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बिम्सटेक (BIMSTEC)

  • 30 Aug 2019
  • 17 min read

 Last Updated: July 2022 

इसका पूरा नाम बे ऑफ बंगाल इनिशिएटिव फॉर मल्टी-सेक्टोरल टेक्निकल एंड इकोनॉमिक को-ऑपरेशन (Bay of Bengal Initiative for Multi-Sectoral Technical and Economic Cooperation) है।

बिम्सटेक क्या है?

  • यह एक क्षेत्रीय बहुपक्षीय संगठन है तथा बंगाल की खाड़ी के तटवर्ती और समीपवर्ती क्षेत्रों में स्थित इसके सदस्य हैं जो क्षेत्रीय एकता का प्रतीक हैं।
  • इसके 7 सदस्यों में से 5 दक्षिण एशिया से हैं, जिनमें बांग्लादेश, भूटान, भारत, नेपाल और श्रीलंका शामिल हैं तथा दो- म्याँमार और थाईलैंड दक्षिण-पूर्व एशिया से हैं।
    • बांग्लादेश
    • भूटान
    • भारत
    • नेपाल
    • श्रीलंका शामिल हैं
    • दो दक्षिण-पूर्व एशिया देश
    • म्याँमार
    •  थाईलैंड शामिल  हैं।
  • बिम्सटेक न सिर्फ दक्षिण और दक्षिण पूर्व-एशिया के बीच संपर्क बनाता है है बल्कि हिमालय तथा बंगाल की खाड़ी की पारिस्थितिकी को भी जोड़ता है।
  • इसके मुख्य उद्देश्य तीव्र आर्थिक विकास हेतु वातावरण तैयार करना, सामाजिक प्रगति में तेज़ी लाना और क्षेत्र में सामान्य हित के मामलों पर सहयोग को बढ़ावा देना है।

बिम्सटेक का उत्पत्ति

  • यह उप-क्षेत्रीय संगठन वर्ष 1997 में बैंकॉक घोषणा के माध्यम से अस्तित्व में आया।
  • प्रारंभ में इसका गठन चार सदस्य राष्ट्रों के साथ किया गया था जिनका संक्षिप्त नाम ‘BIST-EC’ (बांग्लादेश, भारत, श्रीलंका और थाईलैंड आर्थिक सहयोग) था।
  • वर्ष 1997 में म्याँमार के शामिल होने के बाद इसका नाम बदलकर ‘BIMST-EC’ कर दिया गया।
  • वर्ष 2004 में नेपाल और भूटान के इसमें शामिल होने के बाद संगठन का नाम बदलकर बे ऑफ़ बंगाल इनिशिएटिव फॉर मल्टी सेक्टरल टेक्निकल एंड इकोनॉमिक को-ऑपरेशन कर दिया गया।

उद्देश्य

  • क्षेत्र में तीव्र आर्थिक विकास हेतु वातावरण तैयार करना।
  • सहयोग और समानता की भावना विकसित करना।
  • सदस्य राष्ट्रों के साझा हितों के क्षेत्रों में सक्रिय सहयोग और पारस्परिक सहायता को बढ़ावा देना।
  • शिक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी आदि क्षेत्रों में एक-दूसरे पूर्ण सहयोग।

बिम्सटेक के सिद्धांत

  • समान संप्रभुता
  • क्षेत्रीय अखंडता
  • राजनीतिक स्वतंत्रता
  • आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करना
  • शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व
  • पारस्परिक लाभ
  • सदस्य देशों के मध्य अन्य द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और बहुपक्षीय सहयोग को प्रतिस्थापित करने के बजाय अन्य विकल्प प्रदान करना

क्षमताएँ

  • यह संगठन दक्षिण एवं दक्षिण-पूर्व एशिया के मध्य एक सेतु की भाँति कार्य करता है तथा इन देशों के सुदृढ़ आपसी संबंधों का प्रतिनिधित्व करता है।
    • बंगाल की खाड़ी क्षेत्र में हिंद-प्रशांत विचार का केंद्र बनने की क्षमता है, एक ऐसा स्थान जहाँ पूर्व और दक्षिण एशिया की प्रमुख शक्तियों के रणनीतिक हित प्रतिच्छेद करते हैं।
  • सार्क और आसियान के सदस्यों के बीच अंतर-क्षेत्रीय सहयोग हेतु मंच प्रदान करता है।
  • संगठन में सदस्य देशों की जनसंख्या लगभग 1.5 अरब है जो वैश्विक आबादी का लगभग 22% है और 3.8 ट्रिलियन अमरीकी डाॅलर का संयुक्त सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी), बिम्सटेक आर्थिक विकास के एक प्रभावशाली इंजन के रूप में उभरा है।
  • दुनिया के कुल व्यापार का एक-चौथाई हिस्सा प्रतिवर्ष बंगाल की खाड़ी से होकर गुज़रता है।

महत्त्वपूर्ण संपर्क परियोजनाएँ

  • कलादान मल्टीमॉडल परियोजना: यह परियोजना भारत और म्याँमार को जोड़ती है।
  • एशियाई त्रिपक्षीय राजमार्ग: म्याँमार से होकर भारत और थाईलैंड को जोड़ता है।
  • बांग्लादेश-भूटान-भारत-नेपाल (BBIN) मोटर वाहन समझौता: यात्री और माल परिवहन के निर्बाध प्रवाह हेतु।

भारत के लिये बिम्सटेक का महत्त्व

यह भारत को तीन प्रमुख नीतियों के साथ आगे बढ़ने का अवसर देता है:

  1. नेबरहुड फर्स्ट: देश की सीमा के नज़दीकी क्षेत्रों को प्रधानता।
  2. एक्ट ईस्ट: भारत को दक्षिण-पूर्व एशिया से जोड़ता है।
  3. भारत के पूर्वोत्तर राज्यों का आर्थिक विकास: पूर्वोत्तर राज्यों को बांग्लादेश और म्याँमार के माध्यम से बंगाल की खाड़ी क्षेत्र से जोड़ना।
  • बंगाल की खाड़ी के आसपास के देशों में चीन के बेल्ट एवं रोड इनिशिएटिव के विस्तारवादी प्रभावों से भारत को मुकाबला करने का अवसर प्रदान करता है।
  • भारत और पाकिस्तान के बीच मतभेदों के कारण दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क-SAARC) महत्त्वहीन हो जाने के कारण भारत को अपने पड़ोसी देशों के साथ जुड़ने हेतु एक नया मंच प्रदान करता है।

सहयोग के क्षेत्र

  • व्यापार और निवेश
  • प्रौद्योगिकी
  • ऊर्जा
  • परिवहन और संचार
  • पर्यटन
  • मत्स्य पालन
  • कृषि
  • सांस्कृतिक सहयोग
  • पर्यावरण और आपदा प्रबंधन
  • सार्वजनिक स्वास्थ्य
  • लोगों के बीच आपसी संपर्क
  • गरीबी उन्मूलन
  • आतंकवाद और अंतर्राष्ट्रीय अपराधों से निपटना
  • जलवायु परिवर्तन

BIMSTEC के स्तंभ

बांग्लादेश

व्यापार, निवेश और विकास

भूटान

पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन

भारत

सुरक्षा
उप क्षेत्र: आतंकवाद और अंतर्राष्ट्रीय अपराध का मुकाबला, आपदा प्रबंधन, ऊर्जा

म्याँमार

कृषि एवं खाद्य सुरक्षा
उप क्षेत्र: कृषि, मत्स्यन तथा पशुपालन

नेपाल

पीपल-टू-पीपल संपर्क
उप क्षेत्र: संस्कृति, पर्यटन, पीपल-टू-पीपल संपर्क
(थिंक टैंक, मीडिया आदि के मंच)

श्रीलंका

विज्ञान, प्रौद्योगिकी तथा नवाचार
उप क्षेत्र: प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य, मानव संसाधन विकास

थाईलैंड

कनेक्टिविटी

बिम्सटेक के संस्थागत तंत्र

  • बिम्सटेक शिखर सम्मेलन: यह बिम्सटेक का सर्वोच्च नीति निर्धारण निकाय है तथा इसमें सदस्य राष्ट्रों के राज्य/सरकार के प्रमुख शामिल होते हैं।
  • मंत्रिस्तरीय बैठक : यह बिम्सटेक का दूसरा शीर्ष नीति-निर्माण फोरम है इसमें सदस्य राष्ट्रों के विदेश मंत्री भाग लेते हैं।
  • वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक : सदस्य राष्ट्रों के विदेशी मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा इसका प्रतिनिधित्व किया जाता है।
  • बिम्सटेक कार्यकारी समूह : बिम्सटेक के सदस्य देशों के राजदूत अथवा उनके प्रतिनिधि ढाका स्थित बिम्सटेक सचिवालय में प्रतिमाह एकत्र होते हैं।
  • व्यापार मंच तथा आर्थिक मंच: ये निजी क्षेत्र की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने हेतु दो महत्वपूर्ण मंच हैं।

बिम्सटेक के समक्ष  चुनौतियाँ

सार्क की तरह ही बिम्सटेक भी द्विपक्षीय तनावों से बच नहीं पाया है:

  • बैठकों में निरंतरता का अभाव: बिम्सटेक ने प्रति दो वर्षों में शिखर सम्मेलन, प्रतिवर्ष मंत्रिस्तरीय बैठक आयोजित करने की योजना बनाई थी, लेकिन वर्ष 2018 तक 20 वर्षों में केवल चार शिखर सम्मेलन हुए हैं।
  • सदस्य राष्ट्रों द्वारा बिम्सटेक की उपेक्षा: ऐसा प्रतीत होता है कि भारत ने बिम्सटेक का उपयोग सिर्फ तब किया है जब वह क्षेत्रीय व्यवस्था बनाने में सार्क के माध्यम से सफल नहीं हुआ है, वहीं अन्य प्रमुख सदस्य जैसे- थाईलैंड तथा म्याँमार बिम्सटेक की तुलना में आसियान पर अधिक केंद्रित हैं।
  • विस्तृत कार्य क्षेत्र: बिम्सटेक का कार्य क्षेत्र बहुत व्यापक है- इसमें पर्यटन, सार्वजनिक स्वास्थ्य, कृषि आदि जैसे 14 क्षेत्र शामिल हैं। बिम्सटेक को कम क्षेत्रों हेतु प्रतिबद्ध होना चाहिये तथा उन्हीं में कुशलतापूर्वक सहयोग करना चाहिये।
  • सदस्य राष्ट्रों के बीच द्विपक्षीय मुद्दे: बांग्लादेश सबसे विकट शरणार्थी संकट का सामना कर रहा है, म्याँमार के रखाइन प्रांत से रोहिंग्या लगातार पलायन करते रहे हैं। म्याँमार एवं थाईलैंड के मध्य सीमा विवाद चल रहा है।
  • मुक्त व्यापार समझौते का अभाव: बिम्सटेक में मुक्त व्यापार समझौते पर वर्ष 2004 में चर्चा की गई थी, लेकिन अभी तक उसका कोई निष्कर्ष नहीं निकाला गया है।
  • बीसीआईएम: एक अन्य उप-क्षेत्रीय फोरम- बांग्लादेश-चीन-भारत-म्याँमार (बीसीआईएम) के गठन (जिसमें चीन एक सक्रिय सदस्य है) ने बिम्सटेक की क्षमता पर प्रश्नचिह्न लगा दिया है।
  • आर्थिक सहयोग हेतु अपर्याप्त ध्यान: अधूरे कार्यों और नई चुनौतियों हेतु एक त्वरित निगरानी समूह पर ज़िम्मेदारियों का एक विचार प्रदान किया गया है।
    • वर्ष 2004 में एक व्यापक मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के लिये एक रूपरेखा समझौते पर हस्ताक्षर करने के बावजूद, बिम्सटेक इस लक्ष्य से बहुत दूर है।
    • एफटीए हेतु आवश्यक सात घटक समझौतों में से अभी अब केवल दो ही हुए हैं।

उपयोगिता: सार्क बनाम बिम्सटेक

सार्क (SAARC)

बिम्सटेक (BIMSTEC)

  1. यह दक्षिण एशिया में एक क्षेत्रीय संगठन है।
  2. शीतयुद्ध काल के दौरान वर्ष 1985 में इसकी स्थापना की गई।
  3. सदस्य देशों के मध्य अविश्वास और संदेह की स्थिति है।
  4. क्षेत्रीय राजनीति से त्रस्त है।
  5. शक्ति संतुलन असममित है।
  6. अंतर्क्षेत्रीय व्यापार सिर्फ 5% है।
  1. यह एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है जो दक्षिण एशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया को जोड़ता है।
  2. शीतयुद्ध के बाद वर्ष 1997 में इसकी स्थापना हुई।
  3. सदस्य राष्ट्र परस्पर मैत्रीपूर्ण संबंध बनाए रखते हैं।
  4. इसका मुख्य उद्देश्य सदस्य देशों के मध्य आर्थिक सहयोग में सुधार करना है।
  5. इसमें थाईलैंड और भारत की उपस्थिति के साथ सत्ता का संतुलन है।
  6. अंतर्क्षेत्रीय व्यापार एक दशक में 6% तक बढ़ गया है।

आगे की राह

  • चूँकि बिम्सटेक क्षेत्र अपनी विविधता के लिये जाना जाता है, अतः सदस्य राष्ट्रों को क्षेत्रीय तालमेल बनाने और उपलब्ध संसाधनों का अधिकतम उपयोग करने की दिशा में काम करने की आवश्यकता है।
  • यह बिम्सटेक को मज़बूत और अधिक गतिशील बनाने में सहायक होगा।
  • बहुपक्षीय चर्चा: घरेलू और भू-राजनीतिक कारकों की जटिलता को देखते हुए, इस क्षेत्र में रोहिंग्या संकट जैसी समस्याओं को आर्थिक और सुरक्षा परिणामों के सुचारू वितरण में बाधा बनने से रोकने हेतुके लिये निरंतर द्विपक्षीय और समूह-स्तरीय चर्चा की आवश्यकता होगी।
    • भारत को भी नेपाल, श्रीलंका और बांग्लादेश जैसे भागीदारों के साथ समान रूप से निरंतर राजनीतिक जुड़ाव सुनिश्चित करना होगा ताकि किसी भी घरेलू राजनीतिक के अस्थिर प्रभावों को द्विपक्षीय और समूह-स्तरीय कामकाजी संबंधों को प्रभावित करने से रोका जा सके।
    • जब तक देश में राजनीतिक स्थिति सामान्य नहीं हो जाती, तब तक भारत और अन्य सदस्यों को भी म्यांमार की व्यस्तता के प्रबंधन में तेज होने की आवश्यकता होगी।
  • कनेक्टिविटी और सहयोग को बढ़ावा देना: समूह में व्यापार संपर्क को बढ़ाने के लिये भारत के दृष्टिकोण के लिये,म्याँमार और श्रीलंका जैसे समुद्री संसाधन संपन्न सदस्यों में फैले  एफटीए सभी सदस्यों हेतु अप्रत्याशित लाभ की स्थिति उत्पन्न कर सकता है।
    • एक 'तटीय शिपिंग पारिस्थितिकी तंत्र' और एक इंटरकनेक्टेड बिजली ग्रिड, परिवहन कनेक्टिविटी के लिये अपनाए गए मास्टर प्लान के अलावा, अंतर्क्षेत्रीय व्यापार और आर्थिक संबंधों को बढ़ावा देने की क्षमता रखता है।
    • इसके अलावा, बिम्सटेक को परियोजनाओं के समय पर कार्यान्वयन हेतुअतिरिक्त धन जुटाने पर जोर देने की आवश्यकता है।
  • शिष्टाचारयुक्त छवि के साथ भारत: पुनर्जीवित समूह हेतु अपने व्यापार और आर्थिक क्षमता का एहसास करने के लिये, भारत को इंट्राग्रुप पावर असंतुलन के छोटे सदस्यों के बीच किसी भी शंका को दूर करने में नेतृत्व की भूमिका निभानी होगी और लोगों और सामानों की आवाजाही हेतु बाधाओं को कम करके सीमा पार से अधिक कनेक्टिविटी तथा निवेश के प्रवाह को सुविधाजनक बनाने का प्रयास करना होगा।
    • शिखर सम्मेलन में भी, भारत एकमात्र देश था जिसने सचिवालय को अतिरिक्त धन की पेशकश की और एक विजन दस्तावेज तैयार करने हेतु एक प्रतिष्ठित व्यक्ति समूह (Eminent Persons Group- EPG) की स्थापना के महासचिव के प्रस्ताव का समर्थन किया।
    • अन्य देशों को कार्रवाई के साथ ईमानदारी पूर्ण इस सहयोग  का अनुकरण करने की आवश्यकता है।
  • फोकस के अन्य क्षेत्र: बिम्सटेक को भविष्य में नए क्षेत्रों जैसे कि ब्लू इकॉनमी, डिज़िटल अर्थव्यवस्था, स्टार्ट-अप और सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों ( Micro, Small and Medium Enterprises- MSMEs) के बीच आदान-प्रदान एवं सहयोग  को बढ़ावा देने पर अधिक ध्यान केंद्रित करना चाहिये।
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