भारत-म्याँमार द्विपक्षीय सहयोग
प्रिलिम्स के लिये:कलादान मल्टी मॉडल पारगमन परिवहन परियोजना, रखाइन राज्य विकास कार्यक्रम मेन्स के लिये:भारत-म्याँमार संबंध, रोहिंग्या समस्या का भारत पर प्रभाव |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्रीय विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला और सेना प्रमुख जनरल एम.एम. नरवणे (Gen M M Naravane) की दो दिवसीय म्याँमार यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच कई महत्त्वपूर्ण द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा की गई।
प्रमुख बिंदु:
- इस यात्रा के दौरान केंद्रीय विदेश सचिव और भारतीय सेना प्रमुख ने म्याँमार की स्टेट काउंसलर ‘आंग सान सू की’ (Aung San Suu Kyi) और कमांडर इन चीफ ऑफ डिफेंस सर्विसेज़, सीनियर जनरल मिन आंग हलिंग से मुलाकात की।
- इसके अतिरिक्त भारतीय सेना प्रमुख ने म्याँमार सशस्त्र सेवा के उप-कमांडर-इन-चीफ वाइस जनरल ‘जनरल विन विन’ से और केंद्रीय विदेश सचिव ने म्याँमार के विदेश मंत्रालय के स्थायी सचिव ‘यू सो हान’ से मुलाकात की।
- केंद्रीय विदेश सचिव द्वारा म्याँमार की राजधानी नैपीदॉ (Naypyidaw) में एक संपर्क कार्यालय का उद्घाटन किया गया है, गौरतलब है कि दिसंबर 2018 में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की म्याँमार यात्रा के दौरान नैपीदॉ में संपर्क कार्यालय की स्थापना का विचार प्रस्तुत किया गया था।
- इस संपर्क कार्यालय के औपचारिक उद्घाटन के साथ ही भारत द्वारा नैपीदॉ में भारतीय दूतावास की स्थापना की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम बढ़ाया है।
- ध्यातव्य है कि वर्तमान में अन्य देशों की तरह ही म्याँमार में भारत का दूतावास इसकी पूर्व राजधानी यंगून में ही स्थित है।
- भारत द्वारा म्याँमार से 1.5 लाख टन उड़द दाल (Vigna mungo) के आयात को भी मंज़ूरी दी गई है।
COVID-19 से निपटने में सहयोग:
- इस यात्रा के दौरान COVID-19 से लड़ने में म्याँमार का सहयोग के रूप में म्याँमार की स्टेट काउंसलर को भारत द्वारा रेमेडिसविर (Remdesivir) की 3000 शीशियाँ प्रदान की गईं।
- इसके साथ ही केंद्रीय विदेश सचिव ने COVID-19 वैक्सीन की उपलब्धता के बाद इसे अन्य देशों के साथ साझा करने में म्याँमार को प्राथमिकता देने का भी संकेत दिया।
अवसंरचना के क्षेत्र में सहयोग:
- दोनों पक्षों द्वारा वर्ष 2021 की पहली तिमाही तक सित्वे बंदरगाह (Sittwe Port) का परिचालन हेतु कार्य करने पर सहमति व्यक्त की गई।
- दोनों पक्षों ने त्रिपक्षीय राजमार्ग (भारत-म्याँमार-थाईलैंड) और ‘कलादान मल्टी मॉडल पारगमन परिवहन परियोजना’ (Kaladan Multi-Modal Transit Transport Project) जैसी भारतीय सहायता प्राप्त अवसंरचना परियोजनाओं की प्रगति पर भी चर्चा की।
- गौरतलब है कि यह कोलकाता को म्याँमार के सित्वे बंदरगाह से जोड़ती है, इस परियोजना के पूरे होने पर कोलकाता और मिज़ोरम के बीच की दूरी लगभग 1800 किमी. से घटकर लगभग 930 किमी. (म्याँमार के रास्ते) हो जाएगी।
- भारत द्वारा म्याँमार के चिन राज्य (Chin State) में बायन्यू/सरिसचौक (Byanyu/Sarsichauk) में सीमा बाज़ार (हाट) के निर्माण के लिये 2 मिलियन अमेरिकी डॉलर के अनुदान की घोषणा की गई। यह पहल मिज़ोरम और म्याँमार के बीच संपर्क को बेहतर बनाने में सहायक होगी।
रक्षा के क्षेत्र में:
- इस यात्रा के दौरान दोनों पक्षों द्वारा अपने सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा और स्थिरता को बनाए रखने पर चर्चा की गई तथा दोनों पक्षों ने एक-दूसरे के क्षेत्र में अनैतिक/द्वेषपूर्ण गतिविधियों के लिये अपने क्षेत्रों का प्रयोग न होने देने की प्रतिबद्धता को दोहराया।
- भारतीय पक्ष ने मई 2020 में म्याँमार द्वारा भारतीय विद्रोही समूहों के 22 कैडरों को भारत को सौंपने के लिए म्याँमार की सराहना की।
रोहिंग्या मुद्दा:
- रोहिंग्या शरणार्थियों के पलायन के मुद्दे पर दोनों पक्षों ने ‘रखाइन राज्य विकास कार्यक्रम’ (Rakhine State Development Programme- RSDP) के तहत विकास कार्यों की प्रगति को रेखांकित किया, इसके साथ ही दोनों पक्षों ने कार्यक्रम के तीसरे चरण के तहत एक कौशल प्रशिक्षण केंद्र स्थापित करने के साथ अन्य परियोजनाओं के निर्धारण का प्रस्ताव रखा।
- इस यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच RSDP के तहत कृषि यंत्रीकरण सबस्टेशन के उन्नयन हेतु एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किये गए।
- भारत और म्याँमार के बीच दिसंबर 2017 में ‘रखाइन राज्य विकास कार्यक्रम’ के संदर्भ में एक समझौते पर हस्ताक्षर किये गए थे।
- केंद्रीय विदेश सचिव ने बांग्लादेश से रखाइन प्रांत के विस्थापितों की सुरक्षित, स्थायी और शीघ्र वापसी सुनिश्चित करने के लिये भारत के समर्थन को दोहराया।
अन्य सहयोग और समझौते:
- म्याँमार ने बागान शहर में स्थित पैगोडा की मरम्मत और संरक्षण के साथ देश में अन्य सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण में भारतीय सहायता पर आभार व्यक्त किया।
- दोनों पक्षों द्वारा लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की मृत्यु की 100वीं वर्षगाँठ के अवसर पर मांडले जेल में तिलक की एक अर्द्ध-प्रतिमा (Bust) स्थापित करने की योजना पर चर्चा की।
- ध्यातव्य है कि वर्ष 1908 में बाल गंगाधर तिलक को देशद्रोह के आरोप में 6 वर्ष के कारावास की सज़ा के रूप में मांडले जेल में बंद कर दिया गया था।
यात्रा का महत्त्व:
- भारतीय सेना प्रमुख और केंद्रीय विदेश सचिव की इस यात्रा के माध्यम से भारत ने म्याँमार के शीर्ष नेतृत्व को दोनों देशों के बीच नागरिक और सैन्य संबंधों को मज़बूत करने की अपनी इच्छा का संकेत देने का प्रयास किया है।
- गौरतलब है कि भारत-म्याँमार सीमा पर उत्पन्न हो रही सुरक्षा चुनौतियों को देखते हुए दोनों देशों के बीच संबंधों का मज़बूत होना बहुत ही आवश्यक है।
- भारत के लिये म्याँमार और बांग्लादेश पड़ोसी देश होने के साथ ही रणनीतिक रूप से भी बहुत ही महत्त्वपूर्ण हैं, ऐसे में भारत के लिये रोहिंग्या मुद्दे के कारण दोनों देशों के बीच उत्पन्न हुए तनाव को कम करना बहुत ही आवश्यक है।
- गौरतलब है कि बांग्लादेश ने पहले भी रोहिंग्या शरणार्थियों को म्याँमार द्वारा वापस लिये जाने के मुद्दे पर भारत से हस्तक्षेप करने की मांग की है।
भारत-म्याँमार द्विपक्षी संबंध:
- भारत और म्याँमार के बीच राजनीतिक और आर्थिक संबंधों के साथ सामाजिक तथा सांस्कृतिक संबंधों का लंबा इतिहास रहा है।
- दोनों देश एक-दूसरे के साथ 1600 किमी से अधिक लंबी थल सीमा के साथ बंगाल की खाड़ी में समुद्री सीमा भी साझा करते हैं। ध्यातव्य है कि म्याँमार की सीमा पूर्वोत्तर भारत के चार राज्यों (अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड,मणिपुर और मिज़ोरम) से सटी हुई है।
- दोनों ही देश आसियान (ASEAN) और बिम्सटेक (BIMSTEC) जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ मेकांग- गंगा सहयोग (Mekong-Ganga Cooperation- MGC) पहल में भी शामिल हैं।
- भारत द्वारा सार्क (SAARC) समूह में म्याँमार के पर्यवेक्षक की भूमिका का भी समर्थन किया गया, जिसके बाद वर्ष 2008 में म्याँमार को इस समूह में पर्यवेक्षक सदस्य के रूप में शामिल किया गया।
- वर्ष 2018 के एक आँकड़े के अनुसार, म्याँमार में भारतीय मूल के लगभग 15-20 लाख लोग रहते और कार्य करते हैं।
- भारत और म्याँमार के बीच वर्ष 1970 में एक द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किये गए थे, जून 2019 में दोनों देशों का द्विपक्षीय व्यापार 1.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया था।
- हाल के वर्षों में भारत-म्याँमार संबंधों में महत्त्वपूर्ण सुधार देखने को मिला है, हालाँकि भारत और चीन के बीच बढ़ते सीमा विवाद के कारण ‘चीन-म्याँमार आर्थिक गलियारा’ (China-Myanmar Economic Corridor- CMEC) जैसी पहल भारत के लिये एक बड़ी चिंता का विषय है।