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जैव विविधता और पर्यावरण

अडैप्टेशन गैप रिपोर्ट, 2022

  • 05 Nov 2022
  • 12 min read

प्रिलिम्स के लिये:

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP), जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC), COP 26, COP 27

मेन्स के लिये:

अडैप्टेशन गैप रिपोर्ट, 2022 के निष्कर्ष, रिपोर्ट द्वारा सुझाए गए कदम, जलवायु वित्त के संबंध में भारत की पहल।

चर्चा में क्यों?

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) की अडैप्टेशन गैप रिपोर्ट, 2022 के अनुसार, अनुकूलन योजना, वित्तपोषण और कार्यान्वयन की दिशा में किये जा रहे वैश्विक प्रयास दुनिया भर में कमजोर समुदायों को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के बढ़ते जोखिमों के अनुकूलन हेतु सक्षम करने के लिये पर्याप्त नहीं हैं।

  • इस रिपोर्ट के अनुसार राष्ट्रीय स्तर पर सरकारों की ओर से अनुकूलन योजनाओं पर कुछ प्रगति की गई है लेकिन यह वित्त द्वारा समर्थित नहीं है।

रिपोर्ट के निष्कर्ष:

  • जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC) के 197 सदस्यों में से केवल एक- तिहाई ने अनुकूलन से संबंधित मात्रात्मक और समयबद्ध लक्ष्यों को अपनाया है और इनमें से 90% ने लैंगिक आधार के साथ वंचित समूहों को भी शामिल किया है।
  • अंतर्राष्ट्रीय अनुकूलन वित्त प्रवाह आवश्यकता से 5 से 10 गुना तक कम है और यह अंतर लगातार बढ़ता जा रहा है। वर्ष 2020 में अनुकूलन हेतु वित्त, वर्ष 2019 की तुलना में 4% की वृद्धि के साथ बढ़कर 29 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया।
    • ऐसा तब है जब विकासशील देशों की अनुमानित वार्षिक अनुकूलन आवश्यकताएँ वर्ष 2030 तक बढ़कर 160 से 340 बिलियन अमेरिकी डॉलर और वर्ष 2050 तक 315 से 565 बिलियन अमेरिकी डॉलर होना अनुमानित हैं।

रिपोर्ट में सुझाए गए उपाय:

  • प्रकृति-आधारित दृष्टिकोण: रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि योजना, वित्तपोषण और कार्यान्वयन के संदर्भ में शमन व अनुकूलन कार्यों को जोड़ने से सह-लाभ प्राप्त होंगे।
  • इसका एक उदाहरण प्रकृति आधारित समाधान हो सकता है।
  • जलवायु अनुकूलन: देशों को COP27 से शुरू होने वाले अनुकूलन निवेश और परिणामों को बढ़ाने के लिये मज़बूत कार्रवाई के साथ ग्लासगो जलवायु संधि का समर्थन करने की आवश्यकता है।
  • अन्य रणनीतियाँ: अनुकूलन अंतर का समाधान चार महत्त्वपूर्ण तरीकों से किया जाना चाहिये:
    • अनुकूलन के लिये वित्तपोषण बढ़ाना: विकसित देशों को अनुकूलन हेतु ग्लासगो में COP 26 में निर्धारित वित्त को दोगुना करने (40 बिलियन अमेरिकी डॉलर) के अपने वादे के लिये एक स्पष्ट रोडमैप तैयार करने की आवश्यकता है।
    • नया व्यवसाय मॉडल अपनाना: अनुकूलन प्राथमिकताओं को निवेश योग्य परियोजनाओं में रूपांतरित करने हेतु विश्व को तत्काल एक नए व्यवसाय मॉडल की आवश्यकता है क्योंकि सरकार जो प्रस्ताव करती है और जिसे फाइनेंसर निवेश योग्य मानते हैं, उनके बीच तालमेल नहीं रहता है।  
    • डेटा कार्यान्वयन की आवश्यकता: कई विकासशील देशों में अनुकूलन योजना के लिये जलवायु जोखिम डेटा और सूचना की उपलब्धता एक मुद्दा बना रहता है।
    • संशोधित चेतावनी प्रणाली: चरम मौसमी घटनाओं और समुद्र के जल स्तर में वृद्धि जैसे परिवर्तनों के संदर्भ में पूर्व चेतावनी प्रणालियों का कार्यान्वयन एवं संचालन सुनिश्चित करना।

जलवायु वित्त के संबंध में भारत की पहलें:

  • राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन अनुकूलन कोष (NAFCC):
    • जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों के प्रति संवेदनशील राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों हेतु जलवायु परिवर्तन अनुकूलन की लागत को पूरा करने के लिये वर्ष 2015 में इस कोष की स्थापना की गई थी।
  • राष्ट्रीय स्वच्छ ऊर्जा कोष (NCEF):
    • उद्योगों द्वारा कोयले के उपयोग पर प्रारंभिक कार्बन टैक्स के माध्यम से वित्तपोषित स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिये इस कोष का निर्माण किया गया था।
    • यह वित्त सचिव (अध्यक्ष के रूप में) के साथ एक अंतर-मंत्रालयी समूह (Inter-Ministerial Group) द्वारा शासित किया जाएगा।
    • इसका प्रमुख उद्देश्य जीवाश्म और गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित क्षेत्रों में नवीन स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकी के अनुसंधान एवं विकास के लिये कोष प्रदान करना है।
  • राष्ट्रीय अनुकूलन कोष (NAF):
    • इस कोष की स्थापना वर्ष 2014 में 100 करोड़ रुपए की धनराशि के साथ की गई थी, इसका उद्देश्य आवश्यकता और उपलब्ध धन के बीच के अंतराल की पूर्ति करना था।
    • यह कोष पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF&CC) के तहत संचालित है।

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP):

  • 05 जून, 1972 को स्थापित संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) एक प्रमुख वैश्विक पर्यावरण प्राधिकरण है।
  • कार्य: इसका प्राथमिक कार्य वैश्विक पर्यावरण एजेंडा को निर्धारित करना, संयुक्त राष्ट्र प्रणाली के भीतर सतत् विकास को बढ़ावा देना और वैश्विक पर्यावरण संरक्षण के लिये एक आधिकारिक अधिवक्ता के रूप में कार्य करना है।
  • प्रमुख रिपोर्ट्स: उत्सर्जन गैप रिपोर्ट, वैश्विक पर्यावरण आउटलुक, फ्रंटियर्स, इन्वेस्ट इनटू हेल्थी प्लेनेट रिपोर्ट।
  • प्रमुख अभियान: ‘बीट पॉल्यूशन’, ‘UN75’, विश्व पर्यावरण दिवस, वाइल्ड फॉर लाइफ।
  • मुख्यालय: नैरोबी (केन्या)।

जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC):

  • वर्ष 1992 में पर्यावरण और विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में ‘संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क सम्मेलन' पर हस्ताक्षर किये गए, जिसे पृथ्वी शिखर सम्मेलन (Earth Summit), रियो शिखर सम्मेलन या रियो सम्मेलन के रूप में भी जाना जाता है।
  • UNFCCC 21 मार्च, 1994 से  लागू हुआ और 197 देशों द्वारा इसकी पुष्टि की गई।
  • यह वर्ष 2015 के पेरिस समझौते की मूल संधि (Parent Treaty) है। UNFCCC वर्ष 1997 के क्योटो प्रोटोकॉल (Kyoto Protocol) की मूल संधि भी है।
  • UNFCCC सचिवालय (यूएन क्लाइमेट चेंज) संयुक्त राष्ट्र की एक इकाई है जो जलवायु परिवर्तन के खतरे पर वैश्विक प्रतिक्रिया का समर्थन करती है। यह बॉन (जर्मनी) में स्थित है।
  • वातावरण में ग्रीनहाउस गैसों की सांद्रता को एक स्तर पर स्थिर करना जिससे एक समय-सीमा के भीतर खतरनाक नतीजों को रोका जा सके ताकि पारिस्थितिक तंत्र को स्वाभाविक रूप से अनुकूलित कर सतत् विकास के लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सके।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न: ‘मोमेंटम फॉर चेंज: क्लाइमेट न्यूट्रल नाउ” किसके द्वारा शुरू की गई एक पहल है? (2018)

(a) जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल
(b) यूएनईपी सचिवालय
(c) यूएनएफसीसीसी सचिवालय
(d) विश्व मौसम विज्ञान संगठन

उत्तर: (c)

व्याख्या:

  • "मोमेंटम फॉर चेंज: क्लाइमेट न्यूट्रल नाउ", UNFCCC सचिवालय द्वारा वर्ष 2015 में शुरू की गई एक पहल है।
  • यह पहल मोमेंटम फॉर चेंज के तहत एक स्तंभ है जिसका उद्देश्य जलवायु तटस्थता हासिल करना है।
  • जलवायु तटस्थता तीन-चरणीय प्रक्रिया है, जिसके लिये व्यक्तियों, कंपनियों और सरकारों को कार्बन पदचिह्न को मापना, जितना संभव हो उतना उत्सर्जन कम करना और उत्सर्जन को ऑफसेट करना  जो संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रमाणित उत्सर्जन कटौती के अनुरूप न हो।

अतः विकल्प (c) सही है।


प्रश्न. जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC) एक अंतर्राष्ट्रीय संधि है यह किसके द्वारा तैयार की गई है? (2010))

(a) मानव पर्यावरण पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन, स्टॉकहोम, 1972
(b) पर्यावरण और विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन, रियो डी जनेरियो, 1992
(c) सतत् विकास पर विश्व शिखर सम्मेलन, जोहान्सबर्ग, 2002
(d) संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन, कोपेनहेगन, 2009

उत्तर: (b)


प्रश्न. जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC) के पक्षकारों के सम्मेलन (COP) के 26वें सत्र के प्रमुख परिणामों का वर्णन कीजिये। इस सम्मेलन में भारत ने क्या प्रतिबद्धताएँ की हैं? (मुख्य परीक्षा, 2021)

प्रश्न. ग्लोबल वार्मिंग पर चर्चा कीजिये और वैश्विक जलवायु पर इसके प्रभावों का उल्लेख कीजिये। क्योटो प्रोटोकॉल, 1997 के आलोक में ग्लोबल वार्मिंग का कारण बनने वाली ग्रीनहाउस गैसों के स्तर को कम करने के लिये नियंत्रण उपायों की व्याख्या कीजिये। (मुख्य परीक्षा, 2022)

स्रोत: डाउन टू अर्थ

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