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एडिटोरियल


जैव विविधता और पर्यावरण

मीथेन उत्सर्जन से निपटना

  • 15 Apr 2022
  • 14 min read

यह एडिटोरियल 14/04/2022 को ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ में प्रकाशित “Don't Ignore Methane, The More Potent Greenhouse Gas” लेख पर आधारित है। इसमें मीथेन उत्सर्जन के स्रोतों और इसके प्रभावों के बारे में चर्चा की गई है।

संदर्भ

जलवायु समस्या में मीथेन की भूमिका बढ़ती ही जा रही है। यह प्राकृतिक गैस का एक प्राथमिक घटक है और यह एक तुलनात्मक समय में वायुमंडलीय CO2 की तुलना में 80 गुना अधिक तेज़ी से पृथ्वी को गर्म करने की क्षमता रखती है।

मीथेन पर कार्बन डाइऑक्साइड की तुलना में बहुत कम ध्यान दिया गया है, लेकिन हाल ही में यूक्रेन युद्ध के प्रसंग में और पर्मियन बेसिन में (संयुक्त राज्य अमेरिका का एक जीवाश्म ईंधन समृद्ध क्षेत्र) गैस के रिसाव पर नए शोध के कारण यह चर्चा में रही है। 

हालाँकि वायुमंडल में मीथेन की वृद्धि हो रही है, लेकिन वैज्ञानिकों के बीच इस बात पर कोई सहमति नहीं है कि विभिन्न स्रोतों से किस मात्रा में मीथेन का उत्सर्जन हो रहा है।

मीथेन अधिक हानिकारक क्यों है?

  • मीथेन एक अदृश्य गैस है जो जलवायु संकट को पर्याप्त रूप से बढ़ा सकती है। यह एक हाइड्रोकार्बन है जो प्राकृतिक गैस का प्रमुख घटक है और इसका उपयोग ईंधन के रूप में स्टोव जलाने, घरों को गर्म करने और उद्योगों को ऊर्जा प्रदान करने के लिये किया जाता है।
  • मीथेन को कार्बन डाइऑक्साइड की तुलना में एक अधिक मोटे कंबल के रूप में देख सकते हैं जो अपेक्षाकृत कम अवधि में ग्रह को अधिक सीमा तक गर्म करने में सक्षम है।
    • पृथ्वी के तापन पर इसका तत्काल प्रभाव पड़ता है। हालाँकि, कार्बन डाइऑक्साइड—जो सैकड़ों वर्षों तक वायुमंडल में रहती है, के विपरीत मीथेन लगभग एक दशक तक ही वायुमंडल में रहती है।
  • मीथेन प्रदूषण, जो ज़मीनी स्तर के ओज़ोन का एक प्राथमिक घटक है और बेंजीन जैसे जहरीले रसायनों के साथ उत्सर्जित होता है, हृदय रोग, जन्म दोष, अस्थमा और अन्य प्रतिकूल स्वास्थ्य प्रभावों से संबद्ध है।

मीथेन के स्रोत 

  • जैविक स्रोत: मीथेन के कुछ जैविक स्रोत होते हैं। यह मीथेनोजेंस (methanogens) नामक मीथेन-उत्पादक सूक्ष्मजीवों द्वारा कुछ कार्बनिक यौगिकों से बनाया जाता है।
    • मीथेनोजेंस विभिन्न प्राकृतिक पर्यावरणों में पाए जाते हैं जहाँ बहुत कम ऑक्सीजन मौजूद होता है या ऑक्सीजन का अभाव होता है।
      • इस तरह के पर्यावरण में आर्द्रभूमि, लैंडफिल्स (जो अच्छी तरह से हवादार नहीं हैं) और जलमग्न धान के खेत आदि शामिल हैं।
  • कृषि: कृषि वैश्विक मीथेन उत्सर्जन का प्रमुख स्रोत है। पशुधन उत्सर्जन (गोबर और गैस्ट्रोएंटेरिक उत्सर्जन से) मानव-जनित मीथेन उत्सर्जन में लगभग 32% हिस्सेदारी रखते हैं। गायें भी मीथेन का उत्सर्जन करती हैं।
    • धान की खेती, जहाँ जलमग्न खेत ऑक्सीजन के मिट्टी में प्रवेश को अवरुद्ध करते हैं, मीथेन-उत्सर्जक बैक्टीरिया के लिये आदर्श स्थिति का निर्माण करती है और यह मानव-जनित मीथेन उत्सर्जन के अन्य 8% के लिये ज़िम्मेदार है।
  • ईंधन और उद्योगों से उत्सर्जन: गैस, कोयले और तेल साइटों से मीथेन के आशुलोपी उत्सर्जन (Fugitive emissions) जलवायु संकट में योगदान दे रहे हैं, लेकिन इस शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैस के रिसाव की सीमा का निर्धारण करना कठिन रहा है।
    • निष्कर्षण और परिवहन से लेकर घरों एवं उद्योगों में उपयोग किये  जाने की आपूर्ति शृंखला के हर चरण में मीथेन का रिसाव होता है।
    • उत्सर्जित होने वाली अधिकांश मीथेन ‘अल्ट्रा-एमिटर’ के कारण होती है, जो गैस की प्रचुर मात्रा को बाहर निकालती है।

पर्मियन बेसिन में हाल के उत्सर्जन 

  • इन्फ्रारेड कैमरों से लैस हेलीकॉप्टरों एवं ड्रोन की मदद से प्राप्त सूचनाओं और उपग्रह छवियों ने अमेरिका के टेक्सास और न्यू मैक्सिको में पर्मियन बेसिन से बड़ी मात्रा में मीथेन के रिसाव को दिखाया है।
  • ‘एनवायरमेंट साइंस एंड टेक्नोलॉजी’ पत्रिका में प्रकाशित एक नए अध्ययन ने अनुमान लगाया है कि अमेरिकी पर्यावरण संरक्षण एजेंसी द्वारा अनुमानित 1.4% के विपरीत, पर्मियन बेसिन में 9% से अधिक गैस उत्पादन उत्सर्जन के रूप में लीक हो रहा है।

मीथेन उत्सर्जन पर अंकुश लगाने के लिये क्या उपाय किये गए हैं?

  • COP26 प्रतिज्ञाएँ: ग्लासगो में आयोजित COP26 में 100 से अधिक देशों ने वर्ष 2030 तक मीथेन उत्सर्जन में 30% की कटौती करने के लिये एक समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं, क्योंकि कार्बन डाइऑक्साइड (जो वैश्विक अर्थव्यवस्था में अधिक गहराई से अंतर्निहित है) की तुलना में मीथेन से निपटना अधिक आसान हो सकता है।
    • इस समझौते से पहले अमेरिकी राष्ट्रपति ने ‘वैश्विक मीथेन प्रतिज्ञा’ (Global Methane Pledge) की घोषणा की थी जो इस दशक के अंत तक मीथेन उत्सर्जन में एक तिहाई की कटौती करने के लिये संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय संघ के नेतृत्व में संचालित एक प्रयास है।
  • मीथेनसैट (MethaneSAT): मीथेन उत्सर्जन को नियंत्रित करने के लिये इसके स्रोतों की और निगरानी की आवश्यकता होगी। इसके लिये मीथेन रिसाव को ट्रैक करने वाले उपग्रहों, जैसे मीथेनसैट को लॉन्च करने की योजना बनाई गई है।
    • मीथेनसैट एक योजनाबद्ध अमेरिका-न्यूज़ीलैंड अंतरिक्ष मिशन है जिसे वर्ष 2022 के उत्तरार्द्ध में लॉन्च किया जाना है।
    • यह एक पृथ्वी अवलोकन उपग्रह होगा जो जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिये वैश्विक मीथेन उत्सर्जन की निगरानी और अध्ययन करेगा।
  • संयुक्त राष्ट्र की पहल: सितंबर 2021 में आयोजित ‘संयुक्त राष्ट्र खाद्य प्रणाली शिखर सम्मेलन’ का उद्देश्य खेती और खाद्य उत्पादन को अधिक पर्यावरण-अनुकूल बनाने में मदद करना था।
    • संयुक्त राष्ट्र की ‘कोरोनिविया जॉइंट वर्क ऑन एग्रीकल्चर’ (Koronivia Joint Work on Agriculture- KJWA) पहल बदलती जलवायु के बीच उत्पादकता बनाए रखने पर ध्यान केंद्रित करते हुए कृषि एवं खाद्य प्रणालियों के परिवर्तन का समर्थन कर रही है।
  • भारत की पहल: केंद्रीय नमक और समुद्री रासायनिक अनुसंधान संस्थान (CSMCRI) ने देश के तीन प्रमुख संस्थानों के सहयोग से एक समुद्री शैवाल आधारित पशु चारा योज्य सूत्र तैयार किया है जिसका उद्देश्य मवेशियों से मीथेन उत्सर्जन को कम करना और मवेशियों एवं कुक्कुट की प्रतिरक्षा को बढ़ावा देना है।

मीथेन उत्सर्जन पर अंकुश लगाने का महत्त्व 

  • मानव-जनित मीथेन उत्सर्जन को एक दशक के भीतर 45% तक कम किया जा सकता है।
    • यह वर्ष 2045 तक ग्लोबल वार्मिंग के लगभग 0.3 डिग्री सेल्सियस को कम कर सकता है, जिससे वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने और पेरिस समझौते के लक्ष्यों की प्राप्ति की दिशा में आगे बढ़ने में मदद मिलेगी।
  • ज़मीनी स्तर के ओज़ोन में क्रमिक कमी से 260,000 अकाल मृत्यु, 775,000 अस्थमा-संबंधी अस्पताल के दौरे, अत्यधिक गर्मी से 73 बिलियन घंटे श्रम की क्षति और 25 मिलियन टन फसल नुकसान को रोका जा सकेगा। 

मीथेन उत्सर्जन को कम करने के लिये और क्या उपाय किये जा सकते हैं?

  • ऊर्जा क्षेत्र में: मीथेन उत्सर्जन संपूर्ण तेल और गैस आपूर्ति शृंखला के साथ घटित होता है, लेकिन विशेष रूप से लीकिंग उपकरण, सिस्टम अपसेट और रूटीन फ्लेयरिंग एवं वेंटिंग (flaring and venting) से होने वाले फ्यूजीटिव उत्सर्जन की इसमें भूमिका है।
    • मौजूदा लागत प्रभावी समाधान उत्सर्जन को कम करने में मदद कर सकते हैं। इसमें लीक डिटेक्शन एंड रिपेयर कार्यक्रम शुरू करना, बेहतर प्रौद्योगिकियों एवं परिचालन अभ्यासों को लागू करना और मीथेन की जब्ती एवं उपयोग करना (अन्यथा वे बेकार चले जाएँगे) शामिल हैं जो अन्यथा बर्बाद हो जाएगा।
  • कृषि क्षेत्र में: किसान पशुओं को अधिक पौष्टिक चारा प्रदान कर सकते हैं ताकि वे बड़े, स्वस्थ और अधिक उत्पादक हों और इस प्रकार प्रभावी रूप से कम में अधिक का उत्पादन कर सकें।
    • भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने  'हरित धारा' (Harit Dhara) नामक एक एंटी-मिथेनोजेनिक फीड सप्लीमेंट विकसित किया है, जो मवेशियों द्वारा किये जाने वाले मीथेन उत्सर्जन में 17-20% की कटौती कर सकता है और इसके परिणामस्वरूप दूध का उत्पादन भी बढ़ सकता है।
    • धान की खेती के मामले में विशेषज्ञ AWD (Alternate Wetting and Drying) उपायों को अपनाने की सलाह देते हैं जो उत्सर्जन को आधा कर सकते हैं।
      • खेतों में लगातार जल बनाए रखने के बजाय पूरे फसल मौसम में दो-तीन बार सिंचाई और अपवाह का प्रयोग किया जा सकता है जिससे उपज को प्रभावित किये बिना मीथेन उत्पादन को सीमित किया जा सकता है।
        • इस प्रक्रिया में एक-तिहाई कम जल की आवश्यकता होगी, जिससे यह अधिक किफायती भी हो जाएगा।
  • अपशिष्ट क्षेत्र में: अपशिष्ट क्षेत्र वैश्विक मानव-जनित मीथेन उत्सर्जन में लगभग 20% योगदान करते हैं।
    • लागत-प्रभावी शमन उपाय (जहाँ आर्गेनिक पदार्थों के पृथक्करण और पुनर्चक्रण में व्यापक संभावनाएँ निहित हैं) नए रोज़गार पैदा करने की भी क्षमता रखते हैं।
      • खाद्य क्षति और अपव्यय से बचना भी महत्त्वपूर्ण है।
    • इसके अतिरिक्त, लैंडफिल गैस को एकत्र करने और ऊर्जा पैदा करने से मीथेन उत्सर्जन कम होगा, अन्य प्रकार के ईंधन विस्थापित होंगे और राजस्व की नये अवसर सृजित होंगे।
  • सरकार की भूमिका: भारत सरकार को एक खाद्य प्रणाली संक्रमण नीति की परिकल्पना करनी चाहिये ताकि लोग अलग तरह से खाद्य के उत्पादन और उपभोग से संलग्न हो सकें।
    • सरकार को एक व्यापक नीति विकसित करनी चाहिये जो किसानों को पादप-आधारित खाद्य उत्पादन के संवहनीय तरीकों की ओर ले जाए, औद्योगिक पशुधन उत्पादन एवं उससे जुड़े इनपुट से सब्सिडी को दूसरी ओर मोड़ सके और एकल समाधान के विभिन्न पहलुओं के रूप में रोज़गार सृजन, सामाजिक न्याय, गरीबी में कमी, पशु सुरक्षा और बेहतर सार्वजनिक स्वास्थ्य को अवसर दे सके।

अभ्यास प्रश्न: मीथेन उत्सर्जन के प्रमुख प्रभावों की चर्चा कीजिये और उन उपायों के सुझाव दीजिये जो मीथेन के उत्सर्जन को कम करने में योगदान कर सकते हैं।

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