतों में गिरावट के कारण इथेनॉल की मांग में कमी होने से चीनी की कीमतों में गिरावट देखी गई। 

भारत पर प्रभाव (Impact on India):

  • ब्राज़ील में वर्ष 2020 में बहुत अधिक गन्ना उत्पादन हुआ है साथ ही महामारी के कारण चीनी की खपत में गिरावट आई है। यह भारतीय चीनी मिलों तथा गन्ना किसानों दोनों को प्रभावित करेगा।
  • हालाँकि इंडोनेशिया को चीनी के अधिक निर्यात की उम्मीद है क्योंकि इंडोनेशिया ने कच्चे चीनी पर आयात शुल्क को 15% से घटाकर 5% कर दिया है तथा इंडोनेशिया ज्यादातर कच्ची चीनी थाईलैंड से खरीदते हैं, जो वर्तमान में सूखे का सामना कर रहा है। 

चीनी के अलावा अन्य उद्योगों पर प्रभाव:

  • चीनी उद्योग के कारण केवल चीनी की मांग/आपूर्ति प्रभावित नहीं होती है अपितु इससे शराब, पेट्रोल उद्योग तथा बायो ईंधन संबंधी सरकार की नीतियों पर दूरगामी प्रभाव होगा क्योंकि-
    • परंपरागत रूप से उद्योगों में एल्कोहल का उत्पादन चीनी के उप-उत्पाद शीरे से किया जाता है।
    • चीनी अधिशेष का उपयोग इथेनॉल-मिश्रित ईंधन कार्यक्रम में किया जाता है।

भारत में चीनी उद्योग:

  • चीनी उद्योग कृषि आधारित एक महत्त्वपूर्ण उद्योग है जो लगभग 50 मिलियन गन्ना किसानों की आजीविका प्रभावित करता है। चीनी मिलों में लगभग 5 लाख कामगार परोक्ष रूप से नियोजित हैं।
  • ब्राज़ील के बाद विश्व में भारत दूसरा बड़ा चीनी उत्पादक देश है और सबसे बड़ा उपभोक्ता भी है।
  • 31/01/2018 की स्थिति के अनुसार, देश में 735 स्थापित चीनी मिलें हैं। जिनमें 327 सहकारी, 365 निजी, 43 सरकारी नियंत्रण में है। 
  • गन्ना (नियंत्रण) आदेश, (Sugarcane (Control) Order) 1966 प्रारंभ में गन्ने के मूल्य को नियंत्रित करता था। इसमें वर्ष 2009 में संशोधन करके गन्ने के मूल्य निर्धारण के लिये ‘सांविधिक न्यूनतम मूल्य’ (Statutory Minimum Price- SMP) प्रणाली अपनाई गई। बाद में इसे भी ‘उचित एवं  लाभकारी मूल्य’ (Fair and Remunerative Price- FRP) से प्रतिस्थापित किया गया। 
  • केंद्र सरकार, राज्य सरकारों तथा चीनी उद्योग संगठनों के साथ परामर्श करके ‘कृषि लागत एवं मूल्य आयोग’ (Commission for Agricultural Costs and Prices- CACP) की सिफारिशों के आधार पर FRP का निर्धारण करती है। 

स्रोत: इंडियन एक्स्प्रेस

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