अंतर्राष्ट्रीय संबंध
G-20 विदेश मंत्रियों की बैठक
- 12 Jul 2022
- 17 min read
प्रिलिम्स के लिये:G20, अंतर्राष्ट्रीय संगठन, भारत और अंतर्राष्ट्रीय समूह मेन्स के लिये:भारत की विदेश नीति, भारत की विदेश नीति में G-20 का महत्त्व, अंतर्राष्ट्रीय समूहों पर वैश्विक घटनाओं की चुनौतियांँ। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत के विदेश मंत्री ने G-20 विदेश मंत्रियों की बैठक के इतर इंडोनेशिया के बाली में अमेरिकी विदेश मंत्री और रूसी विदेश मंत्री तथा अन्य समकक्षों से मुलाकात की।
- बैठक का आयोजन "एक साथ अधिक शांतिपूर्ण, स्थिर और समृद्ध दुनिया का निर्माण" विषय के तहत किया गया था।
G-20 बैठक के बारे में:
- भारत और चीन:
- भारत के विदेश मंत्री ने चीन के स्टेट काउंसलर तथा विदेश मंत्री से मुलाकात की।
- विदेश मंत्री ने पूर्वी लद्दाख में LAC पर सभी विवादित मुद्दों के शीघ्र समाधान का आह्वान किया।
- कुछ टकराव वाले क्षेत्रों से सैनिकों की वापसी पर ध्यान आकर्षित करते हुए विदेश मंत्री ने सीमावर्ती क्षेत्रों में अमन और शांति बहाल करने के लिये शेष सभी क्षेत्रों से सैनिकों की तेज़ी से वापसी की आवश्यकता को दोहराया।
- दोनों मंत्रियों ने इस बात की पुष्टि की कि दोनों पक्षों के सैन्य और राजनयिक अधिकारियों को नियमित संपर्क बनाए रखना चाहिये, साथ ही जल्द-से-जल्द वरिष्ठ कमांडरों की बैठक के अगले दौर के आयोजन को लेकर आशा व्यक्त की।
- चीन ने इस वर्ष ब्रिक्स की अध्यक्षता के दौरान भारत के समर्थन की सराहना की और भारत के आगामी G-20 एवं एससीओ अध्यक्ष पद के लिये चीन के समर्थन का आश्वासन दिया।
- विदेश मंत्री ने पूर्वी लद्दाख में LAC पर सभी विवादित मुद्दों के शीघ्र समाधान का आह्वान किया।
- भारत के विदेश मंत्री ने चीन के स्टेट काउंसलर तथा विदेश मंत्री से मुलाकात की।
- चर्चा के अन्य क्षेत्र:
- बैठकों ने G-20 समूह के भीतर उभरते मतभेदों का संकेत दिया क्योंकि रूस ने संयुक्त राज्य अमेरिका पर यूरोप और बाकी दुनिया को सस्ते ऊर्जा स्रोतों को छोड़ने के लिये मजबूर करने का आरोप लगाया, जबकि अमेरिका ने रूस को "वैश्विक खाद्य असुरक्षा" के लिये दोषी ठहराया।
- G-20 जिसमें दुनिया की 20 सबसे बड़ी आर्थिक शक्तियांँ शामिल हैं, को वैश्विक आर्थिक मामलों पर चर्चा करने के लिये एक जनादेश प्राप्त है, लेकिन बाली में विदेश मंत्रियों की बैठक में पश्चिमी सदस्यों के बीच रूस की आलोचना का बोलबाला रहा।
- यूक्रेन युद्ध और उसके आर्थिक नतीजे वैश्विक समूह के रैंकों के भीतर विभाजन की ओर इशारा करते हैं, जिसमें संयुक्त राज्य अमेरिका, यूरोपियन यूनियन, जापान, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांँस एक रूस विरोधी ब्लॉक बना रहे हैं, जबकि बाकी देश यूक्रेन युद्ध के शांतिपूर्ण समाधान के लिये सतर्कतापूर्ण दृष्टिकोण अपना रहे हैं।
G-20 समूह:
- परिचय:
- यह 19 देशों और यूरोपीय संघ (EU) का एक अनौपचारिक समूह है, जिसकी स्थापना वर्ष 1999 में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष तथा विश्व बैंक के प्रतिनिधियों के साथ हुई थी।
- G-20 के सदस्य देशों में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राज़ील, कनाडा, चीन, यूरोपियन यूनियन, फ्राँस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मेक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, कोरिया गणराज्य, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल हैं।
- नाइजीरिया इसका 20वांँ सदस्य बनने वाला था लेकिन उस समय की राजनीतिक समस्याओं के कारण अंतिम समय में उसे इस विचार को त्यागना पड़ा।
- G-20 समूह में विश्व की प्रमुख उन्नत और उभरती अर्थव्यवस्था वाले देश शामिल हैं जो दुनिया की आबादी का लगभग दो-तिहाई हिस्सा है।
- यह 19 देशों और यूरोपीय संघ (EU) का एक अनौपचारिक समूह है, जिसकी स्थापना वर्ष 1999 में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष तथा विश्व बैंक के प्रतिनिधियों के साथ हुई थी।
- G-20 की कार्यप्रणाली:
- जी-20 का कोई स्थायी मुख्यालय नहीं है और सचिवालय प्रत्येक वर्ष समूह की मेज़बानी करने वाले या अध्यक्षता करने वाले देशों के बीच रोटेट होता है।
- सदस्यों को पांँच समूहों में बांँटा गया है (रूस, दक्षिण अफ्रीका और तुर्की के साथ भारत समूह 2 में है)।
- G-20 एजेंडा जो अभी भी वित्त मंत्रियों और केंद्रीय राज्यपालों के मार्गदर्शन पर बहुत अधिक निर्भर करता है, को 'शेरपा' की निर्धारित प्रणाली द्वारा अंतिम रूप दिया जाता है, जो G-20 नेताओं के विशेष दूत होते हैं।
- वर्तमान में वाणिज्य और उद्योग मंत्री भारत के मौजूदा "G20 शेरपा" हैं।
- G-20 की एक अन्य विशेषता 'ट्रोइका' बैठकें हैं, जिसमें पिछले वर्ष, वर्तमान वर्ष और अगले वर्ष में G-20 की अध्यक्षता करने वाले देश शामिल हैं। वर्तमान में ट्रोइका में इटली, इंडोनेशिया और भारत शामिल हैं।
G-20 का विकास:
- वैश्विक वित्तीय संकट (2007-08) ने प्रमुख संकट प्रबंधन और समन्वय निकाय के रूप में G-20 की प्रतिष्ठा को मज़बूत किया।
- अमेरिका, जिसने 2008 में G-20 की अध्यक्षता की थी, ने वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक के गवर्नरों की बैठक को राष्ट्राध्यक्षों तक बढ़ा दिया, जिसके परिणामस्वरूप पहला G-20 शिखर सम्मेलन हुआ।
- वाशिंगटन डीसी, लंदन और पिट्सबर्ग में आयोजित शिखर सम्मेलनॉ ने कुछ सबसे टिकाऊ वैश्विक सुधारों हेतु परिदृश्य तैयार किया:
- इसमें कर चोरी और परिहार से निपटने के प्रयास में राज्यों को ब्लैक लिस्ट करना, हेज फंड और रेटिंग एजेंसियों पर सख्त नियंत्रण का प्रावधान करना, वित्तीय स्थिरता बोर्ड को वैश्विक वित्तीय प्रणाली के लिये एक प्रभावी पर्यवेक्षी और निगरानी निकाय बनाना, असफल बैंकों के लिये सख्त नियमों का प्रस्ताव करना, सदस्यों को व्यापार आदि में नए अवरोध लगाने से रोकना आदि शामिल हैं।
- कोविड-19 की दस्तक तक G-20 अपने मूल मिशन से भटक चुका था तथा G-20 के मूल लक्ष्य की ओर ध्यान केंद्रित नहीं कर पाया।
- G-20 ने जलवायु परिवर्तन, नौकरियों और सामाजिक सुरक्षा के मुद्दों, असमानता, कृषि, प्रवास, भ्रष्टाचार, आतंकवाद के वित्तपोषण, मादक पदार्थों की तस्करी, खाद्य सुरक्षा एवं पोषण, विघटनकारी प्रौद्योगिकियों जैसे मुद्दों को शामिल करने तथा सतत् विकास लक्ष्यों को पूरा करने के लिये अपने एजेंडे को विस्तृत कर खुद को फिर से स्थापित किया है।
- हाल के दिनों में G-20 के सदस्यों ने महामारी के बाद सभी प्रतिबद्धताएँ पूरी की हैं, लेकिन यह बहुत कम है।
- अक्तूबर 2020 में रियाद शिखर सम्मेलन में उन्होंने चार स्तंभों- महामारी से लड़ना, वैश्विक अर्थव्यवस्था की सुरक्षा, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार व्यवधानों को संबोधित करने और वैश्विक सहयोग बढ़ाने को प्राथमिकता दी।
- वर्ष 2021 में इटली ने कोविड-19 का मुकाबला करने, वैश्विक अर्थव्यवस्था में रिकवरी को तीव्र करने और अफ्रीका में सतत् विकास को बढ़ावा देने जैसे विषयों के लिये G-20 विदेश मंत्रियों की बैठक की मेज़बानी की।
G-20 की अध्यक्षता के लिये भारत की तैयारी:
- भारत ने G-20 के संस्थापक सदस्य के रूप में दुनिया भर में सबसे कमज़ोर लोगों को प्रभावित करने वाले महत्त्वपूर्ण मुद्दों को उठाने के लिये इस मंच का उपयोग किया है।
- समवर्ती रूप से भारत-फ्राँस के नेतृत्व वाले अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन की सफलता को ंलेकर भारत की नेतृत्वकारी भूमिका अक्षय ऊर्जा में अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देने की दिशा में संसाधन जुटाने में एक महत्त्वपूर्ण हस्तक्षेप के रूप में विश्व स्तर पर प्रशंसित है।
- इसके अलावा 'आत्मनिर्भर भारत' पहल के दृष्टिकोण से वैश्विक प्रतिमान में ‘नए भारत’ के लिये एक परिवर्तनकारी भूमिका की उम्मीद है, जो कोवड-19 महामारी के बाद विश्व अर्थव्यवस्था और वैश्विक आपूर्ति शृंखला के एक महत्त्वपूर्ण व विश्वसनीय स्तंभ के रूप में उभरेगा।
- आपदारोधी अवसंरचना के लिये गठबंधन का भारत का प्रयास, जिसमें अन्य देशों के अलावा G-20 देशों में से भी नौ देश शामिल हैं, वैश्विक विकास प्रक्रिया में नेतृत्व के नए आयाम प्रदान करता है।
G-20 के समक्ष चुनौतियांँ:
- वैश्विक:
- हितों का ध्रुवीकरण:
- नवंबर 2022 में होने वाले G-20 शिखर सम्मेलन में रूस और यूक्रेन के राष्ट्रपतियों को आमंत्रित किया गया है।
- अमेरिका पहले ही रूसी राष्ट्रपति को आमंत्रित न करने की मांग कर चुका है, अन्यथा अमेरिका और यूरोपीय देश उनके अभिभाषण का बहिष्कार करेंगे।
- चीन की रणनीतिक वृद्धि, नाटो के विस्तार, जॉर्जिया एवं क्रीमिया में रूस की क्षेत्रीय आक्रामकता और अब 2022 में रूस-यूक्रेन संघर्ष ने वैश्विक प्राथमिकताओं को बदल दिया है।
- वैश्वीकरण अब आदर्श शब्द (Cool Word) नहीं है और बहुपक्षीय संगठनों के पास विश्वसनीयता का संकट है क्योंकि दुनिया भर के देशों ने G-7, G-20, ब्रिक्स, P-5 (UNSC स्थायी सदस्य) और अन्य पर 'G-zero' (राजनीतिक टिप्पणीकार इयान ब्रेमर द्वारा 'हर राष्ट्र को स्वयं के लिये' को निरूपित करने के लिये गढ़ा गया एक शब्द) चुना है।
- नवंबर 2022 में होने वाले G-20 शिखर सम्मेलन में रूस और यूक्रेन के राष्ट्रपतियों को आमंत्रित किया गया है।
- अन्य चुनौतियांँ:
- अंतर्राष्ट्रीय वित्त:
- हाल ही IMF वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक के अनुसार, वर्ष 2021 में औसत उभरते बाज़ार और मध्यम आय वाले देश का ऋण-से-जीडीपी अनुपात लगभग 60% होगा।
- समष्टि आर्थिक नीति:
- युद्ध की वजह से आपूर्ति की कमी ने विशेष रूप से ऊर्जा और कृषि क्षेत्रों में मुद्रास्फीति के दबाव को बढ़ा दिया है।
- वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य सामाग्री:
- आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं तक अपर्याप्त पहुंँच के कारण महामारी से उबरना काफी हद तक कठिन रहा है।
- डिजिटल अर्थव्यवस्था:
- रूस-यूक्रेन युद्ध ने क्रिप्टो-परिसंपत्तियों के अवैध उपयोग और वैश्विक वित्तीय स्थिरता पर इसके प्रभाव के बारे में चिंताओं को फिर से जन्म दिया है।
- अंतर्राष्ट्रीय वित्त:
- हितों का ध्रुवीकरण:
- भारत के लिये चुनौतियांँ:
- भारत के लिये G-20 की चुनौतियांँ ध्रुवीकृत अंतर्राष्ट्रीय सदस्य देशों के साथ कुशलतापूर्वक अगले नवंबर में आयोजित होने वाले शिखर सम्मेलन की मेज़बानी के साथ उत्पन्न होंगी।
- नीति आयोग के पूर्व CEO अमिताभ कांत को G-20 शेरपा और पूर्व विदेश सचिव हर्ष शृंगला को G-20 का समन्वयक नियुक्त किया गया है।
- सरकार ने देश के विभिन्न हिस्सों में 100 तैयारी बैठकें आयोजित करने की योजना बनाई है, जिसके कारण भारत के पड़ोसी देशों के साथ संघर्ष को देखते हुए जम्मू-कश्मीर में G-20 शिखर सम्मेलन या मंत्रिस्तरीय बैठक आयोजित की जाएगी या नहीं, इस पर विवाद उत्पन्न हो गया।
- हालाँकि भारत के लिये बड़ी चुनौतियाँ G-20 के विचार की रक्षा के संदर्भ में इंडोनेशिया की सहायता और भू-राजनीतिक मतभेद के कारण इसे विखंडन से बचाने की होंगी, जहाँ एक ही कमरे में एक साथ बैठकर नेता एक-दूसरे की बात सुनने से कतराते हैं।
- भारत के लिये G-20 की चुनौतियांँ ध्रुवीकृत अंतर्राष्ट्रीय सदस्य देशों के साथ कुशलतापूर्वक अगले नवंबर में आयोजित होने वाले शिखर सम्मेलन की मेज़बानी के साथ उत्पन्न होंगी।
आगे की राह
- G-20 को अंतर्राष्ट्रीय संगठनों जैसे-IMF, OECD, WHO, विश्व बैंक और WTO के साथ साझेदारी को मज़बूत करना चाहिये और उन्हें प्रगति की निगरानी का कार्य सौंपना चाहिये।
- सभी सदस्य देशों के लाभ के लिये व्यक्तिगत हितों पर वैश्विक सहयोग को प्राथमिकता दी जानी चाहिये।
- यूक्रेन-रूस संघर्ष और रूस एवं पश्चिम के बीच मतभेदों जैसे मुद्दों को हल करने के लिये संवाद तथा कूटनीति का उपयोग किया जाना चाहिये।
- भारत को आक्रामक व्यापार बाधाओं/प्रतिबंधों, अंतर्देशीय संघर्षों और वैश्विक शांति एवं सहयोग की वकालत जैसे मुद्दों पर चर्चा करने के लिये एक मंच के रूप में G-20 शिखर सम्मेलन, 2023 का उपयोग करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिये।
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्षों के प्रश्न (पीवाईक्यू):प्रश्न: निम्नलिखित में से किस एक समूह में चारों देश G-20 के सदस्य हैं? (a) अर्जेंटीना, मेक्सिको, दक्षिण अफ्रीका और तुर्की उत्तर: (a) व्याख्या:
अतः विकल्प (a) सही है। |