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डेली न्यूज़

  • 14 Nov, 2022
  • 71 min read
शासन व्यवस्था

डायरिया रोग और पोषण पर एशियाई सम्मेलन

प्रिलिम्स के लिये:

डायरिया, हैज़ा, टाइफाइड, ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशन (ORS), इंटेंसिफाइड डायरिया कंट्रोल फोर्टनाइट (IDCF), निमोनिया और डायरिया की रोकथाम और नियंत्रण के लिये एकीकृत कार्ययोजना (IAPPD), वैश्वीकृत प्रतिरक्षण योजना (UIP), निमोनिया की सफलतापूर्वक रोकथाम के लिये सामजिक जागरूकता और कार्रवाई (SAANS) अभियान, रोटावायरस वैक्सीन ड्राइव।

मेन्स के लिये:

डायरिया रोग से संबंधित सरकारी पहलें।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में, केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री ने कोलकाता में 16वें डायरिया रोग और पोषण पर एशियाई सम्मेलन (ASCODD) को संबोधित किया। भारत व अन्य दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों, अफ्रीकी देशों, अमेरिका और यूरोपीय देशों के प्रतिनिधियों ने वर्चुअल माध्यम के ज़रिये इस सम्मेलन में हिस्सा लिया।

सम्मेलन की मुख्य विशेषताएँ:

  • इस ASCODD की थीम "सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से निम्न और मध्यम आय वाले देशों में हैजा, टाइफाइड और आंत संबंधी अन्य रोगों की रोकथाम व नियंत्रण: SARS-CoV-2 महामारी से आगे" थी।
  • इस सम्मेलन के प्रमुख मुद्दे: इनमें आँतों का संक्रमण, पोषण, 2030 तक हैजा को समाप्त करने के लिये रोडमैप सहित नीति व इसका अभ्यास, हैजा के टीके का विकास व त्वरित नैदानिकी, आँतों के जीवाणु के रोगाणुरोधी प्रतिरोध के समकालीन दृष्टिकोण: नई पहल व चुनौतियाँ, शिगेला spp सहित आंतों का जीवाणु संक्रमण, महामारी विज्ञान, हेपेटाइटिस सहित अन्य वायरल संक्रमणों की बड़ी संख्या व इसके निवारण के लिये टीके आदि के साथ-साथ कोविड महामारी के दौरान डायरिया अनुसंधान पर प्राप्त सीख शामिल हैं।
  • डिजिटल इंडिया पहल के तहत ऑनलाइन पंजीकरण प्रणाली, अस्पताल प्रबंधन के लिये ई-अस्पताल, ई-संजीवनी टेलीमेडिसिन एप जैसी भारतीय पहलों पर प्रकाश डाला गया।

डायरिया रोग:

  • परिचय:
    • डायरिया को किसी व्यक्ति द्वारा बार-बार उल्टी और दस्त करने (या व्यक्ति द्वारा सामान्य से अधिक दस्त करने), जिससे डिहाइड्रेशन की स्थिति उत्पन्न हो जाती है, के रूप में परिभाषित किया गया है ।
    • डायरिया से उत्पन्न सबसे गंभीर खतरा निर्जलीकरण है।
      • डायरिया रोग के दौरान तरल मल, उल्टी, पसीना, मूत्र और श्वास के माध्यम से पानी एवं इलेक्ट्रोलाइट्स (सोडियम, क्लोराइड, पोटेशियम तथा बाइकार्बोनेट) की कमी हो जाती है।
      • निर्जलीकरण तब होता है जब इन नुकसानों की पूर्ति नहीं की जाती है।
  • सांख्यिकी:
    • डायरिया रोग 5 साल से कम उम्र के बच्चों में मौत का दूसरा प्रमुख कारण है।
      • हर साल दस्त से 5 साल से कम उम्र के लगभग 525,000 बच्चे मर जाते हैं।
    • वैश्विक स्तर पर, हर साल बचपन में दस्त रोग के लगभग 1.7 बिलियन मामले सामने आते हैंं
  • प्रकार:
    • एक्यूट वाटरी डायरिया - कई घंटों या दिनों तक रहता है, और इसमें हैज़ा शामिल है;;
    • एक्यूट ब्लडी डायरिया - जिसे पेचिश भी कहा जाता है; और
    • परसिस्टेंट डायरिया - 14 दिनों या उससे अधिक समय तक रहता है।
  • कारण:
    • संक्रमण: दस्त हैजा और टाइफाइड जैसे जीवाणु संक्रमण, या वायरल और परजीवी जीवों के कारण हो सकता है, जिनमें से अधिकांश मल-दूषित पानी से फैलते हैं।
    • कुपोषण: दस्त से मरने वाले बच्चे अक्सर अंतर्निहित कुपोषण से पीड़ित होते हैं, जो उन्हें दस्त के प्रति अधिक संवेदनशील बनाता है।
    • दूषित भोजन और पानी: मानव मल के साथ संदूषण, उदाहरण के लिये, सीवेज, सेप्टिक टैंक और शौचालय, विशेष चिंता का विषय है। पशु मल में सूक्ष्मजीव भी होते हैं जो दस्त का कारण बन सकते हैं।
  • रोकथाम:
    • सुरक्षित पेयजल तक पहुँच;
    • बेहतर स्वच्छता का उपयोग;
    • साबुन से हाथ धोना;
    • जीवन के पहले छह महीनों के लिये विशेष स्तनपान;
    • अच्छी व्यक्तिगत और खाद्य स्वच्छता;
    • संक्रमण फैलने के बारे में स्वास्थ्य शिक्षा; और
    • रोटावायरस टीकाकरण।
  • उपचार:
    • ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशन (ORS) के साथ पुनर्जलीकरण: ORS साफ पानी, नमक और चीनी का मिश्रण है। इसमें प्रति उपचार कुछ पैसे खर्च होते हैं। ORS छोटी आँत में अवशोषित होता है तथा मल के रूप में निकले पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स को प्रतिस्थापित करता है।
    • जिंक सप्लीमेंट्स: जिंक सप्लीमेंट्स दस्त की अवधि को 25% तक कम कर देते हैं और मल की मात्रा में 30% की कमी से जुड़े होते हैं।
    • अंतःशिरा तरल पदार्थ के साथ पुनर्जलीकरण: यह गंभीर निर्जलीकरण या सदमे के मामले में किया जाता है।
    • पोषक तत्त्वों से भरपूर खाद्य पदार्थ: कुपोषण और दस्त के दुष्चक्र को माता का दूध सहित पोषक तत्त्वों से भरपूर खाद्य पदार्थ और पौष्टिक आहार खिलाकर खत्म किया जा सकता है – जीवन के पहले छह महीनों के लिये विशेष स्तनपान सहित पौष्टिक आहार दिया जा सकता है
    • स्वास्थ्य पेशेवर से परामर्श: दस्त या जब मल में रक्त हो या निर्जलीकरण के लक्षण हो तो स्वास्थ्य पेशेवर से परामर्श करना।

भारत द्वारा की गई पहलें:

  • राष्ट्रव्यापी डायरिया नियंत्रण पखवाड़ा (IDCF): दस्त में ORS और जिंक के उपयोग के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिये वर्ष 2014 से पूर्व मानसून/मानसून मौसम के दौरान IDCF का आयोजन किया जाता है, जिसका उद्देश्य वर्ष 2014 से 'बचपन में दस्त के कारण होने वाली बच्चों की मृत्यु को शून्य है।
  • निमोनिया और डायरिया की रोकथाम और नियंत्रण हेतु एकीकृत कार्ययोजना (IAPPD): वर्ष 2014 में भारत ने डायरिया और निमोनिया के कारण पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मौतों की रोकथाम के लिये सहयोगात्मक प्रयास करने हेतु 'निमोनिया और डायरिया की रोकथाम और नियंत्रण संबंधी एकीकृत कार्ययोजना (Integrated Action Plan for Prevention and Control of Pneumonia and Diarrhoea- IAPPD) शुरू की है।
  • सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम (UIP): यह वर्ष 1985 में सरकार द्वारा शुरू किया गया था और निमोनिया एवं डायरिया सहित 12 वैक्सीन-रोकथाम योग्य बीमारियों के खिलाफ बच्चों तथा गर्भवती महिलाओं में मृत्यु दर व रुग्णता को रोकता है।
  • निमोनिया को सफलतापूर्वक रोकने हेतु सामाजिक जागरूकता और कार्रवाई (SAANS): इसका उद्देश्य निमोनिया के कारण बाल मृत्यु दर को कम करना है, जो पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु के मामले में सालाना लगभग 15% है।
  • रोटावायरस वैक्सीन ड्राइव: वर्ष 2019 में भारत सरकार ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में रोटावायरस वैक्सीन ड्राइव शुरू की, जो रोटावायरस वैक्सीन का एक अभूतपूर्व राष्ट्रीय पैमाना था।

स्रोत: पी.आई.बी.


अंतर्राष्ट्रीय संबंध

भारत-अमेरिका आर्थिक और वित्तीय साझेदारी बैठक

प्रिलिम्स के लिये:

भारत-अमेरिका संबंध, भारत-प्रशांत रणनीति

मेन्स के लिये:

द्विपक्षीय समूह और समझौते, भारत-प्रशांत क्षेत्र, भारत-अमेरिका संबंध - चुनौतियाँ और सहयोग के क्षेत्र

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत-अमेरिका आर्थिक और वित्तीय साझेदारी की 9वीं मंत्रिस्तरीय बैठक आयोजित की गई।

  • भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व केंद्रीय वित्त और कॉर्पोरेट मामलों के मंत्री ने किया तथा अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व राजस्व सचिव ने किया

बैठक की मुख्य विशेषताएँ:

  • जलवायु महत्त्वाकांक्षा बढ़ाने के प्रयास:
    • दोनों देशों ने जलवायु महत्त्वाकांक्षा को बढ़ाने के लिये वैश्विक प्रयासों के साथ-साथ सार्वजनिक रूप से व्यक्त जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने हेतु संबंधित घरेलू प्रयासों को साझा किया।
  • ृहद् आर्थिक चुनौतियाँ:
    • यूक्रेन में संघर्ष के संदर्भ में दोनों ने वस्तुओं और ऊर्जा की कीमतों में वृद्धि के साथ-साथ आपूर्ति पक्ष के व्यवधानों सहित वैश्विक व्यापक आर्थिक दृष्टिकोण के लिये वर्तमान बाधाओं पर चर्चा की तथा इन वैश्विक वृहद् आर्थिक चुनौतियों को संबोधित करने में बहुपक्षीय सहयोग की केंद्रीय भूमिका के लिये अपनी प्रतिबद्धता पर फिर से ज़ोर दिया।
    • उन्होंने जलवायु कार्रवाई सहित विकास उद्देश्यों का समर्थन करने के लिये भारत को वित्तपोषण हेतु मदद करने के लिये MDBS के माध्यम से काम करने के महत्त्व को स्वीकार किया।
    • दोनों ने इन बहुपक्षीय और द्विपक्षीय तथा अन्य वैश्विक आर्थिक मुद्दों पर बातचीत जारी रखने की योजना बनाई है।
  • समान ऋण उपचार:
    • दोनों पक्षों ने ऋण स्थिरता द्विपक्षीय उधार में पारदर्शिता और ऋण संकट का सामना करने वाले देशों को उचित एवं समान ऋण उपचार प्रदान करने हेतु कार्रवाई का समन्वय करने के लिये अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की।
  • ऋण उपचार के लिये G 20 सामान्य ढाँचा:
    • दोनों ने ऋण उपचार के लिये G-20 साझा ढाँचे को समयबद्ध, व्यवस्थित और समन्वित तरीके से लागू करने के प्रयासों को आगे बढ़ाने की प्रतिबद्धता दोहराई।
  •  सामूहिक परिमाणित लक्ष्य:
    • दोनों ने सार्थक कार्यों और कार्यान्वयन में पारदर्शिता के संदर्भ में विकासशील देशों के लिये सार्वजनिक एवं निजी स्रोतों से 2025 तक हर वर्ष 100 बिलियन अमेरिकी डॅालर जुटाने पर सहमति व्यक्त की।
    • दोनों देशों ने ऑफशोर टैक्स चोरी से निपटने के लिये सूचना साझा करने में आपसी सहयोग पर भी चर्चा की।
  • सामूहिक परिमाणित लक्ष्य:
    • दोनों ने सार्थक शमन कार्यों और कार्यान्वयन पर पारदर्शिता के संदर्भ में विकासशील देशों के लिये सार्वजनिक और निजी स्रोतों से 2025 तक हर साल 100 बिलियन अमरीकी डालर जुटाने पर सहमति व्यक्त की।
    • दोनों देशों ने अपतटीय कर चोरी से निपटने के लिये सूचना साझा करने में आपसी सहयोग पर भी चर्चा की।
  • विदेशी खाता कर अनुपालन अधिनियम:
    • दोनों पक्ष वित्तीय खाते की जानकारी साझा करने के लिये विदेशी खाता कर अनुपालन अधिनियम (FATCA) से संबंधित चर्चा में शामिल होना जारी रखेंगे।

 अमेरिका के साथ भारत के संबंध:

  • परिचय:
    • अमेरिका-भारत रणनीतिक साझेदारी लोकतंत्र के प्रति प्रतिबद्धता और नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था को बनाए रखने सहित साझा मूल्यों पर आधारित है।
    • संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत के व्यापार, निवेश एवं कनेक्टिविटी के माध्यम से वैश्विक सुरक्षा, स्थिरता तथा आर्थिक समृद्धि को बढ़ावा देने में साझा हित हैं।
    • संयुक्त राज्य अमेरिका भारत के प्रमुख वैश्विक शक्ति के रूप में उभरने और इंडो-पेसिफिक को शांति, स्थिरता एवं बढ़ती समृद्धि के क्षेत्र के रूप में सुरक्षित करने के प्रयासों में महत्त्वपूर्ण भागीदार के रूप में उभरने का समर्थन करता है।
  • आर्थिक संबंध:
    • वर्ष 2021 में वस्तुओं और सेवाओं में समग्र अमेरिका-भारत द्विपक्षीय व्यापार 157 बिलियन अमेरिकी डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुँच गया।
    • संयुक्त राज्य अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार और सबसे महत्त्वपूर्ण निर्यात बाज़ार है।
    • अमेरिका उन कुछ देशों में से एक है जिनके साथ भारत का व्यापार अधिशेष है। वर्ष 2021-22 में भारत का अमेरिका के साथ 32.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर का व्यापार अधिशेष था।
  • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग:

भारत-अमेरिका संबंधों की संबद्ध चुनौतियाँ:

  • टैरिफ अधिरोपण: वर्ष 2018 में अमेरिका ने कुछ स्टील उत्पादों पर 25% टैरिफ और भारत द्वारा कुछ एल्युमीनियम उत्पादों पर 10% टैरिफ लगाया गया था
    • भारत ने जून 2019 में अमेरिकी आयात पर लगभग 1.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर के 28 उत्पादों पर टैरिफ बढ़ाकर जवाबी कार्रवाई की।
      • हालाँकि धारा 232 टैरिफ लागू करने के बाद अमेरिका में स्टील निर्यात में साल-दर-साल 46% की गिरावट आई है।
  • आत्मनिर्भरता को संरक्षणवाद के रूप में गलत समझना: आत्मनिर्भर भारत अभियान ने इस विचार को और बढ़ावा दिया है कि भारत तेज़ी से एक संरक्षणवादी बंद बाज़ार अर्थव्यवस्था बनता जा रहा है।
  • अमेरिका की वरीयता की सामान्यीकृत प्रणाली (GSP) से छूट: अमेरिका ने GSP कार्यक्रम के तहत जून 2019 से प्रभावी, भारतीय निर्यातकों से शुल्क मुक्त निर्यात के प्रावधान को वापस ले लिया।
    • परिणामस्वरूप अमेरिका को 5.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर के निर्यात पर विशेष शुल्क उपचार को हटा दिया गया, जिससे भारत के निर्यात-उन्मुख क्षेत्र जैसे- फार्मास्यूटिकल्स, कपड़ा, कृषि उत्पाद और ऑटोमोटिव पार्ट्स आदि क्षेत्र प्रभावित हुए।
  • अन्य देशों के प्रति अमेरिका की शत्रुता:
    • भारत और अमेरिका के बीच कुछ मतभेद भारत-अमेरिका संबंधों के प्रत्यक्ष परिणाम नहीं हैं, बल्कि भारत के पारंपरिक सहयोगी ईरान और रूस जैसे तीसरे दुनिया के देशों के प्रति अमेरिका की शत्रुता के कारण हैं।
    • भारत-अमेरिका संबंधों को चुनौती देने वाले अन्य मुद्दों में ईरान के साथ भारत के संबंध और रूस से भारत द्वारा S-400 की खरीद शामिल है।
    • अमेरिका द्वारा भारत को रूस से दूर करने के आह्वान का दक्षिण एशिया की यथास्थिति पर दूरगामी परिणाम हो सकता है।
  • अफगानिस्तान में अमेरिका की नीति:
    • भारत अफगानिस्तान में अमेरिका की नीति को लेकर भी चिंतित है क्योंकि यह इस क्षेत्र में भारत की सुरक्षा और हितों के लिये ज़ोखिम पैदा कर रहा है।

आगे की राह

  • अद्वितीय जनसांख्यिकीय लाभांश अमेरिकी और भारतीय कंपनियों के लिये प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, निर्माण, व्यापार एवं निवेश के लिये बड़े अवसर प्रदान करता है।
  • भारत अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली में एक अग्रणी अभिकर्त्ता के रूप में उभर रहा है जो साथ में अभूतपूर्व परिवर्तन के दौर से गुज़र रहा है। यह अपने महत्त्वपूर्ण हितों को और आगे बढ़ाने के अवसरों का पता लगाने के लिये अपनी वर्तमान स्थिति का उपयोग करेगा।
  • भारत और अमेरिका आज सच्चे अर्थों में रणनीतिक साझेदार हैं - परिपक्व प्रमुख शक्तियों के बीच एक ऐसी साझेदारी जो पूर्ण समानता की मांग नहीं कर रही है बल्कि एक निरंतर संवाद सुनिश्चित करके मतभेदों को प्रबंधित कर रही है तथा इन मतभेदों को नए अवसरों के निर्माण में शामिल भी कर रही है।
  • यूक्रेन संकट के परिणामस्वरूप चीन के साथ रूस का बढ़ा हुआ संरेखण केवल रूस पर भरोसा करने की भारत की क्षमता को जटिल बनाता है क्योंकि यह चीन को संतुलित करता है। अतः अन्य सुरक्षा क्षेत्रों में सहयोग जारी रखना दोनों देशों के हित में है।
  • चीनी सेना की बढ़ती अंतरिक्ष क्षमताओं पर साझा चिंता के कारण अंतरिक्ष शासन अमेरिका और भारत के बीच द्विपक्षीय संबंधों में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा वर्ष वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. भारत और संयुक्त राष्ट्र के बीच संबंधों में खटास का कारण वाशिंगटन का अपनी वैश्विक रणनीति में अभी तक भी भारत के लिये किसी ऐसे स्थान की खोज करने में विफलता है, जो भारत के आत्म-समादर और महत्त्वाकांक्षा को संतुष्ट कर सके। उपयुक्त उदाहरणों के साथ स्पष्ट कीजिये। (2019)

स्रोत: पी.आई.बी.


अंतर्राष्ट्रीय संबंध

19वाँ आसियान-भारत शिखर सम्मेलन

प्रिलिम्स के लिये:

आसियान, एक्ट ईस्ट पॉलिसी, इंडो-पैसिफिक पर आसियान आउटलुक 

मेन्स के लिये:

भारत के लिये आसियान का महत्त्व, भारत-आसियान सहयोग के क्षेत्र 

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में भारत के उपराष्ट्रपति ने नोम पेन्ह, कंबोडिया में 19वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन में भाग लिया। 

प्रमुख बिंदु 

  • एक्ट ईस्ट नीति: 
    • भारत ने प्राचीन काल से भारत और दक्षिण-पूर्व एशिया के बीच मौजूद गहरे सांस्कृतिक, आर्थिक एवं सभ्यतागत संबंधों की सराहना की तथा कहा कि भारत-आसियान संबंध भारत की एक्ट- ईस्ट नीति का केंद्रीय स्तंभ है। 
    • भारत ने इंडो-पैसिफिक में आसियान (ASEAN) की केंद्रीयता के प्रति अपना समर्थन दोहराया है 
  • व्यापक रणनीतिक साझेदारी: 
    • आसियान और भारत ने मौजूदा रणनीतिक साझेदारी को व्यापक रणनीतिक साझेदारी में बदलने की घोषणा करते हुए एक संयुक्त बयान को अपनाया। 
    • इसने समुद्री गतिविधियों, आतंकवाद का मुकाबला, साइबर सुरक्षा, डिजिटल अर्थव्यवस्था, पर्यावरण, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पर्यटन जैसे विभिन्न क्षेत्रों में भारत-आसियान सहयोग बढ़ाने की प्रतिबद्धता दोहराई। 
    • यह आसियान-भारत वस्तु व्यापार समझौते (AITIGA) की समीक्षा में तेज़ी लाने का प्रस्ताव करता है ताकि इसे अधिक उपयोगकर्त्ता-अनुकूल, सरल और व्यापार की दृष्टि से सुविधाजनक बनाया जा सके। 
  • शांति और सुरक्षा: 
    • दोनों पक्षों ने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में शांति, स्थिरता, समुद्री रक्षा और सुरक्षा, नेविगेशन की स्वतंत्रता को बनाए रखने व बढ़ावा देने के महत्त्व की पुष्टि की। 
  • संवाद और समन्वय को मज़बूत करना: 
    • "आसियान-केंद्रीयता" को बनाए रखने के हिस्से के रूप में दोनों पक्षों ने आसियान-भारत शिखर सम्मेलन, पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन, भारत के साथ मंत्रिस्तरीय सम्मेलन (PMC+1), आसियान क्षेत्रीय मंच (ARF), आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक-प्लस (ADMM-Plus), विस्तारित आसियान समुद्री मंच (EAMF) सहित आसियान के नेतृत्व वाले तंत्रों के माध्यम से बातचीत और समन्वय को मज़बूती प्रदान करने के महत्त्व की पुष्टि की। 

दक्षिण-पूर्व एशियाई राष्ट्र संघ: 

  • परिचय:  
    • यह एक क्षेत्रीय समूह है जो आर्थिक, राजनीतिक और सुरक्षा सहयोग को बढ़ावा देता है। 
    • इसकी स्थापना अगस्त 1967 में बैंकॉक, थाईलैंड में आसियान के संस्थापकों अर्थात् इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर एवं थाईलैंड द्वारा आसियान घोषणा (बैंकॉक घोषणा) पर हस्ताक्षर के साथ की गई थी।  
    • इसके सदस्य राष्ट्रों द्वारा अंग्रेज़ी नामों के वर्णानुक्रम के आधार पर इसकी अध्यक्षता वार्षिक रूप से की जाती है।   
    • आसियान देशों की कुल आबादी 650 मिलियन है और इनका कुल संयुक्त सकल घरेलू उत्पाद (GDP) 2.8 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर है।    
  • सदस्य:  
    • आसियान दस दक्षिण पूर्व एशियाई देशों- ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्याँमार, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम को एक साथ लाता है।  

Asian-Grouping

आसियान-भारत संबंध:  

  • परिचय:  
    • आसियान को दक्षिण-पूर्व एशिया में सबसे प्रभावशाली समूहों में से एक माना जाता है।  
    • भारत और अमेरिका, चीन, जापान ऑस्ट्रेलिया सहित कई अन्य देश इसके संवाद भागीदार हैं।  
    • आसियान-भारत संवाद संबंध 1992 में एक क्षेत्रीय साझेदारी की स्थापना के साथ शुरू हुए।  
    • यह दिसंबर 1995 में पूर्ण संवाद साझेदारी और 2002 में शिखर-स्तरीय साझेदारी की ओर अग्रसरा हुआ।  
    • परंपरागत रूप से भारत-आसियान संबंधों का आधार साझा ऐतिहासिक और सांस्कृतिक मूल्यों के चलते व्यापार एवं लोगों से लोगों के बीच संबंध रहा है, हालिया क्षेत्रों का अभिसरण का एक और ज़रूरी क्षेत्र चीन के उदय को संतुलित कर रहा है।  
      • भारत और आसियान दोनों का लक्ष्य चीन की आक्रामक नीतियों के आलोक में इस क्षेत्र में शांतिपूर्ण विकास के लिये एक नियम-आधारित सुरक्षा ढांँचा स्थापित करना है। 
  • सहयोग के क्षेत्र: 
    • आर्थिक सहयोग:  
      • आसियान भारत का चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है।  
      • भारत ने आसियान के साथ वर्ष 2009 में वस्तु क्षेत्र में मुक्त व्यापार समझौता और वर्ष 2014 में  सेवाओं व निवेश में मुक्त व्यापार समझौता पर हस्ताक्षर किये।   
        • FTA के लागू होने के बाद से इनके बीच व्यापार लगभग दोगुना होकर वर्ष 2019-20 में 87 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक हो गया और फिर वर्ष 2020-21 में महामारी से प्रेरित मंदी के कारण घटकर 79 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया।  
      • भारत का आसियान क्षेत्र के विभिन्न देशों के साथ एक व्यापक आर्थिक सहयोग समझौता  है, जिसके परिणामस्वरूप रियायती व्यापार और निवेश में वृद्धि हुई है।  
      • अप्रैल 2021 से फरवरी 2022 की अवधि में भारत और आसियान क्षेत्र के बीच वस्तु व्यापार 98.39 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया। 
      • भारत के मुख्य व्यापारिक संबंध इंडोनेशिया, सिंगापुर, मलेशिया, वियतनाम और थाईलैंड के साथ हैं। 
    • राजनीतिक सहयोग: 
      • आसियान-भारत केंद्र (AIC) की स्थापना भारत और आसियान के बीच संगठनों एवं थिंक-टैंक के साथ नीति अनुसंधान तथा नेटवर्किंग गतिविधियों को करने के लिये की गई थी।   
    • वित्तीय सहायता: 
      • भारत, आसियान-भारत सहयोग कोष, आसियान-भारत विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विकास कोष और आसियान-भारत ग्रीन फंड जैसे विभिन्न तंत्रों के माध्यम से आसियान देशों को वित्तीय सहायता प्रदान करता है। 
    • कनेक्टिविटी: 
      • भारत, भारत-म्याँमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय (IMT) राजमार्ग और कलादान मल्टीमॉडल परियोजना जैसी कई कनेक्टिविटी परियोजनाओं पर काम कर रहा है। 
      • भारत, आसियान के साथ एक समुद्री परिवहन समझौता स्थापित करने का भी प्रयास कर रहा है और भारत में नई दिल्ली तथा वियतनाम में हनोई के बीच एक रेलवे लिंक स्थापित करने की भी योजना बना रहा है। 
    • सामाजिक-सांस्कृतिक सहयोग: 
      • आसियान द्वारा लोगों से लोगों के संपर्क को बढ़ावा देने के लिये कई कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं, जैसे कि आसियान देश के छात्रों को भारत में आमंत्रित करना, आसियान राजनयिकों के लिये विशेष प्रशिक्षण पाठ्यक्रम, सांसदों का आदान-प्रदान आदि। 
    • रक्षा सहयोग: 
      • संयुक्त नौसेना और सैन्य अभ्यास भारत और अधिकांश आसियान देशों के बीच आयोजित किये जाते हैं। 
        • पहला आसियान-भारत समुद्री अभ्यास वर्ष 2023 में आयोजित किया जाएगा। 
        • वाटरशेड 'सैन्य अभ्यास वर्ष 2016 में आयोजित किया गया। 
      • वियतनाम परंपरागत रूप से रक्षा मुद्दों पर घनिष्ठ मित्र रहा है, सिंगापुर भी इतना ही महत्त्वपूर्ण भागीदार है। 

भारत के लिये आसियान का महत्त्व: 

  • आर्थिक और सुरक्षा कारणों से भारत को आसियान देशों के साथ घनिष्ठ राजनयिक संबंध की आवश्यकता है। 
  • आसियान देशों के साथ कनेक्टिविटी भारत को इस क्षेत्र में अपनी उपस्थिति में सुधार करने में मदद कर सकती है। 
    • ये कनेक्टिविटी परियोजनाएँ पूर्वोत्तर भारत को केंद्र में रखती हैं, जिससे पूर्वोत्तर राज्यों का आर्थिक विकास सुनिश्चित होता है। 
  • आसियान देशों के साथ बेहतर व्यापार संबंध का अर्थ इस क्षेत्र में चीन की उपस्थिति का मुकाबला करने के साथ-साथ भारत की आर्थिक वृद्धि और विकास है 
  • चूँकि भारत का अधिकांश व्यापार समुद्री सुरक्षा पर निर्भर है, आसियान भारत-नियम-आधारित प्रशांत की सुरक्षा ढाँचे में एक महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है। 
  • पूर्वोत्तर में उग्रवाद का सामना करने, आतंकवाद का मुकाबला करने, कर चोरी आदि जैसे मामलों के लिये आसियान देशों के साथ सहयोग आवश्यक है। 

आगे की राह 

  • आसियान और भारत को व्पायार तथा निवेश संबंधों को सुदृढ़ करना चाहिये।  
  • आसियान के साथ भारत का व्यापार विश्व के साथ भारत के व्यापार की तुलना में तेज़ी से बढ़ा है। भारत, आसियान में महत्त्वपूर्ण गैर-टैरिफ बाधाओं का सामना कर रहा है जो आसियान के साथ इसके निर्यात को भी सीमित करता है। 
  • आसियान और भारत के बीच शृंखलाओंं में वर्तमान जुड़ाव पर्याप्त नहीं है। आसियान और भारत उभरते परिदृश्य का लाभ उठा सकते हैं तथा नई एवं लचीली आपूर्ति शृंखलाओंं के निर्माण के लिये एक-दूसरे का समर्थन कर सकते हैं। हालाँकि इस अवसर का पता लगाने के  लिये आसियान व भारत को अपने कौशल को उन्नत करना होगा, रसद (Logistic) सेवाओं में सुधार करना होगा और परिवहन बुनियादी ढाँचे को मजबूत करना होगा। 

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)    

प्रिलिम्स 

प्रश्न.निम्नलिखित देशों पर विचार कीजिये: (2018) 

  1. ऑस्ट्रेलिया
  2. कनाडा
  3. चीन
  4. भारत
  5. जापान
  6. अमेरिका

उपर्युक्त कथनों में से कौन से देश आसियान के 'मुक्त-व्यापार भागीदारों' में शामिल हैं? 

(a) केवल 1, 2, 4 और 5 
(b) केवल 3, 4, 5 और 6 
(c) केवल 1, 3, 4 और 5 
(d) केवल 2, 3, 4 और 6 

उत्तर: C 


प्रश्न. 'क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी' शब्द अक्सर देशों के एक समूह के मामलों के संदर्भ में समाचारों में दिखाई देने वाली वार्ता है जिसे निम्नलिखित में से किसके रूप में जाना जाता है (2016) 

(a) G-20 
(b) आसियान 
(c) शंघाई सहयोग संगठन 
(d) सार्क 

उत्तर: (B) 

व्याख्या: 

क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (RCEP) दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के संघ (ASEAN) के दस सदस्य देशों और पाँच देशों (ऑस्ट्रेलिया, चीन, जापान, दक्षिण कोरिया तथा न्यूज़ीलैंड) के बीच एक मुक्त व्यापार समझौता (FTA) है, जिसके साथ आसियान का मौजूदा एफटीए है।अत: विकल्प (b) सही उत्तर है। 


प्रश्न. मेकांग-गंगा सहयोग, छह देशों की एक पहल है, में निम्नलिखित में से कौन-सा भागीदार/प्रतिभागी नहीं है? (2015) 

  1. बांग्लादेश 
  2. कंबोडिया 
  3. चीन 
  4. म्याँमार 
  5. थाईलैंड 

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर का चयन कीजिये: 

(a) केवल 1 
(b) केवल 2, 3 और 4 
(c) केवल 1 और 3 
(d) केवल 1, 2 और 5 

उत्तर: (C) 


मेंस: 

प्रश्न: शीत युद्ध के बाद के अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य के संदर्भ में भारत की लुक ईस्ट नीति (पूर्व की ओर देखो नीति)  के आर्थिक और रणनीतिक आयामों का मूल्यांकन कीजिये। (2016)

स्रोत: द हिंदू 


कृषि

अवैध, गैर-सूचित और अविनियमित (IUU) मत्स्यन में वृद्धि

प्रिलिम्स के लिये:

विशेष आर्थिक क्षेत्र, प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना 

मेन्स के लिये:

भारत का मत्स्य क्षेत्र और संबंधित पहल 

चर्चा में क्यों: 

इस वर्ष की पहली छमाही के दौरान भारतीय नौसेना के जहाज़ों ने विशेष आर्थिक क्षेत्र (EEZ) से परे अवैध, गैर-सूचित और अविनियमित (IUU) मत्स्यन घटनाओं के बावजूद हिंद महासागर में चीन के 200 से अधिक मछली पकड़ने वाले जहाज़ों को देखा    

  • ऐसी अधिकांश अवैध गतिविधियाँ उत्तरी हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में होती हैं।। 
  • प्रत्येक वर्ष  5 जून को अवैध, गैर-सूचित और अविनियमित (IUU) मत्स्यन घटनाओं के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाया जाता है। 

अवैध, गैर-सूचित और अविनियमित (IUU) मत्स्यन घटनाएँ: 

  • IUU मत्स्यन, मत्स्यन गतिविधियों की विस्तृत विविधता को दर्शाने वाला व्यापक शब्द है। 
  • IUU, मत्स्यन के सभी प्रकार और आयामों से संबंधित है; इसे गहन समुद्रों और राष्ट्रीय अधिकार क्षेत्र दोनों ही क्षेत्रों में देखा जाता है। 
  • यह मछली पकड़ने और इसके उपयोग के सभी पहलुओं और चरणों से संबंधित है, और यह कभी-कभी संगठित अपराध से जुड़ा हो सकता है। 
  • इस प्रकार का मत्स्यन, मछलियों के संरक्षण और प्रबंधन के लिये किये जाने वाले राष्ट्रीय और क्षेत्रीय प्रयासों में बाधक है इसके परिणामस्वरूप, दीर्घकालिक स्थिरता और उत्तरदायित्व के लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में प्रगति भी शिथिल होती है  

भारत के मत्स्य पालन क्षेत्र की स्थिति: 

  • भारतीय परिदृश्य: 
    • भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मत्स्य उत्पादक देश है, जिसका वैश्विक उत्पादन में 7.56% हिस्सा है और देश के सकल मूल्य वर्धित (GVA) में लगभग 1.24% और कृषि GVA में 7.28% से अधिक का योगदान है। 
    • भारत का लक्ष्य वर्ष 2024-25 तक 22 मिलियन मीट्रिक टन मत्स्य उत्पादन का लक्ष्य हासिल करना है। 
    • इस क्षेत्र को 14.5 मिलियन लोगों को रोज़गार प्रदान करने और देश के 28 मिलियन मछुआरा समुदाय के लिये सतत् आजीविका प्रदान करने  वाले एक मज़बूत चालक के रूप में माना गया है। 
    • विगत कुछ वर्षों में मत्स्य पालन क्षेत्र में तीन प्रमुख परिवर्तन हुए हैं: 
      • अंतर्देशीय जलीय कृषि का विकास, विशेष रूप से फ्रेशवाटर एक्वाकल्चर। 
      • मछली पकड़ने के कार्य का मशीनीकरण। 
      • लवणीय जल के झींगा जलीय कृषि की सफल शुरुआत। 
  • संबंधित पहल: 
    • मात्स्यिकी बंदरगाह: 
      • आर्थिक गतिविधि के केंद्र के रूप में पाँच प्रमुख मात्स्यिकी बंदरगाहों (कोच्चि, चेन्नई, विशाखापत्तनम, पारादीप, पेटुआघाट) का विकास। 
    • समुद्री शैवाल पार्क: 
      • तमिलनाडु को गुणवत्ता वाले समुद्री शैवाल आधारित उत्पादों के उत्पादन के लिये बहुउद्देशीय समुद्री शैवाल पार्क को केंद्र बनाया  जाएगा  जिसे हब और स्पोक मॉडल पर विकसित किया जाएगा। 
    • प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना: 
      • यह 15 लाख मछुआरों, मत्स्यन करने वाले किसानों आदि के लिये प्रत्यक्ष रोज़गार पैदा करने का प्रयास करता है जिसमे से इस संख्या का लगभग तीन गुना अप्रत्यक्ष रोगार के अवसरों के रूप में है। 
      • इसका उद्देश्य वर्ष 2024 तक मछुआरों, मछली पालन करने वाले किसानों और मछली श्रमिकों की आय को दोगुना करना है। 
    • ‘पाक बे’ योजना (Palk Bay Scheme) 
      • "पाक जलडमरूमध्य से गहरे समुद्र में मछली पकड़ने वाली नौकाओं में ट्रॉल मछली पकड़ने वाली नौकाओं का विविधीकरण" योजना 2017 में एक केंद्रीय प्रायोजित योजना के रूप में शुरू की गई थी। 
      • इसे अम्ब्रेला ब्लू रिवोल्यूशन स्कीम के हिस्से के रूप में प्रस्तुत किया गया था। 
  • समुद्री मत्स्य पालन विधेयक, 2021: 
    • विधेयक में मर्चेंट शिपिंग अधिनियम, 1958 के तहत पंजीकृत जहाज़ों को विशेष आर्थिक क्षेत्र (EEZ) में मछली पकड़ने के लिये केवल लाइसेंस देने का प्रस्ताव है। 

अवैध खनन के मुद्दे से निपटने के लिये क्या पहल:-

  • इंडो-पैसिफिक मैरीटाइम डोमेन अवेयरनेस (IPMDA): 
    • मई 2022 में, IUU मछली पकड़ने के प्रभाव को पहचानते हुए, जिससे समुद्री पारिस्थितिकी को प्रभावित करने वाली मछली के भंडार में कमी आ सकती है, क्वाड (QUAD) के सदस्यों ने इंडो-पैसिफिक मैरीटाइम डोमेन अवेयरनेस (IPMDA) के दायरे में एक प्रमुख क्षेत्रीय प्रयास की घोषणा की।  
    • इसका उद्देश्य इस क्षेत्र में "निकट-वास्तविक समय/नियर रियल टाइम" गतिविधियों की अधिक सटीक समुद्री तस्वीर प्रदान करना है। 
    • यह (IPMDA) हिंद-प्रशांत क्षेत्र में IUU को संबोधित करने की दिशा में भारत और अन्य क्वाड भागीदारों के संयुक्त प्रयासों को उत्प्रेरित करने की उम्मीद है। 
  • IFC-IOR: 
    • गुरुग्राम में भारतीय नौसेना कसूचना प्रबंधन और विश्लेषण केंद्र (IMAC) और इसके साथ स्थित सूचना संलयन केंद्र-हिंद महासागर क्षेत्र (IFC-IOR) उच्च समुद्र में सभी जहाज़ों की गतिविधियों की निगरानी करता है। 
    • (IFC-IOR) समुद्री सुरक्षा और सुरक्षा बढ़ाने के लिये दुनिया भर के अन्य क्षेत्रीय निगरानी केंद्रों के साथ सहयोग कर रहा है, जिसमें IUU की निगरानी के प्रयास भी शामिल हैं। 
  • UNCLOS: 
    •  सामुद्रिक कानून पर संयुक्त राष्ट्र अभिसमय  (UNCLOS) के अनुसार, तटीय राष्ट्र अपने संबंधित EEZ के भीतर IUU मछली पकड़ने के मुद्दों को संबोधित करने के लिये ज़िम्मेदार हैं। 
    • UNCLOS के तहत क्षेत्रीय मत्स्य प्रबंधन संगठन जैसे कि हिंद महासागर टूना आयोग और दक्षिणी हिंद महासागर मत्स्य समझौता उच्च समुद्र पर IUU मत्स्यन की निगरानी करते हैं। 
  • केप टाउन समझौता: 
    • वर्ष 2012 का केप टाउन समझौता एक अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बाध्यकारी समझौता है जो 24 मीटर लंबाई और उससे अधिक या सकल टन में समतुल्य मत्स्यन जहाज़ों के डिज़ाइन, निर्माण, उपकरण एवं निरीक्षण पर न्यूनतम आवश्यकताओं को निर्धारित करता है। 
      • भारत इस समझौते का हस्ताक्षरकर्त्ता नहीं है। 
  • एग्रीमेंट ओन पोर्ट्स स्टेट मेज़र्स: 
    • इस समझौते का उद्देश्य प्रभावी पोर्ट्स स्टेट मेज़र्स के कार्यान्वयन के माध्यम से IUU मत्स्यन को रोकना, बचाना और उन्मूलन करना है और इस प्रकार समुद्री संसाधनों और समुद्री पारिस्थितिक तंत्र के दीर्घकालिक संरक्षण और टिकाऊ उपयोग को सुनिश्चित करना है। 
      • भारत इस समझौते का हस्ताक्षरकर्त्ता नहीं है। 
  • अंतर्राष्ट्रीय IUU मत्स्यन रोकथाम अंतर्राष्ट्रीय दिवस: 
    • संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) ने नवंबर 2017 में अपने 72वें सत्र में IUU मत्स्यन के खिलाफ लड़ाई के लिये 5 जून को अंतर्राष्ट्रीय दिवस घोषित किया। 

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा पिछले वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रश्न. नीली क्रांति को परिभाषित करते हुए, भारत में मत्स्य पान के विकास के लिये समस्याओं और रणनीतियों की व्याख्या कीजिये। (मुख्य परीक्षा, 2018) 

स्रोत: द हिंदू


जैव विविधता और पर्यावरण

मीथेन अलर्ट एंड रिस्पांस सिस्टम

प्रिलिम्स के लिये:

मीथेन अलर्ट एंड रिस्पांस सिस्टम, COP, जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन, मीथेन गैस, संबंधित पहलें 

मेन्स के लिये:

मीथेन उत्सर्जन, मीथेन गैस में कटौती के लिये वैश्विक और राष्ट्रीय पहल 

चर्चा में क्यों: 

हाल ही में संयुक्त राष्ट्र (UN) ने मीथेन उत्सर्जन पर नज़र रखने और सरकारों एवं निगमों को प्रतिक्रिया देने हेतु सतर्क करने के लिये एक उपग्रह-आधारित निगरानी प्रणाली "MARS: मीथेन अलर्ट एंड रिस्पांस सिस्टम" स्थापित करने का निर्णय लिया है। 

  • MARS पहल का उद्देश्य मीथेन उत्सर्जन में कटौती के प्रयासों को सुदृढ़ करना है। 

मीथेन अलर्ट एंड रिस्पांस सिस्टम (MARS): 

  • परिचय: 
    • MARS को मिस्र के शर्म अल-शेख में जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन के पक्षकारों के 27वें सम्मेलन (COP27) में लॉन्च किया गया था। 
    • डेटा-टू-एक्शन प्लेटफ़ॉर्म को संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) के अंतर्राष्ट्रीय मीथेन उत्सर्जन वेधशाला (IMEO) रणनीति के हिस्से के रूप में स्थापित किया गया था ताकि नीति-प्रासंगिक डेटा को उत्सर्जन शमन के लिये आवश्यक कदम उठाये जा सके 
    • यह प्रणाली सार्वजनिक रूप से उपलब्ध पहली वैश्विक प्रणाली होगी जो मीथेन के डेटा को अधिसूचना प्रक्रियाओं से पारदर्शी रूप से जोड़ेगी। 
  • उद्देश्य: 
    • MARS बड़ी मात्रा में मौजूदा और भविष्य के उपग्रहों से डेटा को एकीकृत करेगा, जो दुनिया में कहीं भी मीथेन उत्सर्जन की घटनाओं का पता लगाने की क्षमता रखता है, और संबंधित हितधारकों को इस पर कार्रवाई करने के लिये सूचनाएँ भेजता है। 
    • MARS मुख्य रूप से जीवाश्म ईंधन उद्योग में बड़े उत्सर्जन स्रोतों का पता लगाएगा, लेकिन रियल टाइम कोयला, अपशिष्ट, पशुधन और चावल के खेतों से भी उत्सर्जन का पता लगाने में सक्षम होगा। 

मीथेन उत्सर्जन में कटौती करने की आवश्यकता क्यों?

  • मीथेन के विषय में: 
    • मीथेन एक रंगहीन और गंधहीन गैस है जो प्रकृति में बहुतायत में और कुछ मानवीय गतिविधियों के उत्पाद के रूप में होती है।  
    • ीथेन हाइड्रोकार्बन की पैराफिन शृंखला का सबसे सरल सदस्य है और प्रबल ग्रीनहाउस गैसों में में से एक है। 
  • मीथेन से संबंधित चिंताएँ 
    • छह मुख्य ग्रीनहाउस गैसों में दूसरी सबसे अधिक प्रचलित गैस होने के बावजूद, मीथेन में कार्बन डाइऑक्साइड की तुलना में ग्रह को गर्म करने की बहुत अधिक क्षमता है। 
    • वर्तमान वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के लगभग 17% के लिये ज़िम्मेदार, मीथेन को पूर्व-औद्योगिक समय से कम से कम 25% - 30% तापमान वृद्धि के लिये उत्तरदायी ठहराया जाता है। 
    • यह कार्बन डाइऑक्साइड की तुलना में मानव-प्रेरित ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का एक छोटा सा हिस्सा है। लेकिन इसके निष्कासन के बाद 20 वर्षों में वायुमंडल में तापमान बढ़ाने की क्षमता कार्बन डाइऑक्साइड की तुलना में 80 गुना अधिक होती है। 
    • कार्बन डाइऑक्साइड की तुलना में मानव-प्रेरित ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का एक छोटा सा हिस्सा है। लेकिन उत्सर्जन के बाद 20 वर्षों में वायुमंडलीय गर्मी को उत्सर्जित करने में कार्बन डाइऑक्साइड की तुलना में 80 गुना अधिक कुशल माना जाता है।  

मीथेन उत्सर्जन में कटौती के लिये पहल:

  • वैश्विक: 
    • वैश्विक मीथेन प्रतिज्ञा: 
      • वर्ष 2021 में ग्लासगो जलवायु सम्मेलन (UNFCCC COP 26) में, लगभग 100 देश एक स्वैच्छिक प्रतिज्ञा में एक साथ आए थे, जिसे ग्लोबल मीथेन  के रूप में जाना जाता है, वर्ष 2020 के स्तर से 2030 तक मीथेन उत्सर्जन में कम से कम 30% की कटौती करने के लिये आयोजित किया गयातब से इस पहल में अधिक देश शामिल हुए हैं, जिससे कुल संख्या लगभग 130 हो गई है।  
      • वर्ष 2030 तक मीथेन उत्सर्जन में 30% की कमी के परिणामस्वरूप वर्ष 2050 तक तापमान में 0.2 डिग्री की वृद्धि से बचने की उम्मीद है, और तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस लक्ष्य से नीचे रखने के वैश्विक प्रयासों में बिल्कुल आवश्यक माना जाता है। 
    • ग्लोबल मीथेन पहल (GMI): 
      • यह एक अंतरराष्ट्रीय सार्वजनिक-निजी भागीदारी है जो स्वच्छ ऊर्जा स्रोत के रूप में मीथेन की वसूली और उपयोग के लिए बाधाओं को कम करने पर केंद्रित है। 
      • GMI दुनिया भर में मीथेन-टू-एनर्जी परियोजनाओं को बढ़ावा देने के लिये तकनीकी सहायता प्रदान करता है जो भागीदार देशों को मीथेन रिकवरी शुरू करने और परियोजनाओं का उपयोग करने में सक्षम बनाता है। 
      • भारत इसमें एक भागीदार देश है। 
  • राष्ट्रीय: 
    • 'हरित धारा' (HD): 
      • भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने एंटी-मिथेनोजज़ेनिक फीड सप्लीमेंट 'हरित धारा' विकसित किया है, जो मवेशी मीथेन उत्सर्जन को 17-20% तक कम कर सकता है और इसके परिणामस्वरूप उच्च दूध उत्पादन भी हो सकता है।। 
    • भारत ग्रीनहाउस गैस कार्यक्रम: 
      • विश्व संसाधन संस्थान (WRI) भारत (गैर-लाभकारी संगठन), भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) और ऊर्जा और संसाधन संस्थान (TERI) के नेतृत्व में भारत GHG कार्यक्रम ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को मापने और प्रबंधित करने के लिये उद्योग के नेतृत्व वाला स्वैच्छिक ढाँचा है।  
      • कार्यक्रम उत्सर्जन को कम करने और भारत में अधिक लाभदायक, प्रतिस्पर्द्धी और टिकाऊ व्यवसायों एवं संगठनों को चलाने के लिये व्यापक माप तथा प्रबंधन रणनीतियों का निर्माण करता है। 
    • जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना (NAPCC):  
      • NAPCC को वर्ष 2008 में लॉन्च किया गया था जिसका उद्देश्य जनता के प्रतिनिधियों, सरकार की विभिन्न एजेंसियों, वैज्ञानिकों, उद्योग और समुदायों के बीच जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न खतरे और इसका मुकाबला करने के लिये जागरूकता पैदा करना है। 

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

्रश्न. ‘मीथेन हाइड्रेट’ के निक्षेपों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-से सही हैं? 

  1. भूमंडलीय तापन के कारण इन निक्षेपों से मीथेन गैस का निर्मुक्त होना प्रेरित हो सकता है 
  2. ‘मीथेन हाइड्रेट’ के विशाल निक्षेप उत्तरी ध्रुवीय टुंड्रा में तथा समुद्र अधस्तल के नीचे पाए जाते हैं। 
  3. वायुमंडल में मीथेन एक या दो दशक के बाद कार्बन डाइऑक्साइड में ऑक्सीकृत हो जाती है। 

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: 

केवल 1 और 2 
(b) केवल 2 और 3 
(c) केवल 1 और 3 
(d) 1, 2 और 3 

उत्तर: (d) 

व्याख्या: 

  • ‘मीथेन हाइड्रेट’ बर्फ की एक जालीनुमा पिंजड़े जैसी संरचना है, जिसमें मीथेन अणु बंद होते हैं। यह एक प्रकार की "बर्फ" है जो केवल स्वाभाविक रूप से उपसतह में जमा होती है जहाँ तापमान और दबाव की स्थिति इसके गठन के लिये अनुकूल होती है। 
  • आर्कटिक पर्माफ्रॉस्ट के नीचे मीथेन हाइड्रेट और तलछटी चट्टानी इकाइयों के निर्माण और स्थिरता के लिये उपयुक्त तापमान एवं दबाव की स्थिति वाले क्षेत्रों में महाद्वीपीय सीमान्त साथ तलछट जमाव; अंतर्देशीय झीलों और समुद्रों के गहरे पानी के तलछट और अंटार्कटिक बर्फ आदि शामिल है। अत: कथन 2 सही है। 
  • मीथेन हाइड्रेट्स जो एक संवेदनशील तलछट है, तापमान में वृद्धि या दबाव में कमी के साथ तेज़ी से पृथक हो सकते हैं। इस पृथक्करण से मुक्त मीथेन और पानी को प्राप्त किया जाता है जिसे ग्लोबल वार्मिंग के द्वारा रोका जा सकता है। अत: कथन 1 सही है। 
  • मीथेन वायुमंडल से लगभग 9 से 12 वर्ष की अवधि में ऑक्सीकृत हो जाती है जहाँ यह कार्बन डाइऑक्साइड में परिवर्तित होती है। अत: कथन 3 सही है। 

अतः विकल्प (d) सही है।


Q. निम्न पर विचार कीजिये : (2019)

  1. कार्बन मोनोआक्साइड 
  2. मीथेन 
  3. ज़ो 
  4. सल्फर डाइऑक्साइड 

उपर्युक्त में से कौन फसल/बायोमास अवशेषों को जलाने के कारण वातावरण में उत्सर्जित होते हैं?   

(a) केवल 1 और 2  
(b) केवल 2, 3 और 4  
(c) केवल 1 और 4  
(d) 1, 2, 3 और 4 

उत्तर: (d) 

व्याख्या: 

  • बायोमास कार्बनिक पदार्थ है जो पौधों और जानवरों से प्राप्त होता है। यह ऊर्जा का एक नवीकरणीय स्रोत है।  
  • बायोमास में सूर्य से संग्रहीत ऊर्जा होती है। पौधे, सूर्य की ऊर्जा को प्रकाश संश्लेषण नामक प्रक्रिया द्वारा अवशोषित करते हैं। जब इस बायोमास को जलाया जाता है तो बायोमास की रासायनिक ऊर्जा ऊष्मा के रूप में निकलती है।  
  • फसल अवशेष और बायोमास जलाने (दावानल) को कार्बन डाइऑक्साइड (CO2), कार्बन मोनोऑक्साइड (CO), मीथेन (CH4), वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों (VOC), और नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOX) का एक प्रमुख स्रोत माना जाता है। धान की फसल के अवशेषों को जलाने से वातावरण में सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मैटर, SO2, NO2 और O3 उत्सर्जित  

अतः  विकल्प (d) सही उत्तर है।


मेन्स:

Q. नवंबर, 2021 में ग्लासगो में विश्व के नेताओं के शिखर सम्मेलन में COP26 संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में, आरंभ की गई हरित ग्रिड पहल का प्रयोजन स्पष्ट कीजिये। अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) में यह विचार पहली बार कब दिया गया था?  (2021)

Q. संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क सम्मेलन (UNFCCC) के सी..पी के 26वें सत्र के प्रमुख परिणामों का वर्णन कीजिये। इस सम्मेलन में भारत द्वारा की गई प्रतिबद्धताएं क्या हैं? (2021)

स्रोत:इंडियन एक्सप्रेस 


भारतीय इतिहास

जवाहरलाल नेहरू

प्रिलिम्स के लिये:

होम रूल लीग, भारतीय रास्ट्रीय कॉन्ग्रेस, भारत छोड़ो आंदोलन। 

मेन्स के लिये:

राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम में जवाहरलाल नेहरू का महत्त्व और योगदान। 

चर्चा में क्यों? 

पंडित जवाहरलाल नेहरू की 133वीं जयंती के उपलक्ष्य में भारत 14 नवंबर, 2022 को बाल दिवस मना रहा है। 

जवाहरलाल नेहरू: 

  • परिचय: 
    • जन्म: 14 नवंबर, 1889 को इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश में। 
    • पिता का नाम: मोतीलाल नेहरू (एक वकील जो दो बार अध्यक्ष के रूप में भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस के पद पर रहे) 
    • माता का नाम: स्वरूप रानी 
  • संक्षिप्त परिचय:  
    • लेखक, राजनेता, सामाजिक कार्यकर्त्ता और वकील, जो भारत के ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के प्रमुख चेहरे के रूप में उभरे। 
  • शिक्षा: 
    • नेहरू ने 16 वर्ष की आयु तक अंग्रेज़ी शिक्षिका और ट्यूटर्स द्वारा घर पर शिक्षा प्राप्त की। 
    • उन्होंने वर्ष 1905 में एक प्रतिष्ठित अंग्रेज़ी स्कूल हैरो में दाखिला लिया, जहाँ उन्होंने दो साल पढ़ाई की 
    • नेहरू कैम्ब्रिज़ के ट्रिनिटी कॉलेज में तीन साल पढ़ाई की हैं जहाँ उन्होंने प्राकृतिक विज्ञान में डिग्री हासिल की है। 
    • उन्होंने इनर टेम्पल, लंदन से बैरिस्टर की डिग्री प्राप्त की। 
  • स्वदेश वपसी:  
    • वर्ष 1912 में जब वे भारत लौटे तो उन्होंने तुरंत राजनीति में भाग लिया 
  • भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान: 
    • नेहरू ने वर्ष 1912 में बांकीपुर कॉन्ग्रेस में एक प्रतिनिधि के रूप में भाग लिया। 
    • वर्ष 1916 में वे एनी बेसेंट की होम रूल लीग में शामिल हो गए। 
      • वे वर्ष 1919 में होम रूल लीग, इलाहाबाद के सचिव बने। 
    • वर्ष 1920 में जब असहयोग आंदोलन शुरू हुआ तो उन्होंने महात्मा गांधी के साथ बातचीत की और राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हो गए। 
    • वर्ष 1921 में उन्हें सरकार विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के संदेह में हिरासत में लिया गया था। 
    • नेहरू को सितंबर 1923 में अखिल भारतीय कॉन्ग्रेस कमेटी के महासचिव के रूप में नियुक्त किया गया था। 
    • वर्ष 1927  तक उन्होंने दो बार कॉन्ग्रेस पार्टी के महासचिव के रूप में कार्य किया। 
    • वर्ष 1928 में लखनऊ में साइमन कमीशन के विरोध में नेहरू पर लाठीचार्ज किया गया था। 
    • वर्ष 1929 में नेहरू को भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस के लाहौर अधिवेशन के अध्यक्ष के रूप में चुना गया था। 
      • नेहरू ने इस अधिवेशन में भारत की पूर्ण स्वतंत्रता की वकालत की। 
    • वर्ष 1929-31 में उन्होंने मौलिक अधिकार और आर्थिक नीति नामक एक प्रस्ताव का मसौदा तैयार किया जिसमें कॉन्ग्रेस के मुख्य लक्ष्यों और देश के भविष्य को रेखांकित किया गया।   
      • वर्ष 1931 में कराची अधिवेशन के दौरान कॉन्ग्रेस पार्टी द्वारा इस प्रस्ताव की पुष्टि की गई, जिसकी अध्यक्षता सरदार वल्लभभाई पटेल ने की थी। 
    • उन्होंने वर्ष 1930 में नमक सत्याग्रह में भाग लिया और उन्हें जेल में बंद कर दिया गया था 
    • नेहरू कॉन्ग्रेस के प्रमुख नेता बन गए और महात्मा गांधी के समान लोकप्रिय हुए 
    • वर्ष 1936 में उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस के लखनऊ अधिवेशन की अध्यक्षता की। 
    • युद्ध में भारत की जबरन भागीदारी का विरोध करने के लिये व्यक्तिगत सत्याग्रह आयोजित करने के कारण नेहरू को गिरफ्तार किया गया था। 
    • उन्होंने वर्ष 1940 में सविनय अवज्ञा आंदोलन में भाग लिया जिसके लिये उन्हें चार साल की जेल की सजा मिली। 
    • नेहरू ने वर्ष 1942 में बॉम्बे में अखिल भारतीय कॉन्ग्रेस कमेटी  के ऐतिहासिक अधिवेशन में 'भारत छोड़ो' आंदोलन की शुरुआत की। 
    • अन्य नेताओं के साथ नेहरू को 8 अगस्त, 1942 को गिरफ्तार कर लिया गया और अहमदनगर किले में ले जाया गया। 
    • वर्ष 1945 में उन्हें रिहा कर दिया गया और उन्होंने इंडियन नेशनल आर्मी (INA) में निष्ठाहीनता के आरोपी अधिकारियों और सैनिकों के लिये कानूनी बचाव की व्यवस्था की। 
    • उन्हें वर्ष 1946 में चौथी बार भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस के अध्यक्ष के रूप में चुना गया। 
    • सत्ता के हस्तांतरण की रणनीति की सिफारिश करने के लिये वर्ष 1946 में कैबिनेट मिशन को भारत भेजा गया था। 
      • प्रधानमंत्री के रूप में जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में एक अंतरिम सरकार का गठन किया गया था। 
    • 15 अगस्त, 1947 को भारत को आज़ादी तो मिली लेकिन बँटवारे का दुख भी हुआ 
  • भारत के प्रथम प्रधानमंत्री: 
    • नेहरू के अनुसार एक रियासत को संविधान सभा में सम्मिलित होना चाहिये, उन्होंने यह भी पुष्टि की कि स्वतंत्र भारत में कोई रियासत नहीं होगी। 
    • उन्होंने राज्यों के प्रभावी एकीकरण का कार्य वल्लभबाई पटेल को सौंपा। 
    • जब नए भारतीय संविधान के लागू होने के साथ ही भारत 26 जनवरी, 1950 को एक संप्रभु लोकतांत्रिक गणराज्य बन गया। 
    • राज्यों को भाषाओं के अनुसार वर्गीकृत करने के लिये जवाहरलाल नेहरू ने वर्ष 1953 में राज्य पुनर्गठन समिति बनाई। 
    • लोकतांत्रिक समाजवाद को बढ़ावा देने के अलावा उन्होंने पहली पंचवर्षीय योजनाओं को पूरा करके भारत के औद्योगीकरण को बढ़ावा दिया। 
    • गुटनिरपेक्ष आंदोलन (NAM) को उनकी सबसे बड़ी भू-राजनीतिक उपलब्धि माना जाता है। 
      • भारत ने द्वितीय विश्व युद्ध के बाद शीत युद्ध के दौरन किसी भी महाशक्ति के साथ गठबंधन नहीं करने का फैसला किया। 
    • प्रधानमंत्री के रूप में उनका अंतिम कार्यकाल वर्ष 1962 के चीन-भारत युद्ध के कारण बहुत प्रभावित हुआ 
      • उन्होंने प्रधानमंत्री के रूप में अपने 17 वर्षों के दौरान लोकतांत्रिक समाजवाद को बढ़ावा दिया, भारत के लिये लोकतंत्र और समाजवाद दोनों को प्राप्त करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। 
      • उनकी आंतरिक नीतियों की स्थापना लोकतंत्र, समाजवाद, एकीकरण और धर्मनिरपेक्षता के चार सिद्धांतों पर की गई थी। वह इन स्तंभों को नए स्वतंत्र भारत के निर्माण में शामिल करने में सक्षम थे। 
    • किताबें: द डिस्कवरी ऑफ इंडिया, विश्व इतिहास की झलक, एक आत्मकथा, एक पिता से उसकी बेटी को पत्र। 
    • मृत्यु: 27 मई 1964। 

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रश्न. वर्ष 1931 में सरदार पटेल की अध्यक्षता में भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस के कराची अधिवेशन हेतु मौलिक अधिकारों और आर्थिक कार्यक्रम पर संकल्प का मसौदा किसके द्वारा तैयार किया गया? (2010) 

(a) महात्मा गांधी 
(b) पंडित जवाहरलाल नेहरू 
(c) डॉ. राजेंद्र प्रसाद 
(d) डॉ. बी. आर. अंबेडकर 

उत्तर: (b) 


प्रश्न. 'व्यक्तिगत सत्याग्रह' में विनोबा भावे को पहले सत्याग्रही के रूप में चुना गया था। दूसरे कौन थे? (2009) 

(a) डॉ राजेंद्र प्रसाद 
(b) पंडित जवाहरलाल नेहरू 
(c) सी राजगोपालाचारी 
(d) सरदार वल्लभभाई पटेल 

उत्तर: (b) 

स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स 


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