जैव विविधता और पर्यावरण
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा का पाँचवाँ सत्र
- 03 Mar 2022
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प्रिलिम्स के लिये:सिंगल यूज़ प्लास्टिक, सतत् विकास लक्ष्य, संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा, 2015 पेरिस समझौता। मेन्स के लिये:सिंगल यूज़ प्लास्टिक और संबंधित चिंताएं, पर्यावरण प्रदूषण और गिरावट, संरक्षण। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में पाँचवीं संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा ने सतत् विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये प्रकृति संबंधी कार्यों को सशक्त बनाने हेतु 14 प्रस्तावों के साथ निष्कर्ष निकाला है।
- UNEA-5 का समग्र विषय "सतत् विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये प्रकृति संबंधी कार्यों को सशक्त बनाना" था, जिसकी मेज़बानी संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम द्वारा की गई थी।
- "UNEP@50", यूएनईपी की 50वीं वर्षगाँठ को चिह्नित करने वाली बैठक के आयोजन के बाद सभा का दो दिवसीय विशेष सत्र होगा, जहाँ सदस्य राज्यों से इस संबंध में संबोधन की उम्मीद की जाती है कि महामारी के बाद एक लचीली और समावेशी दुनिया का निर्माण कैसे किया जाए और राजनीतिक घोषणा का मसौदा तैयार किया जाए।
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा:
- संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा (The United Nations Environment Assembly- UNEA) संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम का प्रशासनिक निकाय है।
- यह पर्यावरण के संदर्भ में निर्णय लेने वाली विश्व की सर्वोच्च स्तरीय निकाय है।
- यह पर्यावरणीय सभा 193 संयुक्त राष्ट्र सदस्य राज्यों से बनी है जो वैश्विक पर्यावरण नीतियों हेतु प्राथमिकताएंँ निर्धारित करने और अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण कानून विकसित करने के लिये द्विवार्षिक रूप से आयोजित की जाती है।
- सतत् विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के दौरान संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा का गठन जून 2012 में किया गया। धातव्य है कि सतत् विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन को RIO+20 के रूप में भी संदर्भित किया जाता है।
सत्र की मुख्य विशेषताएँ
- प्लास्टिक प्रदूषण को समाप्त करने का प्रस्ताव:
- सत्र में शामिल विभिन्न देशों के पर्यावरण मंत्रियों ने प्लास्टिक प्रदूषण को समाप्त करने हेतु कानूनी रूप से बाध्यकारी अंतर्राष्ट्रीय समझौता करने हेतु एक अंतर-सरकारी वार्ता समिति (INC) स्थापित करने पर सहमति व्यक्त की।
- वर्ष 2024 के अंत तक इस कानूनी रूप से बाध्यकारी वैश्विक समझौते के मसौदे को पूरा करने की महत्त्वाकांक्षा के साथ यह अंतर-सरकारी वार्ता समिति वर्ष 2022 में अपना काम शुरू करेगी।
- इसे वर्ष 2015 के पेरिस समझौते के बाद से सबसे महत्त्वपूर्ण पर्यावरणीय मसौदा माना जा रहा है।
- इस कानूनी रूप से बाध्यकारी समझौते के तहत विभिन्न देशो से प्लास्टिक प्रदूषण को समाप्त करने के उद्देश्य को पूरा करने हेतु देश-संचालित दृष्टिकोणों को अपनाते हुए राष्ट्रीय कार्य योजनाओं को विकसित करने, लागू करने और अद्यतन करने की अपेक्षा की जाएगी।
- उनसे प्लास्टिक प्रदूषण की रोकथाम, कमी और उन्मूलन की दिशा में काम करने तथा क्षेत्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का समर्थन करने हेतु राष्ट्रीय कार्य योजनाओं को बढ़ावा देने की भी अपेक्षा की जाएगी।
- रसायन और अपशिष्ट के प्रबंधन पर प्रस्ताव:
- यह रसायनों और अपशिष्ट के बेहतर प्रबंधन एवं प्रदूषण को रोकने पर एक व्यापक तथा महत्त्वाकांक्षी विज्ञान नीति पैनल की स्थापना का समर्थन करता है।
- मंत्रिस्तरीय घोषणा में रसायनों एवं अपशिष्ट प्रबंधन में मानवता की विफलता को मान्यता दी गई है, साथ ही यह स्वीकार किया गया है कि यह खतरा एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक और कीटाणुनाशक रसायनों के व्यापक उपयोग के कारण कोविड-19 महामारी से और बढ़ गया है।
- प्रकृति आधारित समाधानों पर केंद्रित प्रस्ताव:
- पारिस्थितिक तंत्र बहाली के लिये संयुक्त राष्ट्र दशक (वर्ष 2021-2030) की भावना के रूप में यह प्रकृति-आधारित समाधानों पर केंद्रित है जिसमें पारिस्थितिक तंत्र की रक्षा, संरक्षण, पुनर्स्थापना, स्थायी रूप से उपयोग और प्रबंधन हेतु कार्रवाई शामिल है।
- प्रस्ताव में UNEP द्वारा ऐसे समाधानों के कार्यान्वयन का समर्थन करने का आह्वान किया गया है, जो समुदायों और समुदायों के लोगों के अधिकारों की रक्षा करते हैं।
- पारिस्थितिक तंत्र की बहाली को प्राथमिकता देने वाला प्रस्ताव:
- तीन प्रस्तावों में पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली, जैव विविधता संरक्षण, संसाधन दक्षता, खपत व उत्पादन पैटर्न, जलवायु शमन और अनुकूलन, रोज़गार सृज़न तथा गरीबी उन्मूलन को प्राथमिकता दी गई है।
- खनिज और धातु पर प्रस्ताव:
- यह खनिज और धातुओं के पूर्ण जीवनचक्र के साथ पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ाने हेतु प्रस्तावों के विकास का आह्वान करता है।
- सतत् झील प्रबंधन पर प्रस्ताव:
- यह राष्ट्रीय और क्षेत्रीय विकास योजनाओं में झीलों को एकीकृत करते हुए सदस्य राज्यों से झीलों की रक्षा, संरक्षण और पुनर्स्थापना के साथ-साथ स्थायी रूप से झीलों का उपयोग करने का आह्वान करता है।
- सतत् और लचीले बुनियादी ढांँचे पर प्रस्ताव:
- यह सदस्य राज्यों को उनकी सभी बुनियादी ढांँचा योजनाओं में पर्यावरणीय विचारों को एकीकृत करने हेतु प्रोत्साहित करता है।
- पशु कल्याण पर प्रस्ताव:
- यह सदस्य राज्यों से जानवरों की रक्षा, उनके आवासों की रक्षा और उनकी कल्याणकारी आवश्यकताओं को पूरा करने का आह्वान करता है।
- यदि मानव द्वारा 'वन हेल्थ' जैसे समग्र दृष्टिकोण को अपनाकर प्रकृति के साथ सामजस्य स्थापित नहीं किया जाता है तो यह संकल्प भविष्य में महामारियों और अन्य स्वास्थ्य जोखिमों को उत्पन्न कर सकता है।
- यह सदस्य राज्यों से जानवरों की रक्षा, उनके आवासों की रक्षा और उनकी कल्याणकारी आवश्यकताओं को पूरा करने का आह्वान करता है।
- जैव विविधता और स्वास्थ्य पर प्रस्ताव:
- यह सदस्य राज्यों से विनियमन और नियंत्रण के माध्यम से भोजन, कैप्टिव ब्रीडिंग, दवाओं और पालतू जानवरों के व्यापार के प्रयोजन हेतु तथा ज़बरन अपने अधिकार में लेने और जीवित वन्यजीवों के व्यापार से जुड़े स्वास्थ्य जोखिमों को कम करने का आह्वान करता है।
- नाइट्रोजन अपशिष्ट को कम करने का संकल्प:
- यह सभी स्रोतों से नाइट्रोजन अपशिष्ट को कम करने के लिये त्वरित कार्रवाई का आह्वान करता है, विशेष रूप से कृषि पद्धतियों के माध्यम से तथा प्रतिवर्ष 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर की बचत करना।
- कोविड के बाद उपायों को मज़बूत करने का संकल्प:
- विधानसभा ने स्थायी, लचीला और समावेशी वैश्विक सुधार के उपायों को मज़बूत करने के लिये "एक स्थायी, लचीला और समावेशी पोस्ट-कोविड-19 वसूली के पर्यावरणीय आयाम पर संकल्प" को अपनाया है।
- अन्य संकल्प:
- असेंबली के अतिरिक्त संकल्प व निर्णय UNEA-6 के लिये तारीख और स्थान, वैश्विक पर्यावरण आउटलुक (GEO) के भविष्य तथा यूएनईपी (UNEP) के सचिवालय में न्यायसंगत भौगोलिक प्रतिनिधित्त्व और संतुलन को संबोधित करते हैं।
भारत द्वारा प्रस्तावित संबंधित मसौदा प्रस्ताव:
- एकल उपयोग प्लास्टिक उत्पाद प्रदूषण सहित प्लास्टिक उत्पाद प्रदूषण को संबोधित करने के लिये भारतीय मसौदा संकल्प शीर्षक वाला फ्रेमवर्क देशों द्वारा तत्काल सामूहिक स्वैच्छिक कार्रवाई किये जाने के सिद्धांत पर आधारित था।
- लेकिन भारत एक नई अंतर्राष्ट्रीय और कानूनी रूप से बाध्यकारी संधि के लिये INC की स्थापना हेतु सहमत हो गया है।
- INC द्वारा कानूनी रूप से बाध्यकारी रूप से पेश किये जाने की उम्मीद है, जो प्लास्टिक के पूर्ण जीवन चक्र, पुन: प्रयोज्य उत्पादों तथा सामग्रियों का निर्माण एवं प्रौद्योगिकी, क्षमता निर्माण तथा वैज्ञानिक व तकनीकी सहयोग तक पहुँच को सुविधाजनक बनाने के लिये अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता को संबोधित करने हेतु विविध विकल्पों को प्रतिबिंबित करेगा। ।
- इससे पहले भारत ने प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन (संशोधन) नियम, 2022 की घोषणा की थी, जिसने प्लास्टिक पैकेजिंग के लिये विस्तारित निर्माता उत्तरदायित्व (EPR) पर निर्देशों को अधिसूचित किया था।
- प्लास्टिक कचरा प्रबंधन नियम 2016 में एकल उपयोग वाले प्लास्टिक के उन्मूलन और विकल्पों को बढ़ावा देने के लिये तेज़ी से संशोधन किया गया है।