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हृदय रोग हेतु स्क्रीनिंग टेस्ट

  • 22 Apr 2023
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

हृदय रोग, कार्डियोवास्कुलर रोग, रक्तचाप, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन

मेन्स के लिये:

हृदय रोग हेतु स्क्रीनिंग टेस्ट।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में कुछ विशेषज्ञों ने हृदय रोग को रोकने हेतु बड़े पैमाने पर स्क्रीनिंग टेस्ट का सुझाव दिया है।

स्क्रीनिंग टेस्ट:

  • परिचय: 
    • स्क्रीनिंग या शुरुआती पहचान का मुख्य लक्ष्य ऐसे व्यक्तियों की पहचान करना है जिन्हें कोई बीमारी हो सकती है, साथ ही अतिरिक्त परीक्षण द्वारा इसकी पुष्टि करना है।
      • स्क्रीनिंग टेस्ट सामान्यतः सस्ते होते हैं और इन्हें बड़े पैमाने पर संचालित करना आसान होता है, जबकि पुष्टि परीक्षण संसाधन गहन होते हैं।
    • स्क्रीनिंग का व्यापक लक्ष्य लक्षणों के प्रकट होने से पहले प्रारंभिक चरण में ही हृदय रोगों का पता लगाना है, ताकि भविष्य में दिल के दौरे या अचानक हृदय आघात के कारण मृत्यु के जोखिम को कम करने के लिये निवारक उपाय किये जा सकें।
    • हृदय रोगों के लिये स्क्रीनिंग टेस्ट में रक्तचाप मापन, कोलेस्ट्रॉल और लिपिड प्रोफाइल टेस्ट, ECG (इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम) आदि शामिल हैं।
    • ये परीक्षण हृदय रोग, अनियमित हृदय स्पंदन, हृदय की संरचना या कार्य संबंधी अनियमितताओं के जोखिम की पहचान करने में मदद कर सकते हैं। 
  • आवश्यकता: 
    • इससे पहले कि हृदय रोग जीवन के लिये खतरा बन जाए इसके अंतर्निहित जोखिम कारकों या हृदय रोग के लक्षणों का पता लगाने के लिये स्क्रीनिंग टेस्ट आवश्यक है।
      • हृदय को ऑक्सीजन युक्त रक्त की आपूर्ति करने वाली कोरोनरी धमनी के अचानक अवरुद्ध होने से दिल का दौरा पड़ सकता है, जो घातक भी हो सकता है।
    • स्क्रीनिंग टेस्ट की सहायता से उच्च रक्तचाप, उच्च कोलेस्ट्रॉल स्तर, अनियमित धड़कन गति जैसे जोखिम कारकों की पहचान की जा सकती है, इससे हृदय रोग को अधिक गंभीर रूपों में विकसित होने से पहले ही जीवनशैली में बदलाव, दवा या अन्य सुरक्षात्मक उपायों की मदद से प्रबंधित किया जा सकता है। 

बड़े स्तर पर स्क्रीनिंग से संबंधित चुनौतियाँ: 

  • प्रक्रियात्मक जोखिम की संभावना: 
    • स्क्रीनिंग टेस्ट जोखिमों के अंतर्गत प्रक्रियात्मक त्रुटियाँ (परीक्षण कैसे किये जाते हैं) और गलत लेबलिंग शामिल हैं।
      • उदाहरण के लिये जब बिना लक्षण वाले युवा रोगियों में स्क्रीनिंग टेस्ट के रूप में स्ट्रेस ECG का उपयोग किया जाता है तब इससे प्राप्त कई परिणाम गलत होते हैं।
    • यह अनावश्यक चिंता का कारण बनता है और इसके निष्कर्षों/परिणामों की पुष्टि करने अथवा अस्वीकार करने के लिये और भी कई जाँच/ परीक्षण कराने पड़ सकते हैं।
  • अतिरिक्त जोखिम और लागत: 
    • स्ट्रेस इकोकार्डियोग्राफी/रेडियोन्यूक्लाइड टेस्ट और सीटी एंज़ियोग्राफी जैसे परीक्षण ईसीजी की तुलना में हृदयघात के उच्च जोखिम वाले लोगों का सटीक पता लगा सकते हैं लेकिन गलत परिणामों से जुड़े जोखिम भी हो सकते हैं, जिसमें अनावश्यक परीक्षण और अतिरिक्त लागत शामिल हैं। 
      • वर्ष 2022 में प्रकाशित एक डेनिश अध्ययन से पता चला है कि हृदयघात के उच्च जोखिम वाले लोगों को सीटी स्कैन सहित अतिरिक्त परीक्षणों से कोई लाभ नहीं हुआ।  
  • परीक्षण तक पहुँच का अभाव: 
    • भारत में जनसंख्या का एक महत्त्वपूर्ण भाग (लगभग 25-30%) 40 वर्ष से अधिक आयु वर्ग का है। हालाँकि भारत के अधिकांश ज़िला अस्पतालों और कुछ मेडिकल कॉलेजों में स्ट्रेस इकोकार्डियोग्राफी, रेडियोन्यूक्लाइड टेस्ट और सीटी एंज़ियोग्राफी जैसे इमेजिंग परीक्षणों तक पहुँच नहीं है।  
      • इसके अतिरिक्त ये परीक्षण अपेक्षाकृत महँगे हैं, सार्वजनिक या निजी क्षेत्र में इनकी लागत 6,000 रुपए से लेकर 15,000 रुपए तक होती है।
    • जनता के लिये इन परीक्षणों की पहुँच को ध्यान में रखना महत्त्वपूर्ण है क्योंकि स्वास्थ्य सेवा का बुनियादी ढाँचा ही सकारात्मक परीक्षण परिणाम प्राप्त कर व्यक्तियों के इलाज में सक्षम है।

हृदय रोग से संबंधित महत्त्वपूर्ण तथ्य:

  • विषय: 
    • हृदय रोग (CVDs) हृदय और रक्त वाहिकाओं के विकारों का एक समूह है तथा इसमें कोरोनरी हृदय रोग, प्रमस्तिष्कीय वाहिकी रोग, आमवाती हृदय रोग एवं अन्य स्थितियाँ शामिल हैं।
    • CVDs विश्व स्तर पर मौत का प्रमुख कारण है, WHO के अनुसार, वर्ष 2019 में अनुमानित 17.9 मिलियन लोगों की जान गई।
    • प्रति पाँच में से चार से अधिक मौतें दिल के दौरे और स्ट्रोक के कारण होती हैं तथा इनमें से एक-तिहाई मौतें 70 वर्ष से कम उम्र के मामले में लोगों में देखी जाती हैं।
    • भारत में  हृदय रोग (CVD) संबंधी कुल वार्षिक आर्थिक व्यय लगभग 6 ट्रिलियन रुपए है।
  • भारतीय पहल:
    • राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के तहत कैंसर, मधुमेह, हृदय रोग और स्ट्रोक (NPCDCS) की रोकथाम एवं नियंत्रण के लिये राष्ट्रीय कार्यक्रम लागू किया जा रहा है।
    • रोगियों को रियायती कीमतों पर कैंसर और हृदय रोग की दवाएँ तथा प्रत्यारोपण सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से 159 संस्थानों/अस्पतालों में सस्ती दवाएँ एवं उपचार के लिये विश्वसनीय प्रत्यारोपण (अमृत) दीनदयाल आउटलेट खोले गए हैं।
    • जन औषधि स्टोर की स्थापना फार्मास्यूटिकल विभाग द्वारा सस्ती कीमतों पर जेनेरिक दवाएँ उपलब्ध कराने हेतु की जाती है।
    • एसटी-एलिवेशन मायोकार्डियल इन्फ्रक्शन (STEMI) परियोजना: महाराष्ट्र सरकार ने हृदय रोग के तेज़ी से निदान को सक्षम बनाने हेतु वर्ष 2021 में NHM द्वारा मान्यता प्राप्त STEMI कार्यक्रम की शुरुआत की। 
      • एसटी-एलिवेशन मायोकार्डियल इन्फ्रक्शन (STEMI) एक ऐसी स्थिति है जिसमें हृदय की मांसपेशियों में ऑक्सीजन युक्त रक्त की आपूर्ति करने वाली हृदय की प्रमुख धमनियों में से एक पूरी तरह से अवरुद्ध हो जाती है।

आगे की राह 

  • स्ट्रेस इकोकार्डियोग्राफी, रेडियोन्यूक्लाइड टेस्ट और सीटी एंज़ियोग्राफी जैसे आधुनिक चिकित्सा उपकरणों का उपयोग उन लोगों के एक छोटे समूह तक सीमित होना चाहिये जिन्हें इस्केमिक हृदय रोग का अधिक खतरा है।
  • उच्च जोखिम वाले व्यक्तियों में तंबाकू के उपयोग, मोटापे, उच्च रक्तचाप, मधुमेह, हाइपरकोलेस्ट्रोलेमिया और प्रारंभिक हृदय रोग के पारिवारिक इतिहास जैसे ज्ञात जोखिम कारकों हेतु स्क्रीनिंग द्वारा पहचाना जा सकता है। 
    • हालाँकि हृदय संबंधी मौतों को रोकने के लिये सबसे महत्त्वपूर्ण दृष्टिकोण सभी उम्र की आबादी के बीच स्वस्थ आदतों को बढ़ावा देना है।
  • ज्ञात जोखिम कारकों हेतु सरल परीक्षण सस्ते व व्यापक रूप से उपलब्ध हैं और ज़िला अस्पतालों में मानक कार्यकारी जाँच के दौरान किये जा सकते हैं। 

स्रोत: द हिंदू

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