लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली अपडेट्स

अंतर्राष्ट्रीय संबंध

चीन-म्याँमार आर्थिक गलियारा

  • 18 Jan 2020
  • 9 min read

प्रीलिम्स के लिये:

चीन-म्याँमार आर्थिक गलियारा, चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा, चीन-नेपाल आर्थिक गलियारा, बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव, विशेष आर्थिक क्षेत्र, BCIM गलियारा

मेन्स के लिये:

CMEC के निहितार्थ, भारत-चीन-म्याँमार के मध्य आर्थिक एवं कूटनीतिक संबंध

चर्चा में क्यों?

17 जनवरी, 2020 से चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग चीन और म्याँमार के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना की 70वीं वर्षगाँठ मनाने के लिये म्याँमार की यात्रा पर हैं।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • चीन और म्याँमार के राजनयिक संबंधों की 70वीं वर्षगाँठ पर शी ज़िनपिंग म्याँमार में अवरुद्ध चीनी बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं को पुनः शुरू करने, बीजिंग को नैपीदॉ (Naypyidaw) के सबसे महत्त्वपूर्ण आर्थिक भागीदार के रूप में समेकित करने और दोनों देशों के बीच विशेष ऐतिहासिक संबंधों को फिर से जीवंत करने की दिशा में कदम उठा सकते हैं।
  • राष्ट्रपति शी जिनपिंग की म्याँमार यात्रा में एक ऐसे क्षेत्र जिसे कभी चीन का ‘बैक डोर’ कहा जाता था, को चीन-म्याँमार आर्थिक गलियारे (China-Myanmar Economic Corridor- CMEC) के अंतर्गत विभिन्न परियोजनाओं के माध्यम से राजमार्ग में बदलने की घोषणा की जा सकती है, साथ ही CMEC को चीन के महत्त्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के एक महत्त्वपूर्ण भाग के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है।
  • हालाँकि आर्थिक जुड़ाव के मामले में दोनों देशों के बीच मतभेद है। गौरतलब है कि म्याँमार में राजनीतिक आरक्षण (Political Reservation) के कारण हाल के वर्षों में कई परियोजनाएँ ठप हो गई हैं। शी जिनपिंग की इस यात्रा से चीन के दक्षिणी-पश्चिमी प्रांत युन्नान (Yunnan) और पूर्वी हिंद महासागर के बीच संपर्क हेतु व्यवस्था सुनिश्चित किये जाने की संभावना है।
  • चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) जो कि बीजिंग के सुदूर पश्चिमी प्रांत शिनजियांग (Xinjiang) से अरब सागर में कराची और ग्वादर को जोड़ता है, की तरह CMEC से भी बंगाल की खाड़ी में नए कूटनीतिक आयामों की शुरुआत हो सकती है।
  • चीन-नेपाल आर्थिक गलियारे (China-Nepal Economic Corridor-CNEC) का अनावरण पिछले साल अपनी नेपाल यात्रा के दौरान शी ज़िनपिंग द्वारा किया गया था। ध्यातव्य है कि यह गलियारा तिब्बत को नेपाल से जोड़ता है और गंगा के मैदान में चीन की उपस्थिति दर्ज़ करता है। एक साथ तीन गलियारे चीन के आर्थिक उदय और उपमहाद्वीप में उसके प्रभाव को रेखांकित करते हैं।

म्याँमार में लंबित चीनी परियोजनाएँ

  • विचाराधीन प्रमुख अवसंरचना परियोजनाओं में एक विशेष आर्थिक क्षेत्र (Special Economic Zone- SEZ) का विकास और क्यौकप्यु (Kyaukpyu) में एक गहरे समुद्री बंदरगाह (Deep Sea Port) का विकास तथा चीन की सीमा से मध्य म्याँमार में मांडले तक एक रेलवे लाइन का निर्माण किया जाना शामिल है।
  • उपर्युक्त रेलवे की शाखा का विस्तार म्याँमार के समुद्री तट पर स्थित क्यौकप्यु (Kyaukpyu) और दक्षिणी म्याँमार के यांगून तक होगा। क्यौकप्यु (Kyaukpyu) के लिये रेलवे लाइन जुड़वा पाइपलाइन प्रणाली (Twin Pipeline System) के साथ संरेखित होगी ध्यातव्य है कि यह पाइपलाइन कुछ वर्षों से युन्नान की राजधानी कुनमिंग में तेल और प्राकृतिक गैस का परिवहन कर रही है।

Mandalay

  • शी जिनपिंग करीब एक दशक पहले चीनी परियोजनाओं के खिलाफ ज़मीनी स्तर पर राजनीतिक उलटफेर के बीच माइट्सोन (Myitsone) में हाइडल बांध (Hydel Dam) और तांबा खनन परियोजनाओं को पुनर्जीवित करना चाहेंगे। गौरतलब है कि शी जिनपिंग ने श्रीलंका में इन्ही हालातों में विरोध को रोकने में कामयाबी पाई थी।

चीन-म्याँमार संबंधों के मायने

  • म्याँमार के लिये चीन के समर्थन को म्याँमार के अमेरिका और पश्चिमी देशों से बिगड़ते संबंधों के परिपेक्ष्य में देखा जा रहा है। ध्यातव्य है कि रोहिंग्या समस्या से निपटने को लेकर म्याँमार के संबंध इन देशों से खराब हुए हैं।
  • इसके विपरीत चीन ने कुछ सहानुभूति का संकेत दिया है तथा म्याँमार और बांग्लादेश के बीच वार्ता असफल होने पर मध्यस्थता करने की भी बात कही है।
  • चीन यह दर्शाना चाहता है कि इसकी BRI (Belt and Road Initiative- BRI) परियोजनाएँ अराकान क्षेत्र के विकास में तेज़ी लाकर रोहिंग्या संघर्ष को कम करने में मदद कर सकती हैं। ध्यातव्य है कि चीन, म्याँमार के संघर्ष-ग्रस्त उत्तरी मोर्चे पर आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिये परियोजनाओं की पेशकश भी कर रहा है।
  • म्याँमार के लिये पश्चिम के साथ मौजूदा रिश्तों के बीच बीजिंग से एक मजबूत साझेदारी निश्चित रूप से आकर्षक है।

चीन-म्याँमार संबंधों का भारत पर प्रभाव

  • CMEC के माध्यम से चीन की बंगाल की खाड़ी में पहुँच भारत के लिये बड़ी सुरक्षा चुनौती होगी। जिससे बंगाल की खाड़ी में नौसेना की उपस्थिति और नौसेना सहयोग की आवश्यकता में वृद्धि होगी।
  • बंगाल की खाड़ी में चीन की पहुँच बढ़ने से इस शांत क्षेत्र में प्रतिस्पर्द्धात्मक संघर्ष की संभावना बढ़ सकती है।
  • इसके अतिरिक्त म्याँमार के साथ चीन के संबंधों में सुधार से भारत और म्याँमार के द्विपक्षीय संबंध प्रभावित हो सकते हैं।

चीन-म्याँमार संबंधों के संदर्भ में भारत की रणनीति

  • म्याँमार में चीन की उपस्थिति खुद के लिये प्रतिस्पर्द्धी के रूप में देखने की बजाय भारत को म्याँमार के विकास और सुरक्षा में अधिक प्रभावी योगदान देने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिये।
  • भारत को म्याँमार में अपने स्वयं के बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं को जल्दी पूरा करने पर ध्यान केंद्रित करने और नैपीदॉ के साथ वाणिज्यिक साझेदारी के लिए एक नई रणनीति विकसित करने की आवश्यकता है।
  • अपने स्वयं के संसाधनों को लेकर बाधाओं को देखते हुए भारत, जापान जैसे समान विचारधारा वाले सहयोगियों के साथ अपने संबंध मज़बूत करना चाहेगा।
  • भारत को बांग्लादेश, चीन, भारत और म्याँमार से जुड़े तथाकथित BCIM (Bangladesh, China, India, Myanmar) गलियारे पर बीजिंग के साथ पुनः वार्ता शुरू करने की आवश्यकता है।
  • हालाँकि भारत ने चीन के BRI को अस्वीकार कर दिया है लेकिन उसने BCIM गलियारे पर चीन के साथ सहयोग के लिये दरवाज़ा खुला छोड़ रखा है।
  • 19वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में भारतीय रेलवे ने अराकान तट से युन्नान तक एक रेलवे लाइन के लिये मार्ग का सर्वेक्षण किया था, लेकिन वह आगे नही बढ़ सका किंतु चीन ने इसी दिशा में बेहतर प्रयास किया है। अतः भारत को अपनी लंबित परियोजनाओं पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
  • साथ ही भारत को CMEC के विकास को देखते हुए नई आर्थिक संभावनाओं का लाभ उठाने के तरीके खोजने चाहिये।

स्रोत: द इंडियन एक्सप्रेस

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2